Charu Chandralekh
Author:
Hazariprasad DwivediPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 399.2
₹
499
Available
<span style="font-weight: 400;">चारु चन्द्रलेख आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की कलम से निकली हुई एक गहन संवेद्य कृति है। इसमें 12वीं-13वीं सदी के भारत का व्यक्ति और समाज बारीकी से व्यक्त हुआ है।</span></p>
<p><span style="font-weight: 400;">समय के उस दौर में देश के लिए विदेशी आक्रमण का प्रतिरोध एक बड़ी चुनौती का दायित्व था लेकिन देश की समूची आध्यात्मिक तथा इतर शक्तियाँ पुरातन अन्धविश्वास के रास्ते नष्ट हो रही थीं। ऐसे में समाज के पुनर्गठन का काम पूरी तरह से उपेक्षित था और नए मूल्यों के सृजन की जरूरत की अनदेखी हो रही थी।</span>
ISBN: 9788126718795
Pages: 355
Avg Reading Time: 12 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
इस उपन्यास में शरतचन्द्र ने स्त्री–पुरुष के मन को लेकर जो आख़िरी सवाल, मुख्यत: मनोरमा और अजित तथा कमल और अविनाश के सम्बन्धों के माध्यम से उठाया है, उसका जवाब आज तक किसी ने नहीं दिया है। सवाल यह है कि क्या किसी भी विधि–विधान से विवाह कर लेने के बाद स्त्री–पुरुष के मन का मेल चिरस्थायी हो जाता है? क्या विवाह के बाद पति या पत्नी का मन क्रमश: परस्त्री और परपुरुष के प्रति आकर्षित नहीं होता है? और अगर ऐसा होता है, तो क्या यह अस्वाभाविक है? अगर यह अस्वाभाविक है, तो भटका मन लिए जीवन-भर कुढ़–कुढ़कर जीना स्वाभाविक है? अगर यह स्वाभाविक है तो फिर जीवन सुन्दर कैसे है? और अगर जीवन सुन्दर नहीं है, तो जीने का सुख और आनन्द क्या है? विवाह एक समझौता है, एक अनुबन्ध है। जब तक चलता है, ठीक है, नहीं चलता है, तो भी ठीक है। इसमें नैतिकता नहीं ढूँढ़ी जानी चाहिए। मन का मेल नैतिकता के आधार पर नहीं होता है। मन का मेल रुचि, पसन्द और विचार के आधार पर होता है। मनोरमा अजित की वाग्दत्ता है। कमल और अविनाश का विवाह वैदिक रीति से नहीं, अन्य रीति से हुआ है। इसलिए लोग उन्हें हेय दृष्टि से देखते हैं। देखनेवालों में मनोरमा और अजित भी शामिल हैं। पर मन का खेल अजीब है। एक समय आता है जब मनोरमा अविनाश से विवाह कर लेती है और अजित कमल से विवाह करना चाहता है। कमल विवाह–संस्कार को महत्त्व नहीं देती है। वह मन के मेल को तरजीह देती है। वह अजित के साथ बिना विवाह किए जीवन-भर साथ रहने को राजी हो जाती है। स्त्री–पुरुष के मन को लेकर समाज में बार–बार यह सवाल उठाया जाता है कि क्या नैतिक है और क्या अनैतिक? यही तो आखिरी सवाल है। पाठक अपने मन के अनुसार आख़िरी सवाल का जवाब इस उपन्यास में पा जाएँगे।
—विमल मिश्र
Unread 2020
- Author Name:
Various Authors
- Book Type:

- Description: Unread is an anthology published by platform for artists featuring 99 writers across the country who have shared their writings in the form of poetry and short stories. It contains both English and Hindi writings which is a collection of diverse experiences, emotions, and knowledge shared by the writers. To name a few, we have a man deep Singh, helly Shah, Mehak Mirza Prabhu, aakash ranison, Naveen kukreja, shakti Shetty, Abbas Dalal and others who are looked up to by thousands of aspiring writers the 100th title of the book is kept blank for the reader to be a part of the book and complete it with their art. You can write, draw, paint, sketch or even stick pictures to express your creativity on the last part. This makes the book very dynamic and inclusive which is the spirit of platform for artists since the start. The entire project was intended to be experimental as well as collaborative hence the book cover was designed by nine different designers as a relay of creative expressions where it was passed on from one to the other to add their element. You can know more about the book through www.Pfaindia.Com/unread. Feel free to connect with us via Instagram/ face book @platform for artists to share your reviews. Happy unreading!.
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