Krishnavtar : Vol. 7 : Yudhishthir
Author:
K. M. MunshiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
सुविख्यात गुजराती उपन्यासकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी की बहुचर्चित और बहुपठित उपन्यास-माला ‘कृष्णावतार’ के पूर्वप्रकाशित छह खंडों—‘बंसी की धुन’, ‘रुक्मिणी हरण’, ‘पाँच पाण्डव’, ‘महाबली भीम’, ‘सत्यभामा’ तथा ‘महामुनि व्यास’—के बाद ‘युधिष्ठिर’ नामक यह सातवाँ खंड है। साथ ही आठवाँ, किन्तु अधूरा खंड ‘कुरुक्षेत्र’ भी। मुंशी जी इससे इस ग्रन्थमाला का समापन करनेवाले थे।</p>
<p>‘महाभारत’ में युधिष्ठिर ‘धर्मराज’ के रूप में विख्यात इतिहासपुरुष हैं। अधर्म, अशान्ति और रक्तपात से उन्हें घोर विरक्ति है। उनकी राजनीति धर्म-साधना का माध्यम-भर है—धर्म को उसका साधन नहीं बनाया जा सकता। यह जानते हुए भी कि कौरव उनका और उनके भाइयों का सर्वस्व हड़प जाना चाहते हैं, युद्ध उन्हें स्वीकार्य नहीं। यही कारण है कि दुर्योधन और शकुनि के षड्यंत्र को जानते हुए भी वे द्यूतसभा का बुलावा स्वीकार कर लेते हैं और भाइयों आदि के निषेध के बावजूद लगातार हारते चले जाते हैं। उपन्यास में इस समूचे घटनाक्रम के दौरान युधिष्ठिर के अन्तर्द्वन्द्व और बेचैनी का मार्मिक अंकन हुआ है। वनवास और अज्ञातवास के बावजूद अन्ततः उन्हें ‘कुरुक्षेत्र’ जाना पड़ा।</p>
<p>और ‘कुरुक्षेत्र’ अधूरा है—यहाँ और जीवन, दोनों जगह। पता नहीं, कब से यह कुरुक्षेत्र हमारे बाहर-भीतर अपूर्ण है और कब तक रहेगा? पर शायद मानव-विकास का बीज भी इसी अपूर्णता में निहित है।
ISBN: 9788126700592
Pages: 176
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Saathi
- Author Name:
Harsh Ranjan
- Book Type:

- Description: आते हैं और आते रहेंगे- हर साल ये फाल्गुन की हवाऐं जेठ की दुपहरी आषाढ के बादल भाद्र की फुहार और काँपती-कँपकँपाती पूस की पछिया बयार... हर बार एक परदेसी कोई आएगा, लौटकर अपने देस; झांकेगा, ताकेगा, हर गली-हर मुहल्ला लिए, दबाए, छाती में हूक एक... हर साल, हर बार जो आएगा, झांकता जाएगा, थोड़ा घबराकर, थोड़ा ठहरकर, सरसरी निगाहों से या कि संग लंबी आहों के ये राहें ...ये चौराहे, आ बैठेगा फिर कोई हर साल, हर बार मन के आंगन में ... चुप...चुप...चुप... एक अनकहा आश्वासन देंगे वो, पाएंगे हम ,थामे रखना! आऐंगे ही हम बाँटने ये सब-कुछ हर साल-हर बार.....
Professor Shanku Ke Karname
- Author Name:
Satyajit Ray
- Book Type:

- Description: प्रोफ़ेसर शंकू कौन है? बस, इतना ही पता चलता है कि वे एक वैज्ञानिक हैं, विश्वविख्यात वैज्ञानिक। कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने शायद किसी भीषण प्रयोग में अपने प्राण गँवा दिए हैं। इधर यह भी सुनने में आया है कि वे किसी अपरिचित अंचल में छुपकर अपने काम में लगे हुए हैं, समय आने पर प्रकट हो जाएँगे। प्रोफ़ेसर शंकू की प्रत्येक डायरी में कुछ-न-कुछ ऐसी विचित्र जानकारियाँ अंकित हैं जो हमें रोमांचित करती हैं। ये कहानियाँ सच्ची हैं या झूठी, सम्भव हैं या असम्भव—इसका निर्णय आप स्वयं पढ़कर कर लें। रोचक शैली में लिखा गया सत्यजित राय का बहुचर्चित-बहुप्रशंसित उपन्यास है—‘प्रोफ़ेसर शंकू के कारनामे’।
Prasad Ke Sampurna Upanyas
- Author Name:
Jaishankar Prasad
- Book Type:

-
Description:
इस पुस्तक में छायावादी युग के महत्त्वपूर्ण कवि, कहानीकार, नाटककार और उपन्यासकार जयशंकर प्रसाद के तीनों उपन्यास—‘कंकाल’, ‘तितली’ और ‘इरावती’ संकलित किए गए हैं। भारतेन्दु के बाद जिन लोगों ने हिन्दी गद्य को एक परिपक्व रूप दिया उनमें प्रसाद की भूमिका भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
उनकी सांस्कृतिक अभिरुचि, यथार्थ को अपने ढंग से देखने का उनका तरीक़ा और उसे भाषा में अंकित करने का ढंग उन्हें एक अलग जगह देता है। ये उपन्यास भी इसके साक्षी हैं। उपन्यास ‘कंकाल’ और ‘तितली’ में उन्होंने तत्कालीन युग-बोध को एक भिन्न कोण से पकड़ा था। असहाय स्त्रियों के जीवन की चुनौतियों को दिखाने के लिए उन्होंने इन रचनाओं में यथार्थ के बाह्य रूपों को चित्रित करने के साथ-साथ व्यक्तिमन की आन्तरिक परतों को भी उद्घाटित किया। ‘तितली’ को कथा-शिल्प और वस्तु-विन्यास के दृष्टिकोण से प्रसाद का सर्वाधिक परिपक्व उपन्यास माना जाता है।
‘इरावती’ को वे पूरा नहीं कर सके थे। शुंगकालीन ऐतिहासिक विषय और बौद्धकालीन रूढ़ियों-विकृतियों के प्रति विद्रोह की जिस कथा-वस्तु को लेकर उन्होंने यह उपन्यास आरम्भ किया था, वह निश्चय ही एक बड़ी औपन्यासिक कृति के रूप में फलीभूत होता। यहाँ ‘इरावती’ के उपलब्ध स्वरूप को यथावत् संकलित किया गया है ताकि पाठक प्रसाद की उपन्यास-काल के मर्म को जान सकें।
Shreeman Yogi
- Author Name:
Ranjeet Desai
- Book Type:

- Description: श्रीमान योगी रणजीत देसाई की यह कालजयी रचना अपने मूल मराठी प्रकाशन के कुछ ही समय बाद मराठी भाषियों के बीच जातीय स्मृति ग्रन्थ जैसी प्रतिष्ठा प्राप्त करने में सफल हुई है। जितनी कसावट से इस सुदीर्घ उपन्यास में मुगलकालीन दक्खिन का समय बुना गया है, जिस तरह इसमें सह्यादि क्षेत्र के मनुष्य तो क्या, पत्थर तक बोलते सुनाई देते हैं, उसे देखते हुए महाराष्ट्र में इसका इतना लोकप्रिय हो जाना स्वाभाविक है। लिहाजा इस उपन्यास का हिन्दी में प्रकाशन भी वैसी ही बड़ी घटना है, जैसी मराठी में इसके प्रथम प्रकाशन की घटना। जहाँ-तहाँ भटकने पर मजबूर एक विद्रोही मराठा सामंत की लगभग परित्यक्ता पत्नी अपने बेटे के व्यक्तित्व में अपनी और अपनी समूची जाति की पीड़ाएँ छाप देती है। हीरे-सा कड़ा और पानी सा तरल किशोर शिवाजी हिंदवी स्वराज्य का स्वप्न देखने का दुस्साहस करता है और यही दुस्साहस न सिर्फ उसका बल्कि उसके समूचे समय का भाग्य तय करने लगता है। तलवारों की खनखनाहटों के बीच धीरे-धीरे एक ऐसा चेहरा उभरता है, जिसके लिए जय-पराजय, जीवन-मृत्यु, लाभ-हानि का फर्क मिट चुका है, जो राजा भी है और योगी भी, जिसे समर्थ गुरु रामदास श्रीमान योगी कहते हैं। किसी महानायक को केन्द्र में रखकर उपन्यास-लेखन एक प्रचलित विधा रही है लेकिन कल्पना के हाथ हमेशा बँधे होने के चलते इसे सर्वाधिक कठिन विधाओं में से एक माननेवाले भी कम नहीं रहे हैं। महानायकों के इर्द-गिर्द जैसे मिथकीय घटाटोप बन जाते हैं, उन्हें भेद कर व्यक्ति की दैन्यताओं, दुर्बलताओं और द्वन्द्वों तक पहुँचना, उन्हें चित्रित करना बहुत कठिन हो जाता है। रणजीत देसाई की रचनात्मक शक्ति इसी बात में है कि वे शिवाजी की स्थापित मूर्ति के भीतर, उसकी अनन्त तहों में घुसते हुए सचमुच के शिवाजी और उनके धड़कते हुए समय तक पहुँच जाते हैं। वे महानायक को जैसे का तैसा स्वीकार नहीं करते, बल्कि उसके जीवन-तत्त्वों से उसकी पुनर्रचना करते हैं।
Love 2 : A Sweet Poison
- Author Name:
Rajeev Pundir
- Book Type:

- Description: What’s love? Since the dawn of life itself, this question has continuously baffled humanity. And this puzzle has not been solved yet. This cannot because the day This abracadabra is known, the very purpose of life and to live will cease to exist. Therefore, the mystery must go on… this is such a factor that where some find it quite encouraging, inspirational, soothing like a balm for the day-to-day problems, and prepare them to strive hard against all odds of life; the others feel it worse even than poisoning them down and ruining their lives. However—people will continue to fall in love! Sixteen excellent writers have tried to explore the world of this governing force of life—love, through their unique stories. Grab this anthology par excellence and indeed, you’ll not only feel and love but—live them!!
Worlds First Book On Haiku Poetry
- Author Name:
Carlos Luis
- Rating:
- Book Type:

- Description: Haiku is a very short form of Japanese poetry consisting of 17 syllables arranged in three lines of 5, 7, and 5 syllables respectively. But against all odds, this is a collection of feelings written in three lines. An economical masterpiece that Trades you through realities of life; speaking of love, relationships, paradoxes in life, you name it you have it in here.
Charitraheen
- Author Name:
Sharatchandra
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Agnibeej
- Author Name:
Markandey
- Book Type:

- Description: 'अग्निबीज' में प्रस्तुत कथा-योजना का समय स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद का है। उत्तर भारत के सामाजिक-राजनैतिक जीवन और यहाँ की असह्य वर्ण व्यवस्था का उस पर प्रभाव इस उपन्यास का मुख्य विचार तत्व है। इसी कारण इसके नायक तीन ऐसे पात्र बनाए गए हैं जो अल्पवय हैं और पिछड़ी तथा निचली जातियों से आते हैं। श्यामा, जो एक विक्षिप्त स्वतंत्रता सेनानी की कन्या है, इन बाल पात्रों में सर्वाधिक जागृत है। श्यामा के पिता को, स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान पुलिस की लाठियों और यातनाओं गूँगा बना दिया है। उनका भाई उनकी कृति और त्याग का पूरा फ़ायदा उठाता है और राजनीति तथा सामाजिक जीवन में निरन्तर लन्द-फन्द करके एक महत्त्वपूर्ण कांग्रेस नेता बन जाता है। 'अग्निबीज' का सत्य उत्तर भारत के ग्रामीण जीवन का ऐसा मुखर सत्य है जिसके कारण उच्च जातियों के बुद्धजीवियों और आलोचकों ने इस उपन्यास के विचार तत्व को एक रूप तले दबाने का प्रयत्न किया लेकिन इसके व्यापक प्रभाव को रोक पाना, उनके लिए सम्भव नहीं हो पाया। उपन्यास सारे देश में पढ़ा एवं सराहा गया और उसे अनेक विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रमों में पढ़ा रहे हैं। 'अग्निबीज’ की मुख्य उपलब्धि उसमें वर्णित उत्तर भारत के गाँवों का सामाजिक जीवन है। पिछड़ी जातियों और हरिजनों के दुःखद और यातनामय जीवन की जैसी झाँकी 'अग्निबीज' में चित्रित है, उसका दर्शन प्रेमचन्द को छोड़कर किसी अन्य कथाकार के यहाँ उपलब्ध नहीं है। ख़ुशी की बात तो यह है कि ‘अग्निबीज’ का सत्य स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्षों बाद पुन: उजागर हो रहा है। समाज के उपेक्षित वर्ण जागृत होकर देश की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने सामाजिक-राजनीतिक जीवन में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है।
Tirohit
- Author Name:
Geetanjali Shree
- Book Type:

-
Description:
गीतांजलि श्री के लेखन में अमूमन, और ‘तिरोहित’ में ख़ास तौर से, सब कुछ ऐसे अप्रकट ढंग से घटता है कि पाठक ठहर–से जाते हैं। जो कुछ मार्के का है, जीवन को बदल देनेवाला है, उपन्यास के फ्रेम के बाहर होता है। ज़िन्दगियाँ चलती–बदलती हैं, नए–नए राग–द्वेष उभरते हैं, प्रतिदान और प्रतिशोध होते हैं, पर चुपके–चुपके। व्यक्त से अधिक मुखर होता है अनकहा। घटनाक्रम के बजाय केन्द्र में रहती हैं चरित्र–चित्रण व पात्रों के आपसी रिश्तों की बारीकियाँ।
पैनी तराशी हुई गद्य शैली, विलक्षण बिम्बसृष्टि और दो चरित्रों—ललना और भतीजा—के परस्पर टकराते स्मृति प्रवाह के सहारे उद्घाटित होते हैं ‘तिरोहित’ के पात्र : उनकी मनोगत इच्छाएँ, वासनाएँ व जीवन से किए गए किन्तु रीते रह गए उनके दावे।
अन्दर–बाहर की अदला–बदली को चरितार्थ करती यहाँ तिरती रहती है एक रहस्यमयी छत। मुहल्ले के तमाम घरों को जोड़ती यह विशाल खुली सार्वजनिक जगह बार–बार भर जाती है चच्चो और ललना के अन्तर्मन के घेरों से। इसी से बनता है कथानक का रूप। जो हमें दिखाता है चच्चो/बहन जी और ललना की इच्छाओं और उनके जीवन की परिस्थितियों के बीच की न पट सकनेवाली दूरी। वैसी ही दूरी रहती है इन स्त्रियों के स्वयं भोगे यथार्थ और समाज द्वारा देखी गई उनकी असलियत में।
निरन्तर तिरोहित होती रहती हैं वे समाज के देखे जाने में। किन्तु चच्चो/बहन जी और ललना अपने अन्तर्द्वन्द्वों और संघर्षों का सामना भी करती हैं। उस अपार सीधे–सच्चे साहस से जो सामान्य ज़िन्दगियों का स्वभाव बन जाता है। गीतांजलि श्री ने इन स्त्रियों के घरेलू जीवन की अनुभूतियों—रोज़मर्रा के स्वाद, स्पर्श, महक, दृश्य—को बड़ी बारीकी से उनकी पूरी सैन्सुअलिटी में उकेरा है।
मौत के तले चलते यादों के सिलसिले में छाया रहता है निविड़ दु:ख। अतीत चूँकि बीतता नहीं, यादों के सहारे अपने जीवन का अर्थ पानेवाले ‘तिरोहित’ के चरित्र—ललना और भतीजा—अविभाज्य हो जाते हैं दिवंगत चच्चो से। और चच्चो स्वयं रूप लेती हैं इन्हीं यादों में।
Lopamudra
- Author Name:
K. M. Munshi
- Book Type:

-
Description:
गुजराती के सुविख्यात उपन्यासकार के.एम. मुंशी के इस महत्त्वपूर्ण उपन्यास में गाधिपुत्र विश्वरथ (जो बाद में ऋषि विश्वामित्र के रूप में विख्यात हुए) के जन्म और बाल्यकाल की मुग्धकारी कथा वर्णित है। उनका अगस्त्य ऋषि के पास विद्याध्ययन, दस्युराज शंबर द्वारा अपहरण, शंबर-कन्या उग्रा से प्रेम-सम्बन्ध, फलस्वरूप एक लम्बा विचार-संघर्ष और इस समूचे घटनाक्रम में अत्यन्त तेजस्वी, अनिंद्य सुन्दरी तथा ऋषि-पद प्राप्त लोपामुद्रा की रचनात्मक भूमिका का इसमें प्रभावी अंकन हुआ है। साथ ही महर्षि अगस्त्य से लोपा का प्रेम, जो समूची कथा में अन्तःस्रोत की तरह प्रवाहित है, पाठक को कुछ नए मूल्य भी सौंपता है।
वस्तुतः आर्यावर्त्त की महागाथा का यह एक ऐसा कीर्तिमान अध्याय है जिसमें हमारी सभ्यता और संस्कृति के कितने ही दुर्लभ रत्न बिखरे पड़े हैं। इसमें जो एक ताप विद्यमान है, उसमें हमें निरन्तर एक नया युग ढलता दिखाई देता है। दूसरे शब्दों में, यह कथा आर्यजाति के महोत्कर्ष के उन प्रतीकों की है, जो आज भी परिवर्तनशील दौर से गुज़रते इस महादेश के सन्दर्भ में एकदम प्रासंगिक हैं। वीरता और शौर्य, साधना और संघर्ष, प्रेम और बलिदान के वे सारे प्रसंग और जीवन-मूल्य, जो लोपामुद्रा और विश्वामित्र का प्रभामंडल बनाते हैं, आज की भी सर्वोच्च प्राथमिकता बनकर उभरते हैं। निश्चय ही, मुंशी जी की यह कथाकृति इतिहास को तीव्र राग की तरह और जिजीविषा को गंध-समान प्रस्तुत करती है।
Jagdamba
- Author Name:
Ravindra Bharti
- Book Type:

-
Description:
रवीन्द्र भारती का उपन्यास ‘जगदम्बा’ हिन्दी कथा-साहित्य के मौजूदा ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ ‘हृदय की बात’ की मानिन्द है। ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तर भारत का आँचलिक जनजीवन जिस गहरी आत्मीयता, सूक्ष्मता तथा संगीतमय भाषा के साथ इस उपन्यास में अभिव्यक्त हुआ है, वह इधर के दिनों में दुर्लभ से दुर्लभतर होता गया है। लेकिन जो बात इस उपन्यास को खास बनाती है वह है उन दारुण स्थितियों का विश्वसनीय उद्घाटन जिनकी टीस स्थानीय बोली-बानी, आस्था-अन्धविश्वास और तमाम चीज-बतुस के संक्रामक आकर्षण के बावजूद, पाठक गहरे महसूस करता है।
इस उपन्यास में ऐसी स्त्रियाँ आती हैं जो अपने बनाए आकाश में उड़ना चाहती हैं। लेकिन उन्हें उड़ना पड़ता है मर्द के बनाए आकाश में। उन्हें अपने आकाश में उड़ने की आज़ादी नहीं। उड़ेंगी तो पतुरिया कहलाएँगी। इससे बात न बने तो देवी कहकर, जगदम्बा करार देकर उनके पंख तोड़ दिए जाएँगे। उपन्यास सवाल उठाता है— इनसान कोई बाँधने की चीज है? और, जवाब भी देता है—दरअसल जानवर भी बाँधने की चीज नहीं है मगर, आदमी अपने स्वार्थ में क्या नहीं करता! न हाथ बाँधने की चीज है, न मन। जहाँ कहीं बन्धन की गाँठ पड़ेगी, वह दिखे न दिखे, इनसान कुम्हला जाता है।
यहाँ हम मर्द के साथ सोने से इनकार करने पर जगदम्बा बना दी जाने वाली एक स्त्री को, समाज और परिवार ने मुक्ति की जो स्थापना दी है, उससे अलग, नई राह पर कदम बढ़ाते देखते हैं जो उसने खुद चुनी है। वह किसी मिथ जैसी मालूम पड़ती है; लेकिन वह यथार्थ है, वर्तमान में भविष्य की दिशासूचक! उपन्यास में हमें ऐसे अनेक किरदार मिलते हैं। मसलन चटपट और खटपट जो भले ही अनगढ़, गंवार लगते हैं लेकिन अन्याय को समझने और उसका प्रतिकार करने की अपनी सहज वृत्ति के कारण अलग से ध्यान आकर्षित करते हैं। बागुन बाबा, नकछेदी, सिस्टर क्रेजी भी ऐसे ही अनूठे किरदार हैं।
वस्तुतः आँचलिक उपन्यास का यह नया आख्यान है जो न केवल बेहद पठनीय है बल्कि संग्रहणीय भी है।
Rangbhoomi
- Author Name:
Premchand
- Book Type:

- Description: ‘सूरदास’ एक चरित्र नहीं, नायक है और इसी नायकत्व की सृष्टि के लिए सूरदास और ज्ञानसेवक ने उपन्यास में अपनी-अपनी भूमिकाएँ अदा की हैं। ‘सूरदास’ चौतरफ़ा भौतिक दृष्टि से पराजित होने के बाद भी सदा सुखी रहता है। उसके मन में कभी भी मैल नहीं आता। जीत-हार में भी, इस समान स्थिति में कोई अन्तर नहीं आता। उसने नीति का मार्ग कभी भी नहीं छोड़ा। अपने प्रतिद्वन्द्वी पर कभी भी धोखे से वार नहीं किया। इतना दीन-हीन होते हुए भी उसमें क्षमाशीलता और उदारता सदा बनी रहती है। स्पष्ट लगता है कि प्रेमचन्द अपने समय के संग्राम के लिए शलाका पुरुष की सृष्टि कर रहे हैं जो लोगों के लिए एक आदर्श नायक बन सकेगा। यह भी स्पष्ट है कि प्रेमचन्द तत्कालीन परिस्थिति में अपने देश की जनता के जीवन की एक ऐसी व्याख्या प्रस्तुत कर रहे थे जो देश को आज़ाद करने का सही मार्ग था। वस्तुत: देश की आज़ादी के लिए उस समय चल रहे क्रान्तिकारी मार्ग के स्थान पर देश को सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग पर ले जाना चाहते थे। यही कारण है कि उन्होंने ‘रंगभूमि' को यह महाकाव्यात्मक रूप प्रदान किया। यही कारण है कि सूरदास किसान दृष्टि का प्रतिनिधि होने के बावजूद एक चरित्र नहीं वरन् प्रेमचन्द द्वारा सृजित उनकी आदर्शवादी दृष्टि का महानायक है। कथावाचन से लेकर चरित्रांकन तक रंगभूमि का सृजन जैसे एक लेखक का आत्मसंवाद है। प्रेमचन्द ने बड़ी महारत के साथ गांधी जी के सत्याग्रह और अहिंसा सम्बन्ध सोच को औपचारिक रूप देकर सचमुच एक महान सृजन किया है। ऐसा वही कथाकार कर सकता है जिसके प्राणों में उसके देश की धरती और आदर्श समाए हुए हों।
Nadi Ki Toot Rahi Deh Ki Awaz
- Author Name:
Shriprakash Mishra
- Book Type:

- Description: यह उपन्यास ज़मीन से जुडी समस्या पर आधारित है और इस मामले में यह प्रेमचन्द्, रेणु, शिवप्रसाद सिंह आदि की रचनाओं की आगे की कड़ी के रूप में दिखेगा, एक सर्वथा अपरिचित क्षेत्र और परिस्थिति में अवस्थित। यहाँ असम के लोगों का जीवन अपने पूरे सांस्कृतिक वितान के साथ तथा उसका टकराव अन्य संस्कृतियों के साथ जो बहिरागतों के आने के कारण बना है, उभरकर चित्रित हुआ है। वहाँ का आम आदमी अनुभव करता है कि वह अपने ही वतन में अल्पसंख्यक होता जा रहा है। अपने मध्यवर्गीय चरित्र के कारण सरकारें उसका समाधान निरन्तर टालती रहती हैं। परिणामस्वरूप इंसरजेंसी और आतंकवाद वहाँ के जीवन का अंग बन जाता है। लड़ते हुए लोगों का एक पूरा जीवन बीत जाता है, पर एक अदना-सा ज़मीन का टुकड़ा हस्तगत नहीं हो पाता। आज जो राष्ट्रीय नागरिकता पंजी और नए नागरिक विधान की बहस चल रही है, उसकी रुनझुन उपन्यासकार ने काफ़ी पहले अनुभव कर ली है। यह पूरा वृत्तान्त एक सुन्दर कहानी के माध्यम से इस उपन्यास में आया है। श्रीप्रकाश मिश्र निम्न मूलतः कवि हैं। इसलिए उनका प्रकृति का, मनुष्य के स्वभाव का, नौकरशाहों और राजनेताओं के व्यवहार का वर्णन एक खूबसूरत भाषा में हुआ है। यह उपन्यास पाठकों को कई तरह से समृद्ध करेगा।
A Divine Tale of Destinies Shanaki Chananthaki
- Author Name:
Mahalaxami Naidu
- Rating:
- Book Type:

- Description: One of the amazing things we have been given as humans is the unquenchable desire to have dreams and knack to make it happen. “A divine tale of destinies – shanaki chananthaki” a mythological tale unfolds against the back drop of Mahabharata war and throws light on the impact the war had on lives other than Pandavas and Kauravas. Growing up as a princess of a powerful kingdom, she did not have the rights to chase her dream. Chananthaki, an exceptionally beautiful princess of chanantakraj has to choose whether to chase her dream or to be an upright royal heir who has to follow the protocols of a royal princess. Will she be able to fight against all odds to accomplish her dream? Who is shanaki? Will chananthaki be able to turn shanaki’s dream into reality? Let’s find out together in this intriguing divine tale of destinies.
Mahamuni Agastya
- Author Name:
Ramnath Neekhara
- Book Type:

- Description: “वृत्तेन भवति आर्येण विद्यया न कुलेन च के सिद्धान्तानुसार ऋषित्व व महानता कुल तथा विद्या की उच्चता पर नहीं, कर्म एवं आचरण की श्रेष्ठता पर निर्भर करती है; अतः यह प्रश्न नहीं उठता कि किसने किससे जन्म ग्रहण किया, प्रश्न यह आता है कि गुण व कर्म की श्रेष्ठता किसमें कम है और किसमें अधिक है।” इस पौराणिक सिद्धांत को आधार बनाकर तर्कसंगत नया आख्यान रचा है हिंदी के जाने-माने विद्वान रामनाथ नीखरा ने अपनी इस पुस्तक ‘महामुनि अगस्त्य’ में! महामुनि अगस्त्य समाज, राष्ट्र व संसार से पूर्णतः उदासीन निरे वैरागी नहीं थे, वह मंत्र-स्रष्टा तो थे ही, क्रान्ति-द्रष्टा भी थे। वह सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक गरिमा के संवाहक ही नहीं थे; राष्ट्रीय अस्मिता, एकता व अखंडता के संरक्षक भी थे, और वे राष्ट्रहिताय आयोज्य कर्म-यज्ञ के सच्चे अर्थ में प्रणेता, होता व पुरोधा थे। किन्तु पुराणकर्ताओं ने उनकी इस महत्ता को रहस्यात्मक ढंग से प्रस्तुत कर अनुद्घाटित ही रहने दिया है। प्रस्तुत उपन्यास ‘महामुनि अगस्त्य’ उनकी इसी महानता को उद्घाटित करने का तर्कसंगत, सार्थक एवं प्रामाणिक प्रयास है।
Mahabharat : Ek Navin Rupantaran
- Author Name:
Shiv K. Kumar
- Book Type:

-
Description:
‘महाभारत’ विश्व-इतिहास का प्राचीनतम महाकाव्य है। होमर की ‘इलियड’ और ‘ओडीसी’ से कहीं ज़्यादा प्रवीणता के साथ परिकल्पित और शिप्लित यह रचनात्मक कल्पना की अद्भुत कृति है। ऋषि वेदव्यास द्वारा ईसा के प्रायः 2000 वर्ष पूर्व रचित इस महाकाव्य में लगभग समस्त मानवीय मनोभावों—प्रेम और घृणा, क्षमा और प्रतिशोध, सत्य और असत्य, ब्रह्मचर्य और सम्भोग, निष्ठा और विश्वासघात, उदारता और लिप्सा—की सूक्ष्म प्रस्तुति मिलती है।
यों तो ‘महाभारत’ भारतीय मानस में रचा-बसा ग्रन्थ है, पर इसने सम्पूर्ण विश्व के पाठकों को आकर्षित किया है। शायद इसीलिए इस महाकाव्य का रूपान्तर विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में हुआ है। परन्तु विस्मय होता है यह देखकर कि ज़्यादातर रूपान्तरों में इसकी क्षमता का प्रतिपादन एक काव्यात्मक सौन्दर्य और सुगन्ध से समृद्ध कथा के रूप में नहीं हो पाया है। सम्भवतः इसलिए कि लेखकों ने मूलतः इसके कहानी पक्ष को ही प्रधानता दी।...किन्तु इस पुस्तक के लेखक शिव के. कुमार ने इसी कारण इस महाकाव्य में कुछ रंग और सुगन्ध भरने का प्रयास किया है।
यह वस्तुतः ‘महाभारत’ का एक नवीन रूपान्तर है। ‘महाभारत’ एक अद्वितीय रचना है। यह काल और स्थान की सीमाओं से परे है। इसलिए हर युग में इसके साथ संवाद सम्भव है। वर्तमान युग में भी सामाजिक न्याय, राजनीतिक स्वार्थजनित राष्ट्र विभाजन, नारी सशक्तिकरण और राजनेताओं के आचरण के सन्दर्भों में इसका आर्थिक औचित्य है। अंग्रेज़ी से हिन्दी में इस कृति का अनुवाद करते हुए प्रभा के. सिंह ने हिन्दी भाषा की प्रकृति का विशेष ध्यान रखा है। समग्रतः एक अनूठी रचना।
Sapnon Ke Dhai Ghar
- Author Name:
Rashmi Sharma
- Book Type:

- Description: रश्मि शर्मा का दूसरा कहानी-संग्रह 'सपनों के ढाई घर' इस बात का प्रमाण है कि कथा-लेखन उनके लिए एक गम्भीर एवं जिम्मेदारी भरा सतत कर्म है। जाहिरन, इसका निर्वाह वह अपनी निरन्तर रचनात्मकता और सार्थक हस्तक्षेप से कर रही हैं। इस संग्रह की तमाम कहानियाँ अपने परिवेश के प्रति उनकी सजग संवेदनशीलता और उनमें निहित अदीठ जीवन-सत्यों को खोज निकालने की उनकी दृष्टि एवं कौशल से सम्भव हुई हैं। ये कहानियाँ विषय वैविध्य के कारण जितना पाठकों को समृद्ध करती हैं, उतना ही मनुष्य मन की जटिलताओं में उतरकर उनके अवगुंठनों को खोलते हुए चकित भी करती हैं। ये कहानियाँ स्त्री जीवन की विडम्बनाओं के उन बन्द कपाटों को खोलने की कोशिश करती हैं, जिनके पीछे उनकी नियति छुपी बैठी है। 'सपनों के ढाई घर' जिस तरह प्रतिरोध रचती है, वह न सिर्फ चकित करता है, बल्कि पाठकीय चेतना पर उसका असर भी देर तक बना रहता है। रश्मि प्रेम, संवेदना और संचेतना के संयोग से कथा-परिदृश्य निर्मित करती हैं, जिसके भीतर स्त्री-जीवन की अनेक छवियाँ मिलती हैं। इनमें अपनी स्मृतियों में जीती कोई नानी है, तो अपनी परम्परागत कला के बूते अपनी पहचान पर गर्व करती आदिवासी समाज की रुदनी भी है। अपने अकेलेपन के बीच अपने जीवन में आए पुरुषों को याद करती श्रेया है, अपने पति के लिए चिन्तित कृतिका है, अपनी पूर्व मालकिन से होड़ लेती सोनी है, अपने जीवन में अप्रत्याशित फैसले लेती पूर्णिमा है। जाहिर तौर पर ये अनेक स्त्रियाँ हैं, लेकिन इन सभी से मिलकर स्त्री-जीवन का वृत्त बनता है। रश्मि शर्मा ने इसे बड़ी संलग्नता, कौशल और धैर्य से रचा है। इस रचाव में उनका सूक्ष्म ऑब्जर्वेशन और मनुष्य मनोविज्ञान की गहन समझ शामिल है। इन कहानियों का सौन्दर्य किसी कलाबाजी में नहीं, अपने कहन के सौष्ठव में निहित है। ये अपने कथ्य के अनुकूल अपना शिल्प लेकर आती हैं, लिहाजा, इन्हें पढ़ने का आस्वाद भी भिन्न है और इनका प्रभाव भी अभिन्न। यह संग्रह रश्मि शर्मा के कथा-कौशल की एक और बानगी है। —अवधेश प्रीत
Dheere Bahe Done Re : Vols. 1-2
- Author Name:
Mikhaiel Sholokhov
- Book Type:

-
Description:
इस वृहद् उपन्यास की जटिल संरचना और प्लॉट के पीछे इतिहास की नियमसंगत निरन्तरता का विचार उपस्थित है। शोलोख़ोव दो दुनियाओं के बीच के संघर्ष की भव्यता से पाठक का साक्षात्कार कराते हैं। स्थापित सामाजिक सम्बन्धों, संस्थाओं, परम्पराओं, रीति-रिवाजों की दुनिया टूट-बिखर रही है और एक नई दुनिया उभर रही है, स्वयं को स्थापित कर रही है। महत्त्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों के साथ ही उपन्यास व्यक्ति और जन-समुदाय की ऐतिहासिक नियति के बीच के सम्बन्ध, ऐतिहासिक आवश्यकता और चयन की स्वतंत्रता के प्रश्न तथा त्रासदीपूर्ण संघर्षों और नाटकीय परिणतियों को जन्म देनेवाली ऐतिहासिक परिस्थितियों पर सोचने-विचारने के लिए पाठक को उकसाता है और उन सभी बिन्दुओं पर काव्यात्मक न्यायपूर्ण एवं तर्कपूर्ण अवस्थिति प्रस्तुत करता है।
शोलोख़ोव की कुशलता यह है कि यह सब कुछ वह कला की शर्तों पर नहीं करते बल्कि, इनके द्वारा अपनी कला को और अधिक उन्नत बनाते हैं। वे 'जनगण की नियतियों के महाकाव्यात्मक वर्णन की परम्परा को रचनात्मक ढंग से विकसित करते हुए, एक ऐतिहासिक प्रक्रिया के अंग के रूप में जनता के व्यापक आन्दोलनों के चित्र उपस्थित करते हैं। उपन्यास की कहानी ग्रिगोरी मेलेख़ोव के इर्द-गिर्द आगे बढ़ती है, लेकिन इसका वास्तविक नायक यही जनता है।
‘धीरे बहे दोन रे...’ क्रान्ति और गृहयुद्ध के दौरान कज़्ज़ाकों के आन्तरिक और बाह्य जगत में मची उथल-पुथल और बदलावों का ग्राफ़िक चित्रण प्रस्तुत करता है। 'धीरे बहे दोन रे' ने शोलोख़ोव को न केवल सोवियत लेखकों की अग्रिम पंक्ति में स्थापित कर दिया, बल्कि उन्हें विश्व-स्तर पर चर्चित लेखक बना दिया। इसके लिए उन्हें 1941 में ‘स्तालिन पुरस्कार से’ सम्मानित किया गया।
Jhool
- Author Name:
Bhalchandra Nemade
- Book Type:

-
Description:
झूल उस दारुण परिणति का वृत्तान्त है जहाँ स्वातंत्र्योत्तर भारत की युवा पीढ़ी अपने व्यक्तिगत सपनों तथा जातीय आदर्शों और आकांक्षाओं के बीच के अन्तर को पाटने की कोशिश में पहुँची है। उपन्यास का नायक चांगदेव पाटील अपने अस्तित्व के उद्देश्य और नैतिक आदर्शों को समाज में व्याप्त संकीर्णताओं के बीच एकदम असंगत पाता है। यह अनुभव उस समय और प्रगाढ़ हो जाते हैं जब वह एक नए कॉलेज में प्रोफेसर बनकर आता है। पिछले कॉलेज के कटु अनुभव अभी भी उसके साथ हैं लेकिन जिस भावात्मक औदात्य को उसने अपनी जीवन-दृष्टि का आधार बनाया है, उसे भी उसने छोड़ा नहीं है। अपने एकाकी मन को वह समाज की बड़ी संरचना में विलय कर देना चाहता है लेकिन आसपास के जीवन और लोगों में कोई ऐसी मूल्य-चेतना उसे नहीं दिखती जो उन्हें उनकी तुच्छताओं से ऊपर उठा सके। समाज की यह असफलता उसके व्यक्ति को घोर निराशा से भर देती है। लगातार जगह बदलते हुए उसने जो पाया है, वह यही कि जीवन अन्ततः अर्थहीन ही है।
तीक्ष्ण दृष्टि और उतनी ही तीक्ष्ण शब्दावली के साथ भारतीय समाज की पड़ताल करने वाले नेमाड़े इस उपन्यास में ‘होने’ और ‘नहीं होने’ के द्वन्द्व को इतनी गहराई से अंकित करते हैं कि इस शृंखला के अन्य उपन्यासों की तरह यह उपन्यास भी कथा से अधिक एक अध्ययन हो जाता है।
झूल स्वतंत्र रूप से भी उतना ही दिलचस्प और पूर्ण पाठ है, जितना कि शृंखला की एक कड़ी के रूप में। यह एक बड़ी विशेषता है।
Gypsy
- Author Name:
Ilachandra Joshi
- Book Type:

-
Description:
यह उपन्यास अपनी भाषिक संरचना से कथा-उद्देश्य की ज़मीन पर जिस तरह आन्तरिक और बाह्य क्रियात्मकता के साथ रचा गया है, वह अपने-आप में एक उदाहरण है, और यह उदाहरण उपन्यासकार इलाचन्द्र जोशी की एक बड़ी विशेषता है।
इस उपन्यास की धुरी है एक ख़ानाबदोश लड़की जिसके कथा-आयतन में सम्मोहन, प्रेम, चेतना, कुंठा और उत्तेजना, फिर तमाम स्थितियों तथा संघर्षों की विस्तृत और अन्तहीन घटनाएँ अपनी गहरी जड़ों के साथ मानव-सभ्यता में अपना कालबोध प्रतीत होती हैं। उपन्यास में लेखक ने स्त्री और पुरुष के मनोविज्ञान का कैनवस रचते व्यक्ति, समाज-वर्ग और धर्म, विचार, व्यवस्था तथा राजनीति के बीच की खाइयों और उसकी परिणति-प्रक्रिया पर भी अपनी पैनी नज़र बनाए रखी है।
बहुमुखी प्रतिभा के विशिष्ट रचनाकार इलाचन्द्र जोशी ने जिस दृष्टि और कलात्मकता के साथ अपनी इस कृति में अपने पात्रों के मनोलोक और उनके अपने बाहरी संसार से टकराव को सघनता से रचा है, उससे कोई भी संवेदनशील पाठक अछूता नहीं रह सकता।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...