Aas-Pados
Author:
GulzarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Plays0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
यह ‘आस-पड़ोस’फ़िल्मकार, गीतकार, शायर और कहानीकार गुलज़ार के तीन ड्रामों से मिलकर बना-बसा है। गुलज़ार जिस तरह अल्फ़ाज़ से मनचाहा काम लेते हैं, उसी तरह उन्होंने ‘आस-पड़ोस’में फॉर्म्स को नई शक्ल दी है। लेकिन यह बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात है वह जो इन ड्रामों में कही गई है, बल्कि बहुत सारी बातें। ‘ख़राशें’का सब्जेक्ट दंगे और उनके बीच जीता-लड़ता-मरता-भागता आम आदमी है, और हिन्दू-मुसलमान, भारत-पाकिस्तान होने की उसकी उलझनें हैं जिन्हें सियासत बीच-बीच में कठिन से कठिनतर करती जाती है। ‘लकीरें’उन्हीं सरहदों के बारे में है जो हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के बीच खींची गई हैं। वे लकीरें जिन्हें अवाम के दिलों ने अब तक भी पूरी तरह क़ुबूल नहीं किया, लेकिन सरकारें उन्हीं से अपने कितने काम साधती रहती हैं! ‘अठन्नियाँ’में हमारी मुलाक़ात शहर मुम्बई और उसके तारीक हाशियों में ज़िन्दगी की जंग लड़ते लोगों से होती है। कहानियों और नज़्मों की इस बस्ती में दु:खों की भीड़ी-सीलीं गलियाँ भी हैं, और इनसान के हौसलों और ज़िन्दा रहने की ज़िदों का खुला बहुरंगी आसमान भी है। घने अहसास और हमारे दौर की एक पकी हुई क़लम से उतरी इस बस्ती से आप बार-बार गुज़रना चाहेंगे जिसका ख़ाका कहानियाँ खींचती हैं और उस ख़ाके को साँस की गर्मी और आँखों की नमी देने का काम नज़्में करती हैं।
ISBN: 9788196148706
Pages: 168
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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‘तूफ़ान’ (टेम्पेस्ट) शेक्सपियर का महान सुखान्त नाटक है। 1611-12 में रचित यह उनकी अन्तिम प्रौढ़ रचना मानी गई है। शेक्सपियर की मृत्यु सन् 1616 में हुई थी। इस नाटक की रूमानी भाव-भूमि इसके रचयिता की असाधारण कल्पना-शक्ति और चमत्कारी सृजन-सामर्थ्य के अनेक स्मृति-चिह्न लिए हैं। हैज़लिट के शब्दों में ‘यह शेक्सपियर की सर्वाधिक मौलिक व पूर्ण कृतियों में से एक है और इसमें उन्होंने अपनी सभी प्रकार की शक्तियों का प्रदर्शन कर दिया है।’
इसमें शेक्सपियर के कवि और नाटककार—दोनों ही रूप एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते दिखाई पड़ते हैं। प्रास्पेरो, एरियल और मिरैन्डा की गणना उनके अमर चरित्रों में की जाती है और केलिबान तो साहित्य-समीक्षा के पृष्ठों में सम्भवत: हैमलेट के बाद दूसरा सर्वाधिक चर्चित पात्र है।
नाटक की लीला-भूमि के रूप में शेक्सपियर ने एक कल्पित द्वीप का जो सजीव, विवरणपूर्ण और कमनीय चित्र शब्दों में अंकित किया है, वह बड़े से बड़े कलाकार के लिए एक चुनौती है। इसके अतिरिक्त, प्रास्पेरो के व्यक्तित्व और परिस्थितियों, विशेष रूप से अपनी जादुई कला से सदा के लिए विदा लेकर चिर विश्राम करने की इच्छा में कवि का अपना जो मानस-चित्र उपस्थित हो गया है, उसने भी इस नाटक के महत्त्व को कई गुना बढ़ा दिया है।
कर्त्तव्य एवं सेवा-भावना के आदर्श की प्रतिष्ठा, क्रोध और प्रतिहिंसा पर क्षमा व करुणा की विजय, एरियल और केलिबान के चरित्रों में क्रमश: आकाश व पृथ्वी तत्त्वों का प्रतीकार्थ, सौन्दर्य और प्रेम की मधुर कोमल अनुभूतियाँ, प्रेतों-परियों के अद्भुत कार्य-कलाप और उन्हें वश में करनेवाली प्रचंड मानव-शक्ति, समुद्र में पोत-ध्वंस का लोमहर्षक दृश्य, व्यंग्य और विनोद के चटखारे, ‘रोमांटिक’ और ‘क्लासिक’ का विलक्षण संगम इत्यादि कितने ही अन्य आकर्षण भी आपको इस कालजयी कृति में देखने को मिलेंगे।
Lakshagrih Evam Anya Natak
- Author Name:
Vratya Basu
- Book Type:

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Description:
बांग्ला के प्रख्यात नाटककार और रंगकर्मी व्रात्य बसु से हिन्दी के पाठक अपरिचित नहीं हैं। वर्षों पहले ‘चतुष्कोण' शीर्षक से उनके चार नाटकों का संग्रह हिन्दी में अनूदित होकर आ चुका है, जिसे नाटक-प्रेमी पाठकों के साथ-साथ रंगकर्मियों ने भी बहुत उत्साह के साथ स्वीकार किया।
इस संग्रह में उनके तीन नाटक संकलित हैं—‘लाक्षागृह’, ‘संध्या की आरजू में भोर का सरसों फूल’ और ‘बम’ (बोमा)। व्रात्य बसु का नाटककार अपने समय को लक्षित होता है लेकिन जहाँ से वे अपने वर्तमान को देखते हैं, वह एक वृहत् दृष्टि-बिन्दु है। इस संग्रह में शामिल नाटक भी इसके अपवाद नहीं हैं। ‘लाक्षागृह’ में यदि वे महाभारत की एक घटना को आधार बनाकर मनुष्य की चिरन्तन प्रवृत्तियों की पड़ताल करते हैं तो, ‘संध्या की आरजू...’ के अपने पात्रों को आज के कॉरपोरेट तंत्र में स्थित करते हैं और इधर उभरी नई विडम्बनाओं पर प्रकाश डालते हैं। समय के इस बड़े अन्तराल के बीच ‘बम' की पृष्ठभूमि आज़़ादी के पहले का अविभाजित बंगाल है जिसमें हमें अरविन्द घोष मिलेंगे—ऋषि के रूप में नहीं, क्रन्तिकारी के रूप में...!
इसके अलावा इन नाटकों का सबसे बड़ा आकर्षण इनका भाषा-सौष्ठव और मंचीयता है जो इन्हें एक तरफ़ अभिनेय बनाती है तो दूसरी तरफ़ पठनीय भी। कथ्य स्वयं एक तत्त्व है जिसके लिए इन्हें पढ़ा ही जाना चाहिए।
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