Kitne Chaurahe
Author:
Phanishwarnath RenuPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
‘कितने चौराहे’ फणीश्वरनाथ रेणु का पठनीय लघु उपन्यास है। पहली बार यह 1966 में प्रकाशित हुआ। इस उपन्यास के वृत्तान्त में लेखक ने निजी जीवन की कई घटनाओं को संयोजित किया है।</p>
<p>‘कितने चौराहे' की रचना का उद्देश्य स्पष्ट है। यह उपन्यास आज़ादी के लिए संघर्ष करने और बलिदान देनेवाले युवकों को केन्द्र में रखकर लिखा गया है, ताकि आज के किशोरों में देशप्रेम, सेवा, त्याग आदि आदर्शों के भाव जाग्रत् हो सकें।</p>
<p>यह उपन्यास व्यक्तिगत सुख-दु:ख, स्वार्थ-मोह से ऊपर उठकर देश के लिए जीने-मरने वालों के मानवीय, संवेदनशील रूप को उभारता है। पाठकों के मन में यह वृत्तान्त श्रद्धा जाग्रत् करता है। पाठक के मन में चारों ओर चीखते भ्रष्टाचार, स्वार्थपरता आदि के प्रति क्षोभ उभरता है। उत्सर्गी परम्परा के प्रति आकर्षण बढ़ता है।</p>
<p>‘कितने चौराहे' में 'आंचलिकता का विश्वसनीय पुट, ज्वलन्त चरित्र सृष्टि, मार्मिक कथावस्तु और चरित्रानुकूल भाषा मोहित करती है। साधारण में निहित असाधारणता का उन्मेष सर्वोपरि है। रेणु के उपन्यास-शिल्प की अनेक विशेषताएँ इस रचना में दृष्टिगोचर होती हैं। शब्दों के बीच से बिम्ब झाँकते हैं, 'सूरज पच्छिम की ओर झुक गया। बालूचर पर लाली उतर आई। परमान की धारा पर डूबते हुए सूरज की अन्तिम किरण झिलमिलाई।' जीवन का जयगान करता उपन्यास।
ISBN: 9788126726981
Pages: 136
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Prithvi Ki Rochak Baaten
- Author Name:
Dr. Sheo Gopal Mishra
- Book Type:

- Description: "फारसी लोककथा के अनुसार पृथ्वी की आयु 12,000 वर्ष; बैबीलोन ज्योतिषियों के अनुसार 20 लाख वर्ष; बाइबल के अनुसार 6,000 वर्ष बताई गई है । आर्क बिशप उशर का मत था कि पृथ्वी का जन्म 4004 ई. पू प्रात: 9.00 बजे हुआ! आधुनिक अनुसंधानों से सिद्ध हो चुका है कि हमारे ग्रह पृथ्वी की आयु 40,000 लाख वर्ष है । पृथ्वी को प्रारंभिक दिनों में अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में केवल 4 घंटे लगते थे; यानि कि उस समय 2 घंटे का दिन तथा 2 घंटे की रात होती थी! धीरे- धीरे पृथ्वी का परिभ्रमण धीमा पड़ता जा रहा है । अब पृथ्वी को अपनी धुरी पर घूमने में 24 घंटे का समय लगता है; लेकिन एक समय ऐसा होगा जब 1 ,200 घंटे का दिन होगा! तो क्या एक समय ऐसा भी आएगा जब पृथ्वी घूमना बंद कर देगी और पृथ्वी के आधे हिस्से में दिन तथा आधे में सदैव रात ही रहेगी? परंतु पृथ्वी पर आज भी एक स्थान ऐसा है जहाँ कम-से-कम एक दिन अंधकार (रात) नहीं रहता! वैज्ञानिकों का मानना है कि एक समय चंद्रमा अपनी कील पर घूमना बंद कर देगा । उस स्थिति में समुद्र में ज्वार उठने बंद हो जाएँगे! यह तो आप जानते हैं कि समुद्र में ज्वार- भाटे आते हैं; पर शायद आपको यह न ज्ञात हो कि पृथ्वी में भी इस प्रकार के ज्वार उत्पन्न होते हैं! पृथ्वी की ऐसी ही रोचक तथा वैज्ञानिक जानकारी के लिए प्रस्तुत है पुस्तक ' पृथ्वी की रोचक बातें '|
Kata Hua Aasman
- Author Name:
Jagdamba Prasad Dixit
- Book Type:

-
Description:
जगदम्बा प्रसाद दीक्षित ने अपने पहले उपन्यास ‘कटा हुआ आसमान’ का लेखन सन् 1964 में शुरू किया था। तीन साल बाद अर्थात् 1967 में उपन्यास पूरा हो गया। किन्तु इसका प्रकाशन तुरन्त ही नहीं हो सका। 1971 में यह उपन्यास पहली बार प्रकाशित हुआ। अपने प्रकाशन के साथ इस उपन्यास ने हिन्दी जगत् में सनसनी पैदा कर दी। महानगर के व्यस्त और खंड–खंड जीवन के अकेलेपन, अजनबीपन और संत्रास को लेकर वैसे तो काफ़ी कुछ लिखा गया था, लेकिन अनुभूति के स्तर पर इस जीवन की तीव्र अभिव्यक्ति पहली बार ‘कटा हुआ आसमान’ में हुई है।
पहली बार उपन्यास के केन्द्र में त्रासदी से गुज़रने वाले मानस–पटल को रखा गया और उसके दृष्टिकोण से वर्तमान के यथार्थ के साथ अतीत और भविष्य के कल्पना–चित्रों को संगुम्फित कर दिया गया। कथ्य और शैली, दोनों के क्षेत्र में यह एक अभूतपूर्व प्रयोग था और इसका प्रभाव भी चमत्कारिक था। कुछ लोगों ने इस उपन्यास को चेतना–प्रवाही शैली का हिन्दी का पहला उपन्यास कहा है। चेतना–प्रवाही शैली को पश्चिम में जेम्स ज्वायस ने एक नितान्त व्यक्तिवादी अभिव्यक्ति के रूप में प्रयुक्त किया था। ‘कटा हुआ आसमान’ को पूरी तरह चेतना–प्रवाही शैली का उपन्यास नहीं कहा जा सकता। इसमें व्यक्ति की चेतना को सामाजिक और वर्गीय सन्दर्भों के साथ जोड़कर समग्रता में देखा गया है।
उपन्यास के मूल में एक कथानक है जो स्त्री–पुरुष सम्बन्धों के एक ऐसे पक्ष को प्रस्तुत करता है जो वर्गीय अन्तर्विरोधों पर आधारित है। ये अन्तर्विरोध वर्गीय तो हैं ही, क़स्बाई और महानगरीय जीवन–शैलियों, मान्यताओं और मूल्यों को भी प्रतिबिम्बित करते हैं। लेकिन ‘कटा हुआ आसमान’ मात्र चिन्तन और विचार–शक्ति की अभिव्यक्ति नहीं है। यह एक तीव्र जीवनानुभव है। इस उपन्यास को जब आप पढ़ते हैं तो आप कोई पुस्तक नहीं पढ़ते हैं, एक सनसनीखेज़ अनुभव–संसार से गुज़रते हैं। भागते हुए लोगों और वाहनों की तेज़ आवाज़ें, फेरीवालों और भिखारियों की चीख़ें, सारे माहौल में व्याप्त एक विलक्षण तनाव की अनुगूँजें और यांत्रिक मानव–जीवन की तीव्रताएँ आपको लगातार झकझोरती रहती हैं। खंड–खंड यथार्थ को जीने का अनुभव आपको पल–भर के लिए भी नहीं छोड़ता। इसमें शक नहीं कि ‘कटा हुआ आसमान’ हर दृष्टि से हिन्दी उपन्यास–संसार की एक अनूठी रचना है।
Parajay (Raj)
- Author Name:
Alexander Fadeyev
- Book Type:

- Description: ‘पराजय’ अलेक्सान्द्र फ़देयेव का पहला उपन्यास है। क्रान्ति-विरोधियों के विरुद्ध क्रान्तिकारियों के छापामार युद्ध का इसमें व्यापक, गहन और प्रामाणिक चित्र प्रस्तुत किया गया है। वास्तविक जीवन का सहज वर्णन करते हुए लेखक ने चरित्रों के नैतिक विकास पर ज़ोर दिया है। फ़देयेव स्वयं छापामार रहे थे, जिस कारण इस उपन्यास का कथानक न केवल विश्वसनीय बन पड़ा है, बल्कि रूसी क्रान्ति में लेखक की आस्था को भी सच्चे, सटीक ढंग से सम्प्रेषित करता है।
Friends Best Friends
- Author Name:
Dheerika Pandey
- Book Type:

- Description: What would you do if life betrays you and fate is against you when you feel alone even in a crowd and have just one more chance to improve your present? A girl fighting against all odds in life, This book is a gripping account of a changing Phase in smriti's life. Smriti is a sixteen-year-old girl who lost her parents when she was ten. After the unfortunate death of her Grandpa, she moved to her new house in Gurgaon with her grandma and her elder brother Rahul. As she soon joined her new school, she realised that people were quite different from her previous school. She was bullied and insulted in front of everyone, which mentally destroyed her even more. But luck wasn't that bad with her as she had a few classmates who immensely supported her. Kartik, Inder, SIM, AMU, Asha, Sahib and Kaira made her believe in life and true friendship, uplifting her and encouraging her to have an optimistic view of life. But on the other hand, her elder brother Rahul became quite pessimistic and felt helpless. He found life unfair and cruel. Smriti tries to encourage him but fails miserably. On the other hand, smriti's deepest secret had been revealed to her friends. Will she let her fate go against her again, or will she fight against all odds and live happily? The story gives us all the answers.
Raja Momo Aur Peelee Bulbul
- Author Name:
Vikas Kumar Jha
- Book Type:

-
Description:
गोवा भारत का सबसे छोटा प्रान्त है। इसका क्षेत्रफल मात्र 3,702 वर्गमील है और यह दो जिलों का प्रान्त है—उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा। अरब सागर, मनोहारी जंगल, छोटे-छोटे अनूप पहाड़, काजू के सघन बगीचे, प्रसिद्ध मद्य फ़ेनी, दूर-दूर तक फैले धान के खेत, हमेशा आनन्द से छलकते समुद्र-तट और देश-विदेश के पर्यटकों से सुसज्जित इस नन्हे प्रान्त की शक्ल बाहर से जगमग ‘परी-लोक’ सरीखी है। पर इसकी आत्मा आज भी गहरे अवसाद में है।
1947 में भारत की आज़ादी के बावजूद अगले 14 वर्षों तक गोवा पुर्तगाली शासन में रहा और एक लम्बे मुक्ति संग्राम के बाद इसे 1961 में स्वतंत्रता मिल सकी। पर गोवा को आज तक अपनी विडम्बनाओं से मुक्ति नहीं। इस स्थायी अवसाद की स्थिति में छोटे क़द-बुतवाले गोवा का वज़न बेहिसाब बढ़ चुका है। अत्यधिक वज़न की समस्या से जूझते गोवा का स्थान वज़न के मामले में भारत के अन्य सभी प्रान्तों से ऊपर है।
प्राचीन काल से परम्परावादी इस प्रान्त को निरन्तर सामाजिक-सांस्कृतिक पतन ने भीतर से क्षयग्रस्त कर रखा है। ज़माने से वैश्विक अय्याशी का केन्द्र रहा गोवा खनन माफ़िया, ड्रग माफ़िया, गोवा को कंक्रीट का जंगल बनानेवाले भवन माफ़िया और वन-माफ़िया के करतबों से चुपचाप ख़ून के आँसू टपका रहा है। हिन्दी साहित्य में गोवा सदैव से हाशिये पर रहा है। पहली बार हिन्दी साहित्य में गोवा को लेकर बड़े फ़लक पर लिखा गया यह बृहत् उपन्यास देश के सबसे छोटे प्रान्त को केन्द्रीय विमर्श में लाने की पेशकश करता है।
Ajnabi Jazeera
- Author Name:
Nasera Sharma
- Book Type:

-
Description:
हिन्दी की वरिष्ठ कथाकार नासिरा शर्मा के लेखन की सर्वोपरि विशेषता है सभ्यता, संस्कृति और मानवीय नियति के आत्मबल व अन्तःसंघर्ष का संवेदना-सम्पन्न चित्रण। उनके कथा साहित्य के सरोकार ग्लोबल हैं। उनका कथाकार सन्तप्त और उत्पीड़ित मनुष्यता के पक्ष में पूरी शक्ति के साथ निरन्तर सक्रिय रहा है। ‘अजनबी जज़ीरा’ नासिरा शर्मा का नया उपन्यास है।
‘अजनबी जज़ीरा’ में समीरा और उसकी पाँच बेटियों के माध्यम से इराक़ की बदहाली बयान की गई है। ग़ौरतलब है कि दुनिया में जहाँ कहीं ऐसी दारुण स्थितियाँ हैं, यह उपन्यास वहाँ का एक अक्स बन जाता है। छोटी-से-छोटी चीज़ को तरसते और उसके लिए विरासतों-धरोहरों-यादगारों को बाज़ार में बेचने को मजबूर होते लोग; ज़िन्दगी बचाने के लिए सबकुछ दाँव पर लगाती औरतें और विदेशी आक्रमणकारियों की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष निगरानी में साँस लेते नागरिक—ऐसी अनेक स्थितियों-मनःस्थितियों को नासिरा शर्मा ने इस उपन्यास के पृष्ठों पर साकार कर दिया है।
पतिविहीना समीरा अपनी युवा होती बेटियों के वर्तमान और भविष्य को लेकर फ़िक्रमन्द है। बारूद, विध्वंस और विनाश के बीच समीरा ज़िन्दगी की रोशनी व ख़ुशबू बचाने के लिए जूझ रही है। उपन्यास समीरा को चाहनेवाले अंग्रेज़ फ़ौजी मार्क के पक्ष से क्षत-विक्षत इराक़ की एक मार्मिक व्याख्या प्रस्तुत करता है। समीरा और मार्क की प्रेमकहानी अद्भुत है, जिसमें ज़िम्मेदारियों के हस्सास रंग शिद्दत से शामिल हैं। घृणा और प्रेम का सघन अन्तर्द्वन्द्व इसे अपूर्व बनाता है। लेखिका यह भी रेखांकित करती है कि ऐसे परिदृश्य में स्त्री-विमर्श के सारे निहितार्थ सिरे से बदल जाते हैं।
सभ्य कहे जानेवाले आधुनिक विश्व में विध्वंस का यह यथार्थ स्तब्ध कर देता है। विध्वंस की इस राजनीति में क्या-क्या नष्ट होता है, इसे नासिरा शर्मा की बेजोड़ रचनात्मक सामर्थ्य ने ‘अजनबी जज़ीरा’ में अभिव्यक्त किया है।
ज़रूरी वैश्विक प्रश्नों के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाता एक अद्भुत उपन्यास।
Surkh Aur Syah
- Author Name:
Standhal
- Book Type:

-
Description:
इस उपन्यास की शुरुआत में स्तान्धाल ने दांते की इस उक्ति को आदर्श वाक्य के रूप में दिया है, “सच; बस तल अपने पूरे तीखेपन के साथ...।” और फिर पूरा उपन्यास मानो इस पुरालेख का औचित्य सिद्ध करने में लगा दिया है। किसानी धूर्तता से भरा हुआ, नायक जुलिएं सोरेल का लालची बाप, भरे-पेट और चैन-भरे जीवन की चाहत रखनेवाले मठवासी, अपने ही देश पर हमले का षड्यंत्र रच रहे प्रतिक्रान्तिकारी अभिजात, अपने फ़ायदे के लिए पूणित अवसरवादी ढंग से राजनीतिक दल बदलते रहनेवाले रेनाल और वलेनो जैसे लोग उत्तर-नेपोलियनकालीन फ़्रांस में जारी घिनौने नाटक के लगभग सभी केन्द्रीय पात्र यहाँ मौजूद हैं।
आम तौर पर पूरा परिदृश्य नितान्त निराशाजनक है। इसके साथ ही वेरियेरे का औद्योगीकरण, मुद्रा की बढ़ती सर्वग्रासी शक्ति, बुर्जुआ नवधनिकों द्वारा पुराने अभिजातों की नक़ल की भौंडी कोशिशें, बे-ल-होत में मठ के पुनर्निर्माण के पीछे निहित प्रचारवादी उद्देश्य, जानसेनाइटों और जेसुइटों के झगड़े, जेसुइटों की गूँज सोसाइटी का सर्वव्यापी प्रभाव और धर्म सभा आदि के ब्योरों से स्तान्धाल ने इस उपन्यास में तत्कालीन फ़्रांस की तस्वीर को व्यापक फलक पर उपस्थित किया है।
जुलिएं सोरेल अपने ऐतिहासिक युग का एक विश्वसनीय प्रातिनिधिक चरित्र है जिसमें एक ही साथ, नायक और प्रतिनायक—दोनों ही के गुण निहित हैं। अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के लिए और उद्देश्यपूर्ति के लिए वह नैतिकता-अनैतिकता का ख़्याल किए बग़ैर कुछ भी करने को तैयार रहता है। यह खोखले और दम्भी-पाखंडी बुर्जुआ समाज के ऊँचे लोगों के प्रति उसके उस सक्रिय-ऊर्जस्वी व्यक्तिवादी व्यक्तित्व की नैसर्गिक प्रतिक्रिया है जो महज सामान्य परिवार में पैदा होने के चलते एक गुमनाम, मामूली और ढर्रे से बँधी ज़िन्दगी जीने के लिए तैयार नहीं है। वह उस समाज के विरुद्ध हर तरीक़े से संघर्ष करता है जहाँ महज कु़ल और सम्पत्ति के आधार पर पद, सम्मान और विशिष्टता हासिल हुआ करती है।
Krishnavtar : Vol. 7 : Yudhishthir
- Author Name:
K. M. Munshi
- Book Type:

-
Description:
सुविख्यात गुजराती उपन्यासकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी की बहुचर्चित और बहुपठित उपन्यास-माला ‘कृष्णावतार’ के पूर्वप्रकाशित छह खंडों—‘बंसी की धुन’, ‘रुक्मिणी हरण’, ‘पाँच पाण्डव’, ‘महाबली भीम’, ‘सत्यभामा’ तथा ‘महामुनि व्यास’—के बाद ‘युधिष्ठिर’ नामक यह सातवाँ खंड है। साथ ही आठवाँ, किन्तु अधूरा खंड ‘कुरुक्षेत्र’ भी। मुंशी जी इससे इस ग्रन्थमाला का समापन करनेवाले थे।
‘महाभारत’ में युधिष्ठिर ‘धर्मराज’ के रूप में विख्यात इतिहासपुरुष हैं। अधर्म, अशान्ति और रक्तपात से उन्हें घोर विरक्ति है। उनकी राजनीति धर्म-साधना का माध्यम-भर है—धर्म को उसका साधन नहीं बनाया जा सकता। यह जानते हुए भी कि कौरव उनका और उनके भाइयों का सर्वस्व हड़प जाना चाहते हैं, युद्ध उन्हें स्वीकार्य नहीं। यही कारण है कि दुर्योधन और शकुनि के षड्यंत्र को जानते हुए भी वे द्यूतसभा का बुलावा स्वीकार कर लेते हैं और भाइयों आदि के निषेध के बावजूद लगातार हारते चले जाते हैं। उपन्यास में इस समूचे घटनाक्रम के दौरान युधिष्ठिर के अन्तर्द्वन्द्व और बेचैनी का मार्मिक अंकन हुआ है। वनवास और अज्ञातवास के बावजूद अन्ततः उन्हें ‘कुरुक्षेत्र’ जाना पड़ा।
और ‘कुरुक्षेत्र’ अधूरा है—यहाँ और जीवन, दोनों जगह। पता नहीं, कब से यह कुरुक्षेत्र हमारे बाहर-भीतर अपूर्ण है और कब तक रहेगा? पर शायद मानव-विकास का बीज भी इसी अपूर्णता में निहित है।
Raat Chor Aur Chand
- Author Name:
Balwant Singh
- Book Type:

-
Description:
पालीसिंह बहुत सालों बाद अपने गाँव लौटा है। लारी से उतरकर पाँच कोस चलकर गाँव पहुँचता है। जहाँ बचपन की उसकी सारी यादें—रास्ते, पेड़ों, पगडंडियों, हर कोने-कोने में छाई हुई है। बचपन की यादें एक छोटे बच्चे की उत्सुकता-भरी निगाहों की तरह उसके अन्दर उन लोगों के बारे में जानने की इच्छा पैदा कर देती हैं जिन्हें वो सालों पहले छोड़कर महानगर कलकत्ता भाग गया था। जैसे-जैसे वह गाँव की तरफ़ बढ़ता, वैसे ही हवाओं की मस्ती उसे पुरानी यादों से मदमस्त करती जाती और फिर उसे याद आती है अपनी सरनो की जिसे बचपन में वह बहुत तंग किया करता था।
बलवन्त सिंह का यह उपन्यास अतीत की ललक को बख़ूबी उभारता हुआ आहिस्ते से इस बात का भी अहसास कराता चलता है कि वर्तमान अक्सर वैसा नहीं होता, जैसा हम सोचते हैं। समय अक्सर अपने दाँवपेच बदलता रहता है और इसी दाँवपेच के बीच कैसा है पालीसिंह, जो अपने अतीत को पूरी तरह छोड़ नहीं पाता। पालीसिंह सरनो से प्यार करता है और उसे पाने के लिए वह अपने आप को हर पल बदलने की कोशिश भी करता है। पालीसिंह ने पहली बार अपने जीवन में प्रेम को महसूस किया है पर इनसानी फ़ितरत और नियत को कभी-कभी ख़ुद इनसान भी समझ नहीं पाता है। लेकिन बलवन्त सिंह ने अपने सरल और सीधे अन्दाज़ में इस जटिलता को पाठकों के सामने पेश किया है।
Vishnugupta Chanakya
- Author Name:
Virendra Kumar Gupta
- Book Type:

-
Description:
कवि, कथाकार एवं चिन्तक वीरेंद्रकुमार गुप्त का प्रस्तुत उपन्यास उनके चिन्तनशील, शोधक व्यक्तित्व की उत्कृष्ट देन है। उपन्यास अत्यन्त मनोरंजक है, जिसे एक बैठक में पढ़ा जा सकता है। साथ-साथ वह उस काल-विशेष के इतिहास एवं जीवन की एक प्रामाणिक प्रस्तुति भी है। उस काल में सामाजिक व्यवहार, संस्कृति एवं राजनीतिक घटनाओं का इतना जीवन्त चित्रण शायद ही कहीं प्राप्त हो। श्री गुप्त ने सिकन्दर-सिल्यूकस और चाणक्य-चन्द्रगुप्त के बीच संघर्ष के निमित्त से भारत की एकता, राजनीतिक सुदृढ़ता एवं सामाजिक सामंजस्य की अवधारणाओं को भारतीय मानस में स्थापित करने का सशक्त प्रयास किया है। विशेषता यह कि घटनाओं की संकुलता एवं चरित्रों की मानसिक जटिलता ने भाषा को क्लिष्ट नहीं बनाया है। वह इतनी सरल और बोधगम्य है कि सामान्य पाठक भी कृति का भरपूर आनन्द ले सकता है।
इस उपन्यास का केन्द्र चाणक्य एक षड्यंत्रकारी राजनेता न होकर एक जीवन्त पुरुष, ऋषि एवं प्रतिबद्ध राष्ट्र-निर्माता है।
Veerangana Jhalkari Bai
- Author Name:
Mohandas Naimisharay
- Book Type:

- Description: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में वीरांगना झलकारी बाई का महत्त्वपूर्ण प्रसंग हमें 1857 के उन स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाता है, जो इतिहास में भूले-बिसरे हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि झलकारी बाई झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की प्रिय सहेलियों में से एक थी और झलकारी बाई ने समर्पित रूप में न सिर्फ रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया बल्कि झाँसी की रक्षा में अंग्रेजों का सामना भी किया। झलकारी बाई दलित-पिछड़े समाज से थीं और निस्वार्थ भाव से देश-सेवा में रहीं। ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना हमें जरूरी है। इस नाते भी कि जो जातियाँ उस समय हाशिये पर थीं, उन्होंने समय-समय पर देश पर आई विपत्ति में अपनी जान की परवाह न कर बढ़- चढ़कर साथ दिया। वीरांगना झलकारी बाई स्वतंत्रता सेनानियों की उसी शंृखला की महत्त्वपूर्ण कड़ी रही हैं। इस उपन्यास को लिखने के लिए लेखक ने सम्बन्धित ऐतिहासिक और सामाजिक परिस्थितियों पर शोध कार्य के साथ स्वयं झाँसी जाकर झलकारी बाई के परिवार के लोगों, रिश्तेदारों आदि से भी मुलाकात की है।
The Forbidden Line
- Author Name:
Mayank Kashyap
- Book Type:

- Description: Virat is completely different from what his dad wants him to be. With Ankit & Saurav, who are like brothers to him and his girlfriend Manya, his life is perfect until one fateful day when his world falls apart.
Shekhar Ek Jeevani : Vol. 2
- Author Name:
Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Ajneya'
- Book Type:

-
Description:
‘शेखर : एक जीवनी’ को कुछ वैचारिक हलक़ों में आत्म-तत्त्व के बाहुल्य के कारण आलोचना का शिकार होना पड़ा था। साथ ही अपने समय के नैतिक मूल्यों के लिए भी इसे चुनौती की तरह देखा गया था। लेकिन आत्म के प्रति अपने आग्रह के बावजूद यह नहीं कहा जा सकता कि ‘शेखर’ समाज से विलग, या उसके विरोध में खड़ा हुआ कोई व्यक्ति है। अगर ऐसा होता तो शेखर अपने समय-समाज के ऐसे-ऐसे प्रश्नों से नहीं जूझता जो उस समय स्वाधीनता आन्दोलन के नेतृत्वकारी विचारकों-चिन्तकों के लिए भी चिन्ता का मुख्य बिन्दु नहीं थे, मसलन—जाति और स्त्री से सम्बन्धित प्रश्न।
जैसा कि स्वयं अज्ञेय ने संकेत किया है, शेखर अपने समय से बनता हुआ पात्र है। वह परिस्थितियों से विकसित होता हुआ और परिस्थितियों को आलोचनात्मक दृष्टि से देखता हुआ पात्र है।
उपन्यास के प्रथम भाग में जिस तरह से शेखर का मनोविज्ञान, उसके अन्तस्तल के निर्माण की प्रक्रिया उद्घाटित हुई है, उसी आवेग और सघनता के साथ इस दूसरे भाग में शेखर के वास्तविक जीवनानुभवों का वर्णन किया गया है। कहना न होगा कि 'शेखर एक जीवनी’ की बुनावट में ‘पैशन’ की वैसी ही उच्छल धारा प्रवाहित है जैसी, हमारे जीवन में होती है। अपने औपन्यासिक वितान में ‘शेखर : एक जीवनी’ इसीलिए एक कालजयी कृति के रूप में मान्य है।
Mahashveta
- Author Name:
Tarashankar Bandyopadhyay
- Book Type:

-
Description:
सुविख्यात बांग्ला उपन्यासकार ताराशंकर बंद्योपाध्याय की यह पुस्तक कथावस्तु और रचना-शिल्प की दृष्टि से एक अनूठी और मार्मिक कथाकृति है।
माता-पिताविहीन नीरजा नामक एक बालिका का जैसा चरित्र-चित्रण यहाँ हुआ है, वह सिर्फ़ तारा बाबू जैसे कथाकार ही कर सकते हैं। पशुवत् मनुष्यों के लोभ, कुत्सा और समाज की कुरूपताओं से अनथक संघर्ष करती हुई नीरजा मानो तेजोद्दीप्त भारतीय नारी का प्रतीक बनकर उभरती है, जिसमें परदुख-कातरता भी है और उसके लिए आत्मोत्सर्ग की भावना भी। एक ओर वह अनाचार से जूझने के लिए जलती हुई मशाल है, तो दूसरी ओर उसके अन्तर में प्रेम की अन्तःसलिला प्रवाहित हो रही है। नारी की आत्मनिर्भरता उसके जीवन का मूलमंत्र है, जिसे वह सम्मानपूर्वक जीने की पहली शर्त मानती है। वस्तुतः तारा बाबू ने इस उपन्यास में स्थितियों और परिवेश को नाटकीयता प्रदान करके विलक्षण प्रभाव उत्पन्न किया है।
Garbhnal
- Author Name:
Manjit Thakur
- Book Type:

- Description: एक दुर्घटना का शिकार हुए अभिजीत को अचानक पता लगता है कि उसकी जिंदगी से सात साल गायब हो चुके हैं. इन सात सालों में दुनिया बदल गई थी, देश-समाज-सरकार में परिवर्तन आ गया था और बदल गए थे लोग! उसकी प्रेमिका मृगांका भी किसी और की हो चुकी थी. अभिजीत की जिंदगी में अब गिनती की सांसे बची हैं और तब वह गृहनगर और पैतृक इलाके में अपनी जड़ों की खोज-यात्रा में निकल पड़ता है. वह अपने अंतिम दिनों में उन इलाकों को एक बार देख लेना चाहता है जहां उसका बचपन गुजरा है. और तब उसको उन स्थानों के लोकदेवता (डेमी-गॉड्स) प्रत्यक्ष दिखने लगते हैं. साथ ही, वह वर्तमान और अतीत की सदेह यात्रा करने लगता है. उसके जीवन बचाने की एक दैवीय शर्त होती है, जिसको पूरा करने के लिए आगे आती है उसकी प्रेमिका मृगांका, जो अब भी उसकी प्रतीक्षा में होती है.
Tantya
- Author Name:
Baba Bhand
- Book Type:

-
Description:
टंट्या भील मध्यभारत में उन्नीसवीं सदी के महान आदिवासी जननायक के रूप में जाना जाता है। बचपन तथा युवावस्था में टंट्या को असहनीय यातनाओं से गुज़रना पड़ा। टंट्या की समझ में नहीं आ रहा था कि उसे, उसके परिवार और समाज को बदहाली, अन्याय और शोषण का शिकार क्यों होना पड़ा। धीरे-धीरे वह सोचने लगा, इसी सोच ने उसे अन्याय और शोषण के विरुद्ध संघर्ष की प्रेरणा दी। उसने सामन्ती व्यवस्था तथा उस व्यवस्था की रक्षा करनेवाली ब्रिटिश राजसत्ता को गम्भीर चुनौती दी। दलितों-शोषितों और आम आदमी ख़ासकर सर्वहारा किसानों-मज़दूरों का पक्ष लेकर उन्हें इस महासंग्राम में शामिल करने के लिए टंट्या ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी। प्रचलित नीतिमूल्यों को नज़रअन्दाज़ कर गहरे मानवीय मूल्यों पर उसने अपने संघर्ष की नींव रखी। सरकार की नज़र में वह डकैतों का सम्राट था, लेकिन लोकमानस में वह ईश्वरीय अंश धारण करनेवाला जननायक माना गया। वह आज भी लोकमानस में मिथक के रूप में अमर है।
टंट्या जैसे अलौकिक जननायक पर उपन्यास लिखने का प्रयास कठिन कर्म है। टंट्या की जीवनगाथा मिथकों और लोककथाओं में इस क़दर घुल-मिल गई है कि रहस्य तथा चमत्कार को यथार्थ से अलग करना असम्भव-सा था, लेकिन उपन्यासकार ने अपने प्रामाणिक शोध के ज़रिए और रचनात्मकता के सहारे जीवन-चरित्र के यथार्थ को उजागर करने का प्रयास किया है। यह ग़ौरतलब है कि लोकप्रिय या सरलीकृत वर्णन की फिसलन इस उपन्यास में नहीं दिखती। अनावश्यक भावुकता से बचाव, चिन्तनशीलता, संयत भाषिक अभिव्यक्ति, गहन मानवीय अन्तर्दृष्टि, इतिहास और समकालीनता के बीच जटिल अन्तर्सम्बन्धों का अहसास आदि कई विशेषताओं के कारण यह उपन्यास सर्जन के सहारे इतिहास की पुनर्रचना का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ बन गया है। उपन्यासों के भारतीय परिदृश्य में बाबा भांड की यह कृति निस्सन्देह महत्त्वपूर्ण है तथा प्रो. निशिकान्त ठकार जैसे अनुवादक के हाथों से हुआ इस कृति का अनुवाद पाठकों के लिए मूल्यवान उपलब्धि है।
—प्रो. चन्द्रकान्त पाटील
90ml Samundar
- Author Name:
Sunil Sahil
- Book Type:

- Description: सुनील साहिल टीवी कॉमेडी शो लेखक एवं कवि-सम्मेलन मंचों पर हास्य-व्यंग्य कवि के रूप में सक्रिय हैं, इंग्लैंड के कई शहरों में काव्य-पाठ का आमंत्रण, रेडियो सनराइज, लन्दन और रेडियो एक्सेल, बिर्मिंघम पर इंटरव्यू प्रसारित, ऍम ए टीवी, लन्दन पर कविताएँ प्रसारित, सब टीवी के शो ‘वाह-वाह’ में आमंत्रण. ‘ये कविताएँ मैंने नहीं लिखी हैं, ये कविताएँ मुझसे अभिव्यक्त हुई हैं, अस्तित्व ने मुझे चुना इन शब्दों, इन भावों का जरिया बनने को, माध्यम बनने को, साधन बनने को, जब मैं मिट गया तो लगा कि अस्तित्व और मुझमें संवाद हो रहा है, एक सम्बन्ध घट रहा है जिसमें ये कुछ सहज अभिव्यक्तियाँ प्रकट हुई, आप हमेशा ‘कवि’ बने नहीं रह सकते हैं, शायद कुछ पल आप कवि हो जाते हैं जब कविता आपकी रूह की जमीन पर उतरती है, तब आपको अनुभूति होती है कि आपकी देह, आपका मन, आपका जेहन भीतर की यात्रा पर निकला है- बस एक झलक मिलती है सम्बुद्ध होने की और फिर खो जाती है, बस उन्हीं चंद लम्हों का जमावड़ा है – 90 ml समंदर’
Nadi Ke Dweep
- Author Name:
Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Ajneya'
- Rating:
- Book Type:

- Description: व्यक्ति अज्ञेय की चिंतन-धरा का महत्तपूर्ण अंग रहा है, और ‘नदी के द्वीप’ उपन्यास में उन्होंने व्यक्ति के विकसित आत्म को निरुपित करने की सफल कोशिश की है-वह व्यक्ति, जो विराट समाज का अंग होते हुए भी उसी समाज की तीव्रगामी धाराओं, भंवरों और तरंगो के बीच अपने भीतर एक द्वीप की तरह लगातार बनता, बिगड़ता और फिर बनता रहता है । वेदना जिसे मांजती है, पीड़ा जिसे व्यस्क बनाती है, और धीरे-धीरे द्रष्टा । अज्ञेय के प्रसिद्द उपन्यास ‘शेखर : एक जीवनी’ से संरचना में बिलकुल अलग इस उपन्यास की व्यवस्था विकसनशील व्यक्तियों की नहीं, आंतरिक रूप से विकसित व्यक्तियों के इर्द-गिर्द बुनी गई है । उपन्यास में सिर्फ उनके आत्म का उदघाटन होता है । समाज के जिस अल्पसंख्यक हिस्से से इस उपन्यास के पत्रों का सम्बन्ध है, वह अपनी संवेदना की गहराई के चलते आज भी समाज की मुख्यधारा में नहीं है । लेकिन वह है, और ‘नदी के द्वीप’ के चरों पत्र मानव-अनुभूति के सर्वकालिक-सार्वभौमिक आधारभूत तत्त्वों के प्रतिनिधि उस संवेदना-प्रवण वर्ग की इमानदार अभिव्यक्ति करते हैं । ‘नदी के द्वीप’ में एक सामाजिक आदर्श भी है, जिसे अज्ञेय ने अपने किसी वक्तव्य में रेखांकित भी किया था, और वह है-दर्द से मंजकर व्यक्तित्व का स्वतंत्र विकास, ऐसी स्वतंत्रता की उद्भावना जो दूसरे को भी स्वतंत्र करती हो । व्यक्ति और समूह के बीच फैली तमाम विकृतियों से पीड़ित हमारे समाज में ऐसी कृतियाँ सदैव प्रासंगिक रहेंगी ।
Lomharshini
- Author Name:
K. M. Munshi
- Book Type:

-
Description:
प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति के मर्मज्ञ विद्वान् कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी उपन्यासकार के नाते न केवल गुजराती, बल्कि समूचे भारतीय साहित्य में समादृत हैं! कई खंडों में प्रकाशित विशाल औपन्यासिक रचना ‘कृष्णावतार’, ‘भगवान परशुराम’, ‘लोपामुद्रा’ जैसे वैदिक और पौराणिक काल का दिग्दर्शन करनेवाले उपन्यासों के क्रम में ‘लोमहर्षिणी’ उनकी एक और महत्त्वपूर्ण कथाकृति है।
लोमहर्षिणी राजा दिवोदास की पुत्री और परशुराम की बाल-सखी थीं, जो युवा होने पर उनकी पत्नी बनीं। भृगुकुलश्रेष्ठ परशुराम ने अत्याचारी सहस्रार्जुन के विरुद्ध व्यूह-रचना का जो लम्बा संघर्ष किया, उसमें लोमहर्षिणी की भूमिका भारतीय नारी के गौरवपूर्ण इतिहास का एक उज्ज्वलतर पृष्ठ है। साथ ही इस उपन्यास की पृष्ठभूमि में ऋषि विश्वामित्र और मुनि वसिष्ठ के मतभेदों की कथा भी है। उनके यह मतभेद त्रित्सुओ के राजा सुदास के पुरोहित-पद को लेकर तो थे ही, इनके मूल में विश्वामित्र द्वारा आर्य और दस्युओं के भेद का विवेचन तथा वसिष्ठ द्वारा आर्यों की शुद्ध सनातन परम्परा का प्रतिनिधित्व करना भी था।
वस्तुतः लोमहर्षिणी में मुंशी जी ने नारी की तेजस्विता तथा तत्कालीन समाज, धर्म, संस्कृति और राजनीति के जटिल अन्तर्सम्बन्धों का प्राणवान उद्घाटन किया है।
Gali Aage Murti Hai
- Author Name:
Shivprasad Singh
- Book Type:

-
Description:
‘गली आगे मुड़ती है’ उपन्यास ‘अलग-अलग वैतरणी’ के लेखक के निजी जीवन का मोड़ था। शिवप्रसाद सिंह 1974 तक ‘ग्राम कथा’ और ‘वैतरणी’ जैसे विख्यात उपन्यासों के लेखक के रूप में अपना एक अलग स्थान बना चुके थे। वे पुराने लोकेशन (परिवेश) को कभी दुहराते नहीं। इसलिए ‘गली’ में वे काशी जैसे विरले नगर की अनेकानेक छवियों को जो काली हैं, धूसरित हैं, पंकिल हैं, उकेरना चाहते थे; पर इसी के बीच एक ऐसी भी काशी है, जिसे ग़ालिब ने कभी ‘अध्यात्म का चिराग’ कहा था, जो इस डबरे-भर परिवेश में निरन्तर प्रतिच्छायित होता रहता है। यही वह मोड़ था, जिसने लेखक को लॉरेंस ड्यूरल के ‘ऑलक्जांद्रिया क्वार्टरेट’ की तरह ‘काशी त्रयी’ लिखने की चुनौती दी। लॉरेंस तो इतिहास के दस्तावेज़ों और खँडहरों में भटककर विस्मृत हो गया, किन्तु काशी का मध्यकालीन इतिहास ‘नीला चाँद’ (काशी-2) में ऐसा निखरा कि इसे विद्वानों ने एक स्वर में अभूतपूर्व, नितान्त अनछुए विषयों से अनुप्राणित बताकर भूरि-भूरि प्रशंसा की।
शिवप्रसाद सिंह का कहना है कि ‘वैतरणी’ में सम्बोध्य राष्ट्र कृषक और कृषक पुत्र थे। ‘गली’ में सम्बोध्य सम्पूर्ण राष्ट्र का युवा वर्ग है। युवा वर्ग के क्रोध और क्षोभ का विस्फोट ‘गली’ में निरन्तर गूँजता रहता है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...