
Amrushatakam
Author:
Kamleshdutt TripathiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 600
₹
750
Available
‘अमरुशतकम्’ संस्कृत काव्य का एक गौरव-ग्रन्थ है। उसमें ऐन्द्रियता और शृंगार की, प्रेम और रति की अपार सूक्ष्मताएँ और छबियाँ ऐसे अद्भुत काव्य-कौशल से उकेरी गई हैं कि उनका मूल संस्कृत के अलावा हिन्दी अनुवाद में भी आस्वाद सम्भव है। यह संचयन एक बार फिर याद दिलाता है कि भारतीय शृंगार की परम्परा विश्व स्तर पर एक अनोखी परम्परा है जिसमें बखान, उन्मीलन, सांकेतिकता, अन्वय आदि के अनेक पक्ष कविता में सहज सम्भव होते रहे हैं। हम इस पुस्तक के पुनर्प्रकाशन से उस विरासत की ओर आधुनिक काव्य-रसिकों का ध्यान खींचने की चेष्टा कर रहे हैं।</p>
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ISBN: 9788126730971
Pages: 356
Avg Reading Time: 12 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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‘दिगंत’ में कवि त्रिलोचन के कुछ सॉनेट संकलित हैं। हिन्दी में सॉनेट तो प्रसाद, पन्त, निराला आदि अन्य कवियों ने भी लिखे हैं, लेकिन त्रिलोचन ने सॉनेट के रूप में विविध प्रकार के नए प्रयोग कर सॉनेट को हिन्दी कविता में मानो अपना लिया है। जीवन के अनेक प्रसंगों की मार्मिक और व्यंग्यपूर्ण अभिव्यंजना इन कविताओं में हुई है।
त्रिलोचन के सॉनेटों की भावभूमि छायावाद नहीं है, और न प्रयोगवादी ही, यद्यपि भाषा, लय और विन्यास सर्वथा नवीन और चमत्कारपूर्ण हैं। जीवन के वैषम्यों की गहरी चेतना होने के कारण ही त्रिलोचन का दृष्टिकोण आशावादी है और उन्होंने अपनी अनुभूतियों को नई भाषा में ढालकर तीखी अभिव्यक्ति दी है जो सीधे हृदय पर चोट करती है।
—शिवदान सिंह चौहान
Mughal Badshahon Ki Hindi Kavita
- Author Name:
Manager Pandey
- Book Type:
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यह आश्चर्यजनक लगेगा, लेकिन तथ्य है, कि बाबर से लेकर बहादुरशाह जफ़र तक, लगभग सभी मुग़ल बादशाह शायर और कवि भी थे; और उन्होंने फ़ारसी-उर्दू में ही नहीं, ब्रजभाषा और हिन्दी में भी काव्य-रचना की।
यह पुस्तक प्रमाण है कि जिस भी बादशाह को राजनीति और युद्धों से इतर सुकून के पल नसीब हुए, उन्होंने कवियों-शायरों को संरक्षण देने के अलावा न सिर्फ़ कविताएँ-ग़ज़लें लिखीं, अपने आसपास ऐसा माहौल भी बनाया कि उनके परिवार की महिलाएँ भी काव्य-रचना कर सकें। लिखित प्रमाण है कि बाबर की बेटी गुलबदन बेगम और नातिन सलीमा सुल्ताना फ़ारसी में कविताएँ लिखती थीं। हुमायूँ स्वयं कवि नहीं था, लेकिन काव्य-प्रेम उसका भी कम नहीं था। अकबर का कला-संस्कृति प्रेम तो विख्यात ही है, वह फ़ारसी और हिन्दी में लिखता भी था। ‘संगीत रागकल्पद्रुम’ में अकबर की हिन्दी कविताएँ मौजूद हैं। जहाँगीर, नूरजहाँ, फिर औरंगजेब की बेटी जेबुन्निसाँ, ये सब या तो फ़ारसी में या फ़ारसी-हिन्दी दोनों में कविताएँ लिखते थे। कहा जाता है कि शाहजहाँ के तो दरबार की भाषा ही कविता थी। दरबार के सवाल-जवाब कविता में ही होते थे। दारा शिकोह का दीवान उपलब्ध है, जिसमें उसकी ग़ज़लें और रुबाइयाँ हैं। अन्तिम मुग़ल बादशाह जफ़र की शायरी से हम सब परिचित हैं। उल्लेखनीय यह कि उन्होंने हिन्दी में कविताएँ भी लिखीं जो उपलब्ध भी हैं।
कहना न होगा कि हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक डॉ. मैनेजर पाण्डेय द्वारा सम्पादित यह संकलन भारत में मुग़ल-साम्राज्य की छवि को एक नया आयाम देता है; इससे गुज़रकर हम जान पाते हैं कि मुग़ल बादशाहों ने हमें क़िले और मक़बरे ही नहीं दिए, कविता की एक श्रेष्ठ परम्परा को भी हम तक पहुँचाया है।
Chuni Hui Kavitayen
- Author Name:
Atal Bihari Vajpayee
- Book Type:
- Description: This book has no description
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