Gay Crow
Author:
Dr. Shashvat Shere, Vishwas PethePublisher:
Manovikas Prakashan LLPLanguage:
MarathiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
अफाट बुद्धिमत्ता, दैदिप्यमान करिअर आणि अमेरिका यापेक्षा चांगलं काय मिश्रण असू शकत? हे सर्व विश्वासला मिळालं. पण समलैंगिकता आणि त्यामागून आलेला एड्स सारखा दुर्धर आजार हे सुद्धा आयुष्यात आले. इतक्या क्लिष्ट गोष्टी एका वेळेस घडत असताना इतर शारीरिक आजार समोर उभे राहिले. “आता मला आयुष्य पुरे झाले. मी जातो.” अशा स्वच्छ निर्णयापर्यंत पोहोचलेल्या विश्वासला एक मानसोपचरतज्ज्ञ मिळाला जो हे सर्व उकलून बघायला मदत करणार होता. आणि त्यातून आयुष्याचा काही वेगळा अर्थ लागतो का हे विश्वास शोधणार होता.असं काय होतं त्याच्या आयुष्यात? थेरपिस्ट बरोबर शोधतांना त्याला काय सापडलं?या सर्व प्रश्नांची खरी आणि जबरदस्त प्रामाणिक उत्तरे विश्वास ने दिली आहेत. प्रत्यक्ष आयुष्य हे कथेपेक्षा चमत्कारिक आणि धक्कादायक असू शकते. याचा प्रत्यक्ष स्वानुभव घेतलेल्या माणसाने हिमतीने सांगितलेली ही गोष्ट आहे.- डॉ. भूषण शुक्ला, मनोविकार तज्ज्ञ, पुणे
गे क्रो | विश्वास पेठे | अनुवाद : डॉ. शाश्वत शेर
Gay Crow | Vishwas Pethe Translated By : Dr. Shashvat Shere
ISBN: 9788196774899
Pages: 156
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Manju Prabha
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- Description: जीवन के उतार-चढ़ावों के बीच व्यक्ति अपने आसपास की बहुविध परिस्थितियों को देखकर आश्वस्त होता है और आगे बढ़ता है। पर कोई ऐसी भयावह परिस्थिति, जो केवल कहानियों में सुनी हो, सब तरफ का वातावरण नकारात्मकता से भरा हुआ हो, उसको सहने के लिए तो कोई मानवेतर शक्ति ही संबल बनती है। कोरोना काल में इन मानवेतर शक्तियों को जगाने के लिए श्रेष्ठ व्यक्तियों ने आह्वान किए। कुछ अदम्य साहसी पुण्यात्माओं ने कोरोना के वातावरण में भी मानव-मूल्यों का परिचय दिया। यही विषय-वस्तु इस पुस्तक में संकलित है। सामान्य परिस्थितियों में भी देहदान-अंगदान के विषय में संकल्पपूर्वक कुछ व्यक्ति मानव-मूल्यों को जीवित रख रहे हैं। मानव सेवा की यह प्रेरक कहानी इस पुस्तक के माध्यम से आप तक पहुँचाने का विनग्र प्रयास है।
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