Yeh Prithvi Tumhein Deta Hoon
Author:
MarkandeyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
मार्कण्डेय की ख्याति एक कथाकार के रूप में विशेष है। लेकिन उन्होंने कविता और कहानी साथ-साथ लिखना शुरू किया था। सन् 1954 में उनका पहला कहानी-संग्रह ‘पान-फूल’ और सन् 1956 में पहला कविता-संग्रह—‘सपने तुम्हारे थे’ नाम से आया था।</p>
<p>‘सपने तुम्हारे थे’ के बाद उनका फिर कोई दूसरा काव्य-संग्रह नहीं आया। लेकिन फिर सन् 2006 की जनवरी में सतीश जमाली द्वारा सम्पादित पत्रिका ‘नई कहानी’ का अंक एकाएक हाथ लगा। देखा, उसमें मार्कण्डेय की भी छह कविताएँ थीं। मार्कण्डेय जी से पूछा तो पता चला कि ये कविताएँ 1980 के दशक में लिखी गई कविताओं में से छाँटकर ‘नई कहानी’ में छपने को दी गई थीं। इस तरह यह भेद खुला कि मार्कण्डेय ने अपने कवि को ‘सपने तुम्हारे थे’ के साथ कोई अन्तिम विदाई नहीं दे दी थी। अलबत्ता काव्य-रचना के क्षेत्र में एक लम्बा मौन ज़रूर उन्होंने साध रखा था, जो शायद सन् 1980 के दशक में टूटा—भले ही बहुत थोड़े समय के लिए ही सही।</p>
<p>बहरहाल, प्रस्तुत संग्रह में मार्कण्डेय के पहले काव्य-संकलन ‘सपने तुम्हारे थे’ की कविताओं के साथ सन् 1980 के दशक में लिखी गई उनकी कविताओं को भी सम्मिलित किया गया है।</p>
<p>मार्कण्डेय कविता की ‘कला’ सीखने से ज़्यादा चाव रखते हैं यह सीखने में कि कविता में शब्दों को किसी सार्थक उद्देश्य से कैसे जोड़ा जाए। ‘अभी तो मैं सीख रहा हूँ’ शीर्षक कविता की ये पंक्तियाँ देखिए—‘‘अगर सम्भव हुआ तो निहाई ले आऊँगा/हथौड़े से पीटूँगा, हँसिया बनाऊँगा/फिर मैं सीखूँगा शब्दों को गर्म करना/नाबदानों और वेश्यालयों में पड़े-पड़े/वे घिनौने, बदकार और चापलूस हो गए हैं...’’</p>
<p>सीखने की कोई उम्र नहीं होती। मगर यह सब सीखने में मार्कण्डेय के कवि-रूप को कितनी सफलता मिली या यह सब सीखने में कविता का क्या-क्या दाँव पर लगा—इसकी जाँच–परख इन कविताओं के पाठक अपने विवेक से करेंगे, ऐसी आशा है।</p>
<p>—राजेन्द्र कुमार
ISBN: 9788180317491
Pages: 163
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: फ़ना बुलन्दशहरी का मूल नाम हनीफ़ मोहम्मद था। आपका बुनियादी ताल्लुक़ उत्तर प्रदेश सूबे के बुलन्दशहर से था। आपकी पैदाइश का वक़्त मुस्तनद तौर बता पाना मुमकिन है, न ही बुलन्दशहर में आपकी पैदाइश की जगह और शिजरा। इसकी वाहिद वजह यही है कि फ़ना साहब एक सूफ़ी शायर थे। और सूफ़ी शायर अपना कलाम सिर्फ़ अपने महबूब के लिए लिखते हैं और ख़ुद को दुनिया से छुपा कर गुमनाम कर लेना उनका तरीक़ा रहा है। आपकी पैदाइश के कुछ बरस बाद ही आप हिजरत करके पाकिस्तान चले गए। शायरी का शौक़ बचपन से था। उस दौर के मशहूर शायर क़मर जलालवी के शागिर्द हो गए। आपका सूफ़ियाना ताल्लुक़ मोहम्मद शरीफ़ मियाँ क़ादरी नक़्शबंदी पीलीभीत से था और आपका आख़िरी वक़्त गुजराँवाला और लाहौर की ख़ानक़ाहों में गुज़रा। यहीं 1 नवम्बर 1986 को आपका इन्तिक़ाल हो गया।
Praan Mere
- Author Name:
Anil Kumar Pathak
- Book Type:

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Description:
अनिल कुमार पाठक की नवीनतम काव्य-कृति ‘प्राण मेरे’ उनकी पूर्व काव्य-कृतियों ‘गीत, मीत के नाम’ तथा ‘अप्रतिम’ की परम्परा में मोहक प्रेम-गीतों का एक विलक्षण संग्रह है। पूर्ववर्ती गीत-संग्रहों की ही भाँति इस संग्रह के गीतों में भी प्रेम, संकुचित स्वरूप का परित्याग कर विस्तार के उद्दीप्त शाश्वत भाव के साथ विभिन्न अर्थ-संकेतों तथा अर्थ-सन्दर्भों के रूप में उपस्थित है। भावनाओं की व्यापकता एवं उसमें निहित चेतना-तत्त्व से युक्त प्रेम के स्निग्ध स्वरूप को कवि ने इस सुकृति की भूमिका में अनन्य भाव से परिभाषित किया है।
उन्होंने समाज में व्याप्त प्रेम विषयक विभिन्न भ्रान्तियों, जो प्रेम के शाश्वत स्वरूप को सीमित करती हैं, के सम्बन्ध में निराकरण प्रस्तुत करते हुए अपनी दृष्टि से इनकी गहन व्याख्या भी की है। कवि की यही दृष्टि इस संग्रह के गीतों में प्रतिध्वनित होती है।
Kaafila-E-Nau-Bahaar
- Author Name:
Vikas Sharma Raj
- Book Type:

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