Meri Dharti Mere Log
Author:
Sheshendra SharmaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Language-linguistics0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Unavailable
कवि तीखा होता हुआ मनहर है—वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि। कितनी सरल, कितनी कोमल जनान्तिक, फिर भी अभिजात, कितनी आम-अवाम को पुकारती उसकी आवाज़ है। शब्दों का औदार्य, रचना की सुघराई, गिरा की गरिमा, भावों की तीखी सादगी सिद्ध करती है कि—सिम्पल इज़ द कल्मिनेशन ऑफ़ द कॉम्प्लेक्स।</p>
<p>—डॉ. भगवतशरण उपाध्याय</p>
<p>यह कृति सिखाती है कि किस तरह कवि संवेदना में जनवादी और क्रान्तिकारी हो सकता है। यह काव्य स्वाद और आग एक साथ देता है। इस आग से रूपान्तरित व्यक्तित्व आदमी नहीं रहता, वह क्रान्ति का अस्त्र बन जाता है, जिसे इतिहास इस्तेमाल करता है।</p>
<p>—डॉ. विश्वम्भरनाथ उपाध्याय</p>
<p>शेषेन्द्र के काव्य में भारतीय आत्मा की लाक्षणिक अभिव्यक्ति है। इसकी बनावट बौद्धिक नहीं, हार्दिक और आत्मिक है। यह केवल मस्तिष्क को उत्तेजित करके नहीं छोड़ देता बल्कि एक गहितर वेदना और संवेदना से हमें भीतर ही भीतर गला देता है।</p>
<p>—वीरेन्द्र कुमार जैन</p>
<p>शेषेन्द्र तेलगू-काव्य के ही नहीं, बल्कि विश्व-काव्य के आशा-सूर्य हैं। कविता-रहस्य जितना वह जानते हैं, उतना अन्य आधुनिक कवि कम जानते हैं। श्रमिक-जीवन की भूमिका पर आधारित ‘मेरी धरती : मेरे लोग’ बीसवीं शती की जिह्वा और आगामी पीढ़ियों की हृदय-ध्वनि है। शेषेन्द्र वह कवि हैं जिसे राजेश्वर ने अपनी ‘काव्य-मीमांसा’ में इस तरह वर्णित किया है—वायं पताकामिव यस्य दृष्ट्वा जनः कवीनाम अनुपृष्ठ मेति।</p>
<p>—डॉ. सरगूकृष्ण मूर्ति
ISBN: 9788180311673
Pages: 145
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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