Pratinidhi Kahaniyan : Usha Priyamvada
Author:
Usha PriyamvadaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections3 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
उषा प्रियम्वदा को पढ़ना एक साथ बहुत से बिम्बों में घिर जाना है। बिम्ब जो घुमड़ते बादलों की तरह अनायास तैरते चले आते हैं और एक सार्थक संगति में गुँथकर पहले दृश्य का रूप लेते हैं। कहानियों में परम्परा के निर्वहण की अभ्यस्तता और उसे तोड़ देने की सजगता एक साथ गुँथी हुई मिलती है।
1952 से 1989 तक के कालखंड में फैली उषा प्रियम्वदा की कहानियों का अधिकांश साठ के दशक में उनके विदेश प्रवास के बाद आया है। ज़ाहिर है, डायस्पोरा मनोविज्ञान रिवर्स कल्चरल शॉक से उबरने की क्रमिक प्रक्रिया को नॉस्टेल्जिया में तब्दील कर देता है। इसलिए उषा जी की कहानियों की ज़मीन भले ही विदेशी हो गई हो, वहाँ की खुली संस्कृति और उदार वर्जनामुक्त माहौल से सम्बन्धों में सहजता और कुंठाहीनता पनपी हो, लेकिन उनकी नायिका स्वयं को भारतीयता के संस्कारों से मुक्त नहीं कर पाई है। यही वजह है कि दाम्पत्येतर प्रेम सम्बन्ध बनाते हुए भी वह अपराध-बोध और लोकापवाद के भय से ग्रस्त रहती है। सरपट दौड़ते हुए अचानक ठिठककर खड़े हो जाना, और फिर बिना कुछ कहे अपनी खोह में दुबक जाना उनकी स्त्री की विशेषता है। उषा जी बेहद महीन और कलात्मक पच्चीकारी के साथ उसके चारों ओर रहस्यात्मकता का वातावरण बुनती हैं, जो एक सम्मोहक तिलिस्म का रूप धरकर पाठक के भीतर सीढ़ी-दर-सीढ़ी उतरता चला जाता है, ठीक कृष्णा सोबती की लम्बी कहानी 'तिन पहाड़' की जया की तरह।
ISBN: 9788126730483
Pages: 152
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Description:
हृषीकेश सुलभ के कथा संकलन ‘हलंत’ की कहानियाँ हिन्दी की यथार्थवादी कथा-परम्परा का विकास प्रस्तुत करती हैं। इन कहानियों में भारतीय समाज की परम्परा, जीवनदृष्टि, समसामयिक यथार्थ और चिन्ताओं की अभिव्यक्ति के साथ-साथ विकृतियों और विसंगतियों का भी चित्रण है। मनुष्य की सत्ता और प्रवृत्ति की भीतरी दुर्गम राहों से गुज़रते हुए भविष्य के पूर्वाभासों और संकेतों को रेखांकित करने की कलात्मक कोशिश इन कहानियों की अलग पहचान बनती है। यथार्थ के अन्त:स्तरों के बीच से ढेरों ऐसे प्रसंग स्वत:स्फूर्ति उगते चलते हैं, जो हमारे जीवन की मार्मिकता को विस्तार देते हैं। संचित अतीत की ध्वनियाँ यहाँ संवेदन का विस्तार करती हैं और इसी अतीत की समयबद्धता लाँघकर यथार्थ जीवन की विराटता को रचता है।
हृषीकेश सुलभ की कहानियाँ भाषा और शिल्प के स्तर पर नए भावबोधों के सम्प्रेषण की नई प्रविधि विकसित करती हैं। नई अर्थछवियों को उकेरने के क्रम में इन कहानियों का शिल्प पाठकों को कहीं आलाप की गहराई में उतारता है, तो कहीं लोकलय की मार्मिकता से सहज ही जोड़ देता है। जीवन के स्पन्दन को कथा-प्रसंगों में ढालती और जीवन की संवेदना को विस्तृत करती ये कहानियाँ पाठकों से आत्मीय और सघन रिश्ता बनाती हैं।
हृषीकेश सुलभ के कथा-संसार में एकान्त के साथ-साथ भीड़ की हलचल भी है। सपनों की कोमल छवियों के साथ चिलचिलाती धूप का सफ़र है। पसीजती हथेलियों की थरथराहट है, तो विश्वास से लहराते हाथों की भव्यता भी है। भावनाओं और संवेदनाओं के माध्यम से अपना आत्यन्तिक अर्थ अर्जित करती इन कहानियों में क्रूरता और प्रपंच के बीच भी जीवन का बिरवा उग आता है, जो मनुष्य की संवेदना के उत्कर्ष और जिजीविषा की उत्कटता को रेखांकित करता है।
Tukdon Tukdon Mein Aurat
- Author Name:
Mamta Mehrotra
- Book Type:

- Description: ‘‘हाँ! क्या मामला है? न्याय की प्रक्रिया शुरू की जाए।’’ ‘‘जी, ये इस शहर के एक युवक के साथ शहर की सीमा पार कर रही थी। यह जुर्म किया है इसने।’’ ‘‘नहीं! मैंने जुर्म नहीं किया है। इस युवक ने मेरे आगे पेशकश की थी कि यह मुझे गाँव छोड़ आएगा। वहाँ मेरे बच्चे भूखे हैं। मैं उनके लिए रोटी लेकर जा रही थी।’’ ‘‘पाप! अब तो तुमने महापाप किया है। शहर की रोटी गाँव लेकर जा रही थी। तुमको दंड मिलेगा और युवक की गलती भी नहीं है। जरूर एक स्त्री होकर तुमने उसको पथभ्रमित किया होगा। कोई पुरुष इतना साहसिक कदम उठा ही नहीं सकता है, अगर स्त्री उसको न उकसाए।’’ —इसी संग्रह से प्रस्तुत संग्रह की अधिकांश कहानियाँ नारी के अस्तित्व की लड़ाई को दरशानेवाली हैं। कैसे एक महिला समाज में हर स्तर पर प्रताड़ना और अवहेलना झेलती है। उसका किस प्रकार शोषण होता है। नारी के जीवन जीने की जद्दोजहद को लेखिका ने इन कहानियों में बड़ी सूक्ष्मता और सहजता से अभिव्यक्त किया है। समस्त कहानियाँ कहीं-न-कहीं हमारे अंदर की दोयम सोच एवं खोखलेपन को बखूबी दरशाती हैं। पठनीयता से भरपूर, मन को उद्वेलित करनेवाली कहानियाँ।
The Sentient God
- Author Name:
Santanu Kumar Acharya
- Rating:
- Book Type:

- Description: "The Sentient God" is a collection of award-winning Odia short stories written by Santanu Kumar Acharya. The book includes 11 stories that are rooted in folklore and myth and cover a range of genres, including fantasy, humor, horror, crime, and romance. The stories are set in villages, small towns, and cities, and will entertain and lighten the mood while also prompting readers to reflect on deep questions about life. In this book, Acharya experiments with the occult and theoretical postulations in stories like "The Sentient God," "The Witness Tree," "The Dream" and "A Moonlit Night on the College Campus." He was an idealist in his life and never compromised with the establishment, and this is reflected in other stories like "Glasnost," "A Telephone Call," and "August 15," which intend to expose the flaws of the political and bureaucratic system of the present time. Overall, "The Sentient God" cements Acharya's reputation as one of the decade's most inventive and successful Odia short story writers. As all great stories do, these stories have the power to make readers see the world differently.
Gulmarg Gulzar Hoga
- Author Name:
Priyanka Vaidya
- Book Type:

- Description: यह किताब 34 कहानियों का संग्रह है। यह समर्पित है उन लोगों को जो गुलमर्ग के गुलज़ार होने का इंतज़ार कर रहे हैं, जो बिछड़ी हुई बच्ची की छोटी-छोटी चूड़ियों को देख ज़िंदगी का सफ़र तय करते हैं, वो औरत जो पति के इंतज़ार में बैठी है और उसकी दी हुई लालटेन से ज़िंदगी को रौशन करने की कोशिश कर रही है। एक साहित्य उत्सव में प्रिया उस पिता को मिलती है जिसकी बेटी ने कैन्सर से लड़ते हुए अपने प्राण त्याग दिए और वो प्रिया में अपनी बेटी को देखता है। ये संग्रह है उन लोगों के बारे में है जो विदेशों में देश की मिट्टी की महक ढूँढ रहे हैं, वो लोग जो माँ का बुना हुआ स्वेटर पहन विदेश की ठिठुरती शीत को सहने की कोशिश करते हैं, वही लोग जो रोज़ घर की तलाश में घर से निकलते हैं, मंडी की पराशर झील को लंदन के हाइड पार्क में ढूँढते हैं। हाँ माता-पिता ने ही तो वो दिल दिया जो सतरंगी आसमान को देख सके, उस कलाकार की ज़िंदगी का चित्र खींच सके जो प्रेमिका का चित्र बनाते-बनाते प्रेमिका को प्रेम करना ही भूल गया है। वो लड़की जो हज़ारों पन्ने लिखती है और फिर इस दौड़ को रोकने के लिए सारे पन्ने जला देती है, किताबों को हासिल करने के लिए ठंड में शिमला से चंडीगढ़ का सफ़र और सनवारा में बस के रुकने पर एक कप चाय की ललक। बिखरे तिनकों को जोड़ने के लिए कल्पना और प्रेरणा भी उन्हीं की देन है। वो लड़की जो बूढ़े माँ बाप को छोड़ शहर चली जाती है और वापिस लौटती है पिता की ख़ाली कुर्सी देखने के लिए, वक़्त ने उसे वक़्त पर उनकी क़द्र न करने की सज़ा दी, अब वो गुलमोहर के पेड़ से लिपट कर रोती है, मानो पिता ने गले लगाया हो। उस लड़के की कहानी जो पिता के घर छोड़ने के बाद पश्चात्ताप से भर आँसू बहाता है। नानी के सूने घर में अमावस्या में फैले अँधियारे को कौन दूर करेगा?
Katha Saptak - Suryabala
- Author Name:
Suryabala
- Book Type:

- Description: 7 Short Stories
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