Rajdhani Kab Aayegi
Author:
Martin JohnPublisher:
Antika Prakashan Pvt. Ltd.Language:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 287
₹
350
Available
सामाजिक ताने-बाने में तेज़ी से हो रहे परिवर्तन, भगवान बनते जा रहे बाज़ार का दबाव, लगातार ज़्यादा ही मसरूफ होते जा रहे इन्सान की निरंतर भोथरी होती जा रहीं संवेदनाओं, हवस और रुतबे की अकड़ में अमानवीय होते जा रहे लोगों के अवैध नैक्सस जैसे मसलों को लेकर मार्टिन जॉन की चिंताएँ उनकी इस संग्रह की कहानियों में अलहदा ढंग से अभिव्यक्त हुई हैं। रेलकर्मी होने का उनका अनुभव और निजी जीवन-रुचियों के आत्मिक संस्पर्श इन चिंताओं को और ज़्यादा विश्वसनीय, ऐंद्रिक लगाव से भरपूर, जीवंत, चाक्षुष और विशिष्ट बनाकर परोसने में काफी मददगार साबित होते हैं। रेल-जीवन और रेलवे क्वार्टर हिंदी में कुछ ही कहानीकारों की रचनाओं में विश्वसनीय ढंग से आए हैं। इस रूप में रामदेव सिंह के बाद मार्टिन जॉन ही फिलहाल याद आ रहे हैं। 'राजधानी कब आएगी' की इंक्वायरी काउंटर पर काम कर रही तरुलता, उसके सीनियर सी.बी.एस. अंकल, मनचले पसेंजरों की बेहूदगी और रेलवे महकमे में व्याप्त अफसर-नेता नैक्सस आदि के चित्रण इतने विश्वसनीय और प्रभावशाली बन पड़े हैं कि यह कहानी लंबे समय तक पाठकों के जेहन में टिकी रहेगी। कहानीकार मार्टिन जॉन की कलम का कमाल है कि बाग-बागवानी और पक्षी-प्रेम यहाँ पर्यावरण चिंता मात्र न रहकर सामाजिक ताने-बाने के अंग बनकर सामने आते हैं। कोविड के दौर में गुलाब के फूल मात्र ही मज़हबी नफरतों के शिकार नहीं होते (रौंदे हुए फूल) मानवीय विश्वास भी दरकता है। 15 अगस्त के दिन शांतिदूत कबूतर के खून बहाने वाले और गांधी-नेहरू की तस्वीर पर पत्थर फेंकने वाले लोग हमारे समाज में किस तरह पैठ बना चुके हैं; बिना लाउड हुए लेखक बता देता है। —गौरीनाथ
ISBN: 9789391925772
Pages: 112
Avg Reading Time: 4 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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