Apni Vapasi
Author:
Chitra MudgalPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
समकालीन भारतीय कथाकारों में चित्रा मुद्गल का विशिष्ट स्थान है। उनकी समाज सापेक्ष सृजनात्मकता के ज़द में कहना ग़लत न होगा—समूचा भारतीय समाज है। अपनी मिट्टी के रंगों का भूगोल है। जाहिर है उसी माटी-पानी में गुँथा-मड़ा, अवाक् कर देने वाली विसंगतियों में जीता, साँसें भरता वह आमजन है, जो व्यवस्था और पूँजी की मिलीभगत की विसात का मोहरा बना हुआ है। ग़ज़ब तो यह है, उसके ज़हालत और संघर्ष को कहीं विराम मिलता हुआ नज़र नहीं आ रहा।</p>
<p>यह भी कहना चाहता हूँ, महिला कथाकारों पर जिस तरह के सीमा संकेत लगाए जाते हैं, दायरों और दरीचों के सन्दर्भ में, चित्रा जी उन सभी सीमाओं का अतिक्रमण सहज रूप से इसलिए कर सकी हैं कि उनका संवेद घर-परिवार-रिश्ते-नातों की बारिकियों को उसके भीतरी संवेगों में जिस नफ़ासत से कथात्मक सौन्दर्य में बाँधता है, उसी गहराई और कलात्मकता से देहरी के बाहर निकल अपसंस्कृति की आँधी में डूब रही ज़िन्दगी के तनावों और आर्थिक दबावों, चाहे वह एक्जीक्यूटिव क्लास हो या फ्रीलांसर वर्ग—सभी को रेखांकित करने में सफल होती हैं।</p>
<p>मैं यह भी कहना चाहता हूँ, उनकी ज्यादातर कहानियों के चरित्र भावुकता की तर्कहीन नदी में न बहकर आर्थिक दबाव की परिणतियों को स्वीकार करते हुए ही अधिक प्रभावपूर्ण बनते हैं।</p>
<p>—शानी
ISBN: 9789395328005
Pages: 158
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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‘तेरी कुड़माई हो गई?’ एक मार्मिक प्रेम कहानी है जो स्त्री-विमर्श की दृष्टि से भी उत्कृष्ट है। गुलेरी जी की बहुचर्चित कहानी ‘उसने कहा था’ के एक प्रसिद्ध वाक्य ‘तेरी कुड़माई हो गई?’ को कहानी शीर्षक दिया गया है। इस कहानी की विशेषता यह है कि गुलेरी जी की कहानी जहाँ पर समाप्त होती है, उसके आगे यह कहानी शुरू होती है। इस कहानी की एक विशेषता यह है कि इस कहानी के नाम ‘उसने कहा था’ कहानी के ही हैं। नायक लहना की मौत के तीस साल बाद सूबेदारिन अपने अतीत का पुनरवलोकन कर रही है और स्वर्णिम स्मृतियों में जीने का प्रयास कर रही है।
सुगठित कथाकार, मार्मिक संवाद और सुरम्य प्रकृति चित्रण से समन्वित पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है यह पुस्तक ‘तेरी कुड़माई हो गई?’
इस संग्रह की कहानियाँ नि:सन्देह बेजोड़ हैं इनमें नदी की तरह सरस प्रवाह है।
Best Indian Short Stories - 1
- Author Name:
Khushwant Singh
- Book Type:

- Description: The Indian short story is extraordinary in its ability to stick to the traditional rules of the craft and still demonstrate remarkable originality. It revolves around a limited number of characters, confines itself in time and space, and has a well-plotted narrative that drives its central theme. Within the traditional framework, however, creativity flowers and a fresh and imaginative story emerges. This volume is chock-full with such stories, written by authors well known in their regional languages as well as those who have made a name for themselves in English literary circles. Carefully selected by India's literary giant, the late Khushwant Singh, these pieces represent the best of Indian writing from around the country.
Sampoorn Kahaniyan : Gyanranjan
- Author Name:
Gyanranjan
- Book Type:

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Description:
ऐसे लेखक विरले ही होते हैं जिनकी रचनाएँ अपनी विद्या को भी बदलती हों और उस विधा के इतिहास को भी ज्ञानरंजन के बारे में यह बात निर्विवाद कही जा सकती है कि उनकी कहानियों के बाद हिन्दी कहानी वैसी नहीं रही जैसी कि उनसे पहले थी। उनके साथ हिन्दी गद्य का एक नया, आधुनिक, सघन और समर्थ व्यक्तित्व सामने आया जो उस दौर की भाषा में व्याप्त काव्यात्मक रूमान के बजाय काव्यात्मक सचाई से निर्मित हुआ था। ज्ञानरंजन की भाषा में उस पीढ़ी की भाषा थी जो भारतीय समाज में आजादी महास्वप्नों के टूटने, परिवारों के बिखरने, मनुष्य के अकेला होते जाने और जीवन में अर्थहीनता के प्रवेश जैसे हादसों के बीच अपने विक्षोभ, अपनी हताशा और अपनी उम्मीद को पहचानने की बेचैन कोशिश कर रही थी। युवा होते समाज की इस आन्तरिक उथल-पुथल का इतना गहरा साक्षात्कार ज्ञानरंजन की कहानियों में मिलता है। कि उनके अनेक चरित्र प्रेमचन्द के कई चरित्रों की तरह हमारी स्मृति में अभिन्न रूप से शामिल हो गए। सन् साठ के बाद की हिन्दी कहानी एक महत्त्वपूर्ण प्रस्थान बिन्दु या कहानी का दूसरा इतिहास मानी गई और ज्ञानरंजन सामाजिक रूप से उसके सबसे बड़े रचनाकार कहे गए। लेकिन हर बड़े लेखक की तरह ज्ञानरंजन की कहानियाँ अपने दौर या समय को लाँघती गईं और इसीलिए आज भी पढ़ने पर उनकी प्रायः सभी कहानियाँ उतनी ही जीवन्त, प्रासंगिक और प्रामाणिक महसूस होती हैं। ‘क्षणजीवी’ जैसी कहानी लिखने और जीवन के निरर्थक क्षणों में अर्थ की खोज करनेवाले ज्ञानरंजन दरअसल हमारे समय के सबसे ‘दीर्घजीवी’ लेखकों में से हैं।
‘फेंस के इधर और उधर’, ‘पिता’, ‘शेष होते हुए’, ‘सम्बन्ध’, ‘यात्रा’, ‘घंटा’ और ‘बहिर्गमन’ आदि कहानियाँ जिस निम्न-मध्यवर्गीय यथार्थ से मुठभेड़ के कारण प्रसिद्ध हुई, वह भले ही बदल गया हो, लेकिन उस पर लिखी गई ये कहानियाँ कभी पुरानी या बासी नहीं हुईं। ज्ञानरंजन सरीखे कृती लेखक की ही यह सामर्थ्य है कि यथार्थ के पुराने पड़ जाने पर भी उसका अनुभव पुराना या समय सापेक्ष नहीं हो जाता। बल्कि इन कहानियों में अभिव्यक्त विराट हलचल के बीच आनेवाले यथार्थ की अनेक आहटें भी हम सुन सकते हैं। ‘अनुभव’ में तथाकथित उच्चवर्ग की विकृति और अश्लीलता के विवरणों में उस अपसंस्कृति का पूर्वाभास है जो आज हमारे समाज में चौतरफ बजबजा रही है। वह एक स्वस्थ समाज की मृत्यु पर हिला देनेवाला शोकगीत है।
ज्ञानरंजन की सभी कहानियों का यह संग्रह हमारे समय का एक साहित्यिक दस्तावेज़ भी है और हमारे यथार्थ का साफ आईना भी है, जिसमें दिखते जीवन के बिम्ब पाठक को हमेशा उद्वेलित करते रहेंगे।
Sampurna Kahaniyan : Mridula Garg
- Author Name:
Mridula Garg
- Book Type:

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Description:
मृदुला गर्ग ने लगभग आधी सदी से अपनी निरंतर ऊर्जस्वित रचनात्मकता के कारण, हिन्दी कथा-साहित्य में अनोखा मुक़ाम हासिल किया है। जीवन के किसी एक पहलू तक ही सीमित रहने के बजाय उन्होंने कथ्य और शिल्प दोनों में लगातार नवोन्मेष किए हैं। ये नवोन्मेष सायास साधी गई और प्रदर्शनप्रिय चमत्कारिकता के रूप में नहीं हैं। ये तो सहज विकास के तौर उनके विषयों के चुनाव और निर्वाह में रच-बस गए हैं। आरंभिक दौर में लिखी गई कितनी क़ैदें और 2014 में लिखी गई सितम के फ़नकार को साथ-साथ पढ़ने से यह बात स्पष्ट हो जाती है।
स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर केन्द्रित कहानियाँ हों या अन्य सम्बन्धों और सरोकारों पर केन्द्रित; मृदुला गर्ग की कहानियों में मन के भीतर और बाहर का संवाद निरंतर लक्ष्य किया जा सकता है। उनकी बहुचर्चित बोल्डनेस केवल स्त्री-पुरुष सम्बन्ध की जटिलता के अनुसंधान तक सीमित नहीं, बल्कि “अपनी मौत के लिए वक़्त और जगह ख़ुद चुनने” तक व्याप्त है। उनकी कहानियों में जीवन का उत्सव है तो इसकी अनिवार्य परिणति का सहज स्वीकार भी। किसी एक पल में किए गए छोटे से काम के अप्रत्याशित रूप से विडंबनापूर्ण परिणामों की पुनर्रचना है तो बदलते सामाजिक पर्यावरण की परिणतियों का अनुसंधान भी।
मृदुला गर्ग की कहानियों में भौगोलिक विस्तार, वर्गीय विविधता और तरह-तरह के पात्रों से मुखामुखम तो है ही कहानी के लिए चुने गए विषयों, पात्रों और स्थितियों और उन्हें कहने के ढंग में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण नवोन्मेष भी हैं। ऐसे नवोन्मेष सघन संवेदना, सूक्ष्म विडम्बना बोध और प्रखर विचारशीलता के ही कारण सम्भव हो पाते हैं। अनोखी बात यह कि इन विशेषताओं का अहसास पाठक के मन में लगभग नामालूम सहजता के साथ उतरता चला जाता है।
हिन्दी कथा-संसार को समृद्ध करने वाला यह अनोखापन ही मृदुला गर्ग के लेखन की विशिष्ट पहचान है।
—पुरुषोत्तम अग्रवाल
Mansarovar Vol. 7 : Jail Aur Anya Kahaniyan
- Author Name:
Premchand
- Book Type:

- Description: प्रेमचन्द जहाँ भी समाज में अन्याय था, उसका प्रतिकार अपने ढंग से कर रहे थे। ईश्वर द्वारा मनुष्य के प्रति किया गया अन्याय ही नहीं, वे ग्रीक ट्रेजेडी नहीं लिख रहे थे, मनुष्य द्वारा मनुष्य के प्रति किया गया अन्याय, इसी समाज द्वारा इसी समाज में रहने वाले लोगों के प्रति किया गया अन्याय, उसे भी सतह पर लाकर दिखा रहे थे। जहाँ दमन और अन्याय था, उस अन्याय की व्यथा, पीड़ा सामने रख रहे थे और साथ ही उस व्यथा-पीड़ा का ऐसा चित्रण कर रहे थे, जो हमें आपको इस हद तक झकझोर दे कि हम स्वयं उस व्यवस्था के खिलाफ खड़े हो सकें, जो अमानवीय है ग़ैरबराबरी पर खड़ी है, जिसको हम अनजाने संस्कारवश ढोए चले जा रहे हैं और कभी-कभी परम्परा के प्रति श्रद्धा के नाम पर हम जिसका पोषण-समर्थन करते हैं। —नामवर सिंह
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