Yaden Basant ki
Author:
Leeladhar MandloiPublisher:
Shivna PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Available
यादें बसंत की खुशबूएँ हैं|
ISBN: 9788119018543
Pages: 112
Avg Reading Time: 4 hrs
Age : 11-18
Country of Origin: India
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भारतीय समाज के मध्यवर्ग के तमाम आख्यानों, इतिहास, स्मृति और राजनीति का अचूक इस्तेमाल करते हुए, साथ ही उसे बाज़ार की भाषा से दूर ले जाकर हर दिन दुःसाध्य होती जाती दुनिया और जीवन को खोजने-नबेरने का साहस दिखाती हुई इन कविताओं में मनुष्य की चिन्ताओं को बड़े फ़लक पर विमर्श का मौक़ा मिला है। इसी कारण इन कविताओं में ऐसे चरित्रा औ गतिविधियाँ सहज ही अपनी भागीदारी बना पाए हैं, जो एक साथ पढ़े जाने पर अपने समवेत प्रतिरोध का शोर रचते हैं।
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Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Ajneya'
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- Description: सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ भारतीय साहित्य इतिहास के सबसे चर्चित और लोकप्रिय कवियों में हैं। पिछली शताब्दी के अनेक साहित्य आन्दोलन और प्रवृत्तियों का केन्द्र रहे कवि अज्ञेय का व्यक्तित्व समर्थ कथाकार और आलोचक का भी है। कविता उनके व्यक्तित्व का केन्द्र बिन्दु है। वे व्यक्ति की निजता और स्वतंत्रता को सबसे अधिक महत्त्व देते थे। भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में भी सक्रिय रहे कवि अज्ञेय का कृतित्व 1930 के आसपास प्रारम्भ होकर उनके निधन 1987 तक चलता है। उनके अनेक कविता-संग्रह हिन्दी की श्रेष्ठ कृतियों में अग्रगण्य हैं। अज्ञेय की कविताओं पर मनोविश्लेषण, अस्तित्ववाद, आधुनिकता और गैर रूमानियत का असर देखा जाता है। धर्म मुक्त आध्यात्मिकता भी उनके काव्य में मौजूद रहस्यवाद का एक पक्ष है। राजकमल प्रकाशन की प्रतिनिधि कविताएँ शृंखला में अज्ञेय की यह पुस्तक पाठकों को उनके काव्य के श्रेष्ठतम का आस्वाद देगी।
Yaad Kiya Dil Ne
- Author Name:
Dr. Trinetra Bajpai
- Book Type:

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Description:
हिन्दी फिल्म संगीत का एक दौर ऐसा भी था जब गीतों, गजलों, नज्मों की सम्पदा सुमधुर धुनों और संयत लय-ताल के साथ हमारे जीवन के तकरीबन हर पहलू की जीवन्त व्याख्या की तरह हमारे साथ रहती थी। हर मन की हर बात कहने के लिए कोई-न-कोई गीत निकल आता था, दर्द की, खुशी की, अफसोस की, शोक की हर लहर किसी-न-किसी गीत से जाकर जुड़ जाती थी। आज भी जरूरत के वक़्त वही गीत हमारे काम आते हैं।
और उन गीतों के पीछे थी ऐसे अनेक संगीतकारों की सुर-साधना, अनेक ऐसे गायकों की संगीत-चेतना जिनमें से बहुतों का नाम भी हम आज के धूम-धड़ाके में भूल गए हैं, या जान ही नहीं पाए।
यह किताब उन्हीं नामों की स्वर्ण-तालिका को प्रकाशित करती है। वे संगीत-निर्देशक जिन्होंने हिन्दी फ़िल्म संगीत की जड़ें गूँथी, अपनी धुनों से देश के जन-गण को स्वर दिया, ऐसी लयबद्ध पंक्तियाँ दीं जो कहीं-न-कहीं हर किसी को आपस में जोड़कर देश की सामूहिक संवेदना को आकार देती हैं।
इस पुस्तक के केन्द्र में खास तौर पर उन संगीतकारों का जीवन और कृतित्व है जिन्होंने फ़िल्म संगीत को एक नई, सुरीली और कलात्मक दिशा दी और फ़िल्म-संगीत के उस दौर को सम्भव किया जिसे आगे चलकर संगीत का ‘स्वर्ण युग’ कहा गया। संगीत की गहरी समझ, शोध और लोकप्रियता के आधार पर यहाँ ऐसे 26 संगीतकारों पर फोकस किया गया है। अपने क्षेत्र के इन युग-प्रवर्तकों के साथ ही यहाँ उन लोगों के काम को भी रेखांकित किया गया है जिन्होंने भारतीय फ़िल्म संगीत के खजाने को समृद्ध करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई और जो आज भी सक्रिय हैं।
फ़िल्म-संगीत के प्रेमी पाठक इस अनूठी पुस्तक को सन्दर्भ ग्रंथ की तरह सहेज सकते हैं।
Jal Padya
- Author Name:
Taslima Nasrin
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- Description: दग्ध हृदय की अत्यन्त तरल और सजल अभिव्यक्ति हैं तसलीमा नसरीन की ये कविताएँ—अनवद्य जल पद्य है यह। जैसे पानी को मुट्ठी में बाँधकर नहीं रखा जा सकता, पानी की यह पुकार भी कुछ वैसी ही है। यह प्रवाह आपको बहाता है, डुबाता है, इसमें आप तैरते हैं और यह सीधे हृदय में उतर जाता है। नितान्त व्यक्तिगत-सी लगती ये कविताएँ दरअसल राख हो रहे जीवन को सजल और प्राणवान बनाने का उपक्रम हैं और गहरी जिजीविषा से उपजी हैं। जीवन के प्रति अदम्य मोह और ललक से भरी हैं ये कविताएँ। देश से, परिवेश से और परिवार से वंचित, निर्वासित जीवन बिता रही तसलीमा की इन कविताओं में यद्यपि दुःख की एक सर्वग्रासी छाया है लेकिन यह भी है कि दु:ख को जीकर-बरतकर ही उदात्त और महत्तर की आत्मोपलब्धि की जा सकती है। तसलीमा कहती हैं : ‘कविता को जन्म देने के लिए स्त्री होना होता है पहले।’ स्त्री-पुरुष के लिंग-भेद को अस्वीकार करती तसलीमा जीवन को अविभाज्य रूप में देखती हैं और ख़ुद के जीवन को ही काव्य-वस्तु बनाकर जिए और सहे जा रहे की नितान्त अकपट तथा साहसपूर्ण अभिव्यक्ति करती है। स्वीकार-अस्वीकार से लेकर धिक्कार-हाहाकार तक ये कविताएँ वैसी ही हैं जैसे जल की धारा चट्टान से टकराती है, उसे डुबाती है, उसका अतिक्रमण करती है और कई बार थककर चट्टान पर ही सिर रखकर सुस्ताती भी है। इन कविताओं में अपने प्रकृत रूप में उपस्थित हैं तसलीमा नसरीन।
Awaaz Mein Jhar KAR
- Author Name:
Prakash
- Book Type:

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Description:
“प्रकाश एक युवा-कवि आलोचक थे जिन्होंने इस कविता-संग्रह की पाण्डुलिपि स्वयं तैयार की थी और उसे प्रकाशित करने की चेष्टा कर रहे थे। दुर्भाग्य से उन्होंने जनवरी 2016 में आत्महत्या कर ली। यह मरणोपरान्त प्रकाशन इस बात का साक्ष्य है कि प्रकाश एक भाषा-सजग, शिल्प-निपुण कवि थे जिनके लिए भाषा स्वयं खोजने-पाने का एक अनुभव थी, निरा माध्यम भर नहीं। उसमें सूक्ष्म संवेदना है जो आजकल की अधिकतर युवा कविता की तरह सामान्यीकृत अनुभवों से काम नहीं चलाती बल्कि उसे संवेदना को ऐसे अनेक बिम्बों और छवियों से चरितार्थ करती है जो प्राय: परिणति में नहीं प्रक्रिया में होती
है : उसे कहीं पहुँचने की जल्दी नहीं होती और वह धीरज से रास्ता खोजती, तय करती या ज़रूरी लगे तो उसमें भटकती है। मर्म, दृष्टि और ब्योरों के बीच प्रकाश के यहाँ दूरी नहीं है, न ही अलगाव। वे दरअसल उन सभी के बीच गहरे लगाव के शिल्पकार थे। उनका यह दूसरा संग्रह प्रकाशित हो रहा है जिसे इस पुस्तक माला में स्थान देकर हमें सन्तोष है कि एक अच्छे युवा कवि की कुल रचनाएँ हमें सामने लाने का सुयोग मिल रहा है।”—अशोक वाजपेयी
—‘आमुख’ से
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