Rashtrvad

Rashtrvad

Language:

Hindi

Pages:

134

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

268 mins

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Book Description

राष्ट्रवाद यह पुस्तक गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर द्वारा जापान और अमरीका यात्रा के दौरान दिए गए व्याख्यानों का संकलन है, जो सर्वप्रथम 1917 में प्रकाशित हुए थे। हालाकि जिस विश्लेषणात्मक और कलात्मक तरीके से गुरुदेव ने अपने विचार रखे, उसे लेकर पश्चिमी जगत में प्रतिरोध देखा गया। पश्चिमी सभ्यता की अमानवीयता और कृत्रिमता को जिस तरीके से गुरुदेव ने इन व्याख्यानों में अभिव्यक्त किया, वह पश्चिमी जन मानस को उद्वेलित करने के लिए पर्याप्त था। इस पुस्तक में टैगोर ने तत्कालीन शोषण आधारित पश्चिमी सभ्यता और व्यवस्था, उसके मानवीय मूल्यों की कमी, पूर्व और पश्चिम में राष्ट्र और राज्य की राजनीतिक भूमिका की भविष्यवाणी, सत्ता और सांसारिक वस्तुओं के प्रति मनुष्य की अनंत लालसा, मनुष्य के आध्यात्मिकता से दूर होते जाने और भौतिकता में रच-बस जाने, पश्चिमी सभ्यता द्वारा पूर्व के शोषण, मनुष्य का उसके सर्वाेच्च नैतिक गुणों से दूर होकर मशीन के एक पुर्जे में बदल जाने, भारतीय राष्ट्रवाद के स्वरूप एवं पूर्वी सभ्यता के दार्शनिक और आत्मिक पक्षों पर अपनी बात रखी है।

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