Jahan Lakshmi Quaid hai

Jahan Lakshmi Quaid hai

Author:

Rajendra Yadav

Language:

Hindi

Category:

Short-story-collections

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Book Details

साहित्य की धारा जहाँ मोड़ लेकर सारे परिदृश्य को नया कर देती है, निश्चय ही वहाँ कुछ रचनाएँ होती हैं। ‘जहाँ लक्ष्मी क़ैद है’ ऐसी ही एक कहानी है। ‘नई कहानी’ आन्दोलन की एक आधार-कथा रचना के रूप में ‘जहाँ लक्ष्मी क़ैद है’ का उल्लेख किए बिना स्वतंत्रता के बाद की हिन्दी कहानी को नहीं समझा जा सकता।</p>
<p>स्वतंत्रता ने जिन सपनों को जगाया था, उन्हें आपसी सम्बन्धों में तिलमिल कर टूटते देखना, महसूस करना और लिखना हिन्दी कहानी को नया स्वरूप दे रहा था। सम्बन्धों, मानसिकताओं और भाषा में उतरती द्वन्द्वात्मकता में अकेला, अनसमझा व्यक्ति मोहभंग की त्रासदी का साक्षात् प्रतीक है।</p>
<p>हालाँकि ‘नई कहानी’ का प्रारम्भ ‘प्रतीक’ (सम्पादक अज्ञेय) के अगस्त, 1951 के अंक में प्रकाशित राजेन्द्र यादव की कहानी ‘खेल-खिलौने’ से माना जाता है, मगर ‘जहाँ लक्ष्मी क़ैद है’ ‘नई कहानी’ आन्दोलन का अनिवार्य कथा-संग्रह है।</p>
<p>इसी संग्रह में है ‘एक कमज़ोर लड़की की कहानी’ नाम की दूसरी बेहद चर्चित कहानी। ‘लंच टाइम’ और ‘रौशनी कहाँ है’ जैसी कहानियाँ सिर्फ़ ऐतिहासिक दृष्टि से ही महत्तपूर्ण नहीं हैं, वे आज भी प्रासंगिक हैं।</p>
<p>‘जहाँ लक्ष्मी क़ैद है’ संग्रह को पढ़ना एक पीढ़ी के मानसिक इतिहास से होकर गुज़रना है।

ISBN: 9788183613453

Pages: 166

Avg Reading Time: 6 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

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