Bin Kan Ka Hoichi
Author:
koizumi yakumoPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 396
₹
495
Available
जापानी कथा-साहित्य की दुनिया में अलौकिक प्रसंगों के आधुनिक प्रवर्तक कोइज़ुमी याकुमो की छह बहु-चर्चित कहानियों को इस संकलन में शामिल किया गया है। इनमें पाठकों को न सिर्फ़ अलौकिक दुनिया में विचरण करने का मौक़ा मिलेगा, बल्कि जापान के ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं को जानने-समझने का अवसर भी प्राप्त होगा।</p>
<p>1185 में घटित दान-नो-उरा के विध्वंसक युद्ध की पृष्ठभूमि में रचित ‘बिन कान का होइची’ युद्ध के विनाशकारी प्रभावों को बख़ूबी उभारती है। ‘बच्चों की रज़ाई’ दो अनाथ बच्चों की मार्मिक दास्तान है, जिन्हें ठिठुरती रात में मकान-मालिक बेघर कर उनकी रज़ाई छीन लेता है। बच्चे ठंड से दम तोड़ देते हैं लेकिन उनकी आत्मा रज़ाई में समा जाती है। हर रात रज़ाई से निकलती आवाज जैसे समाज से उसकी निष्ठुरता का हिसाब माँगती है। ‘बर्फ़ सुन्दरी’ और ‘सोएमोन भूला नहीं’ नैतिक मूल्यों के प्रति सजग कराती रोचक कहानियाँ हैं। ‘कुनीज़ाका की ढलान’ एक इच्छाधारी रकून कुत्ते की कहानी है जो यात्रियों को डराया करता है। इस कहानी के द्वारा रचनाकार का सन्देश है कि भय मनुष्य की आन्तरिक कमज़ोरी है जिससे भागना कायरता है। ‘आँसू बने मोती’ कहानी लीक से हटकर है, जो मनुष्य और प्रकृति के पारस्परिक घनिष्ठ सम्बन्ध को रोचक ढंग से प्रस्तुत करती है।</p>
<p>रेखाचित्रों तथा टिप्पणियों से भरपूर कोइज़ुमी याकुमो की मूल जापानी कहानियों का यह हिन्दी अनुवाद बाल-पाठकों का मनोरंजन करने के साथ उन्हें नैतिक तथा चारित्रिक मूल्यों के प्रति सजग कराएगा।
ISBN: 9788119159451
Pages: 71
Avg Reading Time: 2 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Kala Shukravar
- Author Name:
Sudha Arora
- Book Type:

-
Description:
समकालीन कहानी में कृष्णा सोबती, मन्नू भंडारी और उषा प्रियम्वदा के एकदम बाद की पीढ़ी में सुधा अरोड़ा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। चार दशकों की विशिष्ट कथा-यात्रा में एक लम्बे अन्तराल के बाद सुधा अरोड़ा का यह कहानी-संग्रह ‘काला शुक्रवार’ न सिर्फ़ उनके पाठकों को उत्साहित करता है, बल्कि समकालीन महिला-लेखन की एक सार्थक और संवेदनशील पहचान बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सुधा अरोड़ा की कहानियाँ ‘स्व’ से प्रारम्भ कर समाज की पेचीदा समस्याओं और समय के बड़े सवालों से जूझती हैं। ‘काला शुक्रवार’ और ‘बलवा’ में प्रकटतम रूप में तो ‘दमनचक्र’ और ‘भ्रष्टाचार की जय’ में तीखे रूप में उस राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था की विद्रूपताओं, भ्रष्टाचार के घिनौने रूप और आपराधिक चरित्रों के राजनीतिक संरक्षण की बखिया उधेड़ी गई है जिसने सामान्य आदमी के सुख-चैन को छीनकर जीने लायक़ नहीं रहने दिया है। आदमी के निरन्तर अमानवीय होते चले जाने की प्रक्रिया को सन् सैंतालीस के साम्प्रदायिक दंगों से लेकर अब तक के राजनीतिक सन्दर्भों में विश्लेषित करती उनकी चिन्ता बेहतर मानवीय मूल्यों को बचाने की है।
सुधा अरोड़ा की कहानियाँ एक व्यापक फलक पर बदलती हुई दुनिया में स्त्री के सतत और परिवर्तनकारी संघर्ष को सार्थक स्वर और दिशा देती भी दिखाई देती हैं। ‘रहोगी तुम वही’ से लेकर ‘अन्नपूर्णा मंडल की आख़िरी चिट्ठी’ तक सुधा अरोड़ा की कहानियाँ स्त्री-सुलभ सीमित संसार की वैयक्तिक अभिव्यक्तियाँ नहीं हैं, बल्कि इनमें पुरुषशासित समाज में स्त्री के लिए जायज़ और सम्मानजनक ‘स्पेस’ बनाने की उद्दाम लालसा पूरी गहराई के साथ महसूस की जा सकती है। आज के समय और परिवेश की गहरी पहचान, कथा-शैली में एक अन्तरंग निजता का सम्मोहक प्रभाव एवं गद्य में सरलीकरण का सौन्दर्य और इन सबके बीच व्यंग्य की तिक्तता सुधा अरोड़ा की इन बहुचर्चित कहानियों को एक विशिष्ट कथा-रस प्रदान करती है और पाठक को आद्यन्त बाँधे रखने में सक्षम सिद्ध होती है।
इन कहानियों के ज़रिए आज की जटिल महानगरीय विसंगतियों में एक सार्थक और साहसिक हस्तक्षेप की महत्त्वपूर्ण सम्भावना भी बनती दिखाई देती है।
Khushkismat
- Author Name:
Mamta Kaliya
- Book Type:

-
Description:
प्रस्तुत कहानी-संग्रह ‘ख़ुशक़िस्मत’ में सामाजिक विसंगतियों का बोध और उनसे उबरने की बेचैनी तथा मनोविज्ञान का समावेश किया गया है। इस कहानी-संग्रह में ‘एक अकेली तस्वीर ख़ुशक़िस्मत’, ‘कौवे और कोलकाता’, ‘चोरी’, ‘सूनी’, ‘बगिया’, ‘छोटे गुरु’, ‘परदेशी’, ‘पंडिताइन’, ‘लड़के’, ‘राएवाली’, ‘बसन्त-सिर्फ़ एक तारीख़’, ‘तस्कीं को हम न रोए’, ‘ख़ाली होता हुआ घर’, ‘एक अदद औरत’ आदि कहानियाँ संगृहीत हैं। नई साज-सज्जा के साथ प्रस्तुत यह अनुपम कहानी-संग्रह निस्सन्देह पठनीय और संग्रहणीय है।
Shreshth Kahaniyan : Mannu Bhandari
- Author Name:
Mannu Bhandari
- Book Type:

-
Description:
“कथा-साहित्य में अक्सर ही नारी का चित्रण पुरुष की आकांक्षाओं (दमित आकांक्षाओं) में प्रेरित होकर किया गया है।” मन्नू भंडारी ने कहीं लिखा है। लेखकों ने या तो नारी की मूर्ति को अपनी कुंठाओं के अनुसार विकृतियों से तोड़-मरोड़ दिया है, या अपनी स्वप्न-नारी की तस्वीर उतारी है। वह देवी और दानवी के दो छोरों के बीच टकराती ‘पहेली’ नहीं, हाड़-मांस की मानवी भी है, इसे प्रायः सभी एक सिरे नज़रअन्दाज़ करते रहे हैं। साहित्य की युगों पुरानी कथा-रूढ़ियों के मलबे के नीचे से नारी के मौलिक व्यक्तित्व का अन्वेषण, उसके चरित्र का यथार्थ निरूपण-जैसी गहरी अन्तर्दृष्टि और निस्संग विश्लेषण की अपेक्षा रखता है।
वह मन्नू के पास है या नहीं—यह अभी कह पाना बहुत कठिन है। लेकिन मन्नू की कहानियों की दो विशेषताएँ उसे अपने समकालीनों से अलग करती हैं...व्यर्थ के भावोच्छ् वास में नारी के आँचल का दूध और आँखों का पानी दिखाकर उसने पाठकों की दया नहीं वसूली...वह एकदम यथार्थ के धरातल पर नारी का नारी की दृष्टि से अंकन करती है...लेकिन अन्य ‘यथार्थवादियों' की तरह शिल्पगत परिमार्जन या कहानी के आधारभूत कलात्मक संयम को भी हाथ से नहीं जाने देती...वे ‘परफ़ेक्ट’ कहानियाँ हैं...आधुनिक पाठक की कला-रुचि पर खरी उतर सकनेवाली कहानियाँ हैं, पुराने पाठक के लिए रोचक और सहज...
भ्रम और सेक्स के दुहरे जटिल-शोषण के संस्कारों के जाल से नारी के मौलिक और स्वतंत्र व्यक्तित्व को खोज निकालने के लिए जिस साहस और निर्भीकता की आवश्यकता है, वे ही मन्नू के सबसे सशक्त हथियार हैं...‘भारतीय नारी’ और ‘नारी की एकनिष्ठ गरिमा’ के नाम पर कुछ झूठे सन्तोष आख़िर उसे कब तक दबाए रहेंगे? क्या ‘यह भी सच’ नहीं है कि अपनी पूरी ईमानदारी से भावना के धरातल पर दो पुरुषों को भी नारी प्यार करती है! क्या यह आवश्यक ही है कि एक प्यार की स्वीकृति स्वयं को झूठा सिद्ध करके ही सम्भव हो? क्यों नारी एक की भोग्या बनकर दूसरे हर व्यक्ति के लिए जूठी हो जाती है, नीचे गिर जाती है? एक ऐसी ऊँचाई भी तो हो सकती है जहाँ शरीर का एक से अधिक सम्बन्ध बहुत नगण्य होकर दीखे...जहाँ नारी के शील को लेकर काठ की हाँडी की तरह एक बार शेष हो जाने की धारणाएँ प्रचलित हों, उस समाज में ये साहसिक प्रयोग कम ख़तरनाक नहीं हैं...और इन लांछनाओं का प्रारम्भ उसकी ‘गीत का चुम्बन’ कहानी से ही शुरू हो गया था...
लेकिन नारी-अस्तित्व के पारिवारिक और सामाजिक पक्ष के प्रति भी मन्नू पूर्ण सजग है... नागरिक सभ्यता की मशीनी ज़िन्दगी में ‘क्षय’ होती युवती, खुला आकाश खोजने वह भागे भले ही प्रकृति की गोद में, परन्तु शीघ्र ही यह भी महसूस करती है कि जिसे उसने उलझनों, घुटन से दूर खुला विस्तार समझा था, वह वास्तव में रुँधे पानी की मच्छर-पोषित काहिया सतह है... आकाश वहीं खोजना होगा जहाँ प्रवाह है...भँवर है तो क्या हुआ?
रूढ़िविद्रोही कथानकों, भावधरातलों का चयन, स्वानुभूति की प्रामाणिक सहजता मन्नू की शक्ति भी है, और सीमा भी...
Shreshtha Bal Kahaniyan part 4
- Author Name:
Prakash Manu
- Book Type:

- Description: A Collection of Hindi short stories for children, compiled and edited by Prakash Manu.
Bin Shishon Ka Chashma
- Author Name:
Ram Kumar Aatrey
- Book Type:

- Description: Personalty Development
Banmooth
- Author Name:
Murari Sharma
- Book Type:

- Description: Hindi Short Story by Murari Sharma
Pratinidhi Kahaniyan : Swayam Prakash
- Author Name:
Swayam Prakash
- Book Type:

- Description: स्वयं प्रकाश की कहानियाँ भारतीय, विशेष रूप से हिन्दी मध्यवर्ग के जीवन की एक तस्वीर पेश करती हैं—मनुष्यता से लबरेज़ पर दब्बू और डरपोक मध्यवर्ग, छोटी-छोटी आकांक्षाओं के लिए भी संघर्षरत, अन्ततः उन्हें स्थगित करता मध्यवर्ग, स्वार्थों की अन्धी दौड़ में भागता-गिरता-पड़ता मध्यवर्ग, निम्नवर्गीय जनों से विराग रखता मध्यवर्ग। यूँ तो स्वयं प्रकाश का कथाफ़लक गाँव से शहर तक फैला है, परन्तु उसका केन्द्र मध्यवर्ग ही है। यह मध्यवर्ग स्वतंत्रता आन्दोलन के दौर का मध्यवर्ग नहीं है जिसमें निम्नवर्ग के प्रति एक सदाशयता और सहभाव मौजूद था। इसमें निम्नवर्ग के प्रति वितृष्णा और घृणा निर्णायक हद तक मौजूद है। इस मध्यवर्ग में एक छोटी संख्या, उन लोगों की भी है, जिनमें समाज को बदलने की इच्छा मौजूद है। ऐसे चरित्र स्वयं प्रकाश के यहाँ प्रमुखता से मौजूद हैं। स्वयं प्रकाश की गहरी सहानुभूति इनके साथ है। इसीलिए इनके प्रति एक तरह का आलोचनात्मक भाव भी मौजूद है। परिवर्तनकामी चेतना जब मध्यवर्गीय स्वार्थपरता, पर्सनाल्टी कल्ट, या थोथे आदर्शवाद से घिर जाती है, स्वयं प्रकाश इन चरित्रों के प्रति तीखे हो जाते हैं। उनकी कहानियों में भारतीय स्त्री के जीवन की गहरी आलोचनात्मक पड़ताल भी मौजूद है। वे स्त्री-चरित्रों को प्रायः एक टाइप की तरह नहीं, एक व्यक्ति की तरह अंकित करते हैं। ये स्त्री-चरित्र पुरुष-चरित्रों की तरह ही निजी विशिष्टताओं के मालिक हैं। उन पर सामाजिक संरचना के दबाव हैं, परन्तु वे उनके विरुद्ध जीते हुए अपनी तरह का संसार रचने को आतुर हैं। स्वयं प्रकाश ने कहानीपन की रक्षा करते हुए, उसे रोचक बनाते हुए एक ज्ञानी की तरह नहीं एक क़िस्सागो की तरह अपनी कहानियाँ कही हैं।
Kuchh Bhi To Rumani Nahi
- Author Name:
Manisha Kulshreshtha
- Book Type:

- Description: Short Stories
Peeli Parchi
- Author Name:
Shivendu Shrivastav
- Book Type:

- Description: collection of stories
Shreshtha Bal Kahaniyan part 3
- Author Name:
Prakash Manu
- Book Type:

- Description: A Collection of Hindi short stories for children, compiled and edited by Prakash Manu.
Bhookh Ke Teen Din
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है।
‘भूख के तीन दिन’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘भूख के तीन दिन’, ‘शुरफा’, ‘समय’, ‘दीनता का प्रायश्चित्त’, ‘भली लड़कियाँ’, ‘दाग़ ही दाग़’ ‘मॉडर्न’, ‘सीख’, ‘ख़ूब बचे!’, ‘पागल है!’ और ‘आशीर्वाद’।
Sheesham Wali Gali
- Author Name:
Tarsem
- Rating:
- Book Type:

- Description: Hindi Translation of Sahitya Akademi Bal Sahitya Award-winning novel Thali wali Gali in Punjabi, written and translated by Tarsem.
But Jab Bolte Hain
- Author Name:
Sudha Arora
- Book Type:

-
Description:
कथाकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधा अरोड़ा हमारे समय का एक जाना-पहचाना नाम है। लेखन इनके लिए जुनून तो है ही मिशन भी है। सुधा जी के लेखन में निरन्तर ताज़गी दिखाई देती है। समकालीन मुद्दों पर उनके लेखन की पक्षधरता अचम्भित करती है।
‘बुत जब बोलते हैं’ उनकी महत्त्वपूर्ण कहानियों का संकलन है। सुधा अरोड़ा की कहानियाँ शाश्वत मूल्यों के साथ-साथ समकालीन परिस्थिति से संवाद भी करती चलती हैं और अपने को निरन्तर बदलते समाज से जोड़े रखती हैं—कुरीतियों और अवमूल्यन के ख़िलाफ़ बेबाक-बयानी करती हुई और सच के समर्थन में अपनी आवाज़ बुलन्द करती हुई। इन कहानियों के पात्र विविध वर्गों से आते हैं। यहाँ स्त्रियों के अलावा मूक कामगार भी हैं, मौन बालश्रमिक भी और जटिल सामाजिक विसंगातियों से जूझती बुज़ुर्ग और युवा स्त्रियाँ भी।
सुधा अरोड़ा की कहानियाँ देह-विमर्श की तीखी आवाज़ों के बीच स्त्री-जीवन के किसी मार्मिक हिस्से को अभिव्यक्त करती कर्णप्रिय लोकगीत-सी लगती हैं। इनका उद्देश्य घरेलू-हिंसा और पुरुष की व्यावहारिक व मानसिक क्रूरता के आघात झेलकर ठूँठ हो चुके स्त्री मन में फिर से हरीतिमा अँखुआने और जीवन की कोमलता उभारने की संवेदना का सिंचन करना है।
‘उधड़ा हुआ स्वेटर’ कहानी को खुले मन से मिली पाठकों की स्वीकृति साबित करती है कि ऐसी संवेदनात्मक कहानियों का लिखा जाना कितना ज़रूरी है। इन कहानियों में लेखिका दर्दमन्द स्त्रियों की दरदिया बनकर अगर एक हाथ से उनके घाव खोलती है तो दूसरे हाथ से उन्हें आत्मसाक्षात्कार के अस्त्र भी थमाती है जिससे ये स्त्रियाँ भावनात्मक आघात और सन्त्रास से टूटती नहीं, बल्कि मज़बूत बनती हैं। ‘राग देह मल्हार की बेनू’ और ‘भागमती पंडाइन का उपवास’ की भागमती ऐसी ही स्त्रियाँ हैं जिनका स्वर व्यंग्यात्मक और चुटीला होते हुए भी संवेदना को सँजोए रहता है। अपने समय के साथ मुठभेड़ में हमेशा अगुआ रही इस वरिष्ठ लेखिका का यह संकलन पाठकों के बीच हमेशा अपनी ज़रूरी और महत्त्वपूर्ण भूमिका में बना रहेगा।
Hawaon Ka Rukh
- Author Name:
Murari Sharma
- Book Type:

- Description: बाणमूठ कहानी से राष्ट्रीय फलक पर चर्चा में आए कहानीकार मुरारी शर्मा ने अब तक अपने चार कहानी संग्रहों और देबकू एक प्रेम कथा नामक उपन्यास से हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में अपना योगदान सुनिश्चित किया है। इसी क्रम में पाँचवाँ कहानी-संग्रह है 'हवाओं का रुख'। इन कहानियों को पढ़ते हुए इस बात के संकेत मिलते हैं कि कहानीकार की रचना-प्रक्रिया कई स्तरों पर अपनी रचनात्मकता के नए आयाम खोज रही है। इन कहानियों के किरदार भले ही बड़े लोग न हों मगर ये कहानियाँ बड़ी चिन्ताओं की कहानियाँ अवश्य हैं। ये चिंताएँ कहानीकार मुरारी शर्मा की जीवन के प्रति प्राथमिकताओं के दृष्टिकोण को भी स्पष्ट करती हैं। ये कहानियाँ मनुष्य की त्रासद नियतियों की केन्द्रीयता के बावजूद अपने कहानीपन को बनाये रखती हैं इसलिए ये पाठकों को आकर्षित करती हैं। पाठ की रोचकता बनाये रखने में कहानीकार मुरारी शर्मा की समर्थ भाषा और वर्णन शैली भी अनिवार्य भूमिका निभाती नजर आती है। वैसे भी वे लोकभाषा में प्रचलित अनेक शब्दों का प्रयोग करते हुए वर्णन में रोचकता बनाये रखने में सिद्धहस्त हैं, ऐसा आभास उनकी पूर्व प्रकाशित अनेक कहानियों को पढ़ते हुए भी हो जाता है। इन कहानियों में भी लोक प्रचलित अनेक शब्दों, मुहावरों व लोकोक्तियों के प्रयोग भाषाई रोचकता को बनाये रखने में कामयाब रहे हैं। यह भाषा ही इनकी सबसे बड़ी ताकत है जो छोटे-छोटे जीवन प्रसंगों को सामान्य चरित्रों के माध्यम से एक बड़ी कहानी के रूप में सफलतापूर्वक रूपांतरित देने में सक्षम है। —डॉ. विजय विशाल
Paanch Chor
- Author Name:
Niimi Nankichi
- Book Type:

-
Description:
जापान के आधुनिक बाल साहित्यकार नीइमी नानकिचि की अनूदित चार रचनाओं के प्रस्तुत संकलन में सतत स्वच्छ और निर्मल हृदय की परिकल्पना की गई है, जिसे नानकिचि ने लोमड़ी और मनुष्य के दो अलग–अलग प्रसंगों में अभिव्यक्त किया है।
‘पाँच चोर’ में जहाँ चोर के हृदय परिवर्तन और ‘दादाजी की लालटेन’ में मानव समाज के विकास की दास्तान है, वहीं जापान की परम्परा और संस्कृति के ताने–बाने का भी सजीव चित्रण किया गया है।
अनुवाद सरल, प्रवाहपूर्ण और बाल सुलभ है।
Antarman
- Author Name:
Nirmala Kapila
- Book Type:

- Description: Nirmala Kapila Innersoul Stories
Kentki Chiken Ka Swad
- Author Name:
Priyadarshan Malviya
- Book Type:

- Description: ियदर्शन मालवीय का यह तीसरा कहानी-संग्रह उनके पिछले लेखन में एक अगला क़दम है, क्योंकि इन कहानियों में प्रियदर्शन ने जीवन और अनुभव के नए संसार से भिड़न्त की है। इन कहानियों में हमारे बदलते हुए समय की क़लमकारी है। समय, समाज, गाँव और शहर की चुनौतियाँ संकट के नित नए चोर-दरवाज़े दिखा रही हैं। इसमें क्या किसान और क्या जवान, सब पिस रहे हैं। 'जाके पाँव न फटै बिवाई', 'जबरा की मार', 'रोम जब जल रहा था, नीरो बाँसुरी बजा रहा था' कहानियों में इनका संत्रास चित्रित हुआ है। 'जाके पाँव न फटै बिवाई' में मामा का चरित्र विकासोन्मुख भारत की विषमता उजागर करता है जब पाठक को यह पता चलता है कि उनके खेत बिक रहे हैं, बेटा बेरोज़गार है और बेटियाँ अनब्याही हैं। मामा देसी ठर्रा पीने लगे हैं क्योंकि यही उन्हें ख़ुदकुशी से बचाए रखने में समर्थ है। मामा कहते हैं, "जब विद्यार्थी था तो पढ़ा था, 'दुनिया के मज़दूरो एक हो...'—मगर मज़दूर तो एक नहीं हुए, हाँ व्यापारी और पूँजीपति ज़रूर एक हो गए और सब मिलकर किसानों को भी मज़दूर बनाकर बेड़ियाँ डालना चाहते हैं।" किसान दुर्दशा पर एक अन्य कहानी 'जबरा की मार' भी बताती है कि कैसे किसान आत्महत्या के लिए विवश होते हैं। पुलिस और प्रशासन के मुक्के और धक्के झेलने पर सबसे पहले मनोबल टूटता है। शीर्षक कहानी 'केंटकी चिकन का स्वाद' में भी लेखक ने स्पष्ट किया है कि मौजूदा व्यवस्था के अन्दर जनता के सुधार या कल्याण की कामना शून्य है। तीखा व्यंग्य, मानवीय सरोकार, पात्रों के प्रति संवेदना संग्रह की कहानियों को अपूर्व आभा प्रदान करते हैं। —ममता कालि
Ghar Bahar Ghar
- Author Name:
Harimohan
- Book Type:

-
Description:
सुपरिचित कथाकार हरिमोहन की कहानियों का यह संग्रह अपनी काव्यात्मक भाषा और सरल-सहज शिल्प के कारण अनायास ही आकर्षित करता है।
व्यक्ति के निजत्व की तलाश, प्रेम में चाँद को छूने की आकांक्षा, समसामयिक राजनीति की विद्रूपताओं व विडम्बनाओं, साम्प्रदायिक डायनासोर के आतंक, रिश्तों की रागात्मकता, प्रेम की मीठी व सुलगती हुई आँच, उपभोक्तावादी जीवन-शैली का एकाकीपन, दफ़्तरी जीवन का छल-छद्म आदि की काली-उजली छायाओं और गतिशील बिम्बों का मोहक कोलाज हैं ये कहानियाँ। भाषा की ताज़गी और कथ्य व विचारों की मौलिकता हरिमोहन की कहानियों की अनूठी विशेषता है।
सुचिंचित सरोकार वाली कथावस्तु, प्रवाहमय भाषा और संवेदनात्मक शिल्प के कारण ये कहानियाँ पाठकों को एक रचनात्मक लोक में ले जाने में सक्षम हैं।
Tumne Kyon Kaha Tha Main Sunder Hoon
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ, कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी
है।‘तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘कोकला डकैत’, ‘हुकूमत का जुनून’, ‘चोरबाज़ारी के दाम’, ‘गवाही’, ‘तगमे की चोट’, ‘मिट्ठों के आँसू’, ‘तीस मिनट’, ‘अख़बार में नाम’, ‘असली चित्र’, ‘कम्बलदान’, ‘आबरू’, ‘ग़मी में ख़ुशी’ और ‘तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ’।
Bapu Katha Chaudas
- Author Name:
Madhukar Upadhyay
- Book Type:

- Description: Mahatma Gandhi's life story in Hindi by Madhuker Upadhyay.
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...