
Jee chahe Tu Sheesha Banja
Author:
Zaheen Shah TajiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 199.2
₹
249
Available
हज़रत ज़हीन शाह ताजी के प्रसिद्ध सूफ़ी कलाम का संग्रह पहली बार हिंदी पाठकों के लिए किया जा रहा है. इस किता के संपादक सुमन मिश्र हैं
ISBN: 9789394494589
Pages: 130
Avg Reading Time: 4 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Tumadi Ke Shabd
- Author Name:
Badri Narayan
- Book Type:
- Description: Awating description for this book
Vidyapati Padavali
- Author Name:
Ramvriksh Benipuri
- Book Type:
-
Description:
यह ‘विद्यापति पदावली’ इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि इसका संग्रह बेनीपुरी जी ने किया है। हिन्दी के प्रसिद्ध ललित निबन्धकार बेनीपुरी कवि, कहानीकार ही नहीं ग़रीबों, पीड़ितों और शोषितों के लिए आजीवन संघर्षरत रहे। ऐसे लेखक के द्वारा विद्यापति की पदावली का सम्पादन प्रतीकात्मक अर्थ रखता है।
पुस्तक के प्रारम्भ में बेनीपुरी जी द्वारा लिखी गई भूमिका केवल विश्लेषण और सूचना की दृष्टि से नहीं, बल्कि नई अर्थ-मीमांसा की दृष्टि से नई है। इससे विद्यापति को हम पहले से कुछ अधिक जानने लगते हैं।
विद्यापति की यह पदावली शब्दों के अर्थ की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। बेनीपुरी जी शब्द पारखी थे। उन्होंने इस पदावली में शब्दों के सांकेतिक अर्थ को भी स्पष्ट करने का प्रयास किया है जो अन्यत्र दुर्लभ है। विद्यापति के पदों को गाते हुए चैतन्य महाप्रभु समाधिस्थ हो जाते थे। आनन्द कुमार स्वामी को पदावली काव्य-कला की दृष्टि से बहुत प्रिय थी। उन्होंने लिखा भी है। उस पदावली का यह प्रस्तुतीकरण अत्यन्त उपयोगी है। बेनीपुरी जी विद्यापति को ‘हिन्दी का जयदेव’ और ‘मैथिल कोकिल’ कहते थे। उनकी वाणी का बेनीपुरी द्वारा भावित यह संस्करण लोगों को अवश्य रुचेगा। भूमिका में बेनीपुरी ने अपनी चिर-परिचित शैली में पदों की भाषा और कविता माधुरी का जो वर्णन किया है, वह तो अन्यत्र दुर्लभ है ही।
‘राजा की गगनचुम्बी अट्टालिका’ से लेकर ग़रीबों की टूटी हुई फूस की झोंपड़ी तक में विद्यापति के पदों का जो सम्मान है; भूतनाथ के मन्दिर और कोहबर घर में पदों की जो प्रतिष्ठा है, उसको ध्यान में रखते हुए ही यह पुस्तक बेनीपुरी जी ने सम्पादित की है। इससे विद्यापति और उनकी पदावली की नई अर्थवत्ता और चमक उजागर होती है। पाठ्यक्रम की दृष्टि से यह सर्वोत्तम है।
Pratinidhi Kavitayen : Ashok Vajpeyi
- Author Name:
Ashok Vajpeyi
- Book Type:
- Description: जन्म और मृत्यु। दो जीवन-सत्य। चूँकि 'मैं' हूँ, इसलिए इनका अस्वीकार भी सम्भव नहीं। फिर एक लय, एक सनातन लय-प्रेम की। सराबोर करती जीवन के, मृत्यु के इस अनुभव-पट को। अनुभव, स्पर्श का अनुभव। ऐन्द्रिकता का निर्द्वन्द्व स्वीकार। यही हैं अशोक वाजपेयी की कविता के मुख्य सरोकार। जड़ और चेतन—सभी ढले हैं उनकी कविताओं में—जो उनकी कविता-गंगा के पाट को दूर, बहुत दूर तक ले गए हैं; जहाँ तक पहुँच पाना या देख पाना, बिना इस गंगा में उतरे सम्भव नहीं। अशोक वाजपेयी जीवन के अनछुए अनुराग, अदेखे अन्धकार और अधखिले फूलों के साथ, उन मुरझाए फूलों को भी प्रेम करनेवाले कवि हैं, जिन्हें हम प्राय: नज़रअन्दाज़ कर जाते हैं। विभिन्न संकलनों से ली गई उनकी चुनिन्दा कविताओं का यह संग्रह निश्चय ही उनकी काव्य-संवेदना के कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को रेखांकित करेगा।
Kavitavali (Tulsidass Kart)
- Author Name:
Tulsidass
- Book Type:
-
Description:
गोस्वामी तुलसीदास का सम्पूर्ण जीवन और कृतित्व राम के प्रति समर्पित और राममय था। यद्यपि ‘कवितावली’ तुलसी के मुक्तक पदों का संग्रह है, किन्तु इसमें राम के बालरूप से लेकर राम के सभी रूपों की झाँकी है। तुलसी के अतिप्रिय राम सम्बन्धित मार्मिक प्रसंग भी इन मुक्तकों में मिलते हैं। ‘कवितावली’ तुलसीदास की ऐसी कृति है जिसमें उनका व्यक्तित्व राम-महिमा के साथ देश-काल से तादात्म्य करता हुआ एक संघर्षशील सर्जनात्मक, लोकमंगलाकांक्षी भक्त के रूप में प्रकट होता है। इस काव्य में रामचरित और उनसे सम्बद्ध चरित्रों की तथा उनके चरित्र की महिमा का आख्यान तो है ही, इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन स्थानों, उन तत्त्वों के भी सम्बन्ध में तुलसीदास स्पष्ट प्रकट होते हैं जो उनके जीवन में गुण-धर्म के समान समा गए हैं और जो उनके व्यक्तित्व को प्रकट करते हैं। तुलसीदास के महान व्यक्तित्व के पीछे देश-काल को देखने की उनकी जो सर्जनात्मक दृष्टि है, उसका भी हमें इसमें ज्ञान प्राप्त होता है।
तुलसीदास जी केवल द्रष्टा ही नहीं कर्मजयी स्रष्टा भी हैं और उनकी जीवन-गति में जो अवरोध समाज के सम्मुख आते हैं, उनसे संघर्षकर्ता तथा अजेय योद्धा के रूप में भी ‘कवितावली’ में अपने को प्रकट करते हैं। जाति-पाति के बन्धन से मनुष्य के व्यक्तित्व को ऊँचा उठाने का आह्वान भी ‘कवितावली’ में है। ‘कवितावली’ के भीतर उनकी उन मान्यताओं की भी प्रभा है, जिनके कारण उन्हें लोग समवन्यवादी मानते हैं। लोक में प्रचलित और प्रिय कवित्त, सवैया और छप्पय की पद्धति अपनाकर तुलसी ने राम के विभिन्न रूपों की राममय रचना की है। उनके आदर्श राम थे और उनका सम्पूर्ण कृतित्व राममय था। उन्होंने मुक्तक मणि के रूप में इसे प्रचारित किया। ‘कवितावली’ में रामचरित के स्फुट मुक्तक संगृहीत हैं। इनका संयोजन और सम्पादन तुलसी के समय में ही हो चुका था। बालकांड से लेकर उत्तरकांड तक के रामचरितमानस के अनुरूप सातों कांड कवितावली में भी हैं। इन चार सौ पचीस पदों की विशेषता और रामचरितमानस से इनकी विभिन्नता यही है कि ये सभी मूलक छन्द हैं। कवितावली में ‘हनुमान बाहुक’ स्वतंत्र रूट-रचना है। तुलसी के जीवन से सम्बद्ध अनेक रचनाएँ भी कवितावली में हैं। उन्होंने हनुमान की अपनी आराधना को भी इस रचना में स्थान दिया है।
तुलसी के सम्पूर्ण जीवन-काल की स्फुट रचनाओं को सुधाकर पाण्डेय जी ने इस ग्रन्थ में संगृहीत किया है। छात्रों की सुविधा के लिए शब्दार्थ, भावार्थ और पदों की विशिष्टता और विशेषता को भी उन्होंने इस ग्रन्थ में प्रस्तुत किया है। इससे यह ग्रन्थ छात्रों के लिए अतिमहत्त्वपूर्ण तथा उपयोगी बन गया है।
Khwahishen
- Author Name:
Sonika Ahujha
- Book Type:
- Description: "Khwahishen" is a Hindi poetry and Shayari collection; most of the verses are emotions of love, sadness, wait, n dreams etc.; the poetry is in simple Hindi n coupled with some lovely words of Urdu; the verses are an exploration of the soul, close to life, straight from the heart... The best part is the poems are felt through every human nature, and while reading, one feels it's all about my thoughts. Sonika 'Niti' Ahuja is a Hindi poet who started her career as a homoeopath but gave up her practice to look after her children. She is a proud mother of three daughters and a son, who passed away while he was still very young. She is a passionate writer who started writing in her early forties to express her thoughts, feelings and dreams. She is already an author of a book named 'Soul's Whispers'. She currently resides in Ludhiana, Punjab, with her husband, father-in-law and three daughters, whom she loves to her heart's content, and she is a source of inspiration for thousands of people...
Kuchh Rafoo Kuchh Thigare
- Author Name:
Ashok Vajpeyi
- Book Type:
-
Description:
“यह तो अच्छा हुआ कि कविता मेरे साथ है/जो यह भरोसा दिलाती है कि/कोई भी पथ कभी समाप्त नहीं होता/और सब कुछ गँवा देने के बाद भी/कुछ बचा रहता है।”
अशोक वाजपेयी की अथक और अदम्य जिजीविषा इन कविताओं में उदास विवेक और आत्मस्वीकार के बीच गहरे संयम के साथ नाजुक ढंग से सन्तुलित है। कुल एक वर्ष की अवधि में लिखी गई ये कविताएँ कई बार उदासी से घिरी होने के बावजूद अपनी पारदर्शिता में उजली और निर्मल हैं। सारे ध्वंस और नाश के विरुद्ध कविता को अपने लिए एकमात्र बचाव माननेवाले इस कवि की भाषा, सयानापन और शिल्प पर सहज अधिकार एक बार फिर सत्यापित करते हैं कि हमारे समय में कविता मनुष्य की हालत, उसकी उलझनों और जीवट का सूक्ष्म बखान करती है और ऐसा करते हुए हमें सचाई में ऐन्द्रिय शिरकत का अवसर देती है।
अशोक वाजपेयी की आवाज़, हमेशा की तरह, निजी और समाजधर्मी एक साथ है और वे लगातार अपने को वेध्य और बेबाक बनाए हुए हैं। उनकी कविता के केन्द्र में साधारण जीवन की आभा और छवियाँ हैं जिन्हें उनकी भाषा अनूठे शब्दालोक और समयातीत आशयों से उद्दीप्त करती है।
Jhukna Kisi Ko Ropna Hai
- Author Name:
Shriprakash Shukla
- Book Type:
- Description: नब्बे के बाद की हिन्दी कविता को कवियों की जिस पीढ़ी ने अपने सरोकारी एवं सतत लेखन से सँवारा-बनाया है उनमें श्रीप्रकाश शुक्ल एक महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उनकी कविताई का विस्तार तीन दशकों में फैला हुआ है, लेकिन इसकी खासियत है इसका सातत्य। 1999 में श्रीप्रकाश शुक्ल का पहला संग्रह ‘अपनी तरह के लोग’ के आने से लेकर 2022 में सातवें संग्रह ‘वाया नई सदी’ तक की यात्रा में एक निरन्तरता है। ये कृतियाँ क्रमशः संस्कृति, दर्शन और राजनीतिक चेतना की धुरी पर अपने समय को कातती हैं। इनके पूरे परिस्पन्द के बीच एक चीज सर्वनिष्ठ है और वह है लोकभाषा और जनपदीयता। बनारस अंचल श्रीप्रकाश शुक्ल की कविताओं की शिराओं में रक्त बनकर दौड़ रहा है। सोनभद्र, मिर्जापुर, प्रयाग और गाजीपुर का ‘लोकेल’ उनकी कविता में बुनियाद की तरह बिछा हुआ है। उनकी कविताओं पर इस क्षेत्र की लोककथाओं, लोक धुनों और गीतों का गहरा असर है। आख्यान-परम्परा का तो सबसे गहरा और व्यापक। श्रीप्रकाश शुक्ल की आख्यान शैली में लोक और शास्त्र दोनों में मौजूद दन्तकथाओं, किंवदन्तियों और मिथकीयता के आधुनिक सन्दर्भों का काव्यमय सन्धान अद्भुत और व्यापक है। लोककथाओं व मिथकीय पृष्ठभूमि के साथ श्रीप्रकाश शुक्ल ने बहुत साभिप्राय लोक देवों-देवियों, लोकनायकों और अति साधारण किरदारों के साथ मामूली जगहों, पेशों, रिवाजों व चीजों को अपनी कविताओं का विषय बनाया है। प्रशस्त इतिहासबोध और जनपदीयता के भीतर से कविता में इतिवृत्त और प्रकृति के संश्लेष के कारण श्रीप्रकाश शुक्ल इस प्रवृत्ति के प्रतिनिधि कवि हैं।
Beautiful Poem (Series-2)
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:
- Description: Beautiful Poem(Series-2) is a wonderful book by Dr. Sanjay Rout and it's a series of beautiful poems which are not just words, but they have the power to change our lives. A book that can help you find yourself and at the same time make your life meaningful and impactful.
Matdan Kendra Par Jhapaki
- Author Name:
Kedarnath Singh
- Book Type:
-
Description:
ये कविताएँ एक कवि का पक्ष रखती हैं जिसे केदार जी इक्कीसवीं सदी की दूसरी दहाई में आकर पक्षहीन हो चुके हम लोगों को सौंप रहे हैं। ये कविताएँ हिंसा के विशाल परदे के आगे एक मनुष्य का हिंसक होने से इनकार हैं—देखने में बहुत विनम्र, विनीत, लेकिन चट्टान-सा सख़्त, दृढ़ और निर्णायक।
ज़रूरी नहीं कि उनकी सूची में हमारा नाम हो ही, जिनका नाम किसी सूची में नहीं, उनकी भी एक दुनिया है, जिसका नेतृत्व पेड़ करते हैं, और आपस में टकराते सत्ता के काले-पीले-सफ़ेद नारों के बरक्स जिसके पास पृथ्वी के सबसे सटीक और सबसे सुन्दर नारे हैं। वे नारे जो नदियों को उनका पानी, चींटियों को उनके बिल और आँखों को उनकी झपकी लौटा देने की पैरवी कर रहे हैं। इस संग्रह को पढ़ते हुए हमें इन रवहीन नारों की ताक़त का अहसास होता है।
केदार जी अब हमारे बीच नहीं हैं, उनकी कविताओं का यह संकलन एक वसीयत की तरह हमारे पास रहेगा जिसमें संसार की सबसे मूल्यवान वस्तु, मनुष्यता की देखरेख की ज़िम्मेदारी वे हमें सौंप रहे हैं।
‘‘पृथ्वी के सारे ख़ून एक हैं/एक ही यात्रा में/एक ही पृथ्वी-भर लम्बी देह में/दौड़ रहे हैं वे/...अरबों धड़कनें एक ही लय में/घुमा रही हैं दुनिया को/ हर ख़ून हर ख़ून से बतियाता है।''
ये कविताएँ अपने सहज, निरायास आग्रह के साथ हमें ख़ून से बातें करते ख़ून की आवाज़ सुनने को कहती हैं। ''क्षमा करें भद्रजन/यदि फिर पूछ रहा हूँ/...मेरे देश के एक हाथ को/एक खुले हुए भूखे मुँह तक पहुँचने में/कितने बरस लगते हैं?’’ यह एक निर्दलीय प्रश्न है, लेकिन निरपेक्ष नहीं, यह मनुष्यता की आहत कोख में चीख़ता प्रश्न है; उम्मीद है हम इसका जवाब ढूँढ़ने का प्रयास करेंगे!
Har Kavita Kuchh Kahti Hai
- Author Name:
Kalpana Verma
- Book Type:
- Description: अपना तीसरा कविता-संग्रह मैं अपने पाठकों को सौंप रही हूँ। एक शिशु की तरह देखभाल करके मैंने संग्रह की कविताओं को पालने की कोशिश की है। एहसासों के साथ अपने होने को महसूस किया है। एक ओर ज़िन्दगी की अज़ब कहानी चल रही है तो दूसरी ओर चार दृश्यों का सच है। प्यार और पैसे की जंग में भौतिकता की जीत का जश्न है। डिमेंशिया और सुडोकू जैसे ग्रहण भी हैं। केबल टी.वी. की जकड़न का अपना अन्दाज़ है। बूँद भी छलकती है, चलते-चलते, सब आ जाता है के विस्तार में अनुभवों की पकड़ है। विचारों की आवाजाही से कलम को गति मिली है। यह पुस्तक इस गति का एक पड़ाव है। पड़ाव पर ठहरने के बाद आगे की मंजिल दिखने लगी है।
Main Kin Sapnon Ki Baat Karoon
- Author Name:
Shyam Sunder Tiwari
- Book Type:
- Description: Book
Maa Maati Manush
- Author Name:
Mamta Banerjee
- Book Type:
-
Description:
ये ममता बनर्जी की कविताएँ हैं; ममता बनर्जी, जो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हैं, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और ‘फ़्रायर ब्रांड’ नेता, जिन्हें उनके दो टूक लहज़े और अक्सर ग़ुस्से के लिए भी जाना जाता है।
इन कविताओं को पढ़कर आश्चर्य नहीं होता। दरअसल सार्वजनिक जीवन में आपादमस्तक डूबे किसी मन के लिए बार-बार प्रकृति में सुकून के क्षण तलाश करना स्वाभाविक है। लेकिन ममता जी प्रकृति की छाँव में विश्राम नहीं करतीं, वे उससे संवाद करती हैं। प्रकृति के रहस्यों को सम्मान देती हैं, और मनुष्य मात्र से उस विराटता को धारण करने का आह्वान करती हैं जो प्रकृति के कण-कण में विद्यमान है।
उनकी एक कविता की पंक्ति है ‘अमानवीयता ही है सभ्यता की नई सज्जा’—यह उनकी राजनीतिक चिन्ता भी है, और निजी व्यथा भी। और लगता है, इसका समाधान वे प्रकृति में ही देखती हैं। सूर्य को सम्बोधित एक कविता में कहा गया है : ‘पृथ्वी को तुम्हीं सम्हाल रखोगे/मनुष्यता को रखो सर्वदा पहले/जाओ मत पथ भूल’।
वे प्रकृति में जैसे रच-बस जाती हैं। उनका संस्कृति-बोध गहन है और मानवीय संवेदना का आवेग प्रखर। ‘एक मुट्ठी माटी’ शीर्षक कविता में जैसे यह सब एक बिन्दु पर आकर जुड़ जाता है—‘एक मुट्ठी माटी दे न माँ रे/मेरा आँचल भरकर/मीठापन माटी का सोने से शुद्ध/देखेगा यह जग जुड़कर/थोड़ा-सा धन-धान देना माँ/लक्ष्मी को रखूँगी पकड़/नई फसल से नवान्न करूँगी/धान-डंठल सर पर रख।’
कहने की आवश्यकता नहीं कि इन कविताओं में हम एक सफल सार्वजनिक हस्ती के मन के एकान्त को, और मस्तिष्क की व्याकुलता को साफ़-साफ़ शब्दों में पढ़ सकते हैं।
Yakshini
- Author Name:
Vinay Kumar
- Book Type:
-
Description:
ऐसा कहते हैं हठयोगी और युंग भी कि आदमी का वजूद, उसकी स्मृतियाँ, खासकर जातीय स्मृतियाँ, एक परतदार शिला की तरह उसके अवचेतन के मुँह पर सदियों पड़ी रहती हैं। फिर अचानक कोई ऐसा क्षण आता है कि शिला दरकती है, हहाता हुआ कुछ उमड़ आता है बाहर और कूल-कछार तोड़ता हुआ सारा आगत-विगत बहा ले जाता है। शेष रहता है एक संदीप्त वर्तमान और उस पर पाँव और चित्त टिकाकर कोई खड़ा रह गया तो उसकी बूँद समुद्र हो जाती है यानी अगाध हो जाती है उसकी चेतना ।
ऐसा लगता है कि अपने डॉ. विनय सचमुच ही प्रत्यभिज्ञा के किसी विराट एहसास से गुजरे हैं। जिन बारह आर्किटाइपों की बात युग कहते हैं-योद्धा, प्रेमी, संन्यासी, सेवा-निपुण, अभियानी, जादूगर, विदूषक, नियोजक, द्रष्टा, भोला-भंडारी, विद्रोही वगैरह, उनमें इनका वाला आर्किटाइप प्रेमी-संन्यासी विद्रोही तीनों की मिट्टी मिलाकर बना होगा जैसा कि सर्जकों का अक्सर होता है।
एक क्षीण कथा-वृत्त के सहारे तीन मुख्य किरदार कौंधते हैं-रानी, उसकी अनुचरी यक्षी और वह शिल्पी जो आया तो था रानी का उद्यान तरह-तरह की मूर्तियों से सजाने पर यक्षी की छवि उसके भीतर के पानियों में उसके जाने-अनजाने, चाहे अनचाहे ऐसी उतरी कि सबसे बड़ी शिला पर उसी की मूर्ति उत्कीर्ण हो गई। ईर्ष्या-दग्ध रानी की तलवार उसका एक हाथ काट तो गई पर फिर सदियों बाद जब भग्न मूर्ति के आश्रय उसकी स्मृतियाँ जगीं तो उमड़ पड़ा पचासी बन्दों का सजग आत्म-निवेदन इसकी सान्द्रता, त्वरा और चित्रात्मकता डी.एच. लॉरेन्स के मैन-वुमन-कॉस्मॉस वाले उस अभंग गुरुत्वाकर्षण की याद दिला देती है जिसका आवेग हिन्दी की कुछ और लम्बी कविताओं में कल-कल छल-छल करके बहता दिखाई देता है (जैसे कि उर्वशी, कनुप्रिया, मगध, बाघ आदि में)।
Sulga Hua Raag
- Author Name:
Manoj Mehta
- Book Type:
-
Description:
हिन्दी कविता का अधिकांश इन दिनों जिस प्रकार की नगरीय मध्यवर्गीयता से आक्रान्त होकर आत्मदया, हकलाहट, अन्तहीन रुदन और ऐसे ही नाना प्रपंचों को निचुड़े हुए मुहावरों में प्रकट करता दिखता है, उसके बरक्स ‘सुलगा हुआ राग’ में मनोज मेहता की कविताएँ सामर्थ्य भरे विकल्प की तरह आई हैं। इस संग्रह की कविताओं में समकालीन भारतीय समय और विडम्बनाओं से भरे उसके व्यापक यथार्थ की गहरी समझ है और उसी के साथ है उस यथार्थ की संश्लिष्ट संरचना से प्रसंगों, वस्तुओं, पात्रों और उनकी अन्तर्क्रियाओं को अचूक कौशल के साथ उठाकर अपना काव्यलोक रचने की अनूठी सृजनशीलता जो विस्मयकारी ढंग से कविता के सामान्य चलनवाले अतिपरिचित इलाक़ों के पार जाकर हमारे लिए गाँव-क़स्बों के मामूली मनुष्यों की एक विशाल दुनिया खोलती है। यह वह दुनिया है जहाँ ‘ढुलमुल गँवारू झोपड़ों में’ और ‘ढोल, मादल, बाँसुरी के सुरों में हमारा देश बसता है’।
मनोज मेहता के काव्य-सामर्थ्य का एक ग़ौरतलब पहलू यह भी है कि लोकजीवन से उनकी संलग्नता उन्हें अपनी भाषा के अन्य बहुतेरे कवियों की तरह अतिशय रोमानीपन की ओर नहीं धकेलती। ‘सुलगा हुआ राग’ में जहाँ मनोज उपलब्ध जीवन को उत्सवित करते हैं, वहाँ भी उनका काव्य विवेक अपनी वस्तुपरकता को खोकर असन्तुलित नहीं होता और न ही वह अतिरिक्त ऐश्वर्य अर्जित करने के लिए शिल्प की कलावादी तिकड़मों का सहारा लेता है। यह एक ऐसा काव्य-विवेक है जो आवयविक अनुभवों को लेकर बेहद सादगी और धीरज के साथ अपने आशयों को स्पष्ट करता है और भीषण संकटों के मौजूदा दौर में जीवन-प्रसंगों की मानवीय आन्तरिकता को भाषा के आईने में कुछ यों ले आता है कि वह बार-बार अपनी अनोखी आकस्मिकता के नएपन से हमें एक दुर्लभ सौन्दर्यबोध की ज़मीन पर नए आविष्कार की तरह बाँध लेती है—मानो हमारे भीतर पहले कुतूहल और फिर सरोकारों का ख़ूब समृद्ध ताना-बाना निर्मित करती हुई।
‘सुलगा हुआ राग’ की अन्तर्वस्तु में सहज और आयासहीन जनोन्मुख प्रतिबद्धता है, आख्यान है और निरन्तर गूँजती एक लय है जिसमें क्रियाओं और ध्वनियों की आवाजाही और हलचलें शामिल हैं—पर इस सबके बावजूद कुछ भी स्फीत नहीं होता। यहाँ शामिल कविताओं में मनोज मेहता के अनुभव प्रान्तरों की ऐसी अन्तर्यात्रा के साक्ष्य हैं जिनमें हमारे सामूहिक मन की बेचैन दीप्तियाँ तो हैं ही, उसकी अपराजेय जिजीविषा का गान भी है।
‘सुलगा हुआ राग’ के एक से दूसरे छोर तक मनोज मेहता ने चाहे जितने भी स्वरों का संयोजन किया हो, यहाँ न तो कहीं किसी विवादी स्वर का खलल है और न ही कोई मुद्रा दोष।
‘सुलगा हुआ राग’ में यह सब सम्भव हो पाया है तो इसलिए कि इसकी निर्मिति में एक विनम्र किन्तु दृढ़ प्राणवत्ता बसी है।
—पंकज सिंह
Zindagi Se Darte Ho
- Author Name:
Noon Meem Rashid
- Book Type:
- Description: अमिताभ सिंह बघेल ने अपनी तरह-तरह की साहित्यिक और सांस्कृतिक दिलचस्पीयों के साथ ही, अब उर्दू शाइरी को देवनागरी लिपि में पेश करने की तरफ पेशक़दमी की है, लेकिन एक ज़रा फ़र्क़ के साथ और वो यह कि उन्होंने इस काम के लिए ग़ज़ल नहीं बल्कि नज़्म का इंतख़ाब किया है।... उन्नीसवीं सदी में यही काम, उर्दू के ज़रिए सारे मज़हबों को जोड़ने के दायरे में, और ज़्यादा बड़े पैमाने पर मुंशी नवल किशोर ने किया था। बघेल साहब इसी रौशन विरासत को जारी रखने और आगे बढ़ाने के आरज़ूमन्द दिलों और दिमाग़ों की नई नस्ल के निहायत मज़बूत इरादों वाले शख़्स हैं जिन्हें क़ुदरत से गहरी-बामानी सोच और रचनात्मकता हासिल हुई है।... —फ़रहत एहसास नून मीम राशिद की नज़्मों का हिन्दी में आना एक ख़ुशगवार मौक़ा है। उर्दू शाइरी को नागरी लिपि में पढ़ने वाले पहले ही अच्छी ख़ासी तादाद में मौजूद हैं, फिर भी, इस किताब का आना एक ऐसी कमी को पूरा करेगा जो नज़्म के आशिक़ों ने हमेशा महसूस की है। इंसानी ज़िन्दगी की हक़ीक़त और उससे बरामद तज्रबों की आँच हमारे तख़य्युल को जो उड़ान बख़्शती है उसका बदल मुमकिन नहीं। ऐसे में राशिद को पढ़ना हर बार हमें एक नए सिरे से इस उड़ान का हिस्सा बनाता है। ज़ात ओ काइनात के मसअलों से उलझने वाली ये नज़्में बेदार और बाख़बर ज़ेहनों के लिए यक़ीनन सामान-ए-तस्कीन बनेंगी। राशिद की शाइरी का भरपूर तअर्रुफ़ कराती इस किताब में अमिताभ सिंह बघेल ने नज़्मों का चयन और लिप्यन्तरण बहुत दिल-जमई से किया है। मुझे यक़ीन है कि अदबी हलक़ों में इस किताब की पज़ीराई होगी और राशिद का नाम और काम तलाश कर उन्हें पढ़ने वालों की तादाद भी बढ़ेगी। —अभिषेक शुक्ला
Sargoshiyan
- Author Name:
Mamta Tiwari
- Book Type:
-
Description:
मैं किसी रवायत की अनुयायी नहीं हूँ। तभी कहीं काफ़िया नहीं मिलता कभी मीटर से बाहर हो जाती हूँ...नहीं हूँ मैं व्यवस्थित क़िस्म की पोएट...जब ज़िन्दगी एकदम सन्तुलित ना हो तो आप उसे कविताओं, कहानियों में कैसे व्यवस्थित दिखा सकते हैं...फिर ये तो झूठा होगा...सिर्फ़ छपने के लिए उन शब्दों को उठा के एक लाइन से दूसरी में शिफ़्ट कर दूँ...क्या वाक़ई में ज़िन्दगी में जो रिश्ता हमें रास नहीं आया...अपनी मर्ज़ी से हम उसे इधर से उधर शिफ़्ट कर सकते हैं...? नहीं ना...तो आप मुझे मेरी टूटी-फूटी बेतरतीब कविताओं के साथ स्वीकार करें!
Mahabazar Ke Mahanayak
- Author Name:
Prahlad Agarwal
- Book Type:
- Description: सिनेमा कला का वह रूप है जो बाज़ार की शर्तों पर भी चलता है, और बाज़ार के लिए नयी शर्तें और मे'आर भी तय करता है। भारत में यही एकमात्र आर्ट है जिसकी रचना बाज़ार को ध्यान में रखकर की जाती है; वह बाज़ार जिसमें जनता ख़रीदार है, उसी की पसन्द-नापसन्द से सिनेमाई उत्पाद का भविष्य तय होता है। प्रहलाद अग्रवाल हिन्दी के उन गिने-चुने लेखकों में हैं जिन्होंने सिनेमा के उतार-चढ़ाव पर हमेशा निगाह रखी है, नये ट्रेंड्स को पकड़ा है, सामाजिक-राजनीतिक सन्दर्भों में उनकी व्याख्याएँ की हैं, और फ़िल्मीगॉसिप की जगह सिनेमा का एक भाषिक विमर्श रचने का प्रयास किया है। इस पद्यात्मक किताब में वे यही काम थोड़ा अलग ढंग से कर रहे हैं। इसमें उनकी कुछ लम्बी कविताएँ ली गयी हैं जिनका विषय हिन्दी सिनेमा, उसके नायक-महानायक, सपनों की उस नगरी के भीतरी यथार्थ, उसके आदर्श, समाज के साथ उसके रिश्तों पर उन्होंने एक ख़ास तरंग में अपनी अनुभूतियों को बुना है। कह सकते हैं कि यह हिन्दी फिल्मों के स्याह-सफ़ेद की काव्यात्मक व्याख्या है, जिसे पढऩे का अपना आनन्द है। इसे पढ़ते हुए हमें सूचनाएँ भी मिलती हैं और विचार भी। इसमें फिल्म पत्रकारिता का स भी है और कविता भी। ''सिनेमा हमारे समय में एक प्रबल उपस्थिति, लोकप्रिय विधा और कलात्मक और मानवीय सम्भावनाओं का वितान लिये हुए है। प्रह्लाद अग्रवाल सिनेमा के अनूठे रसिक हैं और उस पर उन्होंने कई तरह से विचार किया है। यह पुस्तक नयी रोचक शैली में लिखी गयी है। इसे प्रस्तुत करते हुए हमें प्रसन्नता है।" —अशोक वाजपेयी.
Yaad Kiya Dil Ne
- Author Name:
Dr. Trinetra Bajpai
- Book Type:
-
Description:
हिन्दी फिल्म संगीत का एक दौर ऐसा भी था जब गीतों, गजलों, नज्मों की सम्पदा सुमधुर धुनों और संयत लय-ताल के साथ हमारे जीवन के तकरीबन हर पहलू की जीवन्त व्याख्या की तरह हमारे साथ रहती थी। हर मन की हर बात कहने के लिए कोई-न-कोई गीत निकल आता था, दर्द की, खुशी की, अफसोस की, शोक की हर लहर किसी-न-किसी गीत से जाकर जुड़ जाती थी। आज भी जरूरत के वक़्त वही गीत हमारे काम आते हैं।
और उन गीतों के पीछे थी ऐसे अनेक संगीतकारों की सुर-साधना, अनेक ऐसे गायकों की संगीत-चेतना जिनमें से बहुतों का नाम भी हम आज के धूम-धड़ाके में भूल गए हैं, या जान ही नहीं पाए।
यह किताब उन्हीं नामों की स्वर्ण-तालिका को प्रकाशित करती है। वे संगीत-निर्देशक जिन्होंने हिन्दी फ़िल्म संगीत की जड़ें गूँथी, अपनी धुनों से देश के जन-गण को स्वर दिया, ऐसी लयबद्ध पंक्तियाँ दीं जो कहीं-न-कहीं हर किसी को आपस में जोड़कर देश की सामूहिक संवेदना को आकार देती हैं।
इस पुस्तक के केन्द्र में खास तौर पर उन संगीतकारों का जीवन और कृतित्व है जिन्होंने फ़िल्म संगीत को एक नई, सुरीली और कलात्मक दिशा दी और फ़िल्म-संगीत के उस दौर को सम्भव किया जिसे आगे चलकर संगीत का ‘स्वर्ण युग’ कहा गया। संगीत की गहरी समझ, शोध और लोकप्रियता के आधार पर यहाँ ऐसे 26 संगीतकारों पर फोकस किया गया है। अपने क्षेत्र के इन युग-प्रवर्तकों के साथ ही यहाँ उन लोगों के काम को भी रेखांकित किया गया है जिन्होंने भारतीय फ़िल्म संगीत के खजाने को समृद्ध करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई और जो आज भी सक्रिय हैं।
फ़िल्म-संगीत के प्रेमी पाठक इस अनूठी पुस्तक को सन्दर्भ ग्रंथ की तरह सहेज सकते हैं।
Khoyi Cheezon Ka Shok
- Author Name:
Savita Singh
- Book Type:
-
Description:
'खोई चीज़ों का शोक' सघन भावनात्मक आवेश से युक्त कविताओं की एक शृंखला है जो अत्यन्त निजी होते हुए भी अपने सौन्दर्यबोध में सार्वभौमिक हैं। ये कविताएँ जीवन, प्रेम, मृत्यु और प्रकृति के अनन्त मौसमों से उनके सम्बन्ध पर भी सोचती हैं, इसलिए इनका एक पहलू दार्शनिक भी है। कुछ खोने के शोक के साथ, किसी और लोक में उसे पुनः पाने की उम्मीद भी इन कविताओं में है। कवि के हृदय से सीधे पाठक के हृदय को छूने वाली ये कविताएँ सहानुभूति से ज़्यादा हमसे हमारी नश्वरता पर विचार करने की माँग करती हैं। संग्रह में शामिल शीर्षक कविता किसी अपने के बिछोह पर एक अभूतपूर्व और कभी भुलाई न जा सकने वाली श्रद्धांजलि है।
—के. सच्चिदानंदन
'खोई चीज़ों का शोक' की अधिकतर कविताएँ मृत्यु के साथ एक अन्तरंग संवाद हैं। यह संवाद एक नहीं अनेक दिशाओं में खुलता है। प्रिय साथी की मृत्यु चहुँओर प्रवाहित हो रही मृत्यु की अनगिनत धारों के करीब होने का बहाना मुहैया करती है। अपने भीतर की मृत्यु, सामाजिक जीवन की मृत्यु, आततायी राजनीति की सहचर मृत्यु, पृथ्वी और उसकी आकाश की मृत्यु। सब मृत्युएँ जीवन की वासना के साथ घुल-मिलकर रहती-सहती हैं, बोलती-बतियाती हैं। यह देखना बहुत उत्तेजक है कि पिछले संग्रहों में पुरुष साथी को हमेशा अन्य पुरुष की तरह सम्बोधित करने वाली कवयित्री इस संग्रह में उसी के भीतर परकाया प्रवेश करती है। वह उसकी मृत्यु को अपने भीतर और अपनी मृत्यु को उसके भीतर खोजते हुए मृत्यु के स्त्री-आशय का उन्मेष करती है। जिस मृत्यु को पितृसत्ता ने हमेशा जीवन के समापन के रूप में तिरस्कृत किया, उसी को सविता जी की कविता ने इस संग्रह में जीवन के अन्तहीन संघर्ष के रूप में पुनराविष्कृत किया है। यह मृत्यु की भी मुक्ति है।
—आशुतोष कुमार
Dark Night of My Soul
- Author Name:
Joe King
- Rating:
- Book Type:
- Description: When your soul is feeling dark, And you’ve lost your inner spark, Then this book might be for you, Since I’ve felt this feeling, too. When your heart is all but broken, And it’s too hard to be open, Open this, and take a look, Here’s my soul inside a book. Dark – Night – Of – My – Soul Even the most beautiful of skies has to let go of the sunshine each night to experience the darkness, but without that darkness, we cannot appreciate the moon and the stars. Every human being is no exception. Just like the sky, we all go through our dark stages, but without that darkness, we would not appreciate the light in our lives as much. To those of you who are experiencing that darkness from within you right now, I hope my book of rhyming poetry can reach out to you and relate to how you are feeling and bring some light back into your life. Remember, the most amazing of fireworks cannot be appreciated without the darkness, so don’t you ever let go of your inner spark.
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Logout to Rachnaye

Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.