Chhattisgarh Ke Vivekanand
Author:
Kanak TiwariPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 556
₹
695
Unavailable
आधुनिक भारतीय मनीषा के अग्रणी उन्नायकों में से एक स्वामी विवेकानन्द विषयक इस पुस्तक का आधार उनके जीवन का वह समय है जो उन्होंने छत्तीसगढ़ की भूमि पर रायपुर में बिताया। उनकी ओजस्वी चेतना के जो स्फुलिंग 11 सितम्बर, 1893 को शिकागो में विस्फोटक ढंग से दुनिया के सामने आए, उनके कुछ बीज निश्चय ही किशोरावस्था के उन ढाई वर्षों में भी पड़े होंगे जब उन्नीसवीं सदी के छत्तीसगढ़ के अभावों का साक्षात्कार उनके आकार लेते मानस से हुआ होगा।</p>
<p>यह आश्चर्यजनक है और दुर्भाग्यपूर्ण भी कि विवेकानन्द के अधिकतर जीवनीकारों ने उनके इस छत्तीसगढ़ प्रवास को अनदेखा किया है। इसलिए ऐसे तथ्य भी सामने नहीं आ सके जिनसे उनके जीवन में 1875 से 1877 के इस कालखंड के महत्त्व को रेखांकित किया जा सके। लेकिन क्या ये सच नहीं है कि व्यक्ति के जीवन में किशोरावस्था के अनुभवों की भूमिका निर्णायक होती है। ज्ञात हो कि विवेकानन्द उस समय 12 वर्ष के थे, जब उनके पिता उन्हें रायपुर लेकर आए और दो वर्ष से ज़्यादा वे यहाँ पर रहे। लोक विश्वास है कि जबलपुर से रायपुर बैलगाड़ी से आते हुए ही उन्हें माँ की गोद में लेटे हुए दिव्य ज्योति के दर्शन हुए थे। यह भी माना जा सकता है कि इसी दौरान उनका परिचय हिन्दी और छत्तीसगढ़ी से हुआ और यहाँ पर उन्हें भारत की ग़ुरबत की वह झलक भी मिली जो उनके व्याकुल चिन्तन का आधार बनी।</p>
<p>यह पुस्तक विवेकानन्द के छत्तीसगढ़ से सम्बन्ध के साथ-साथ उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व और वैचारिक सम्पदा को एक जिल्द में समेटने का प्रयास है। विशेषज्ञ विद्वानों द्वारा लिखे आलेखों के अलावा पुस्तक में विवेकानन्द का चर्चित शिकागो व्याख्यान भी प्रस्तुत किया गया है और कुछ अन्य सामग्री भी जो उन्हें समग्रता में समझने में सहायक होगी।
ISBN: 9788126727681
Pages: 208
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Sangharsh
- Author Name:
Amrendra Narayan
- Book Type:

-
Description:
संघर्ष’ की कथा मानव की उस अन्तर्निहित शक्ति को समर्पित है जो उसे अत्याचार और अन्याय से लडऩे को प्रेरित करती है। जब उपेक्षा, अवहेलना, तिरस्कार और उत्पीड़न मानव की सहज सहनशीलता का अतिक्रमण करने लगते हैं, तब उसकी चेतना उसके सुप्त स्वाभिमान को जगाकर अन्याय का प्रतिरोध करने को प्रेरित करती है।
‘संघर्ष’ की कथा भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के एक स्वर्णिम, पर लगभग उपेक्षित एवं विस्मृत अध्याय—चम्पारण सत्याग्रह तथा फ़िजी के कुछ भारतवंशी परिवारों पर केन्द्रित है। उन्नीसवीं शताब्दी से लेकर आज तक भारतीयों और भारतवंशियों को अन्याय और उपेक्षा के विरुद्ध तथा अपने अधिकारों की प्राप्ति एवं उनकी रक्षा के लिए बराबर संघर्ष करना पड़ा है। कई बार उनके प्रयासों को अपेक्षित सहानुभूति भी नहीं मिलती। अनेक परिस्थितियों में, देश-देशान्तर में संघर्ष की यह अन्तर्कथा आज भी सारगर्भित है। चम्पारण और बिहार के सन्दर्भ में तो ‘संघर्ष’ की कथा और भी सटीक है।
‘संघर्ष’ मानव की कर्मठता को एक विनम्र प्रणाम है और उसकी सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करने का एक लघु प्रयास भी।
Tarang
- Author Name:
Kamlakant Tripathi
- Book Type:

-
Description:
देश के वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य की विसंगतियों, द्वंद्वों और दुविधाओं के उत्स की तलाश है ‘तरंग’। यह तलाश इतिहास के जिस कालखंड (1934-42 ) में ले जाती है उसकी धड़कनें स्वातंत्र्योत्तर भारत की बुनियाद में अन्तर्भुक्त हैं और उसकी यात्रा को लगातार विचलित-आलोड़ित करती रही हैं। उस कालखंड में इन विसंगतियों, द्वंद्वों और दुविधाओं को जिस तरह बरता गया, उसका फलित हमें आज भी उद्भ्रान्त किए हुए है। उपन्यास के रूप में ‘तरंग’ उसी कालखंड की गहन पड़ताल करती एक बहुआयामी कथा है जिसकी जड़ों के रेशे पिछली सदी के आरम्भ तक जाते हैं।
भगत सिंह और चन्द्रशेखर आज़ाद के बलिदान के साथ ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी’ की क्रान्तिकारी धारा का अवसान नहीं हो गया था, उसमें बिखराव ज़रूर आया था। ‘तरंग’ एक औपन्यासिक कृति के रूप में उसी अवशिष्ट धारा के एक विच्छिन्न समूह के गुमनाम क्रान्तिकारियों के अन्तरंग से साक्षात्कार कराती है। उसी धारा को केन्द्र में रखकर वैश्विक परिप्रेक्ष्य में स्वतंत्रत आन्दोलन की मुख्यधारा का प्रतिपाठ भी रचती है और इतिहास के कई मिथकों का भेदन करती है। इस अर्थ में ‘तरंग’ भारतीय और विश्व इतिहास के एक अहम अध्याय में उपन्यासकार का सुचिन्तित सृजनात्मक हस्तक्षेप है। गांधी-नेहरू-पटेल की अन्तर्विरोधी धारा के बरअक्स उपन्यास का विशाल फलक स्वामी सहजानन्द, डॉ. अम्बेडकर, एम.एन. रॉय और सुभाषचन्द्र बोस के गिर्द घूमता है और अकादमिक इतिहास-लेखन के कुहासे को भेदकर उसके उपेक्षित या अल्पज्ञात पक्ष को निर्मम यथार्थ की रोशनी में उद्घाटित करता है। इस अर्थ में उपन्यास उस कालखंड के ज़मीनी, अन्तरंग और ज़रूरी दस्तावेज़ की निर्मिति भी है। अकादमिक रिक्ति को भरने का एक श्रमसाध्य, निष्ठावान और सृजनात्मक उपक्रम।
उस कालखंड में किसान आन्दोलन की एक उत्कट क्रान्तिकारी धारा भी प्रवाहित है जो जमींदारों, ताल्लुकेदारों के विरुद्ध किसान-संघर्ष की नई प्रविधि ईजाद करती है। क्रान्तिकारियों का उक्त समूह स्वामी सहजानन्द के उत्प्रेरण में इस ईजाद के केन्द्र में है। इस ब्याज से उपन्यास सबाल्टर्न इतिहास के एक अँधेरे कोने को दीप्त करता है। क्रान्ति-पथ को स्खलित करने की ओर प्रवृत्त ऐन्द्रिक स्त्री-पुरुष सम्बन्ध का कलात्मक अतिक्रमण भी ‘तरंग’ का एक अहम उपजीव्य है।
When Life Gives You Another Chance
- Author Name:
Maninder Singh
- Book Type:

- Description: "Life is full of suprises. Sometimes everything happens as per your plans but in few cases, you have no idea about what life might be cooking for you. Lucky are those who get a second chance in their lives to redeem their love."
Rani Roopmati Ki Aatmakatha
- Author Name:
Priyadarshi Thakur 'Khayal'
- Book Type:

- Description: ‘रानी रूपमती की आत्मकथा’ उपन्यास इतिहास और कल्पना का अच्छा मिश्रण है। वैसे तो यह उपन्यास रूपमती और बाज़ बहादुर की प्रेम-कथा है, लेकिन इस कथा में उस दौर की दुरभिसन्धियाँ भी हैं। रानी रूपमती कौन थी, इस बारे में इतिहास मौन है, किन्तु उपन्यास में उसे राव यदुवीर सिंह, जिनके पुरखे कभी माँडवगढ़ के राजा थे, की बेटी के रूप में दर्शाया गया है। उपन्यास के अनुसार रानी रूपमती की माँ रुक्मिणी एक क्षत्राणी थीं, जिन्हें उनकी माँ के साथ मुस्लिम आक्रान्ताओं ने उठा लिया था। उनके चंगुल से वे निकल भागीं। एक वेश्यालय में शरण ली, जहाँ उनकी शादी राव यदुवीर से हुई। उसके बाद की कथा इतिहास की आड़-तिरछी गलियों, सत्ता के गलियारों और युद्ध के पेंचदार प्रसंगों से होते हुए रानी रूपमती के ज़हर खाने तक जाती है। यह कथा उस समय की राजनीति के साथ-साथ तत्कालीन समाज का भी चित्रण करती है। धर्म और धर्मनिरपेक्षता जैसे सवाल तो अपनी जगह हैं ही, उपन्यास की शैली भी रोचक है। यह स्वप्न-दर्शन और वर्णन की शैली में बुनी गई एक ऐसी कथा है जिसे ख़ुद रानी रूपमती लेखक को स्वप्न में सुनाती है।
Rajgharana
- Author Name:
Dhirendra Verma
- Book Type:

-
Description:
यह कहानी है विजयनगर की जिसे आजादी-बाद के भारत के रूपक के तौर पर प्रयोग किया गया है। विजयनगर का एक हिस्सा ऐसा है जहाँ धन-धान्य की प्रचुरता है, आमोद-प्रमोद है, विलास है, उन्नति है, सुख है। लोग उसी को विजयनगर समझते हैं और वहाँ की सत्ता उसी को वास्तविक विजयनगर के रूप में प्रस्तुत-प्रचारित करती है।
लेकिन उसी विजयनगर में एक हिस्सा वह भी है जहाँ इस चमकते विजयनगर को अपनी सेवाओं से समृद्ध करनेवाले लोग बहुत बुरी स्थितियों में रहते हैं। वे अपनी जमीनें खो चुके ऐसे लोग हैं जिनके पास गुलामी के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। वहाँ गन्दगी है, बीमारियाँ हैं। और वही वास्तविक विजयनगर है।
साथ ही एक हिस्सा वह भी है जो अभी अपने वजूद के लिए लड़ रहा है। वह ग्रामीण भारत है जहाँ के खेतों पर महाजनों के कर्जों का साया लगातार गहरा होता जा रहा है। राजा चाहता है कि उन खेतों को विदेशी कम्पनियों को बेचकर वहाँ फैक्ट्रियाँ लगवाए और बीच में जो पैसा मिले, उसे अपने विदेशी खातों में जमा कराए।
लेकिन राजा की समाजवादी बेटी ऐसा नहीं होने देती। वह अपने स्वतंत्रता-सेनानी पूर्वजों का बहुत सम्मान करती है और उनके सपनों को साकार करने के लिए कटिबद्ध है। पत्रकार प्रवीण के साथ मिलकर वह न सिर्फ शोषण और पूँजी के दुश्चक्र को तोड़ती है, बल्कि अपने पिता को भी न्याय के मार्ग पर ले आती है।
इस उपन्यास में स्वातंत्र्योत्तर भारत में लागू की गई विकास की अवधारणा को केन्द्र में रखते हुए एक रोचक कहानी के द्वारा विचार किया गया है और उससे मुक्त होकर एक ज्यादा न्यायसंगत राजनीतिक-सामाजिक व्यवस्था का विकल्प भी सुझाया गया है। राजशाही की पुरानी पृष्ठभूमि में कहानी अपना एक स्वाद लेकर चलती है।
Nadi
- Author Name:
Usha Priyamvada
- Book Type:

-
Description:
‘बस—बहने दो जीवन सरिता को कहीं-न-कहीं—जल्दी या देरी से—कोई-न-कोई हल तो निकलेगा।' यही सूत्र है 'नदी' उपन्यास का। हिन्दी कथा-साहित्य में अविस्मरणीय ख्याति प्राप्त कर चुकीं उषा प्रियम्वदा का यह नया उपन्यास पठनीयता का पुनर्नवन है। नियति, अबूझ जीवन, प्रारब्ध—क्या नाम दें उस घटनाक्रम को जो 'नदी' की नायिका आकाशगंगा को जाने किस-किस रूप में कहाँ-कहाँ से विस्थापित करता है।
विदेश में निवास करती आकाशगंगा पुत्र भविष्य की मृत्यु के लिए इस सीमा तक अपने पति द्वारा उत्तरदायी मानी जाती है कि परिवार से विच्छिन्न कर दी जाती है। पति गगनेन्द्र दो बेटियों सहित भारत आ जाते हैं। यहीं से एकाकी छूट गई आकाशगंगा का संघर्ष प्रारम्भ होता है। वह अर्जुन सिंह और एरिक के प्रगाढ़ सम्पर्क में आती है। भारत लौटकर सास-ससुर, बेटियों की आत्मीयता में घिरने लगती है कि एक प्राय: अप्रत्याशित स्थिति उसे दूरदेश ले आती है।
प्रवीण दम्पति के साथ रहकर गंगा जीवन का नया अध्याय शुरू करती है। और एरिक के साहचर्य से उत्पन्न उसका बेटा स्तव्य स्टीवेन! आकाशगंगा अपने जीवन-प्रवाह में जिन ऊँचाइयों, गहराइयों, मैदानों, घाटियों, संकीर्ण-पथों प्रशस्त पाटों से गुज़रती है, उन्हें उषा प्रियम्वदा ने जीवन्त कर दिया है।
उषा प्रियम्वदा ने आकाशगंगा के बहाने स्त्री-जीवन के कटु-कठोर यथार्थ का मार्मिक चित्रण किया है। भाषा और शैली के लिए तो वे अलग से पहचानी ही जाती हैं।
‘नदी' जीवन-प्रवाह का ऐसा दृश्य...जिसमें अदृश्य के अँधेरे देर तक चमकते रहते हैं।
Kissa Pritam Pandey Ka
- Author Name:
Dhirendra Verma
- Book Type:

-
Description:
‘क़िस्सा प्रीतम पांडे का’ धीरेन्द्र वर्मा का एक बहुचर्चित उपन्यास है। विगत सदी में प्रकाशित यह व्यंग्यात्मक कृति अपने समय, समाज की विसंगतियों एवं आधुनिक जीवन में घुस आई स्वार्थपरता का यथार्थ चित्रण करती है। राजनैतिक, सामाजिक, पारिवारिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र में व्याप्त अवसरवादिता, अन्धप्रतियोगिता और ऊँचा दिखने की होड़ पर लेखक ने करारी चोट की है।
इस उपन्यास का कथानायक प्रीतम पांडे मानवीय मूल्यों—अर्थात् निष्ठा, परिश्रम, ईमानदारी आदि—के स्थान पर छल, कपट, हरामख़ोरी, धूर्तता जैसे नए जीवन-मूल्यों के बल पर न केवल सफल है, अपितु एकमात्र विजेता भी है। आधुनिकता के नाम पर सारहीन कला की मुक्तकंठ से प्रशंसा पुरस्कारवादी संस्कृति का भंडाफोड़ करती है। यही कारण है कि प्रीतम पांडे आँख मीचकर बनाई गई पेंटिंग्स को मॉडर्न आर्ट के नाम से प्रदर्शित करके सर्वाधिक सम्मानित आर्टिस्ट का ख़िताब भी हासिल कर लेता है। वस्तुत: तीखी व्यंग्यात्मक शैली और सरल-संक्षिप्त संवादों द्वारा धीरेन्द्र वर्मा की यह कृति सफलता के आधुनिक सूत्रों की बखिया उधेड़ने में कहीं कोई चूक नहीं करती है।
अपने प्रवाह में बहा ले जानेवाली भाषा इस उपन्यास की बहुत सारी विशेषताओं में से एक है जिसका एक अलग ही आकर्षण है। निस्सन्देह, अपनी ज़मीन पर जीवन्तता में एक विलक्षण कृति है ‘क़िस्सा प्रीतम पांडे का’।
Aksharo Ke Aage
- Author Name:
Bhairavprasad Gupt
- Book Type:

- Description: 'अज्ञानवश अन्धविश्वास में फँसना एक बात है और ज्ञान होते हुए भी अन्धविश्वास का शिकार होना दूसरी बात है। अन्धविश्वास के कारण मनुष्य का आत्म- विश्वास क्षीण होता है, शक्ति तथा क्रियाशीलता में शिथिलता आती है, यहाँ तक कि वह एकदम निकम्मा तथा असमाजिक भी हो जाता है, जैसे लाखों साहू, सन्त, फ़क़ीर, आवारे, चोर, डाकू, हत्यारे, अन्य अपराधकर्मी आदि। सबसे गम्भीर बात तो यह है कि अन्धविश्वासों के कारण समाज के विकास में बड़ी रुकावटें आती हैं, आदमी की सामाजिक चेतना तक कुंठित हो जाती है, जिसके चलते आदमी समाज के विकास की नई दिशा में अथवा नए मार्ग पर चलने से इनकार कर देता है।... हमारी ज़िन्दगी ऐसी क्यों है, हम क्यों अंधविश्वासों, कुप्रथाओं से जकड़े हुए हैं, हम क्यों अपने अनुभवों से भी कुछ नहीं सीखते?'
Katra Katra Aasakti
- Author Name:
Harsh Ranjan
- Book Type:

- Description: फिर कभी सोचूँगा कि अब वदन में कितनी आग बाकीं है। आजकल पानी पड़ती है आग भी सोचूंगा इसके लिये कितनी राख काफी है। गुजरते लोग आज भी देखते हैं इज्जत से मुझे इस गली में, लगता है कि मेरी साख अभी बाकीं है, और मेरी जो राह खुली है घर के आगे बड़ी सड़क पर लाख कदम चल चुके, लाख अभी बाकीं है। एक छोटा सा घर बनाया है अरमान उत्पात न करें मेरे यहाँ इसलिये उन्हें दूर बाहर ही छोड़ आया। यहाँ पीने के लिये मैं और सात पर्दों में छिपा मेरा इतिहास ही काफी है। शोध का विषय है कईयों के लिये कि गिरा हुआ आदमी संभ्हलने से पहले कितनी बार गिर सकता है और एक मरा हुआ आदमी जीने की शर्त पूरी करने को कितनी बार मर सकता है। मेरे अंदर जी रहे लोगों को मैं बार-बार विश्वास दिलाता हूँ जीने की कोशिशों में मरने का हिस्सा उन्हें बार-बार याद दिलाता हूँ और जो मैं कहलाता हूँ वो बहुत है कि जिंदगी और मौत, आग और राख, गुमनामी और साख से मैं क्या पाता हूँ।
Chhal
- Author Name:
Achala Nagar
- Book Type:

-
Description:
रेडियो नाटक, फ़िल्मों और धारावाहिक आदि माध्यमों की विख्यात सृजनकर्मी अचला नागर का यह पहला उपन्यास है। इस उपन्यास में उन्होंने परिवार और व्यवसाय की एक सहयोगी संरचना को आधार बनाते हुए एक ओर पीढ़ियों के संघर्ष को रेखांकित किया है, तो दूसरी तरफ़ विश्वास और भरोसे पर जीवित शाश्वत मूल्यों को प्रतिष्ठित किया है।
कथा के केन्द्र में एक व्यवसायी परिवार है जिसने व्यवसाय का एक सहयोग-आधारित ढाँचा खड़ा किया है, जहाँ व्यवसाय के सब फ़ैसले सहयोगियों की राय से लिए जाते हैं, लेकिन नई पीढ़ी के कुछ लोगों को यह तरीक़ा बहुत रास नहीं आता जिसका परिणाम परस्पर छल, अविश्वास और पारिवारिक मूल्यों के विघटन में होता है। लेकिन जल्दी ही उन्हें अपनी भूल का अहसास होता है, और परिवार तथा परस्पर सौहार्द के जिस ढाँचे पर ग्रहण लगने लगा था, वह वापस अपनी आभा पा लेता है।
उपन्यास की विशेषता इसका कथा-रस है जो इधर के उपन्यासों में अक्सर देखने को नहीं मिलता। बिना किसी चमत्कारी प्रयोग के कथाकार ने सरल ढंग से अपनी कहानी कहते हुए अपने यथार्थ पात्रों को साकार और जीवित कर दिया है।
Gunah Begunah
- Author Name:
Maitreyi Pushpa
- Book Type:

-
Description:
भारतीय समाज में ताक़त का सबसे नज़दीकी, सबसे देशी और सबसे नृशंस चेहरा—पुलिस। कोई हिन्दुस्तानी जब क़ानून कहता है तब भी और जब सरकार कहता है तब भी, उसकी आँखों के सामने कुछ ख़ाकी-सा ही रहता है। इसके बावजूद थाने की दीवारों के पीछे क्या होता है, हममें से ज़्यादातर नहीं जानते। यह उपन्यास हमें इसी दीवार के उस तरफ़ ले जाता है और उस रहस्यमय दुनिया के कुछ दहशतनाक दृश्य दिखाता है और सो भी एक महिला पुलिसकर्मी की नज़रों से।
इला जो अपने स्त्री वजूद को अर्थ देने और समाज के लिए कुछ कर गुज़रने का हौसला लेकर ख़ाकी वर्दी पहनती है, वहाँ जाकर देखती है कि वह चालाक, कुटिल लेकिन डरपोक मर्दों की दुनिया से निकलकर कुछ ऐसे मर्दों की दुनिया में आ गई है जो और भी ज़्यादा क्रूर, हिंसालोलुप और स्त्रीभक्षक हैं। ऐसे मर्द जिनके पास वर्दी और बेल्ट की ताक़त भी है, अपनी अधपढ़ मर्दाना कुंठाओं को अंजाम देने की निरंकुश निर्लज्जता भी और सरकारी तंत्र की अबूझता से भयभीत समाज की नज़रों से दूर, थाने की अँधेरी कोठरियों में मिलनेवाले रोज़-रोज़ के मौक़े भी। अपनी बेलाग और बेचैन कहन में यह उपन्यास हमें बताता है कि मनुष्यता के ख़िलाफ़ सबसे बीभत्स दृश्य कहीं दूर युद्धों के मोर्चों और परमाणु हमलों में नहीं, यहीं हमारे घरों से कुछ ही दूर, सड़क के उस पार हमारे थानों में अंजाम दिए जाते हैं। और यहाँ उन दृश्यों की साक्षी है बीसवीं सदी में पैदा हुई वह भारतीय स्त्री जिसने अपने समाज के दयनीय पिछड़ेपन के बावजूद मनुष्यता के उच्चतर सपने देखने की सोची है।
मर्दाना सत्ता की एक भीषण संरचना यानी भारतीय पुलिस के सामने उस स्त्री के सपनों को रखकर यह उपन्यास एक तरह से उसकी ताक़त को भी आजमाता है और कितनी भी पीड़ाजन्य सही, एक उजली सुबह की तरफ़ इशारा करता है।
Parvati Chachi
- Author Name:
Vijay Kumar
- Book Type:

- Description: Parvati Chachi
Asthi Phool
- Author Name:
Alpana Mishra
- Book Type:

-
Description:
यह उपन्यास आन्दोलन और स्त्री के बिकने के बारे में है। झारखंड की राजनीतिक-सामाजिक पृष्ठभूमि में जंगल और ज़मीन के सरोकारों को रेखांकित करते हुए अल्पना मिश्र यहाँ उन स्त्रियों की पीड़ा का बखान कर रही हैं जिन्हें हरियाणा जैसे सम्पन्न इलाक़ों में, जहाँ पुरुषों के मुक़ाबले स्त्रियों की संख्या बहुत कम हो गई है, बेच दिया जाता है। उनका भी इस्तेमाल यहाँ पुरुषों की उत्पत्ति के लिए ही किया जाता है, गर्भ में लडक़ी हो तो उससे पैदा होने से पहले ही निजात पा ली जाती है। अपने गर्भ पर स्त्री का कोई अधिकार नहीं, ठीक वैसे ही जैसे आदिवासियों को उनके उन जंगलों की सम्पदा पर कोई अधिकार नहीं, जिन्हें वे जाने कितनी पीढ़ियों से अपना घर मानते आए हैं। स्त्री-गर्भ यहाँ पृथ्वी के भीतर छिपी खनिज सम्पदा के दोहन का रूपक बनकर आता है। उपन्यास में उस राजनीति को भी बेनक़ाब किया गया है जो आदिवासी-अधिकारों की पैरवी के बहाने अपनी जड़ें फैलाने पर लगी है। यह पूर्णतया राजनीतिक-सामाजिक उपन्यास है, और वह भी एक महिला कथाकार की संवेदनशील क़लम से उतरा हुआ। उपन्यास में उस परिवेश को भी पकड़ने की कोशिश की गई है जहाँ दूसरे पात्र अपने जीने का संघर्ष कर रहे हैं। वहाँ की शब्दावली, भाषा-भंगिमा और लोकगीतों के प्रयोग से कथा का ताना-बाना विशेष प्रामाणिकता हासिल कर लेता है।
अल्पना मिश्र ने अपने अभी तक के लेखन से आलोचकों और पाठकों के बीच अपनी एक विशिष्ट जगह बनाई है, यह कृति उसे एक और आयाम तथा एक रचनात्मक उछाल देती है।
Hemant Ka Panchhi
- Author Name:
Suchitra Bhattacharya
- Book Type:

-
Description:
क़ामयाब पति, दो-दो बुद्धिमान बेटे और अपनी घर-गृहस्थी में डूबी अदिति, उम्र के चालीसवें के मध्य तक पहुँचते-पहुँचते अचानक महसूस करती है कि वह भयंकर अकेली है। पति अपनी नौकरी में व्यस्त है, दोनों बेटे भी अपने-अपने आकाश में पंख फैलाए उड़ने लगे हैं। अकेली अदिति अब अपने दिन या तो अपने आपसे या पिंजरे की मैना से बातें करती हुई गुज़ारती है। उन्हीं दिनों उसकी ज़िन्दगी में हेमेन मामा दाख़िल होते हैं, उन्हीं की प्रेरणा से जाग उठती है—एक नई अदिति धीरे-धीरे वह अपनी रची-गढ़ी दुनिया में मग्न हो जाती है। ब्याह से पहले वह लेखन के क, ख, ग से परिचित हो चुकी थी। अब वह दुबारा लिखना शुरू करती है। अब जब वह अपने पति, सन्तान और गृहस्थी को नई निगाह से तौलना-परखना शुरू कर देती है, तो शुरू होता है—ज़बर्दस्त टकराव। भयंकर दर्द के काले बादल घिर आते हैं।
अदिति क्या सिर्फ़ सुप्रतिम की पत्नी-भर है? मात्रा बच्चों की माँ है? वह क्या सिर्फ़ ख़ून-मांस की मशीन-भर है, जिससे सिर्फ़ यह अपेक्षित है कि बेहद सहज-स्वाभाविक तरीक़े से गृहस्थी की गाड़ी आगे बढ़ाती रहे? इस दायरे से बाहर क्या अदिति का कोई अस्तित्व नहीं?
सुचित्रा भट्टाचार्य की सशक्त क़लम ने ‘हेमन्त का पंछी’ में औरत के इसी सच की बेचैन तलाश को उकेरा है।
Haryana Ki Lokkathayen
- Author Name:
Nisha
- Book Type:

- Description: लोककथा को आज हम आदिमानव की आदिम विधा कहकर इतिश्री नहीं कर सकते, न ही इसे प्रारंभिक विधा कह नमन कर आगे बढ़ा सकते हैं, क्योंकि इन कहानियों में अब भी बहुत कुछ सार्वभौमिक एवं सार्वकालिक-सा है, जो उसे न केवल सदा जिंदा रखेगा, बल्कि हमें मजबूर भी करेगा कि हम उसे अपने साथ रखें। लोककथा पर आज विभिन्न दृष्टिकोणों से शोध किए जाने की आवश्यकता है। जीवन में कहानी होती है और कहानी में जीवन। एक साधारण व्यक्ति अपने रोजमर्रा के कामों में, अपने हालातों में निरंतर खप रहा होता है। कहानी से वह रस पाया करता है, जो उसे चुनौतियों से टकराने में सहायता करता है। हरियाणा की समृद्ध लोकसंस्कृति, परंपराओं और मान्यताओं का दिग्दर्शन करवाती ये लोककथाएँ पाठकों के जीवन में अपूर्व उत्साह और आनंद का संचार करेंगी।
Kisi Aur Subah
- Author Name:
Lakshmidhar Malviya
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
90ml Samundar
- Author Name:
Sunil Sahil
- Book Type:

- Description: सुनील साहिल टीवी कॉमेडी शो लेखक एवं कवि-सम्मेलन मंचों पर हास्य-व्यंग्य कवि के रूप में सक्रिय हैं, इंग्लैंड के कई शहरों में काव्य-पाठ का आमंत्रण, रेडियो सनराइज, लन्दन और रेडियो एक्सेल, बिर्मिंघम पर इंटरव्यू प्रसारित, ऍम ए टीवी, लन्दन पर कविताएँ प्रसारित, सब टीवी के शो ‘वाह-वाह’ में आमंत्रण. ‘ये कविताएँ मैंने नहीं लिखी हैं, ये कविताएँ मुझसे अभिव्यक्त हुई हैं, अस्तित्व ने मुझे चुना इन शब्दों, इन भावों का जरिया बनने को, माध्यम बनने को, साधन बनने को, जब मैं मिट गया तो लगा कि अस्तित्व और मुझमें संवाद हो रहा है, एक सम्बन्ध घट रहा है जिसमें ये कुछ सहज अभिव्यक्तियाँ प्रकट हुई, आप हमेशा ‘कवि’ बने नहीं रह सकते हैं, शायद कुछ पल आप कवि हो जाते हैं जब कविता आपकी रूह की जमीन पर उतरती है, तब आपको अनुभूति होती है कि आपकी देह, आपका मन, आपका जेहन भीतर की यात्रा पर निकला है- बस एक झलक मिलती है सम्बुद्ध होने की और फिर खो जाती है, बस उन्हीं चंद लम्हों का जमावड़ा है – 90 ml समंदर’
Yadon Ke Panchhi
- Author Name:
P. E. Sonkamble
- Book Type:

-
Description:
आत्मकथापरक शैली में लिखा गया यह बेजोड़ उपन्यास एक ऐसे व्यक्ति की कथा-यात्रा है जिसने भूख को सहने के साथ-साथ उसे नज़दीक से देखा है और भूख के विकराल जबड़ों से निकलकर भी वह अपनी इंसानियत, अपनी संवेदना नहीं खो पाया है। बढ़ती ज़िन्दगी के हर तरफ़ से रोके गए रास्तों के बावजूद जिजीविषा उसे आगे बढ़ाती है, टूटने नहीं देती। जिस जोहड़ में उच्च वर्ग के ढोर पानी पी सकते हैं, उसमें दलित वर्ग के इस नायक को अपना सूखा कंठ भिगोने की इजाज़त नहीं है। उसे मरुभूमि की अपनी यह यात्रा भूखे-प्यासे रहकर ही पूरी करनी है।
इस उपन्यास में दलित वर्ग के हर प्रकार के शोषण का आकलन इतनी तटस्थ और सहज शैली में किया गया है कि बरबस लेखक के आत्म-संयम की दाद देनी पड़ती है। कमाल यह है कि जिनके कारण दलित वर्ग को इंसान से भी बदतर ज़िन्दगी जीनी पड़ रही है, उन्हें भी उपन्यास में काले रंग से नहीं पोता गया है। लेखक उच्च वर्ग के उन लोगों को भी नहीं भूला है जिनके कारण उसे क्षण-भर के लिए भी सुख या सांत्वना या प्रोत्साहन मिला है। कटुता-रहित भूख के अन्तरंग चित्र इस उपन्यास को प्रामाणिक दस्तावेज़ बनाते हैं।
Ganga Maiyya
- Author Name:
Bhairavprasad Gupt
- Book Type:

- Description: प्रस्तुत पुस्तक ‘गंगा मैया’ में भारतीय ग्रामीण जीवन-संघर्ष का जो सहज, स्वाभाविक और वास्तविक अंकन हुआ है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। यही कारण है कि यह लघु उपन्यास आज विश्व कथा-साहित्य में हिन्दी कथा-साहित्य के प्रतिनिधि के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। अन्यान्य विदेशी भाषाओं में प्रकाशित होने के अतिरिक्त फ्रांसीसी तथा पुर्तगाली भाषाओं में प्रकाशित होनेवाली हिन्दी की पहली पुस्तक ‘गंगा मैया’ (1967-69) ही है। फ़्रांसीसी समीक्षकों ने इस उपन्यास की जो प्रशंसा की है, यह इसलिए अधिक महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि आज फ्रांसीसी कथा-साहित्य विश्व में सर्वोच्च स्थान पर प्रतिष्ठित है। हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में ‘गंगा मैया’ कलेवर में सबसे छोटा है, किन्तु अपने आत्मिक सौष्ठव में यह उपन्यास महान है। यह हमारी गर्वोक्ति नहीं, विद्वान समीक्षकों की सामान्य उक्ति है। कथ्य, शिल्प और शैली में यह उपन्यास बेजोड़ माना गया है।
Assam Ki Lokkathayen
- Author Name:
Suman Bajpai
- Book Type:

- Description: विद्वानों का मत है कि ‘असम’ शब्द संस्कृत के ‘असोमा’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है—अनुपम या अद्वितीय। किंतु अधिकतर विद्वानों का मानना है कि यह शब्द मूल रूप से ‘अहोम’ से बना है। असम राज्य में संस्कृति और सभ्यता की एक प्राचीन और समृद्ध परंपरा रही है। इसका प्रभाव यहाँ के लोकसाहित्य में भी देखने को मिलता है, जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी सौंपा जाता जा रहा है। इसकी लोककथाओं के माध्यम से यहाँ के लोगों के जीवन और संस्कृति के विविध पहलुओं को जानने का अवसर मिलता है। असम में प्रचलित लोककथाओं को ‘साधु कथा’ कहा जाता है। यहाँ की लोककथाएँ अलौकिक घटनाओं से परिपूर्ण होती हैं। असम तंत्र-मंत्र, जादू-टोना एवं आध्यात्मिकता का केंद्र है। अतः लोककथाओं में तंत्र-मंत्र का समावेश भी देखने को मिलता है और रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी घटनाओं को जोड़कर भी कथाएँ बनाई गई हैं। कल्पना और वास्तविकता के समन्वय और उनके रहन-सहन और परिवेश का आईना हैं असम की लोककथाएँ। उनकी बोली, खान-पान और गुजर-बसर करने के तरीकों के बारे में भी इन लोककथाओं के माध्यम से जानने का मौका मिलता है। इस पुस्तक में ऐसी ही कुछ लोककथाएँ संगृहीत हैं, जो असम की गौरवशाली विरासत व संस्कृति का बोध कराती हैं।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...