Kavi Vandyaghati Gaein Ka Jeevan Aur Mrityu
Author:
Mahashweta DeviPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Unavailable
वरिष्ठ बांग्ला लेखिका महाश्वेता देवी का यह लघु उपन्यास ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर रचा गया है, लेकिन कवि वन्द्यघटी गाईं के जन्म और मृत्यु का इतिहास पूर्णतः लेखिका की अपनी मानस-कथा है। कोई ऐतिहासिक कथा नहीं। लेखिका ने इसके माध्यम से एक ऐसे युवक के प्रेम और जिजीविषा की अनूठी कहानी रचने की कोशिश की है जो अपने जन्म और जीवन को लाँघकर एक नई दुनिया का सृजन करना चाहता है, लेकिन उसके हर प्रयास को तत्कालीन समाज ने मात दी। चुयाड़ वंश में जन्मा युवक एक ब्राह्मण कन्या से प्यार करने लगता है लेकिन अन्ततः उसके हिस्से में आता है दु:ख और अपमान।</p>
<p>निश्चय ही तरल संवेदना और प्रवाहमयी शिल्प में रची यह कृति एक बार फिर पाठकों को महाश्वेता देवी की रचनात्मक विशिष्टता से रू-ब-रू कराएगी।
ISBN: 9788183611046
Pages: 155
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Pankaj Bisht
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- Description: पंकज बिष्ट अपनी पीढ़ी के सम्भवतः अकेले ऐसे लेखक हैं जिनकी रचनाओं में हमारे समकालीन समाज के बदलते नैतिक, बौद्धिक और सामाजिक मूल्यों की पड़ताल की कोशिश इतने बड़े पैमाने पर नज़र आती है। उनकी रचनाओं का सरोकार मुख्यतः नैतिक पक्षधरता है जो आधुनिकता और परम्परा के टकरावों और परिणामों की पृष्ठभूमि में आकार लेती है। वह मानव सम्बन्धों को किस संवेदनशीलता, समझ और सहृदयता से अभिव्यक्त करते हैं, उनकी रचनाएँ इसका प्रमाण हैं। ये रचनाएँ व्यक्ति और समाज के आपसी सम्बन्धों की टकराहट और उससे उपजी जटिलताओं की कई अन्तरधाराओं को अनजाने ही पूरी संश्लिष्टता में अभिव्यक्त करती चलती हैं। यह छोटा-सा उपन्यास ‘पंखवाली नाव’ उसी परम्परा की अगली कड़ी है। इसमें यौनिकता से सम्बन्धित नैतिकता-अनैतिकता के कई सवालों से पाठक रूबरू होते हैं। यौन सम्बन्धों के दबावों और उनके भटकावों जैसे नाजुक और संवेदनशील विषय को लेकर लिखी गई यह रचना मूलतः मानवीय प्रकृति की पड़ताल करने के साथ ही साथ विषय की नवीनता, लेखकीय अन्तर्दृष्टि, वस्तुनिष्ठता और मार्मिकता के लिए विशिष्ट कही जा सकती है।
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