Shivaji The Grand Rebel — Chhatrapati Shivaji Maharaj: Father of The Indian Navy and Sambhaji Maharaj Chhaava
Author:
Dennis KincaidPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Available
Witness the thrilling saga of a 17th-century Indian rebel who defied empires and ignited the flames of Hindu nationalism. In “Shivaji The Grand Rebel,” Dennis Kincaid paints a vivid portrait of Shivaji, the founder of the Maratha state, a figure revered by millions as a hero and a thorn in the side of the mighty Mogul Empire.
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More than just a biography, this book delves into the cultural and political landscape of 17th-century India, revealing the opulence of Bijapur, the grandeur of the Mogul court, and the simple yet resilient spirit of the Maratha people. Explore the motivations behind Shivaji's relentless pursuit of Hindu independence, a dream that against all odds, began to materialize into a formidable Maratha state.
“Shivaji The Grand Rebel” is a captivating journey into the life of a legendary figure whose legacy continues to inspire, offering a nuanced understanding of his military genius, political acumen, and the enduring impact of his rebellion on the history of India.
ISBN: 9789355719614
Pages: 200
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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इस ग्रन्थ के अधिकतर निबन्ध तात्कालिक प्रतिक्रिया के रूप में हैं लेकिन हर तत्काल की जड़ें कई कालों तक फैली हुई होती हैं। व्यक्ति के अपने, अन्य व्यक्तियों के, राष्ट्रों के, संस्कृतियों के कालों तक। कालों के विशेष अनुभवों तक। प्रत्येक विश्लेषण में, वह कितना ही तात्कालिक हो, इन सब अनुभवों का निकष होता है। और सबसे बड़ी बात यह कि अपने मस्तिष्क में अगर कोई चिन्तन का ढाँचा हो, चिन्तन–प्रणाली हो तो अलग–अलग समय पर पिरोए गए अलग–अलग आकार–प्रकार के मोती भी अपने–आप सुघड़ माला का रूप धारण करते चले जाते हैं। वाद्य–यंत्रों की विभिन्नता के बावजूद जैसे आर्केस्ट्रा का संगीत समवेत और समरस होता है, वैसे ही विभिन्न विषयों और विभिन्न तिथियों पर लिखे गए ये निबन्ध पाठकों को विदेश नीति चिन्तन की एक प्रणाली के अनुशासन में बँधे हुए लगेंगे।
Marang Gomke Jaipal Singh Munda
- Author Name:
Ashwani Kumar 'Pankaj'
- Book Type:

- Description: कौन थे जयपाल सिंह मुंडा? इनका भारतीय स्वतंत्रता और नए भारत के निर्माण में राजनीतिक-बौद्धिक योगदान क्या था? वे जिस आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, उसकी आकांक्षाएँ क्या थीं? इस बारे में आजादी के सत्तर साल बाद भी इतिहास चुप है। एक तरफ गांधी-नेहरू, जिन्ना, अंबेडकर सहित अनेक राजनीतिज्ञों पर सैंकड़ों पुस्तकें हैं, पर जयपाल सिंह मुंडा पर एक भी नहीं है। यह कितनी हैरत की बात है कि झारखंड आंदोलन में कूदने से पहले और देश के संविधान निर्माण सभा में लाखों आदिवासियों के लिए निडरता से दहाड़नेवाले जिस आदिवासी ने देश के लिए आई.सी.एस. छोड़ी, जिसकी कप्तानी में भारत ने पहला हॉकी का ओलंपिक स्वर्ण जीता, जिसने अफ्रीका और भारत के कॉलेजों में अध्यापन के दौरान अपनी शिक्षकीय योग्यता से प्रभु वर्ग को प्रभावित किया, जो गुलाम भारत में किसी ब्रिटिश कंपनी में सर्वोच्च पद पर काम करनेवाला पहला भारतीय (वह भी आदिवासी) था, जिससे पढ़ने के लिए भारत के राजा-रजवाड़े लालायित रहते थे, जो ऑक्सफोर्ड से अर्थशास्त्र में गोल्डमेडलिस्ट था, हॉकी में एकमात्र भारतीय ‘ऑक्सफोर्ड ब्लू’ खिलाड़ी था और जो कॉलेज के दिनों में विभिन्न सभा-सोसायटियों का नेतृत्वकर्ता संयोजक-अध्यक्ष था, उसे इस लायक भी नहीं समझा गया कि उसकी चर्चा हो। —इसी पुस्तक से
Bharatvarsh ka Brihat Itihas : Vols. 1- 2
- Author Name:
Shrinetra Pandey
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Description:
भारतवर्ष का बृहत् इतिहास बड़ा ही लोकप्रिय ग्रन्थ बन गया है। इसकी रचना दशकों पूर्व की गई थी किन्तु इसकी मान्यता तथा लोकप्रियता आज भी पूर्ववत् बनी है। इस नवीन संस्करण का संशोधन तथा परिवर्द्धन उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार कर दिया गया है जिसके फलस्वरूप कुछ नए प्रकरणों का समावेश हो गया है।
पुस्तक के अन्त में कुछ परिशिष्टियाँ भी जोड़ दी गई हैं। जिससे पुस्तक की अनुकूलता तथा उपयोगिता में वृद्धि हो गई है। आशा है, यह नवीन संस्करण विद्यार्थियों तथा अध्यापकों की आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सक्षम होगा।
1942 Ki August Kranti
- Author Name:
Fanish Singh
- Book Type:

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Description:
भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद से मुक्ति–संघर्ष की गाथा है। स्वाधीनता आन्दोलन के संघर्ष में 1857 का मुक्ति-संग्राम उल्लेखनीय है। इसमें हर वर्ग, ज़मींदार, मज़दूर और किसान, स्त्री और पुरुष, हिन्दू और मुसलमान–सभी लोगों ने अपनी एकता एवं बहादुरी का परिचय दिया।
‘अगस्त क्रान्ति’ या 1942 के ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ को हम भारतीय स्वाधीनता का द्वितीय मुक्ति-संग्राम कह सकते हैं जिसके फलस्वरूप 5 वर्ष बाद 1947 में हमें आज़ादी मिली। पं. जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में, ‘यह किसी पार्टी या व्यक्ति का आन्दोलन न होकर आम जनता का आन्दोलन था जिसका नेतृत्व आम जनता द्वारा ले लिया गया था।’
‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के सात दशक बाद आज भी भाषा, धर्म, क्षेत्रीयता के तत्त्व भारत को निगल जाने को आतुर हैं। राष्ट्रीय एकीकरण देश के समक्ष एक दु:खजनक समस्या बन गई है। इसका मुख्य कारण स्वतंत्रता के बाद की पीढ़ी का राष्ट्रीय आन्दोलन के बलिदानी इतिहास से परिचित न होना है। इसी पृष्ठभूमि में यह आवश्यक समझा गया कि नई पीढ़ी विशेषकर नवयुवकों के लिए एक ऐसी पुस्तक की रचना की जाए जिससे वे स्वाधीनता आन्दोलन की कड़ियों से परिचित हो सकें। इन कड़ियों में जहाँ सर्वप्रथम भारत के जाने–माने इतिहासकार विपिनचंद्र, ताराचंद, डॉ. के.के. दत्त के विचारों को प्रस्तुत किया गया है, वहीं डॉ. बी. पट्टाभि सीतारामय्या, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, पं. जवाहरलाल नेहरू, पी.सी. जोशी, मधु लिमये, आदि के विचारों के साथ आज के इतिहासविज्ञ प्रो. भद्रदत्त शर्मा, प्रो. सुमन्त नियोगी आदि के भी विचार ‘अगस्त क्रान्ति’ के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डालते हैं ।
Pt. Deendayal Upadhyaya's Roadmap for India
- Author Name:
Vivasvan Shastri
- Book Type:

- Description: Pt. Deendayal Upadhyaya was an Indian philosopher, economist, sociologist, historian, journalist, and political scientist. He went on to define an alternative philosophy of development called Integral Humanism and led the Bharatiya Jana Sangh, the forerunner of the present-day Bharatiya Janata Party (BJP). Pandit Deendayal’s philosophy continues to inspire and guide the policies of the BJP government at the centre and the state. This book presents a roadmap for the redevelopment and reconstruction of a nation as diverse and vast as India, based on the ideas and writings of Pandit Deendayal Upadhyaya. The roadmap takes into account India’s unique history, culture and ethos. This book is also a tribute to a rishi like Pandit Deendayal Upadhyaya on his 100th birth anniversary.
Kashmir : Itihas Aur Parampara
- Author Name:
Kumar Nirmalendu
- Book Type:

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Description:
'नीलमत पुराण' में कहा गया है कि कश्मीर स्वाध्याय एवं ध्यान में मग्न रहनेवाले और निरन्तर यज्ञ करनेवालों की भूमि रही है। यह हिमालय-पर्वतमाला की गोद में बसा एक सुरम्य प्रदेश है। लेकिन अपनी दुर्गम भौगोलिकता के कारण यह बाह्य-जगत् की पहुँच से दूर रहा है।
प्राचीन काल में कश्मीर प्रदेश गन्धार जनपद के अन्तर्गत आता था। सातवीं शताब्दी ई. के प्रारम्भ में यहाँ नाग जाति के कर्कोटक राजवंश का उदय हुआ; जिसके संस्थापक दुर्लभवर्द्धन के समय से कश्मीर का व्यवस्थित इतिहास मिलता है। उनके पौत्र ललितादित्य ने गुप्तोत्तर काल में एक साम्राज्य खड़ा किया; और प्रसिद्ध मार्तण्ड-मन्दिर का निर्माण भी कराया।
1339 ई. तक कश्मीर एक स्वशासित हिन्दू राज्य था। परन्तु मध्यकालीन हिन्दू राजाओं की दुर्बलता और उनके सामन्तों के षड्यन्त्रों के कारण वहाँ का वातावरण अराजक हो गया, जिसका लाभ उठाते हुए 1339 ई. में शाहमीर नामक एक मुसलमान ने कश्मीर के सिंहासन पर कब्जा कर लिया।
कल्हण ने 'राजतरंगिणी' में ललितादित्य से कहलवाया है कि ''इस देश को सुशासित तथा प्रगतिशील बनाये रखने के लिए अन्तर्कलह से बचना आवश्यक है।'' इसके कारण कश्मीर ने भारी कीमत चुकाई है। 'नीलमत पुराण' साक्षी है कि महर्षि कश्यप के समय से ही कश्मीर के स्थानीय लोगों ने विस्थापन की गहरी पीड़ा को महसूस किया है और आधुनिक काल में कश्मीरी हिन्दुओं को विस्थापन ने जितने दर्द दिये हैं, वह तो अकथनीय है।
Shakespeare Ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
William Shakespeare
- Book Type:

- Description: "विलियम शेक्सपियर—शेक्सपियर सदी के महान् नाटककार विलियम शेक्सपीयर का जन्म 26 अप्रैल, 1564 को इंग्लैंड में हुआ। कुछ लोग मानते हैं किसान का बेटा किसान होता है, डॉक्टर का डॉक्टर और सैनिक का सैनिक आदि-आदि। लेकिन शेक्सपीयर के खानदान का लेखन से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था। उनके पिता पेशे से किसान थे, लेकिन शेक्सपीयर को खेती-किसानी नहीं भाई; बल्कि बचपन में उन्होंने एक नाटक देखा और शायद तभी फैसला कर लिया कि वह भी नाटककार बनेंगे। उनका सपना वर्ष 1592 में साकार हुआ, जब वह लंदन में थिएटर से जुड़े और जल्दी ही एक सफल अभिनेता व कलाकार के रूप में लोकप्रिय हो गए। उन्होंने दुखांत, सुखांत, मजाकिया—हर तरह के नाटक किए। उनके प्रसिद्ध नाटकों में ‘द कॉमेडी ऑफ एरर’,‘ रोमियो एंड जूलियट’, ‘द मर्चेंट ऑफ वेनिस’, ‘एज यू लाइक इट’, ‘हैमलेट’, ‘जूलियस सीजर’ इत्यादि शामिल हैं। आज लगभग 400 साल बाद भी उनके नाटकों के प्रति लोगों का जुनून बरकरार है। प्रस्तुत जीवनी उन्हीं महान् नाटककार के जीवन की घटनाओं से हमें परिचित कराती है। "
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