Kavitayen : Vol. 2
Author:
Sarveshwardayal SaxenaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Unavailable
नई कविता की लोक–सम्पृक्ति के प्रतिनिधि कवि सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की ‘कुआनो नदी’ और ‘जंगल का दर्द’ से पूर्ववर्ती सम्पूर्ण काव्य–साधना का पहला खंड ‘कविताएँ–1’ कविताओं का यह दूसरा खंड है। इसमें पूर्व प्रकाशित कवि के दो संग्रहों (‘एक सूनी नाव’ और ‘गर्म हवाएँ’) की कविताएँ सम्मिलित हैं। इन कविताओं में कवि के निजी जीवन और समसामयिक सामाजिक, राजनीतिक जीवन की त्रासदी परस्पर गुम्फित है। ये कविताएँ राजनीति से भागती नहीं क्योंकि वह आज के जीवन का हिस्सा हैं लेकिन राजनीतिक मतवाद से उनका अलगाव अवश्य है। दरअसल, सर्वेश्वर के तर्इं इनसान से बड़ा कुछ भी नहीं है—न ईश्वर, न प्रकृति—सबका क़द उनके यहाँ एक <br />है।</p>
<p>सर्वेश्वर की कविताएँ भाषा से दुर्व्यवहार करनेवाले कवियों की इधर बढ़ती हुई भीड़ के लिए एक सबक भी है। वे अपनी निजी दुनिया में ले जाकर, सामाजिक ‘सच्चाई’ से सूक्ष्म सम्पर्क करती हुर्इं, पाठक के मन में भाषा के प्रति एक धड़कता हुआ रिश्ता बनाती हैं। ‘एक सूनी नाव’ और ‘गर्म हवाएँ’—ये शीर्षक ही सर्वेश्वर की काव्य–यात्रा के बदलाव को सूचित करते हैं। पर सर्वेश्वर की कविता में जो ‘ग़ुस्सा’ धीरे–धीरे अपेक्षाकृत अधिक मुखर हुआ है, उसके पीछे भाषा पर पड़नेवाले दबाव की स्थिति से एक गहरा रचनात्मक मुक़ाबला है। कविता में निषेधी भाषा की तीव्र उपस्थिति कुछ करने और बदलने की इच्छा से अनुप्रेरित है—सिर्फ़ ग़ुस्से से ही नहीं।
ISBN: 9788126704538
Pages: 199
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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