Vasant Ke Hatyare
Author:
Hrishikesh SulabhPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
हृषीकेश सुलभ के कथा-संकलन ‘वसंत के हत्यारे’ की कहानियाँ हिन्दी की यथार्थवादी कथा-परम्परा का विकास प्रस्तुत करती हैं। इन कहानियों में भारतीय समाज की परम्परा, जीवन-दृष्टि, समसामयिक यथार्थ और चिन्ताओं की अभिव्यक्ति के साथ-साथ विकृतियों और विसंगतियों का भी चित्रण है। मनुष्य की सत्ता और प्रवृत्ति की भीतरी दुर्गम राहों से गुज़रते हुए भविष्य के पूर्वाभासों और संकेतों को रेखांकित करने की कलात्मक कोशिश इन कहानियों की अलग पहचान बनाती है। यथार्थ के अन्तःस्तरों के बीच से ढेरों ऐसे प्रसंग स्वतःस्फूर्त उगते चलते हैं, जो हमारे जीवन की मार्मिकता को विस्तार देते हैं। संचित अतीत की ध्वनियाँ यहाँ संवेदन का विस्तार करती हैं और इसी अतीत की समयबद्धता लाँघकर यथार्थ जीवन की विराटता को रचता है।</p>
<p>हृषीकेश सुलभ की कहानियाँ भाषा और शिल्प के स्तर पर नए भावबोधों के सम्प्रेषण की नई प्रविधि विकसित करती हैं। नई अर्थच्छवियों को उकेरने के क्रम में इन कहानियों का शिल्प पाठको को कहीं आलाप की गहराई में उतारता है, तो कहीं लोकलय की मार्मिकता से सहज ही जड़ देता है। जीवन के स्पन्दन को कथा-प्रसंगों में ढालती और जीवन की संवेदना को विस्तारित करती ये कहानियाँ पाठकों से आत्मीय और सघन रिश्ता बनाती हैं।</p>
<p>हृषीकेश सुलभ के कथा-संसार में एकान्त के साथ-साथ भीड़ की हलचल भी है। सपनों की कोमल छवियों के साथ चिलचिलाती धूप का सफ़र है। पसीजती हथेलियों की थरथराहट है, तो विश्वास से लहराते हाथों की भव्यता भी है। भावनाओं और संवेदनाओं के माध्यम से अपना आत्यन्तिक अर्थ अर्जित करती इन कहानियों में क्रूरता और प्रपंच के बीच भी जीवन का बिरवा उग आता है, जो मनुष्य की संवेदना के उत्कर्ष और जिजीविषा की उत्कटता को रेखांकित करता है।
ISBN: 9789387462175
Pages: 128
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Shaadi ka Joker
- Author Name:
Abdul Bismillah
- Book Type:

-
Description:
‘शादी का जोकर’ वरिष्ठ कथाकार अब्दुल बिस्मिल्लाह का महत्त्वपूर्ण कहानी-संग्रह है। इस संग्रह में सत्रह कहानियाँ हैं। अब्दुल बिस्मिल्लाह ने अपनी रचनाशीलता का प्रस्थान व्यापक सामाजिक सरोकारों से निर्मित किया था। उपन्यासों और कहानियों की सार्थक व यशस्वी रचना-यात्रा करने के बाद उनमें नई तरह की सादगी जगमगाने लगी है।
प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ सक्रिय शब्दों में व्यक्त हुई हैं। लेखक ने आम ज़िन्दगी से झाँकती परेशानी, पशेमानी और कशमकश से इन कहानियों के सूत्र सहेजे हैं। पहली ही कहानी ‘ख़ून' रिश्तों की हिफ़ाज़त करनेवाले शख़्स और बेमुरव्वत दुनिया की दास्तान है। 'त्राहिमाम', 'कैलेंडर', ‘महामारी’, ‘तीसरी औरत’ सरीखी रचनाएँ रेखांकित करती हैं कि पठनीयता और सार्थकता की सहभागिता से स्मरणीय का जन्म होता है।
यह उल्लेखनीय है कि एक नैतिक निष्कपट क़िस्सागोई अब्दुल बिस्मिल्लाह की पहचान है। सामाजिक अविश्वास और उत्पीड़न के प्रसंग को 'शादी का जोकर' में अद्भुत अभिव्यक्ति मिली है। बारिश होने पर गाँव की बरात में आए दिल्ली के कला रसिकों का भागना और कला की दशा का बखान ‘तूफ़ानी पहलवान’ के इन शब्दों में है—‘अब सिर्फ़ बच गई अमराई में दोनों चारपाइयाँ, जो भीगती रहीं उस धारासार वर्षा में और आम के तने से चिपटे खड़े रहे तूफ़ानी पहलवान हाथ जोड़े। भीगती रही काँधे से लटकी उनकी ढोलक और उसकी डोरियों से टपकता रहा बूँद-बूँद पानी टप्प-टप्प...।'
ज़ाहिर है कि 'शादी का जोकर' एक उल्लेखनीय कहानी-संग्रह है। कथा-रस के साथ समकालीन सभ्यता में व्याप्त असमंजस की अभिव्यक्ति इसकी विशेषता है।
Kul Barah
- Author Name:
Satyajit Ray
- Book Type:

-
Description:
अपनी फ़िल्मों के जरिये पूरी दुनिया में असाधारण शोहरत हासिल करनेवाले सत्यजित राय ने अपने लेखन से भी अपार लोकप्रियता हासिल की।
अपनी अति व्यस्तता के बावजूद उन्होंने बांग्ला भाषा में जिस विपुल परिमाण में साहित्य लेखन किया, वह किसी को भी विस्मित कर सकता है। अपने पितामह उपेन्द्र किशोर रायचौधरी और पिता सुकुमार राय की तरह किशोरों के लिए साहित्य-सृजन की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने जासूस फेलूदा, वैज्ञानिक प्रोफेसर शंकु और बातूनी तारिणी चाचा जैसे नायाब पात्रों को साकार किया। यथार्थ और कल्पना तथा लौकिक और अलौकिक के मेल से उन्होंने दर्जनों ऐसे पात्रों और प्रसंगों को अपनी कहानियों में जीवन्त किया, जिन्हें भुला पाना असम्भव है।
सत्यजित राय की कहानियाँ अकल्पनीय रहस्य-रोमांच से भरपूर हैं, पर ये कहानियाँ परम्परागत रहस्य-रोमांच की कहानियों से बिलकुल भिन्न एक नई भाव-भूमि, एक नए संसार से साक्षात्कार कराती हैं। उनकी अधिकतर कहानियाँ हमारी जानी-पहचानी जगहों और लोगों के बीच से ही कुछ ऐसा उद्घाटित करती हैं जो हमें रोमांचित कर देता है और हमारी कल्पनाशीलता को नई गति प्रदान करता है।
‘कुल बारह’ की कहानियों में रहस्य-रोमांच के अलावा मानव मन की बारीकियाँ भी नजर आएँगी। कुतूहल से शुरू होने वाली इन कहानियों का कुतूहल कहानी खत्म होने के बाद भी बना रहता है।
Meri Maai
- Author Name:
Dr. Sabiha Rehmani +1
- Book Type:

- Description: मेरी माई' विषय ही ऐसा है, जिस पर नजर पड़ते ही हर व्यक्ति के दिलो-दिमाग में अपनी माँ की तस्वीर उभर आएगी, न चाहते हुए भी वह इसे पढ़ना चाहेगा। इसीलिए इस अमूल्य कृति में माँ और सिर्फ माँ की तस्वीर उभारने की कोशिश की गई है, क्योंकि इस ब्रह्मांड में एक माँ ही है, जिसका अस्तित्व था, है और हमेशा बरकरार रहेगा। माँ है तो सृष्टि है।
Kachhue
- Author Name:
Intizar Hussain
- Book Type:

- Description: ुए’—यह इंतिज़ार साहब का बहुचर्चित कहानी-संग्रह है जिसमें ‘कछुए’ के अलावा दो और ऐसी कहानियाँ (पत्ते वापस) शामिल हैं जो भाषा, शिल्प और कथ्य, गरज़ कि हर पहलू से उस कहानी से अलग हैं जिसे हम प्रेमचन्द के ज़माने से आज तक पढ़ते आए हैं। वह कहानी अपने यथार्थवाद के लिए जानी गई और, समय-समय पर प्रयोग के तौर पर होनेवाले थोड़े-बहुत फेरबदल के साथ, उसका ज़ोर यथार्थ के यथासम्भव प्रामाणिक चित्रण पर ही रहा। इस संग्रह की ये चार, और इससे बाहर की इसी ढंग की कई अन्य कहानियाँ यथार्थ के दृश्य वैभव से बाहर की कहानियाँ हैं, वे समय और स्थान की निर्धारित सीमाओं को लाँघकर हमें एक ज़्यादा व्यापक अनुभव तक ले जाती हैं। इंतिज़ार हुसैन ख़ुद (अगर इनको किसी ख़ाने में रखना ही हो तो) इन कहानियों को ‘जातक कहानी’ नाम देते हैं। ‘मैं जातक कहानी लिखता हूँ। ये नई है या पुरानी, पता नहीं। इतना पता है कि सन् ’36 की हक़ीक़तनिगारी वाली कहानी से इसका कोई नाता नहीं हो सकता कि जातक कहानी हक़ीक़त के उस महदूद तसव्वुर की नफ़ी है जिस पर हक़ीक़तनिगारी की इमारत खड़ी है और उस इनसान दोस्ती की जो उस अफ़साने का ताज समझी जाती है। जातक कहानियाँ पढ़ने के बाद सन् ’36 की इनसान दोस्ती मुझे फ़िरक़ापरस्ती नज़र आती है। जातकों में आदमी कोई अलग फ़िरक़ा नहीं है। सब जीव-जन्तु एक बिरादरी हैं।’ (इसी संग्रह में शामिल ‘नए अफ़सानानिगार के नाम’ से) इनके अलावा बाक़ी की ज़्यादातर कहानियों (‘किश्ती’, ‘दीवार’, ‘रात’, ‘ख़्वाब’ और ‘तक़दीर’) में भी यह जातक-तत्त्व भरपूर ढंग से ज़ाहिर है, हालाँकि इनकी पृष्ठभूमि दूसरी है। शेष कहानियों (‘क़दामत पसंद लड़की’, 31 मार्च, ‘नींद’, ‘असीर’, ‘शोर’ आदि) में भी यथार्थवादी और आधुनिक आग्रहों के अन्तर्विरोधों को रेखांकित करते हुए उनके हास्यास्पद बौनेपन को उकेरा गया है। ‘बेसबब’, ‘सुबह के ख़ुशनसीब’, ‘फ़रामोश’ और ‘बादल’ कुछ खेलती हुई-सी कहानियाँ हैं जो अपने विषय के साथ, बिना कोई जटिल मुद्रा बनाए, एक बेहद सहज और मानवीय विस्मय के साथ पेश आती हैं। निःसन्देह, इंतिज़ार हुसैन की जानी-पहचानी चुटीली-चटकीली कहन तो हर कहानी का हिस्सा है ही।
Pratinidhi Kahaniyan : Mridula Garg
- Author Name:
Mridula Garg
- Book Type:

-
Description:
‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित मृदुला गर्ग का कथा-संसार विविधता के अछोर तक फैला हुआ है। उनकी कहानियाँ मनुष्य के सारे सरोकारों से गहरे तक जुड़ी हुई हैं। समाज, देश, राजनीतिक माहौल, सामाजिक वर्जनाओं, पर्यावरण से लेकर मानव मन की रेशे-रेशे पड़ताल करती नज़र आती हैं। इस संकलन की कहानियाँ अपने इसी ‘मूड’ या मिज़ाज के साथ प्रस्तुत हुई हैं।
मृदुला गर्ग की कहानियाँ पाठक के लिए इतना ‘स्पेस’ देती हैं कि आप लेखक को गाइड बना तिलिस्म में नहीं उतर सकते, इसे आपको अपने अनुसार ही हल करना पड़ता है। यही कारण है कि बने-बनाए फ़ॉरमेट या ढर्रे से, ऊबे बग़ैर, आप पूरी रोचकता, कौतूहल और दार्शनिक निष्कर्ष तक पहुँच सकते हैं। गलदश्रुता के लिए जगह न होते हुए भी आपकी आँखें कब नम हो जाएँ, यह आपके पाठकीय चौकन्ने पर निर्भर करता है। यही मृदुला गर्ग की क़िस्सागोई का कौशल या कमाल है, जहाँ लिजलिजी भावुकता बेशक नहीं मिलेगी, पर भावना और संवेदना की गहरी घाटियाँ मौजूद हैं, एक बौद्धिक विवेचन के साथ।
—दिनेश द्विवेदी
Kachhua Aur Khargosh
- Author Name:
Zakir Hussain
- Book Type:

-
Description:
कुछ रचनाएँ ऐसी भी होती हैं, जो बच्चों के लिए लिखी जाती हैं, लेकिन उनकी शिक्षा या सीख सार्वभौमिक और सार्वकालिक होती है। ‘कछुआ और ख़रगोश’ डॉ. जाकिर हुसैन की ऐसी ही ज्ञानवर्द्धक कहानियों का संकलन है, जिसमें पशु-पक्षियों के बहाने मनुष्य के जीवन के विभिन्न पक्षों को उकेरा गया है।
‘कछुआ और ख़रगोश’ कहानी में विद्वानों और शिक्षकों पर तीखा व्यंग्य किया गया है जो अपने ज्ञान के जाल में मकड़ी की तरह स्वयं उलझ जाते हैं। वास्तविकता और वास्तविक तथ्यों की ओर ध्यान न देकर इधर-उधर भटकते हैं और दूसरों को भटकाते हैं। विद्वान अपनी विद्वत्ता का प्रदर्शन करने के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जो बहुत ही कठिन और गूढ़ होती है। वे यह भूल जाते हैं कि बात जिससे की जा रही है, वह उसे समझ भी रहा है या नहीं। इस कहानी में प्रो. कपचाक़, प्रो. फ़िलकौर और अलफ़लसेफुलहिन्दी ने कहीं-कहीं ऐसी ही भाषा का प्रयोग किया है जो पढ़नेवालों के छक्के छुड़ा देती है।
क़ैद का जीवन जब एक बकरी के लिए इतना कष्टदायक हो सकता है, तो मनुष्य के लिए कितना होगा—यह जानकारी हमें ‘अब्बू ख़ाँ की बकरी’ से मिलती है जिसे आज़ादी के लिए अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। इसी तरह ‘मुर्गी चली अजमेर’, ‘उसी से ठंडा उसी से गरम’, ‘जुलाहा और बनिया’, ‘सच्ची मुहब्बत’, ‘सईदा की अम्मा’ आदि ऐसी कहानियाँ हैं, जो जीवन के विभिन्न पक्षों को अपनी मनोरंजक शैली में प्रस्तुत करती हैं। बच्चों के लिए लिखी गई ये कहानियाँ बड़ों के लिए भी उपयोगी और मनोरंजक हैं।
Maseeha Ki Aankhein
- Author Name:
Balram
- Book Type:

-
Description:
‘मसीहा की आँखें’ में दो किस्म की लघुकथाएँ हैं—पहली लघुकहानी जैसी तो दूसरी लघुव्यंग्य जैसी। दोनों ही किस्म की रचनाएँ अपने लघु कलेवर में गहरी चोट करने की क्षमता से लैस हैं। बलराम का यह संग्रह सही अर्थों में लघुकथा को बहुविध स्थापित तो करता ही है, उसके प्रतिमानों को सर्जनात्मक लेखन से पुष्ट भी कर देता है। अब इसमें कोई सन्देह नहीं रह गया है कि लघुकथा एक सशक्त विधा है। संवाद, संवेदना, भाषा, चरित्र, शिल्प और परिवेश के वे सारे तत्त्व इसके भी वैसे ही अंग हैं, जैसे उपन्यास और कहानी के होते हैं। बलराम ने इसके जरिये उन सारी दलीलों को खारिज कर दिया है कि लघुकथा का कोई भविष्य नहीं। वास्तविकता तो यह है कि आज जब व्यक्ति के पास अधिक समय नहीं है, इस भागमभाग भरी जिन्दगी में यही विधा सबसे कारगर और प्रभावी है। ‘डायरी’ लघुकथा विधा की विकास यात्रा तो कराती ही है, उसके सौन्दर्यशास्त्रीय पक्ष पर भी गहरा मंथन करती है। उल्लेखनीय लघुकथाओं के विवेचन के साथ बलराम ने उनके प्रतिमानों को स्थिर, विन्यास को सुदृढ़ और सर्जनात्मक विधा के रूप में उनकी अन्तर्क्रिया को समझने की एक नई व्यवस्था दी है, जो न सिर्फ लेखकों के लिए उपयोगी है, बल्कि उनके लिए भी विशेष रूप से लाभप्रद है, जो लघुकथा को सही अर्थों में समझना चाहते हैं।
—ज्योतिष जोशी
Sudeshanaa
- Author Name:
Udyan Vajpeyi
- Book Type:

-
Description:
उदयन वाजपेयी की इन कहानियों में हम अतिगल्पधर्मिता के एक ऐसे तत्त्व को सक्रिय देखते हैं, जो हमारी भाषा में एक अनोखी गल्प-सृष्टि का शिलान्यास करता प्रतीत होता है। इन कहानियों का दूसरा तत्त्व इनमें विचार और अनुभूति के वे बारीक और उलझे हुए धागे हैं, जो इन कहानियों की अतिगल्पधर्मिता के बावजूद इन्हें परीकथा की अनुकृति होने से बचाते हुए एक लगभग अप्रचलित-सा कथा-रूप प्रदान करते हैं। हम कह सकते हैं कि ये कहानियाँ परीकथा की अनुकृति नहीं, उसकी पैरोडी हैं।
इन कहानियों का सबसे मुखर और केन्द्रीय, यद्यपि नितान्त अदृश्य चरित्र ‘समय’ है। वस्तुओं, चरित्रों और घटनाओं का अधिष्ठान या निरा एक आयाम होने से अधिक यहाँ यह समय स्वयं वस्तुओं, चरित्रों और घटनाओं के हाथों बनती-मिटती एक हस्ती हैं। ये कहानियाँ समय की रचना करती हैं और (इस तरह) मानो प्रस्तावित करती हैं कि समय का प्रत्येक रूप एक संकल्प-सापेक्ष रचना है।
इन कहानियों की प्रस्तावित-गल्प-सृष्टि हमारे यथार्थ कहे जानेवाले संसार से अनुकूलित होने या उसे अनुकूलित करने के बजाय उसे ‘देखने’ का एक ऐसा ‘लोकस’ उपलब्ध कराती है, जहाँ से स्वयं इस संसार का गल्प उजागर हो सके। दूसरे शब्दों में वे कथा और सृष्टि के बीच मान्य द्वैत का प्रतिकार करती हैं और ऐसा करते हुए वे अपनी विश्वसनीयता की क़ीमत चुकाती हैं। अविश्वसनीयता को ये कहानियाँ अलंकार के नहीं, रस के रूप में प्रस्तावित करती हैं।
और इस सबसे ऊपर इनमें गहरी रागात्मकता और संसक्ति है, जो इनके अन्तर्निहित बौद्धिक तनाव और मुबहम वातावरण को स्पन्दनशील और स्पृहणीय बनाती हैं।
Pratinidhi Kahaniyan : Muktibodh
- Author Name:
Gajanan Madhav Muktibodh
- Book Type:

- Description: मुक्तिबोध यानी वैचारिकता, दार्शनिकता और रोमानी आदर्शवाद के साथ जीवन के जटिल, गूढ़, गहन, संश्लिष्ट रहस्यों की बेतरह उलझी महीन परतों की सतत जाँच करती हठपूर्ण, अपराजेय, संकल्प-दृढ़ता। नून-तेल-लकड़ी की दुश्चिन्ताओं में घिरकर अपनी उदात्त मनुष्यता से गिरते व्यक्ति की पीड़ा और बेबसी, सीमा और संकीर्णता को मुक्तिबोध ने पोर-पोर में महसूसा है। लेकिन अपराजेय जिजीविषा और जीवन का उच्छल-उद्दाम प्रवाह क्या ‘मनुष्य’ को तिनके की तरह बहा ले जानेवाली हर ताक़त का विरोध नहीं करता? जिजीविषा प्रतिरोध, संघर्ष, दृढ़ता, आस्था और सृजनशीलता बनकर क्या मनुष्य को अपने भीतर के विराटत्व से परिचित नहीं कराती? मुक्तिबोध की कहानियाँ अखंड उदात्त आस्था के साथ आम आदमी को उसके भीतर छिपे इस स्रष्टा महामानव तक ले जाती हैं। अजीब अन्तर्विरोध है कि मुक्तिबोध की कहानियाँ एक साथ विचार कहानियाँ हैं और आत्मकथात्मक भी। मुक्तिबोध की कहानियाँ प्रश्न उठाती हैं—नुकीले और चुभते सवाल कि ‘ठाठ से रहने के चक्कर से बँधे हुए बुराई के चक्कर’ तोड़ने के लिए अपने-अपने स्तर पर कितना प्रयत्नशील है व्यक्ति? मुक्तिबोध की जिजीविषा-जड़ी कहानियाँ आत्माभिमान को बनाए रखनेवाले आत्मविश्वास और आत्मबल को जिलाए रखने का सन्देश देती हैं—भीतर के ‘मनुष्य’ से साक्षात्कार करने के अनिर्वचनीय सुख से सराबोर करने के उपरान्त।
Pratinidhi Kahaniyan : Bhishma Sahni
- Author Name:
Bhisham Sahni
- Book Type:

- Description: भीष्म साहनी के कथा-साहित्य से गुज़रना अपने समय को बेधते हुए गुज़रना है। हिन्दी के प्रगतिशील कहानीकारों में उनका स्थान बहुत ऊँचा है। यहाँ उनके सात कहानी-संग्रहों से प्राय: सभी प्रतिनिधि कहानियों को संकलित कर लिया गया है। युग-सापेक्ष सामाजिक यथार्थ, मूल्यपरक अर्थवत्ता और रचनात्मक सादगी इन कहानियों के कुछ ऐसे पहलू हैं, जो हमारे लिए किसी भी काल्पनिक और मनोरंजक दुनिया को ग़ैर-ज़रूरी ठहराते हैं। विभिन्न जीवन-स्थितियों में पड़े इनके असंख्य पात्र आधुनिक भारतीय समाज की अनेक जटिल परतों को पाठकों पर खोलते हैं। उनकी बुराइयाँ, उनका अज्ञान और उनके हालत व्यक्तिगत नहीं, सार्वजनीन और व्यवस्थाजन्य हैं। इसके साथ ही इन कहानियों में ऐसे चरित्रों की भी कमी नहीं, जो गहन मानवीय संवेदना से भरे हुए हैं और अपने-अपने यथास्थितिवाद से उबरते हुए एक सार्थक सामाजिक बदलाव के लिए संघर्षरत शक्तियों से जुड़कर नया अर्थ ग्रहण करते हैं। वे न तो अपनी भयावह और दारुण दशा से आक्रान्त होते हैं न निराश, बल्कि अपने साथ-साथ पाठकों को भी संघर्ष की एक नई उर्जा से भर जाते हैं।
Shreshtha Bal Kahaniyan part 4
- Author Name:
Prakash Manu
- Book Type:

- Description: A Collection of Hindi short stories for children, compiled and edited by Prakash Manu.
Cricket Ka Mahabharat
- Author Name:
Sushil Doshi
- Book Type:

-
Description:
सुशील दोषी क्रिकेट की जानी-मानी शख़्सियत हैं। क्रिकेट को भारत में लोकप्रिय बनाने एवं घर-घर में कमेंटरी के ज़रिए पहुँचाने में उनका नाम सर्वोपरि है। सशक्त व दिल छूनेवाली आवाज़ तथा आकर्षक शैली के कारण उनकी हिन्दी कमेंटरी ही नहीं, उनका लेखन भी लुभाता रहा है। इस पुस्तक के ज़रिए वह क्रिकेट कहानियों के नए क्षेत्र में क़दम रख रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है, यह पुस्तक उनकी कमेंटरी की तरह ही यादगार बन जाएगी।
—संजय जगदाले (पूर्व सचिव, बी.सी.सी.आई., पूर्व चयनकर्ता व अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रशिक्षक)
सुशील दोषी की कमेंटरी तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। करोड़ों लोगों के साथ मैं भी उनका प्रशंसक हूँ। इस कहानी-संग्रह को आप दिलचस्प पाएँगे। महाभारत व क्रिकेट का मिश्रण अत्यन्त रोचक है। दुनिया में क्रिकेट की पृष्ठभूमि पर कहानियों का अभाव है। इस अभाव को दूर करने की दिशा में किया गया यह रचनात्मक प्रयास प्रशंसा के क़ाबिल है। सुशील सर को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएँ।
—नरेन्द्र हिरवानी (क्रिकेट खिलाड़ी, विश्व रिकॉर्ड होल्डर, पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता, ख्यात प्रशिक्षक)
सुशील दोषी ने क्रिकेट क्षेत्र में व्याप्त समस्त ग्राह्य तथा अग्राह्य व्यक्ति व्यवहारों को परिलक्षित करते हुए ‘महाभारत’ के पात्रों को आधार बनाकर कथाओं का सृजन किया है। उन्हें पढ़ते हुए हम बिना किसी प्रयास के कथावस्तु व ‘महाभारत’ में सहज सम्बन्ध खोज लेते हैं। सुशील जी का यह अनूठा प्रयास सराहनीय है। महर्षि वेद व्यास ने ‘महाभारत’ में स्वयं कहा है—‘‘यन्नेहास्ति न कुत्रचित्।’’ यानी जिस विषय की चर्चा इस ग्रन्थ में नहीं है, उसकी चर्चा अन्यत्र कहीं भी उपलब्ध नहीं है। ठीक उसी प्रकार से खेल में अपेक्षित तथा अवांछित कृत्यों का उल्लेख सुशील जी की इस पुस्तक में नहीं है, तो कहीं भी नहीं है। विषय वस्तु की गहरी पकड़ व भाषा की दिल छूनेवाली सरलता उनके स्वभाव को ही प्रदर्शित करती है। शुभकामनाएँ।
—मिलिन्द महाजन
Thigaliyan
- Author Name:
Nirmal Verma
- Book Type:

-
Description:
निर्मल जी की कहानियाँ हमें जीवन के किसी अदेखे से पल को उसके पूरे विस्तार में फैलाकर थमा देती हैं। एक साधारण से मनुष्य के इर्द-गिर्द लिपटी चलती पीड़ा की झीनी-सी परत सहसा एक बड़े फलक पर अर्थवान हो उठती है; हर जगह अदेखे से जिये जाते सामान्य-साधारण लोगों को उनकी उसी साधारणता में आलोकित कर देने की इसी कला को निर्मल वर्मा की भाषा और दृष्टि का जादू कहा जाता है।
‘थिगलियाँ’ में निर्मल जी की अभी तक असंकलित कहानियाँ पहली बार एक साथ प्रकाशित हो रही हैं। इनमें से ज़्यादातर कहानियाँ साठ के दशक में लिखी गईं और विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। इन कहानियों में जो विशेष है, वह है पात्रों की मन:स्थितियों और उनके सामाजिक भूगोल का अत्यन्त स्पर्श्य चित्रांकन।
ये कहानियाँ न अपने मन्तव्य को ऊँचे स्वर में घोषित करती हैं, न दुख के उस तार को कहीं ढीला पड़ने देती हैं, जिसको चिह्नित करना ही लेखक का उद्देश्य है—उसके पूरे तनाव के साथ। इतिहास और समाज के विराट विस्तार में अवस्थित सामान्य लोगों की सामान्य दैनंदिनी के ये महीन चित्र नाटकीय घटनाओं के निर्जीव विवरणों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा वास्तविक लगते हैं।
‘रिश्ते’ के महीप, एला और सुरमा, ‘बैगाटेल’ के हेमंती और सुमेर, ‘थिगलियाँ’ की चंदा बीबी और मास्टर जी, ‘रात और दिन’ की प्रेमा, ‘इशारे’ के अमर बाबू—ये सभी पात्र उतने ही आम हैं, जितना हर कोई होता है, और उतने ही ख़ास भी।
इस पुस्तक में निर्मल जी के दो अपूर्ण उपन्यास भी शामिल हैं।
Sherpur 15 Meel
- Author Name:
Vijay Mohan Singh
- Book Type:

-
Description:
हिन्दी कहानी और मुख्यत: साठोत्तरी कहानी के प्रमुख प्रवक्ता तथा उसके प्रवर्तकों में एक थे विजयमोहन सिंह। उनके पहले कहानी-संग्रह ‘टट्टू सवार’ से ‘शेरपुर 15 मील’ की कथायात्रा बहुत लम्बी है—वह महज़ 15 मील नहीं है। एक कहानीकार के रूप में विजयमोहन सिंह किसी मुख्य धारा में शामिल नहीं रहे—न नई कहानी की, न साठोत्तरी कहानी की। वे किसी विचारधारा विशेष के जयघोषों के अश्वारोही भी नहीं रहे और न आधुनिकता से आक्रान्त, प्राय: उसकी प्रतिकृतियाँ रचनेवाले कथाकारों से प्रभावित। उन्होंने प्रारम्भ से ही अपना निजी शिल्प तथा कथा-भाषा निर्मित की। लेकिन अपने विकासक्रम में वह कभी शिलीभूत या जड़ीभूत न होकर निरन्तर अपनी ऊर्जा के स्रोतों तथा शिल्प की छवियों का विविध दिशाओं में अन्वेषण करते रहे।
संग्रह की अधिकांश कहानियाँ स्वतंत्रता के बाद के पतनशील सामन्त वर्ग की क्रमिक मृत्यु का प्राय: अनुक्षण साक्षी बनकर उसे अंकित करती गई हैं किन्तु यह ‘सामन्त वर्ग’ रूढ़ अर्थ में एक परिभाषित सामन्तवर्ग ही नहीं है : वह नवधनाढ्य सपनों का सामन्त वर्ग भी है और अपनी विरूपता में भी अपने को सहेजने में सचेष्ट, कभी हास्यास्पद परिणतियों में बिखरता हुआ और कभी त्रासदीय विडम्बनाओं में विलीन होता हुआ वर्ग विशेष भी।
इन कहानियों में सामान्यीकृत तथा सरलीकृत स्थितियों तथा निष्कर्षों से भरसक बचा गया है, क्योंकि इधर की हिन्दी की अधिसंख्य कहानियाँ उसी का शिकार होती गई हैं। इसलिए यह? एक वर्ग ऐसा भी है जो उपनिवेशी अवशेषों को ढोता हुआ, अपनी सलवटों को सहेजता हुआ ‘डॉनस्कघेंटिक’ लीलाओं में लिप्त है। वह दूसरों की पू्रनिंग करता हुआ इस तथ्य से अनभिज्ञ रहता है कि वह इस क्रम में निरन्तर अपनी ही पू्रनिंग करता हुआ अस्तित्वहीन हुआ जा रहा है। इन कहानियों में मृत्यु एक केन्द्रीय विषय है, लेकिन हमेशा वह अभिधा में नहीं है, कभी वह रूपक, कभी प्रतीक और कभी केवल एक बुनियादी तथा अन्तिम सत्य का अहसास-भर है। ये कहानियाँ आधुनिकता से ग्रस्त नहीं हैं, न शीत-युद्धकालीन ‘रेटारिक’ आक्रमण-प्रत्याक्रमण से। ये महज़ आज के मानवीय परिदृश्य की रचनात्मक अंकितियाँ हैं।
Sambandh
- Author Name:
Maneshwar Manuj
- Book Type:

- Description: Collection of Maithili Short Stories
Nahar Mein Bahati Lashen
- Author Name:
Raju Sharma
- Book Type:

- Description: ‘नहर में बहती लाशें’ कथाकार राजू शर्मा का चर्चित कहानी-संग्रह है। अपनी कहानियों से राजू शर्मा ने जो ख्याति अर्जित की है, उसे कई अर्थों में ख़ास कहा जा सकता है। वे एक ऐसे रचनाकार हैं जो प्रचलित परिपाटियों, मुहावरों, आशयों और सुविधाओं से वीतराग दूरी बनाते हुए अभिव्यक्ति के बेपहचाने बीहड़ रास्ते तलाश करते हैं। राजू शर्मा यथार्थ का उत्खनन करते हैं। इस प्रक्रिया में वे धारणाओं, विमर्शों और निष्कर्षों से टकराते हैं। जटिल रचनात्मक जद्दोजेहद के बाद वे किसी वृत्तान्त के बहाने समय का अप्रत्याशित चेहरा प्रकट करते हैं। इन कहानियों को 'निरी साहित्यिक संरचना' कहना, सम्भवत: इनकी अर्थसमृद्धि को सीमित करना है। राजनीति, अर्थशास्त्र, संस्कृति, प्रशासन, परम्परा और आधुनिकता की प्रखर समझ के कारण राजू शर्मा 'सभ्यता के संकटों' पर व्यापक बहस का प्रस्थान बनाते हैं। इस संग्रह की कहानियों में आश्वस्तकारी वैविध्य है। यह विविधता उस एकरूपता-एकरसता का निषेध है जिससे कई बार हिन्दी कहानी आक्रान्त हो उठती है। नेहरूयुगीन संकल्पों-स्वप्नों के मोहभंग से लेकर एकान्त में स्पन्दित आसक्तियों के संगीत तक इन रचनाओं का विस्तार है। इनमें प्रेम और आकर्षण के अद्भुत चित्र हैं। सर्वोपरि यह कि राजू शर्मा भाँति-भाँति से उस सार्थकता का अनुसन्धान करते हैं जो व्यक्ति, समाज और व्यवस्था में विलुप्तप्राय पक्षी हो गई है। भाषा भी राजू शर्मा की रचनात्मक उपलब्धियों का एक आयाम है। इच्छित अर्थ के सर्वाधिक निकट पहुँचती, गद्य की अपूर्व लय से सम्पन्न और सर्जनात्मक दार्शनिकता से युक्त कथाभाषा प्रस्तुत कहानी-संग्रह को अविस्मरणीय बनाती है। एक महत्त्वपूर्ण कहानी-संग्रह।
Ek Ladki, Paanch Deevane
- Author Name:
Harishankar Parsai
- Rating:
- Book Type:

-
Description:
एक लड़की है जिसे उसके दीवानों ने और मुहल्ले-भर की भूखी नज़रों ने जवान और चतुर बना दिया; फिर एक चूहा है जो रोज़ रात में गृह-निवासी के सिरहाने तब तक सत्याग्रह करता रहा जब तक कि उसे नियमित खाना नहीं दिया जाने लगा; अकाल का उत्सव है जिसके लिए जमाखोर, मुनाफ़ाखोर और नौकरशाही सालभर अनुष्ठान कराते हैं कि कब अकाल पड़े, कब दिन फिरें...और फिर नाक है, एक नहीं कई-कई तरह की। कुछ कट जाती हैं, फिर बढ़ जाती हैं, कुछ ऐसी कि चाहे जो जतन करो, कटती ही नहीं; फिर एक आदमी है जिसके भीतर दो आदमी हैं; कभी एक ऊपर आ जाता है, कभी दूसरा हावी हो जाता है।
आगे सड़े हुए आलू प्रवेश करते हैं। वे सुबह से टोकरे में पड़े हैं, पर बिक नहीं पाए। उनसे पूछा गया कि अब तुम क्या करोगे तो बोले कि हम विद्रोह करेंगे। चाहे आधी रात तक टोकरे में पड़े रहें, बिकेंगे नहीं। हम भी आत्मसम्मान रखते हैं। देखने में वे कुछ बुद्धिजीवी मालूम पड़ रहे थे लेकिन एक सस्ते होटल वाला आया और उन्हें ख़रीद ले गया।
इनके अलावा भी इस किताब में कई पात्र और परिस्थितियाँ हैं जिन्हें परसाई जी की निर्मम लेखनी ने यहाँ संग्रहीत व्यंग्य-कथाओं में उनकी तमाम विडम्बनाओं और विकृतियों के साथ अंकित किया है।
Pratiroop
- Author Name:
Manoj Kumar Pandey
- Book Type:

-
Description:
प्रतिरूप मनोज कुमार पांडेय का पाँचवाँ कहानी-संग्रह है। इस संकलन में मौजूद सभी कहानियाँ अपने आपको अलग-अलग ढंग से कहती हैं। स्मृति, स्वप्न, फंतासी, स्वगत, एकालाप, इन सभी विधियों से उन्होंने जीवन के कुछ विशिष्ट क्षणों को पकड़ा है। बचपन का चित्रण इस संग्रह की एकाधिक कहानियों में हुआ है; और वह सचमुच ही हम सबकी स्मृतियों के इस मूल्यवान खंड को आलोकित कर जाता है। ‘खेल’ और ‘बिच्छू’ इस लिहाज से बेहद सशक्त कहानियाँ हैं।
प्रेम को महसूस करने और एक रचनाकार की हैसियत से उसे शब्द देने की कला उनके पास अनुपम है। इस संग्रह में शामिल ‘पुरइन की ख़ुशबू’ जितनी कहानी है, उससे ज्यादा कविता है जो गन्ध की तरह हमारे अनुभव का हिस्सा हो जाती है। इसी तरह ‘पैर’ शीर्षक कहानी भी, जो प्रेम के एहसास को संवेदना के एक अपेक्षाकृत वयस्क इलाक़े में लेकर जाती है। दरअसल, कवि-कथाकार मनोज पांडेय ने कविता और कहानी दोनों ही विधाओं में अपनी एक निजी भाषा विकसित की है। कहानी की बात करें तो भाषा के साथ विभिन्न कथा-प्रविधियों में काम लेने की भी उनमें अद्भुत क्षमता है।
‘जेबकतरे का बयान’ और ‘तितलियाँ’ भी ग़ैर-पारम्परिक इलाकों में देखने की उनकी ललक को दर्शाती हैं जिनमें उन्होंने सभ्य समाज की निगाह में अपराधी माने जाने वाले लोगों के मन में झाँकने की कोशिश की है। समकालीन समय की राजनीतिक, सामाजिक और पेशागत कई चुनौतियों को सम्बोधित कहानियाँ भी इस संग्रह में शामिल हैं जो हमारे समय की भयावहताओं को अलग-अलग ढंग से रेखांकित करती हैं।
एक पठनीय कथा-संग्रह!
Offline Girlfriend Dil Dhoondhta Hai
- Author Name:
Abhishek Tripathi
- Book Type:

- Description: Book
Gyangarh ki Ladai
- Author Name:
Balraj Pandey
- Book Type:

- Description: s 'ज्ञानगढ़ की लड़ाई' ग्यारह कहानियों का संग्रह है। 20-25 वर्षों का लेखन—ग्यारह कहानियाँ। लिखने के सम्मोहन और कहानीकार कहलाने की कामना से कोसों दूर। लेकिन जब लिखा तो उस मेहतर की तरह लिखा जो साफ-सुथरेपन को कर्तव्य की तरह पूरा करता हो, दिनचर्या की तरह निभाता-भर नहीं हो। बलराज पांडेय आदर्शवादी, साफ-सुथरी कहानियों वाली लेखन-परंपरा के कहानीकार नहीं हैं। प्रतीकवादी कहन भी इन कहानियों की विशेषता नहीं। ये कहानियाँ प्रगतिशील परंपरा में, यथार्थवादी धारा की कहानियाँ हैं। यथार्थवादी धारा में भी, विरूपण (डिस्टार्शन) की कला के सहारे विद्रूपता का चित्रण इन कहानियों का शिल्प है। विद्रूपता के इस चित्रण में उपहास नहीं, बल्कि विडम्बना को उजागर करने वाली वह ट्रैजिक स्थितियाँ हैं, जिनमें पाखंड, भ्रष्टाचार, निकृष्टताएँ, दुरभिसंधियाँ, छल-प्रपंच, रीढ़हीनता, चाटुकारिता, पीठ-पीछे वार करने वाली निरीहता को जीने और पोषित करने वाले लोग हैं। धिक्कार, ज़ाहिर हो जा, है तू जैसा, प्रोन्नति का फेर, इंटरव्यू, तस्मै श्री गुरवे नम:, अध्यक्ष जी का वसंतोत्सव, ज्ञानगढ़ की लड़ाई आदि कहानियों को इन किरदारों के साथ पढ़ा जा सकता है। ये सभी किरदार जाने-पहचाने वास्तविक किरदार हैं। यह संग्रह शिक्षण-संस्थानों, उनके विभागों, उन विभागों में पदासीन आचार्यों की कार्य-संस्कृति, उनके बीच की अंदरूनी ख्वाहिशात, चालबाजि़यों और धूर्तताओं का रंगीन हलफनामा है। नैतिकता और मूल्यों के क्षरण-मरण का कथात्मक मर्सिया। इन कहानियों के बहाने आप देश के सभी विश्वविद्यालयों के हिन्दी-विभागों के खद्दो-खाल को पढ़ सकते हैं, देख सकते हैं।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...