Zanani Dyodhi
Author:
Pearl S. BuckPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 796
₹
995
Available
पर्ल एस. बक के ज़्यादातर उपन्यासों की विषयवस्तु परिवार और विवाह के इर्द-गिर्द घूमती है। ‘ज़नानी ड्योढ़ी’ भी इसका अपवाद नहीं है, लेकिन स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर जितने क्रान्तिधर्मी नज़रिए से इस उपन्यास में उठाया गया है, वह अभूतपूर्व है। 20वीं सदी के चौथे दशक में जब यह उपन्यास आया था, तब नारी-स्वातंत्र्य का विचार अपनी शुरुआती अवस्था में ही था। पर्ल एस. बक ने मैडम वू की इस कथा के माध्यम से जिस साहस और कौशल के साथ स्त्री-जीवन, सेक्स, परिवार और रिश्तों के जितने पहलुओं को उठाया था, वह आश्चर्यजनक है।</p>
<p>मैडम वू एक सम्पन्न चीनी परिवार की महिला है जो अपनी चालीसवीं वर्षगाँठ पर फ़ैसला करती है कि वह परिवार की ज़िम्मेदारियों से मुक्त होकर शान्ति के साथ अपना जीवन व्यतीत करेगी और इसके लिए वह अपने पति के लिए दूसरी पत्नी का प्रस्ताव रखती है। उसके इस फ़ैसले से उस भरे-पूरे परिवार में हड़कम्प मच जाता है। उसके बेटे और बहुओं के बीच के अभी तक दबे-छुपे द्वन्द्व भी सामने आने लगते हैं और इस प्रक्रिया में लेखिका विवाह संस्था और स्त्री-पुरुष सम्बन्ध को हर कोण से देखने-समझने का ‘स्पेस’ रच देती है।</p>
<p>चीनी पृष्ठभूमि में शाश्वत मानवीय प्रश्नों से जूझता यह उपन्यास विश्वसाहित्य की एक अमूल्य निधि है।
ISBN: 9788126717958
Pages: 308
Avg Reading Time: 10 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Description:
इस उपन्यास की कथा साफ़ तौर से एक रूपक है जो कोरियाई राजनीति से जुड़ी है। यह कोरिया में एक अधिनायकवादी राज्य शैली से अनिश्चित क़िस्म के प्रजातंत्र में बदलने की गाथा है। इसमें ताक़त के भयंकर दुरुपयोग, आम जन के द्वारा उसे स्वीकार कर चुपचाप सहते रहने की मनोदशा, प्रजातंत्र की ओर उन्मुख करनेवाली जागृति को तो साक्षात् किया ही गया है लेकिन बड़ी बात यह है कि अधिनायक की हार के बावजूद अधिनायकवादी प्रवृत्ति के प्रति सदा सावधान बने रहने की ओर सशक्त संकेत भी किया गया है।
इस उपन्यास के दो स्तर हैं : एक सीधा-सादा और दूसरा सांकेतिक। सीधे-सीधे अर्थ के अनुसार यह कक्षा के एक ऐसे बिगड़ैल मॉनीटर की कहानी है जो अपनी ताक़त और अपने साम्राज्य का झंडा बनाए रखने के लिए कितने ही तरह के हथकंडे अपनाता है। सांकेतिक अर्थ के अनुसार यह मनुष्य के भीतर की एक ऐसी प्रवृत्ति को सामने लाता है जो ताक़तवर बनने की भरपूर कोशिश करती है। उपन्यास आत्मकथात्मक शैली में है जिसका ‘विकृत नायक’ अर्थात् ‘खलनायक’ ‘ओम सोकदे’ है।
माना जाता है कि यह उपन्यास 1980 के ग्वांगजू सामूहिक हत्याकांड से प्रेरित होकर लिखा गया था जिसमें प्रजातंत्र के लिए आन्दोलन कर रहे निहत्थे लोगों को दक्षिण कोरियाई सैनिकों (जिन्हें उत्तर कोरिया से लोहा लेने के लिए प्रशिक्षण दिया गया था और जो शायद युद्ध न होने की स्थिति में ऊब चुके थे) ने मौत के घाट उतारा था।
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