The Forbidden Line
Author:
Mayank KashyapPublisher:
Author'S Ink PublicationsLanguage:
EnglishCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 167.45
₹
197
Unavailable
Virat is completely different from what his dad wants him to be. With Ankit & Saurav, who are like brothers to him and his girlfriend Manya, his life is perfect until one fateful day when his world falls apart.
ISBN: 9789385137280
Pages: 176
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: -
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- Description: श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र-युद्ध के पूर्व कहा था—“यदा-यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।” वही श्रीकृष्ण जब उस काल में जन्मे थे और एक प्रकार से कुरुक्षेत्र-युद्ध के मुख्य नायक थे, तो मानना होगा कि धर्म की ग्लानि और अधर्म का बढ़ाव बहुत अधिक हुआ था। पृथ्वी भर के मनुष्य अत्याचार, अन्याय, दुख, कष्ट से बेचैन हो उठे थे। राज-शक्ति तथा क्षात्र-शक्ति पर लोभ, ईर्ष्या, द्वेष, हिंसा, शून्यगर्भी अहंकार और आत्मनाशा बुद्धि छा गई थी। उसकी मति विभ्रान्त हो गई थी। तब क्या श्रीकृष्ण ने भारत को, पंक-शैया से उठाना और नित्य अवमानना से उसका उद्धार करना चाहा था? संभोगमत्त, मदगर्वित, निर्बोध-विकृत क्षात्र-शक्ति के हाथ से शासन छीनकर सद्बुद्धियुक्त सत्पुरुषों के हाथ में देश का दायित्व देना चाहा था? दरिद्र, पीड़ित, मूढ़, मूक, साधारण मनुष्यों की संघ-शक्ति को ही शासन-शक्ति में रूपान्तरित करना चाहा था? क्या इसी कारण उनके विख्यात घोषक-शंख को कोई अन्य नाम न देकर, उसका नाम पाञ्चजन्य रखा गया? क्या उन्होंने इसीलिए राजसूय यज्ञ में साधारण-जन के पाद-प्रक्षालन का भार ग्रहण किया था? ‘पाञ्चजन्य’ ग्रन्थ की महाभारत-कथा में लेखक ने इन्हीं प्रश्नों का उत्तर खोजा है।
Shaldungari Ka Ghayal Sapna
- Author Name:
Manoj Bhakt
- Book Type:

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Description:
शालडुंगरी का घायल सपना झारखंड में विकास की विडम्बना और राजनीति के विद्रूप का आईना है। लेखक ने इस क्षेत्र को बहुत क़रीब से देखा है—यह देखना किसी सैलानी की तरह देखना नहीं है बल्कि एक सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता के तौर पर इसमें सक्रिय साझेदार होना है। इसलिए वे बड़ी सहजता से एक ऐसी कहानी बुन पाए हैं जो बिलकुल शुरू से अपने पाठक को बाँधे रखती है—किसी चटपटी भाषा में नहीं बल्कि बहुत सजीव ढंग से एक ऐसे पाठ में जो बीच-बीच में कारुणिक भी हो उठता है। उपन्यास जहाँ शुरू होता है वहाँ एक मंत्री गाँव के दौरे पर हैं—उनके साथ अफ़सरों और पत्रकारों की टोली है, सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर चलने वाले तमाशे की तैयारी है और महत्त्वाकांक्षाओं के जाल में जकड़ा एक पूरा समाज है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, हमारे सामने एक स्तब्धकारी, अमानुषिक व्यवस्था के कई धागे खुलते जाते हैं। उपन्यास में आदिवासी-संघर्ष और उसके इर्द-गिर्द बनती गई राजनीतिक-सामाजिक छटपटाहट है, विराट शोषण को जवाब देने की तमाम कोशिशें हैं, हॉकी खेलती लड़कियाँ और उनके विकट संघर्ष हैं, एक पूरी सांस्कृतिक चेतना को कुचलने की त्रासदी भी है। मनोज भक्त बस इस त्रासदी की कथा नहीं कहते। वे इसके समानान्तर चल रहे प्रतिरोध को भी साथ दर्ज करते हैं। उपन्यास के अन्त में हॉकी स्टिक लिये मुख्यमंत्री की ओर दौड़ती लड़की के साथ हम भी दौड़ पड़ते हैं और उसे बचाने की कोशिश में हमारी आवाज़ भी शामिल हो जाती है।
मनोज भक्त के पास बहुत समृद्ध और चाक्षुष भाषा है। वे स्थितियों को बिलकुल सजीव कर देना जानते हैं। लेकिन यह भाषा की नहीं, उस वृत्तान्त की भी ताक़त है जिसे मनोज भक्त कई स्तरों पर इस उपन्यास में घटित होने देते हैं। हिन्दी के समकालीन संसार में एक जनजातीय राज्य के बहुफलकीय यथार्थ को इस महीनी से उकेरने वाली रचनाएँ कम हैं। निस्सन्देह यह कृति अपनी विशिष्ट जगह बनाने में सक्षम है।
—प्रियदर्शन
It's You Always And Forever
- Author Name:
Kolgani Babu RP
- Book Type:


- Description: Love is not merely a word but an experience which cannot be described to others. It is a feeling one has for another. How often have we realised that there is an inner voice that speaks to us? Even if we realise that our inner voice is speaking to us, how often do we listen to it? The question often arises whether our inner voice is in conflict with what our mind desires or whether it is but an extension of what we truly are? Contained herein are stories of individuals placed in different situations who gave great importance to their inner voice and unknowingly revealed their hidden selves. In the author’s opinion, our behaviour is inevitably governed by what we believe.
Commonman Narendra Modi
- Author Name:
Kishore Makwana
- Book Type:

- Description: "एक सौ पच्चीस करोड़ नागरिकों की महान् विरासत वाले भारत की जर्जर हालत से त्रस्त आमजन परिवर्तन की ललक में सिर्फ एक व्यक्तित्व पर टकटकी लगाए हुए हैं। एक मामूली किसान से लेकर उद्योगपति और विद्यार्थियों सहित लाखों लोग उनसे प्रभावित हुए हैं तथा भ्रष्टाचार-मुक्त, महँगाई-मुक्त, समर्थ तथा सुदृढ़ भारत के निर्माण के उनके अभियान में शामिल हुए हैं। उन्होंने खुद को एक विकास-पुरुष सिद्ध किया है। विरासत या भाग्य की बदौलत मिली सत्ता के कारण नहीं, बल्कि अनगिनत संकटों और संघर्षों के बीच विकास करके उन्होंने आज लाखों लोगों का दिल जीत लिया है। ऐसे राष्ट्रनायक नरेंद्र मोदी को जानने-समझने की जिज्ञासा-उत्कंठा जन-जन में है। कठोर शासक कहे जानेवाले नरेंद्र मोदी अत्यंत कोमल हृदय के व्यक्ति हैं। उनका हृदय हमेशा पीडि़त-शोषित और अभावग्रस्त लोगों के कल्याण हेतु व्यथित रहता है। कुशल शासक, संगठक, प्रभावी वक्ता, कवि-लेखक-विचारक और दृष्टा जैसे अनेक गुण उनमें कूट-कूटकर भरे हैं। यह पुस्तक नरेंद्र मोदी का जीवन चरित्र नहीं है, बल्कि उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित करने का प्रयासभर है। इसमें नरेंद्र मोदी के जीवन के महत्त्वपूर्ण पड़ाव, व्यक्तित्व, राष्ट्रनिष्ठा कार्यक्षमता और विजन—ये पाँच बिंदु तो हैं ही, साथ ही सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है, नरेंद्र मोदी के जीवन और व्यक्तित्व पर केंद्रित उनका साक्षात्कार। इस साक्षात्कार में नरेंद्र मोदी ने अपने बचपन, संन्यासी बनने की घटना, प्रचारक जीवन, अपनी पसंद-नापसंद, मुख्यमंत्री बनने की घटना और अपने विचार एवं स्वप्न जैसे ढेरों सवालों पर बेबाकी से जवाब दिए हैं।"
Chiwar
- Author Name:
Rangeya Raghav
- Book Type:

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Description:
उपन्यासकार रांगेय राघव ने ‘सीधा सादा रास्ता’ और ‘कब तक पुकारूँ’ जैसे समकालीन विषय-वस्तु पर आधारित उपन्यासों के साथ ऐतिहासिक उपन्यासों से भी हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है। अपनी मार्क्सवादी विश्व-दृष्टि के आधार पर वे प्रत्येक विषय को अपने ख़ास नज़रिए से चित्रित करते हैं।
‘चीवर’ उनके प्रमुखतम ऐतिहासिक उपन्यासों में से एक है। इसमें उन्होंने हर्षवर्धन काल के पतनशील भारतीय सामन्तवाद को रेखांकित किया है। ब्राह्मण और बौद्ध मतों के परस्पर संघर्ष के साथ-साथ मालव गुप्तों, वर्धनों और मौखरियों के बीच राजनीतिक सत्ता के लिए होनेवाला संघर्ष भी हमें यहाँ दिखाई देता है।
भाषा के स्तर पर यह उपन्यास सिद्ध करता है कि शब्दावली अगर घोर तत्समप्रधान हो तब भी उसमें रस की सर्जना की जा सकती है—बशर्ते लेखनी किसी समर्थ रचनाकार के हाथ में हो। यह इस उपन्यास की प्रवहमान भाषा का ही कमाल है कि इसमें विचरनेवाले पात्र, वह चाहे राज्यश्री हो या हर्षवर्धन या कोई और हमारी स्मृति पर अंकित हो जाते हैं।
Laat Ki Vapsi
- Author Name:
Jagdish Chandra
- Book Type:

- Description: अच्छे लोगों की अच्छी दुनिया; बड़ी दुनिया जहाँ सब कुछ खुला-खुला हो, बिलकुल प्रकृति की तरह, बिलकुल ईश्वर की तरह हर वक़्त, हर किसी के लिए। ऐसी ही एक दुर्लभ दुनिया का पुनःसृजन यह उपन्यास करता है। इसके पात्र अपनी सादगी, सच्चाई और सीधे हृदय से उठे आवेगों के चलते हमें कुछ ही समय के लिए सही, एक ऐसी दुनिया में खींच लेते हैं जहाँ कोई हद ऐसी नहीं जिसे लाँघा न जा सके, कोई कुंठा ऐसी नहीं जिसे पिघलाया न जा सके और कोई आँसू इतना अड़ियल नहीं कि दिल में कील गाड़कर बैठ जाए—हर आँसू यहाँ आशीर्वाद की तरह बह जाता है। सुनील के पास भी ऐसे अनेक अनबहे आँसू थे, जो न तो तब बहे जब उसके कठोर पिता उस पर तानों के तीर चलाते थे, न तब बहे जब उसकी माँ किसी दूरस्थ अज्ञात जगह नौकरी के लिए जाते बेटे को देख बिलख पड़ी थी और न तब जब दाएँ हाथ से विकलांग होने पर उसका वायलिनवादक बनने का सपना टूटा था। वे सब आँसू सरदारा सिंह के थप्पड़ खाकर बहे; मौलाबख़्श का बनाया नक़ली हाथ पहनकर बहे; और मुद्दतों बाद वायलिन के तार छेड़कर बहे। अपनी सरल, सुगम और यथार्थवादी भाषा के ज़रिए यह उपन्यास हमें रुके हुए आँसुओं के बह जाने के साथ-साथ उन विराट हृदयों से भी मिलवाता है जो उन आँसुओं का सम्मान करते हैं, सरलता और विनम्रता को मनुष्यता की धरोहर की तरह सँजोकर रखते हैं।
Gita
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

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Description:
‘गीता’ शीर्षक यह उपन्यास पहले ‘पार्टी कामरेड’ नाम से प्रकाशित हुआ था। इसके केन्द्र में गीता नामक एक कम्युनिस्ट युवती है जो पार्टी के प्रचार के लिए उसका अख़बार बम्बई की सड़कों पर बेचती है और पार्टी के लिए फंड इकट्ठा करती है। पार्टी के प्रति समर्पित निष्ठावान गीता पार्टी के काम के सिलसिले में अनेक लोगों के सम्पर्क में आती है। इन्हीं में से एक पदमलाल भावरिया भी है जो पैसे के बल पर युवतियों को फँसाता है। उसके साथी एक दिन उसे अख़बार बेचती गीता को दिखाकर फँसाने की चुनौती देते हैं। गीता और भावरिया का लम्बा सम्पर्क अन्ततः भावरिया को ही बदल देता है।
अपने अन्य उपन्यासों की तरह इस उपन्यास में भी यशपाल देश की राजनीति और उसके नेताओं के चारित्रिक अन्तर्विरोधों को व्यंग्यात्मक शैली में उद्घाटित करते हैं। उपन्यास में कम्यून जीवन का बड़ा विश्वसनीय अंकन हुआ है जिसके कारण इस उपन्यास का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके लिए काफ़ी समय तक यशपाल मुम्बई में स्वयं कम्यून में रहे थे। अपने ऊपर लगाए गए प्रचार के आरोप का उत्तर देते हुए यशपाल उपन्यास की भूमिका में संकेत करते हैं कि वास्तविकता को दर्पण दिखाना भी प्रचार के अन्तर्गत आ सकता है या नहीं, यह विचारणीय है।
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