
Dharm Nirpekshta Banam Rashtriya Sanskriti
Author:
Kuber Nath RaiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Language-linguistics0 Reviews
Price: ₹ 236
₹
295
Available
धर्मनिरपेक्षता बनाम राष्ट्रीय संस्कृति के अधिकतर निबन्ध समय, समाज साहित्य अर्थात् समग्र जीवन के वास्तविक सौन्दर्य के अन्वेषण में संलग्न हैं।</p>
<p>श्री राय भारतीय दर्शन, संस्कृति, साहित्य के प्रति भरपूर सम्मान भाव रखते हैं। देशबोध और मैथिली शरण गुप्त शीर्षक निबन्ध में वे देशबोध अर्थात् भारतबोध की अवधारणा प्रस्तुत करते हैं। यह बोध दम, त्याग और अप्रमाद पर आधारित है और कतई संकीर्ण नहीं है।</p>
<p>राजनीतिक मुद्दे हों, इतिहास के सवाल हों या साहित्य-विवेचन; इन सभी गम्भीर विषयों में श्री राय के बहु-पठित और गम्भीर विश्लेषक होने का प्रमाण मिलता है। भारत-बोध या देशप्रेम के आसपास विचरण करती उनकी चिन्तना अनेक पूर्वग्रहों का सतर्क उन्मूलन करती है। यह सत्य है कि धर्मनिरपेक्षता बनाम राष्ट्रीय संस्कृति के कई निबन्धों में वैचारिक गरिष्ठता अधिक है फिर भी मौलिक स्थापनाओं के चलते वे पठनीय बने रहते हैं। आज के संक्रमणशील यथार्थ और वैचारिक द्वन्द्व को समझने और वांछित सन्देश सम्प्रेषित करने में वे प्रासंगिक हैं। श्री राय के ये निबन्ध विस्मृति के आखेट बने रह जाते हैं। इन निबन्धों से असहमति की गुंजाइश कम नहीं है लेकिन श्री राय की अध्ययनशीलता, तर्कपूर्ण विश्लेषण, मौलिक वैचारिकता की उपेक्षा सम्भव नहीं है। श्री राय ने लोक साहित्य और संस्कृत वाङ्मय का बहुत सहारा न लेते हुए अपने ललित निबन्धों का जो विशेष मुहावरा गढ़ा था, वह इन रचनाओं में भी अपनी ऊर्जा और दीप्ति के साथ वर्तमान है।</p>
<p> </p>
<p>डॉ. वेदप्रकाश 'अमिताभ'
ISBN: 9788196120696
Pages: 243
Avg Reading Time: 8 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Yadvinder Singh Sandhu
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- Description: "माँ भारती के अमर सपूत शहीद भगतसिंह के बारे में हम जब भी पढ़ते हैं, तो एक प्रश्न हमेशा मन में उठता है कि जो कुछ भी उन्होंने किया, उसकी प्रेरणा, हिम्मत और ताकत उन्हें कहाँ से मिली? उनकी उम्र 24 वर्ष भी नहीं हुई थी और उन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया। लाहौर (पंजाब) सेंट्रल जेल में आखिरी बार कैदी रहने के दौरान (1929-1931) भगतसिंह ने आजादी, इनसाफ, खुद्दारी और इज्जत के संबंध में महान् दार्शनिकों, विचारकों, लेखकों तथा नेताओं के विचारों को खूब पढ़ा व आत्मसात् किया। इसी के आधार पर उन्होंने जेल में जो टिप्पणियाँ लिखीं, यह जेल डायरी उन्हीं का संकलन है। भगतसिंह ने यह सब भारतीयों को यह बताने के लिए लिखा कि आजादी क्या है, मुक्ति क्या है और इन अनमोल चीजों को बेरहम तथा बेदर्द अंग्रेजों से कैसे छीना जा सकता है, जिन्होंने भारतवासियों को बदहाल और मजलूम बना दिया था। भगतसिंह की फाँसी के बाद यह जेल डायरी भगतसिंह की अन्य वस्तुओं के साथ उनके पिता सरदार किशन सिंह को सौंपी गई थी। सरदार किशन सिंह की मृत्यु के बाद यह नोटबुक (भगतसिंह के अन्य दस्तावेजों के साथ) उनके (सरदार किशन सिंह) पुत्र श्री कुलबीर सिंह और उनकी मृत्यु के पश्चात् उनके पुत्र श्री बाबर सिंह के पास आ गई। श्री बाबर सिंह का सपना था कि भारत के लोग भी इस जेल डायरी के बारे में जानें। उन्हें पता चले कि भगतसिंह के वास्तविक विचार क्या थे। भारत के आम लोग भगतसिंह की मूल लिखावट को देख सकें। आखिर वे प्रत्येक जाति, धर्म के लोगों, गरीबों, अमीरों, किसानों, मजदूरों, सभी के हीरो हैं। भगतसिंह जोशो-खरोश से लबरेज क्रांतिकारी थे और उनकी सोच तथा नजरिया एकदम साफ था। वे भविष्य की ओर देखते थे। वास्तव में भविष्य उनकी रग-रग में बसा था। उनके अपूर्व साहस, राष्ट्रभक्ति और पराक्रम की झलक मात्र है हर भारतीय के लिए पठनीय यह जेल डायरी।"
Basic English Grammar Learn By Doing
- Author Name:
Dr. Arun Jee
- Book Type:
- Description: This is a book of basic English grammar for the elementary-level of learners. It can even be used by those who want to brush up their basics. Unlike the prevailing books on grammar in the market, the focus of this book is not on learning the definitions of grammatical terms. Instead, efforts are made to let the learners identify these items and understand their functions. Rational explanations are given for the learner to understand the rules with ease. Special care is taken to expose the learners to the unique features of the English language. This is to help them avoid committing common errors. Exercises are prepared to address these errors too. The ‘Answer Keys’ to the exercises are a part of the book. The book can be used as a course for learners to acquire the basics of grammar. It may be used as a grammar book for classes 5th to 8th in the CBSE schools and for classes 9th and 10th in the State Board schools in India.
Samta Aur Sampannta
- Author Name:
Rammanohar Lohia
- Book Type:
-
Description:
राजनीति के साधारण कार्यकर्ता को मात्र दर्शक नहीं होना चाहिए। उसे पढ़ना-लिखना चाहिए। देश-विदेश की जानकारी और छोटी-बड़ी सूचनाओं पर उसकी नज़र रहनी चाहिए। दरबारगीरी, चापलूसी और चुगलखोरी उसके सबसे बड़े दुश्मन हैं। इन्हीं के चलते भारतीय राजनीति पर यथास्थितिवाद का आवरण पड़ गया है।
बातें जो लोहिया ने 1967 में लिखे एक लेख में कही थीं, इस बात का सबूत हैं कि वे अपने देश की समस्याओं को कितनी गहराई से देख-समझ रहे थे। ‘गैरकांग्रेसवाद और समाजवाद’ शीर्षक इस आलेख में उन्होंने उन विसंगतियों की तरफ़ उसी समय इशारा कर दिया था जो आगे चलकर बहुत नुकसानदेह साबित होनेवाली थीं।
इसी पुस्तक में ‘अंग्रेज़ी हटाओ’ के मुद्दे पर विचार करते हुए वे लिखते हैं : ‘मेरी अपनी राय है कि एक दफ़ा अंग्रेज़ी को हटा करके सभी भाषाओं को मौक़ा दे दिया जाए।’ लोग अंग्रेज़ी में काम न करें, या तो हिन्दी में करें या फिर अपनी मातृभाषा में। इसी आलेख में हिन्दी और उर्दू के विषय में उनका कहना है कि ‘हिन्दुस्तानियों में हिम्मत रही तो हिन्दी-उर्दू एक ही भाषा के दो नाम, रूप और शैलियाँ होकर रहेंगी।’
इस पुस्तक में उनके ऐसे ही अनेक विचार हमें पढ़ने को मिलते हैं जो उनकी दूरदृष्टि और मौलिक सोच के परिचायक हैं। समाज में छोटी मशीनों की उपयोगिता, समता और सम्पन्नता के सम्बन्ध आदि सैद्धान्तिक विषयों के अलावा यहाँ ‘नक्सलबाड़ी’, ‘विद्यार्थी आन्दोलन’, ‘चाँद की यात्रा’ और ‘हिमालय बचाओ’ जैसी तात्कालिक घटनाओं और उनसे जुड़े मुद्दों पर भी उनकी टिप्पणियाँ शामिल हैं।
यह पुस्तक लोहिया के चिन्तन के आधारभूत तत्त्वों को रेखांकित करती हैं।
The Book Of English Grammar Tenses
- Author Name:
Mamta Mehrotra
- Book Type:
- Description: English grammar can be challenging, but it is essential to effective communication. Whether you are writing an essay, sending an email, or engaging in a conversation, using correct grammar can make all the difference in how your message is received. This comprehensive grammar book of tenses for students is designed to help them master the English language. This book is intended to help students improve their grammar and communication skills. In this book, you will find clear explanations of grammar rules and numerous examples and practice exercises to help you reinforce your understanding. The book is organized in a logical and easy-to-follow manner, so you can learn at your own pace and track your progress. Hopefully, this book will be a valuable resource for you as you work to improve your grammar skills.
Vraj Ke Vaishnav Sampradaya Aur Hindi Sahitya
- Author Name:
Harimohandas Tandan
- Book Type:
-
Description:
प्रस्तुत पुस्तक में कृष्ण-भक्ति के इतिहास तथा सिद्धान्तों का विस्तृत अध्ययन किया गया है। सम्यक् ज्ञान के बिना जिज्ञासु विषय अपूर्ण और अस्पष्ट ही रह जाता है। साम्प्रदायिक कृष्ण-भक्ति से अनुप्राणित होकर लिखे गए हिन्दी साहित्य का अनुशीलन उनके सिद्धान्तों को पृष्ठभूमि में करने से अनेक भ्रमों का निराकरण हो जाता है। इस निबन्ध में साहित्य पर उनके प्रभाव का विवेचन व्यष्टि नहीं, अपितु समष्टि रूप से किया गया है।
कृष्ण-भक्ति का प्रारम्भ सहस्राब्दियों पूर्व हुआ था। समयानुसार अनेक धार्मिक, सामाजिक एवं राजनैतिक कारणों से उसका क्रमिक विकास होता गया। आन्दोलन के फलस्वरूप उसके प्रचलित रूप को देखकर अनेक विद्वान् उस पर विदेशी प्रभाव सिद्ध करने का प्रयत्न करते हैं। जिन अनेक भारतीय साधनाओं के उपकरणों ने उसे पल्लवित किया है, उनका क्रमिक इतिहास इस प्रकरण का प्रमुख विषय है। अध्ययन की सामग्री यत्र-तत्र विकीर्ण मिलती है। उसका कहीं भी एकत्र उपयोग नहीं प्राप्त होता। यहाँ न केवल उसे शृंखलाबद्ध किया गया है, अपितु उसमें अनेक अस्पष्ट गुत्थियों को सुलझाने का प्रयास भी है।
वल्लभ और गौडीय सम्प्रदायों के अतिरिक्त अन्य सम्प्रदायों का विस्तृत विवरण भी साहित्य के अध्येताओं के समक्ष रखा गया है। निम्बार्क सम्प्रदाय का विचार इस निबन्ध की सीमा से परे है, क्योंकि हिन्दी साहित्य के सृजन में उसका कोई प्रत्यक्ष योग नहीं रहा है। ब्रजभाषा साहित्य के निर्माण का प्रारम्भ वस्तुत: वल्लभाचार्य की प्रेरणा से हुआ है। इस प्रकरण का महत्त्व अनेक स्थलों पर नवीन सामग्रियों के समावेश से बढ़ गया है। कृष्ण-भक्ति के प्रमुख कवियों का इसमें नाम निर्देश मात्र है। साहित्यिक कृतियों की समीक्षा भी नहीं है। ग्रन्थ के लघु कलेवर में उसकी अपेक्षा भी नहीं है। इस ग्रन्थ को हम एक परिचयात्मक ग्रन्थ ही कह सकते हैं। हिन्दी साहित्य में ब्रजभाषा के योगदान का उल्लेख भी किया गया है। ‘ब्रज के वैष्णव सम्प्रदाय और हिन्दी साहित्य’ के अनुशीलन से जो ज्ञान, कर्म और भक्ति की त्रिवेणी प्रवाहित होती है, निश्चित ही पाठक उससे लाभान्वित होंगे।
Shuddha Kavita Ki Khoj
- Author Name:
Ramdhari Singh Dinkar
- Book Type:
-
Description:
यह पुस्तक 19वीं सदी में यूरोप में नई कविता का जो प्रवर्तन हुआ, उस पर विचार-विमर्श की एक व्यापक ज़मीन तैयार करती है। साथ ही, उसके परिप्रेक्ष्य में भारतीय कविता के विकास-क्रम में शुद्धता का पैमाना क्या रहा, और क्या होना चाहिए, इस पर भी अपना गम्भीर चिन्तन प्रस्तुत करती है। इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि यह पुस्तक शुद्धतावादी आन्दोलन का एक दुर्लभ शोधपूर्ण इतिहास भी है और दस्तावेज़ भी।
दिनकर जी का मानना है कि नई कविता हमेशा शुद्ध कविता नहीं होती, न सभी श्रेष्ठ काव्य शुद्ध काव्य के उदाहरण होते हैं। फिर भी उन्हें लगता है कि शुद्धता को लक्ष्य मानकर चलने से काव्य का नया आन्दोलन समझ में कुछ ज़्यादा आता है। इसलिए उन्होंने ‘कविता और शुद्ध कविता’, ‘शुद्ध कविता का इतिहास—1’, ‘शुद्ध कविता का इतिहास—2’, ‘कविता में दुरूहता’, ‘शुद्ध काव्य की सीमाएँ’, ‘परिभाषाहीन विद्रोह’, ‘मनीषी और समाज’, ‘कला में व्यक्तित्व और चरित्र’, ‘कला का संन्यास’ और ‘साहित्य में आधुनिक बोध’ पाठों के ज़रिए जहाँ-तहाँ से सामग्रियाँ बटोरकर शुद्धतावादी आन्दोलन का इतिहास खड़ा किया है और कविता की अनेक समस्याओं पर अपने दृष्टिकोण से विचार किया है।
दिनकर जी ने अपनी यह किताब बीसवीं सदी के सातवें दशक में इस उद्देश्य से लिखी थी कि हिन्दी के जो लेखक, कवि और पाठक अंग्रेज़ी अथवा किसी अन्य विदेशी भाषा के द्वारा पाश्चात्य साहित्य के सीधे सम्पर्क में नहीं हैं, वे इसका लाभ उठा सकें, उनसे बातचीत का एक ठोस ज़रिया बनाया जा सके।
शुद्धतावाद के केन्द्र में लिखी गई यह पुस्तक अपने विशद विवेचन के कारण पचास साल बाद भी वही महत्त्व रखती है, जो उस समय रखती थी।
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