Dhoop Ki Munder
Author:
Anagh SharmaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
एक बदले ज़माने और बदले परिवेश में कुछ ऐसा भी होता है जो उसे पूरी तरह अजनबी नहीं होने देता, बल्कि पूर्व से वर्तमान को किसी पुल की तरह जोड़ता प्रतीत होता है। ऐसा जिन युवा रचनाकारों को पढक़र, उनसे बात करते या उनका कहा सुनते मुझे लगा है उनमें अनघ महत्त्वपूर्ण हैं। ऐसा इस कारण नहीं कि वे बीते ज़माने (एक प्रकार से मेरा ज़माना) से सम्बद्ध विषयों या एक प्रकार का नॉस्टेल्जियाग्रस्त लेखन करते हों। वह उस जीवन और उन समस्याओं को ही विषय बनाते हैं जो उन्हें ख़ुद दरपेश हैं, और ख़ुद मेरे लिए अपने लेखन में जिनकी कल्पना सम्भव नहीं। ऐसा शायद इस कारण है कि उनके लेखन का मुख्य स्वर समानुभूति (एम्पथी) का स्वर होता है जिसे अभिव्यक्त करने की उनके पास सही-सही भाषिक कुशलता है। आश्चर्य होता था (जो अब किसी हद तक होना बन्द हो गया है) कि यह योग्यता अधिकांश ऐसे लोगों में होती है जो साहित्य को शिक्षा का एक विषय मानकर नहीं पढ़ते, न उसमें डिग्रीयाफ्ता होते हैं। शायद इस कारण वे अपने विषय और भाषा में अपनाइयत को ज़्यादा सहज रूप से पाठक के सामने रख सकते हैं। अनघ को पढ़ते हुए यह अनुभव होता है कि लेखन के विषय को पूरी स्वतंत्रता से लिखा गया है, जीवन के उस पक्ष को प्रस्तुत करने के लिए जो उनके लेखक-अवतार ने मानो उसे जीते हुए ग्रहण किया है।</p>
<p>अनघ एक भागदौड़-भरा व्यस्त जीवन जीते हुए अपना लेखन करते हैं, जिसमें असंख्य सम्भावनाएँ हैं। उनकी भाषा विशेषकर आकर्षित करती है जिसमें संवाद और विवरण के बीच वह एक प्रकार का विशेष सन्तुलन बनाकर चलते हैं। यह तो आरम्भ है, यात्रा के लिए उन्हें बहुत बधाई। </p>
<p>—मंजूर एहतेशाम
ISBN: 9789388753562
Pages: 158
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
अवधेश प्रीत आठवें दशक के उन चर्चित कथाकारों में हैं, जिनकी कहानियों को शीर्ष आलोचकों से लेकर सुधी पाठकों तक ने खुले दिल से सराहा है। वह अपने समय और समाज के ज़रूरी सवालों से टकराते हैं और उनमें न्यस्त स्याह-सफ़ेद की शिनाख़्त करते हुए पाठकों को उन सच्चाइयों तक ले जाते हैं, जो अक्सर अदीठ रह जाती हैं। अवधेश प्रीत की ‘नृशंस’, ‘अलीमंज़िल’, ‘बाबू जी की छतरी’, ‘तालीम’, ‘तीसरी औरत’, ‘हमज़मीन’, ‘चाँद के पार एक चाभी’ जैसी अनेक कहानियाँ हैं,जो अपने कथ्य-वैविध्य, कथा-भाषा और शिल्पगत प्रयोगों के कारण सुधीजनों का ध्यान आकर्षित करती रही हैं। अवधेश प्रीत अपनी कहानियों के ज़रिये उन संवेदनशील प्रान्तरों में भी पहुँचने से नहीं हिचकते, जहाँ रूढ़ियों को तोड़ने के अनेक जोखिम फन काढ़े खड़े हैं।
अवधेश प्रीत के इस संग्रह की कहानियाँ अपने बेबाकपन और कहन की विशिष्टता के कारण चर्चित-प्रशंसित रही हैं। अपनी प्रवाहमयी भाषा, किस्सागोई के दिलचस्प अन्दाज़, यथार्थ, अनुभव और फैंटेसी के प्रयोग से अपने कथा अभीष्ट को उद्घाटित करती ये कहानियाँ मनुष्य की विडम्बना,समाज की संवेदना, साम्प्रदायिकता के रूपान्तरण और राजनीति की जटिलताओं का आख्यान हैं। अनायास नहीं कि इस संग्रह की कहानी 'कजरी' को पढ़कर वरिष्ठ समालोचक विश्वनाथ त्रिपाठी अपनी निजी प्रतिक्रिया में कहते हैं, यह प्रेमचन्द के रंग-ढंग की अद्भुत कहानी है।
अवधेश प्रीत की कहानियाँ जितनी पठनीय होती हैं, उतनी ही चाक्षुष भी। यही कारण है कि उनकी अनेक कहानियों के देश की कई रंग-संस्थाओं ने नाट्य-मंचन किये हैं। अपनी पठनीयता और दृश्यात्मकता के संयोग से अवधेश प्रीत अपनी कहानियों में जो जादू जगाते हैं, वो उन्हें अपने समकालीन लेखकों में पृथक पहचान देती हैं। दरअसल, इस संग्रह की कहानियाँ जादुई यथार्थ की नहीं, यथार्थ में निहित जादुई-शक्ति की कहानियाँ हैं।
Kahaniyan Sunati Yatrayen
- Author Name:
Kusum Khemani
- Book Type:

-
Description:
यात्राएँ केवल भूगोल का नहीं, वस्तुतः अनुभव का ही विस्तार है और इस तरह हमारी जीवन-दृष्टि का भी।
इस दृष्टि से डॉ. कुसुम खेमानी की ‘कहानियाँ सुनाती यात्राएँ’ पुस्तक यात्रा-साहित्य के मुकुट में एक और मोरपंख की तरह प्रतीत होती है।
पाठक इन यात्रा-निबंधों को पढ़ते हुए अनुभव करेंगे कि ये यात्राएँ जितनी बाहर की हैं, उससे कहीं अधिक भीतर की भी हैं। भौगोलिक धरातल पर लेखिका सौ कदम चलती हैं तो आनुभूतिक धरातल पर हज़ार कदम। भीतर-बाहर की यह उड़ान अपना एक ऐसा अन्तरिक्ष रचती है जहाँ तारे भी हैं, मेघ भी और सात नहीं, अनेक रंगों वाला इन्द्रधनुष भी।
शैली यहाँ बतरस की है और अन्दाज-ए-बयाँ किस्सागो का। यही कारण है कि निबंध, कहानी, संस्मरण जैसी विधाएँ अपनी सरहदों को लाँघकर यहाँ जैसे एकमेक हो गई हैं। यात्रा-साहित्य के चिर-परिचित स्वाद में यह सीधा हस्तक्षेप है और डॉ. कुसुम की सर्जनात्मक मौलिकता का साक्ष्य भी।
हरिद्वार, कश्मीर, उज्जयनी, कोलकाता, शिलांग, हैदराबाद से लेकर उर्बन, रोम, बर्लिन, स्विट्जरलैंड, प्राग, मास्को, मिश्र, मॉरिशस, भूटान और अलास्का तक जैसे समस्त ब्रह्मांड को यहाँ मथ दिया गया है और इस मंथन से जो अनुभव-अमृत निकलता है, वह अब आपके सामने है।
–भूमिका से
Beyond the Shores of the River Existentialism
- Author Name:
Munipalle B Raju +1
- Book Type:

- Description: English translation by Nidadavolu Malathi of Sahitya Akademi Award winning Telugu short stories Astitvanadam Aavali Teerana by Munipalle B Raju.
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