Kargil Ki Ankahi Kahani
Author:
Harinder BawejaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
कारगिल, 1999 पाकिस्तानी सैनिकों की पूरी-की-पूरी दो ब्रिगेड भारतीय इलाके में घुस आई और भारतीय सेना को कानो-कान खबर मिलने तक अपनी मोर्चाबंदी कर ली। भारतीय सेना के आला अफसरों ने चेतावनियों की अनदेखी की और खतरे के साथ ही घुसपैठियों की संख्या को तब तक कम बताते रहे जब तक कि बहुत देर नहीं हो गई। पैदल सैनिकों को आधे-अधूरे नक्शों, कपड़ों, हथियारों के साथ आगे धकेल दिया गया, जबकि उन्हें न तो यह जानकारी थी कि दुश्मनों की संख्या कितनी है या उनके हथियार कितनी ताकत रखते हैं! वीरता के सर्वोच्च पुरस्कार, परमवीर चक्र विजेता, कैप्टन विक्रम बत्रा के पिता श्री जी.एल. बत्रा के लिखे पूर्वकथन के साथ, यह कारगिल की सच्ची कहानी है। डायरी के प्रारूप में लिखी यह पुस्तक, पहली बार उन घटनाओं का सच्चा, विस्तृत तथा विशिष्ट वर्णन करती है, जिनके कारण आक्रमण किया गया; साथ ही घुसपैठियों के कब्जे से चोटियों को छुड़ाने के लिए लड़ी गई लड़ाई में भारतीय वीरों की शूरवीरता को भी रेखांकित करती है।
मातृभूमि की रक्षा हेतु अपने प्राणों की आहुति देनेवाले जाँबाज भारतीय सैनिकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है यह पुस्तक।
ISBN: 9789353224967
Pages: 220
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Kohbar Ki Shart
- Author Name:
Keshav Prasad Mishra
- Book Type:

-
Description:
‘कोहबर की शर्त’ एक ऐसा उपन्यास है, जिसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के दो गाँवों—बलिहार और चौबे छपरा—का जनजीवन गहन संवेदना और आत्मीयता के साथ चित्रित हुआ है—एक रेखांकन की तरह, यथार्थ की आड़ी-तिरछी रेखाओं के बीच झाँकती-सी कोई छवि या आकृति। यह आकृति एक स्वप्न है। इसे दो युवा हृदयों ने सिरजा था। लेकिन एक पिछड़े हुए समाज और मूल्य-विरोधी व्यवस्था में ऐसा स्वप्न कैसे साकार हो? चन्दन के सामने ही उसके स्वप्न के चार टुकड़े—कुँवारी गुंजा, सुहागिन गुंजा, विधवा गुंजा और कफ़न ओढ़े गुंजा—हो जाते हैं। इतना सब झेलकर भी चन्दन यथार्थ की कठोर धरती पर पूरी दृढ़ता और विश्वास से खड़ा रहता है।
‘कोहबर की शर्त’ एक तरह से निराश और बरबाद ज़िन्दगी में एक नई प्रेरणा, नई स्फूर्त और नया उत्साह फूँकने की ही शर्त है, जिसका विस्तार इस मर्मस्पर्शी उपन्यास में सहज ही देखा जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि यह उपन्यास हिन्दी सिनेमा की दो चर्चित फ़िल्मों का आधार बना है : 1982 में हिरेन नाग द्वारा निर्देशित ‘नदिया के पार’ तथा हाल के वर्षों में बेहद लोकप्रिय रही ‘हम आपके हैं कौन।’
Kanpta Hua Dariya
- Author Name:
Mohan Rakesh
- Book Type:

-
Description:
कश्मीर के सौन्दर्य और प्रेम की रूमानी कहानियों से अलग दरिया में घर बनाकर रहनेवाले एक ग़रीब हाँजी परिवार, उसके सुख-दुःख, संवेदनाओं के टकराव और कठोर जीवन-संघर्ष पर आधारित मोहन राकेश का यह उपन्यास इस अर्थ में भी अलग है कि यह उनके शहरी मध्यवर्गीय रचना-जगत से काफ़ी अलग है।
उपन्यास में मोहन राकेश ने स्वयं ‘पूर्वभूमि’ के तहत इसकी रचना-प्रक्रिया पर रौशनी डाली है, जिससे हमें पता चलता है कि वे स्वयं इस कहानी से भावनात्मक स्तर पर कितना जुड़े हुए थे। इसे पूरा करने के लिए वे महीनों-महीनों कश्मीर में रहे और हाँजी परिवार के साथ हाउसबोट में ही नहीं, बल्कि डूँगों में भी रहकर दरिया का सफ़र करते हुए दूर-दराज़ के इलाक़ों तक गए।
लेकिन फिर भी यह उपन्यास अधूरा ही रहा। राकेश-साहित्य के शोधकर्ता और उनकी साहित्य-चेतना के मर्मज्ञ जयदेव तनेजा की पहल पर एक प्रयोग के तौर पर इसे मीरा कांत ने पूरा किया है जो स्वयं भी कश्मीरी पृष्ठभूमि से अच्छी तरह परिचित हैं, और इस कथा की ज़मीन को पकड़ने के लिए हफ़्तों श्रीनगर में रहकर, हाँजियों, उनके परिवारों और नई-पुरानी पीढ़ियों से मिलती रही हैं।
इस अनूठे कथा-प्रयोग के तहत उपन्यास के पात्रों और कथा-सूत्र का अध्ययन करते हुए उन्हें आगे बढ़ाया गया है। जिस सूझ-बूझ, कल्पनाशीलता और कौशल के साथ उन्होंने इस उपन्यास को एक बहुअर्थगर्भी परिणति तक पहुँचाया है, वह दिलचस्प है। उम्मीद है कि इस प्रयोग के रूप में पाठक एक नया औपन्यासिक आस्वाद पाएँगे। निःसन्देह कश्मीर को, समझने में भी यह उपन्यास एक आधार उपलब्ध कराता है, जो आज एक नए मोड़ पर है।
Pankhwali Naav
- Author Name:
Pankaj Bisht
- Book Type:

- Description: पंकज बिष्ट अपनी पीढ़ी के सम्भवतः अकेले ऐसे लेखक हैं जिनकी रचनाओं में हमारे समकालीन समाज के बदलते नैतिक, बौद्धिक और सामाजिक मूल्यों की पड़ताल की कोशिश इतने बड़े पैमाने पर नज़र आती है। उनकी रचनाओं का सरोकार मुख्यतः नैतिक पक्षधरता है जो आधुनिकता और परम्परा के टकरावों और परिणामों की पृष्ठभूमि में आकार लेती है। वह मानव सम्बन्धों को किस संवेदनशीलता, समझ और सहृदयता से अभिव्यक्त करते हैं, उनकी रचनाएँ इसका प्रमाण हैं। ये रचनाएँ व्यक्ति और समाज के आपसी सम्बन्धों की टकराहट और उससे उपजी जटिलताओं की कई अन्तरधाराओं को अनजाने ही पूरी संश्लिष्टता में अभिव्यक्त करती चलती हैं। यह छोटा-सा उपन्यास ‘पंखवाली नाव’ उसी परम्परा की अगली कड़ी है। इसमें यौनिकता से सम्बन्धित नैतिकता-अनैतिकता के कई सवालों से पाठक रूबरू होते हैं। यौन सम्बन्धों के दबावों और उनके भटकावों जैसे नाजुक और संवेदनशील विषय को लेकर लिखी गई यह रचना मूलतः मानवीय प्रकृति की पड़ताल करने के साथ ही साथ विषय की नवीनता, लेखकीय अन्तर्दृष्टि, वस्तुनिष्ठता और मार्मिकता के लिए विशिष्ट कही जा सकती है।
Gita
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
‘गीता’ शीर्षक यह उपन्यास पहले ‘पार्टी कामरेड’ नाम से प्रकाशित हुआ था। इसके केन्द्र में गीता नामक एक कम्युनिस्ट युवती है जो पार्टी के प्रचार के लिए उसका अख़बार बम्बई की सड़कों पर बेचती है और पार्टी के लिए फंड इकट्ठा करती है। पार्टी के प्रति समर्पित निष्ठावान गीता पार्टी के काम के सिलसिले में अनेक लोगों के सम्पर्क में आती है। इन्हीं में से एक पदमलाल भावरिया भी है जो पैसे के बल पर युवतियों को फँसाता है। उसके साथी एक दिन उसे अख़बार बेचती गीता को दिखाकर फँसाने की चुनौती देते हैं। गीता और भावरिया का लम्बा सम्पर्क अन्ततः भावरिया को ही बदल देता है।
अपने अन्य उपन्यासों की तरह इस उपन्यास में भी यशपाल देश की राजनीति और उसके नेताओं के चारित्रिक अन्तर्विरोधों को व्यंग्यात्मक शैली में उद्घाटित करते हैं। उपन्यास में कम्यून जीवन का बड़ा विश्वसनीय अंकन हुआ है जिसके कारण इस उपन्यास का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके लिए काफ़ी समय तक यशपाल मुम्बई में स्वयं कम्यून में रहे थे। अपने ऊपर लगाए गए प्रचार के आरोप का उत्तर देते हुए यशपाल उपन्यास की भूमिका में संकेत करते हैं कि वास्तविकता को दर्पण दिखाना भी प्रचार के अन्तर्गत आ सकता है या नहीं, यह विचारणीय है।
Anoopkaur
- Author Name:
Harman Dass Sahrai
- Book Type:

-
Description:
इतिहास बताता है कि सिख गुरुओं ने स्त्रियों को पुरुषों के समान हैसियत के उपदेश ही नहीं दिए, बल्कि उनके सामाजिक जीवन को भी सम्मानजनक स्थितियाँ दीं। बीबी अनूप कौर का नाम भी ऐसी ही वीरांगना महिलाओं में आता है जिन्होंने समय आने पर जंग के मैदानों में अपनी बहादुरी और हिम्मत का परिचय दिया।
अनूप कौर का जन्म 1690 में अमृतसर के पास एक गाँव में हुआ था। उनके पिता सोढ़ी ख़ानदान की उस शाखा से जुड़े थे जो गुरु तेग बहादुर के साथ थी। अनूप कौर की उम्र तब सिर्फ़ पाँच साल थी जब वे अपने परिवार के साथ आनन्दपुर चली गई थीं। वहाँ वे गुरु गोविन्द सिंह के बेटों के साथ खेलते हुए बड़ी हुईं। वहीं उन्होंने धार्मिक और सैनिक शिक्षा भी पाई।
1699 में जब गुरु गोविन्द सिंह ने सन्त-योद्धाओं को दीक्षा दी तब उन्होंने भी अपने पिता के साथ दीक्षा पाई जिसने हमेशा के लिए उनके जीवन और रहन-सहन को बदल दिया। उन्होंने सिपाहियों के परिवारों की देख-रेख के साथ युद्ध में उन्हें रसद पहुँचाने से लेकर शत्रुओं से लड़ने तक अत्यन्त वीरता का परिचय दिया।
उनके जीवन का अन्त मुग़लों की क़ैद में हुआ जहाँ उन्हें धर्म-परिवर्तन करके मलेर कोटला के शाह से शादी करने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन इससे पहले कि उनकी यह मंशा पूरी होती, अनूप कौर ने ख़ंजर से अपनी जान दे दी। यह उपन्यास इसी वीरांगना की कथा है।
A Tracker And The Heart Stealer
- Author Name:
Rajeev Pundir
- Book Type:

- Description: Brijesh is a decorated police officer; an expert in tracking mobile calls and electronic surveillance. On his inputs, paramilitary forces and police become successful in eliminating a group of dreaded terrorists in J&K. Soon he gets out of turn promotion to the post of Inspector. He’s assigned another case to crack the Nexus of cricket betting. Encouraged by his promotion, he dedicates himself to this case – almost forgetting his own family. And this proves counterproductive to him. One day when he reaches his home, the excerpt below speaks volumes of the state of affairs between him and his wife Anu. But she didn't care and started her outburst, “I’ve suffered a lot during these years,” and stared at him, “why have you come now and how can I trust you?” skeptical, she asked again giving him her hateful look. He continued to stare at the floor and she at his face. Soon, a drop of pain emerged at the ‘brims of his eyes and the tears on either of his cheeks traversed like a channel of a seasonal rivulet and fell on the ground. Perhaps the stony floor also cried out of pain and heat—heat of atonement, disgust, self-reproach, insult, feeling of used and misused, deceit, losing his wife and kids—all contained into his tears. But Anu didn’t listen that cry, her heart didn't melt, and she slammed the door right at his face. Why did it happen? – read the novel.
Binodini
- Author Name:
Rabindranath Tagore
- Rating:
- Book Type:

- Description: Binodini, a novel written by the Nobel laureate Dr Rabindranath Tagore, tells the tale of a well-to-do middle-class family of Calcutta. Originally written in Bānglā with the title Chokhar Bāli (literally meaning 'sand in the eye'), the novel has been translated into English by Krishna Kripalani. The translator in his foreword to the novel opines, "It centers round the problem of human relationship and tells of what happens behind the staid facade of a well-to-do, middle-class Bengali home of the period, where a widowed mother lives with her only son on whom she dotes". Apart from telling the story of the family, the novel revolves around two main characters or rather say protagonists-Binodini, a young, talented, educated and beautiful widow; and Mahendra spoilt brat of his foolish mother. Binodini is written, taking the backdrop of contemporary society of Calcutta.
The Boar Hunt
- Author Name:
V.M. Devadas +1
- Rating:
- Book Type:

- Description: Kochi. Serene. Tranquil. Bright. Also, a burning cradle of bitter rivalries, revolt and rage. Against the sparkling, blue backwaters of the city, a mysterious Grusha rolls the dice on a deadly game of Russian roulette. Former gang members and sworn rivals masquerading as allies re-emerge, aching and hungry for their pound of flesh. Scores need to be settled. And nothing is certain – least of all, getting out alive. Set in the gritty 1980s post-Emergency India, V.M. Devadas’s celebrated crime saga (originally published in Malayalam as Pannivetta) chips away at the twisted and tragic fates of those pulled into the bloody playground of power and deceit. Unabashedly intense, this riveting tale of Kochi’s dark underbelly is a melange of heartbreak and deception that will reverberate in memory long after the last bullet.
Urmila
- Author Name:
Asha Prabhat
- Book Type:

-
Description:
रामकथा में उर्मिला लगभग उपेक्षित पात्र है। लक्ष्मण के लम्बे विरह और उस दौरान अपने कर्तव्यों का उदात्त भाव से पालन करनेवाली उर्मिला के चरित्र को पर्याप्त विस्तार न तो वाल्मीकि रामायण में मिला है, और न ही तुलसी के मानस में। यह उपन्यास इसी अदीखते-से पात्र के व्यक्तित्व को विभिन्न आयामों से प्रकाशित करने का प्रयास है।
सीता की भाँति उर्मिला को अपने प्रिय के साथ वन जाने का अवसर नहीं मिला, इसलिए स्वाभाविक ही उन्हें जनसाधारण के सम्पर्क में आने, उनके अभावों और प्रसन्नताओं को देखने का अवसर भी नहीं मिला। वे सदैव राजभवनों में रहीं। लेकिन क्या यह कहा जा सकता है कि सुख के उन तथाकथित आगारों में कष्टों और विडम्बनाओं के अनेक रूप देखने को नहीं मिलते! क्या यह सम्भव है कि राम, लक्ष्मण और सीता के प्रस्थान के बाद राजभवन और वहाँ रह गए लोगों की मन:स्थिति में आमूल परिवर्तन नहीं आया होगा? क्या उर्मिला ने सब कुछ सहते हुए, अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए गहन दुख का सामना नहीं किया होगा!
यह उपन्यास इसी दृष्टि से उर्मिला के सम्पूर्ण अनुभव-जगत को अंकित करने का प्रयास करता है। उपन्यासकार के शब्दों में, ‘उर्मिला का तप बहुत कठिन है। विरह का ताप कमोबेश हर स्त्री भोगती है परन्तु उर्मिला का विरह इस मायने में विशिष्ट है कि उसमें अश्रुओं के निकलने की वर्जना भी शामिल है। सन्ताप के घोर पलों में क्या आँसुओं की वर्जना सम्भव है? यदि इसे उर्मिला सम्भव करती हैं तो यह उनके अन्दर की दृढ़ता ही कही जाएगी।’
व्यापक अध्ययन, सम्यक कल्पना और गहरी सहानुभूति के आधार पर रचा गया यह उपन्यास उर्मिला के अन्य गुणों को भी रेखांकित करता है, साथ ही उस युग के सामाजिक-सांस्कृतिक विन्यास को भी स्पष्ट करता है जिसके परिप्रेक्ष्य में हम अपने वर्तमान की परख कर सकते हैं।
Beech Ki Deewar
- Author Name:
Amarkant
- Book Type:

-
Description:
आज़ादी के बाद कथाकार के रूप में प्रतिष्ठा अर्जित करनेवाले लेखकों में अमरकान्त का नाम सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। अमरकान्त की शक्ति-सम्पन्न कहानियाँ, जहाँ भारतीय समाज की आशा-आकांक्षाओं को गहरी संवेदना से रूपायित करती हैं, वहीं सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक बदलाव के उसके संकल्पों को भी अभिव्यक्त करती हैं। अमरकान्त की रचनाओं में छद्म आधुनिकता नहीं है और उनकी भाषा साफ़-सुथरी तथा लेखन-शैली सर्वथा
नई और मौलिक है। उनकी कृतियाँ आज के जीवन की वास्तविकता को कई स्तरों पर उद्घाटित करती हैं और जब वे उनकी व्यंग्य की धार देते हैं तो वे एक ओर मानव-मन का आन्तरिक संस्कार करती हैं, वहीं दूसरी ओर आस्था, विश्वास व संघर्ष की प्रेरणा भी देती
हैं।कहानियों की तरह ही अमरकान्त के कई उपन्यास भी महत्त्वपूर्ण हैं, जिनमें ‘सूखा पत्ता’ हिन्दी साहित्य की स्थायी निधि है। प्रस्तुत उपन्यास ‘बीच की दीवार’ मध्यम वर्ग की बदलती हुई परिस्थितियों एवं मनःस्थितियों का विश्लेषण करनेवाली एक विशेष कृति है। इसमें अमरकान्त ने आज के जीवन के अन्तर्द्वन्द्वों एवं अन्तर्विरोधों की प्रामाणिक तस्वीर प्रस्तुत की है। इस उपन्यास के केन्द्र में एक ऐसी नारी है, जो आज की अवसरवादी ज़िन्दगी के भँवर-जाल में फँसकर संघर्ष करती है, आगे बढ़ती है और विकास की वांछित मंज़िल प्राप्त करने में सफल होती है। पूरा उपन्यास जहाँ हमें आनन्दित करता है, वहीं सामाजिक बदलाव के लिए आस्था व विश्वास भी प्रदान करता है।
Bharatiyata Ki Pahchan
- Author Name:
Manoj Kumar Rai
- Book Type:

- Description: हम भारत की संपूर्ण सत्ता को समझने के लिए उसे तीन कोणों से देखें तो ठीक-ठीक समझ सकते हैं। वे कोण हैं— (1) ‘मृण्मय’ (अर्थात भौगोलिक-आर्थिक-जैविक दृष्टि से), (2) ‘शाश्वत’ (ऐतिहासिक अविच्छिन्न विकास की दृष्टि से), (3) ‘चिन्मय’ (श्रुति अर्थात ‘अचल’ मूल्यों की दृष्टि से, यानी ‘मूल प्रकृति’ या essence की दृष्टि से)। इन तीन कोणों से भारत का अध्ययन करके संपूर्ण भारतीय ‘सत्ता’ और भारतीय पुरुषार्थ को हम समझ सकते हैं। भारत का मृण्मय रूप हमारे गाँव-नगर, खेत-खलिहान, नदी-पहाड़, हाट-बाजार में उपस्थित है और इस रूप द्वारा भारत ‘काम’ और ‘अर्थ’ की साधना कर रहा है। भारत का ‘शाश्वत रूप’ काल-प्रवाह अर्थात इतिहास में हजार-हजार वर्षों से, सैंधव सभ्यता के पूर्व से, निषाद-द्रविड़-किरात आर्य—इन चार महान् प्रवाहों के क्रमागत आगमन से निरंतर चलायमान है। यह ‘शाश्वत’ इस अर्थ में है कि यह अविच्छिन्न रहा है। अत: भारत का ‘शाश्वत रूप’ इतिहास की विकास-यात्रा में नित्य देहांतर करते हुए, निरंतर चलते हुए ‘धर्म’ नामक तृतीय पुरुषार्थ की अखंड, अविच्छिन्न उपासना कर रहा है। भारत का ‘चिन्मय रूप’ इस शाश्वत रूप से भी सूक्ष्म है। इस रूप का लक्ष्य है ‘मोक्ष धर्म’, अर्थात ‘शुद्ध आनंद’।
Jhootha Sach : Vatan Aur Desh : Vol. 1
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
भारत-पाकिस्तान विभाजन भारतीय राज्य के इतिहास का वह अध्याय है जो एक विराट त्रासदी के रूप में अनेक भारतीयों के मन पर आज भी जस-का-तस अंकित है। अपनी ज़मीनों-घरों से विस्थापित, असंख्य लोग जब नक़्शे में खींच दी गई एक रेखा के इधर और उधर की यात्रा पर निकल पड़े थे, यह न सिर्फ़ मनुष्य के जीवट की बल्कि भारतवर्ष के उन शाश्वत मूल्यों की भी परीक्षा थी जिनके दम पर सदियों से हमारी हस्ती मिटती नहीं थी।
यशपाल का यह कालजयी उपन्यास उसी ऐतिहासिक कालखंड का महाआख्यान है। स्वयं यशपाल के शब्दों में यह इतिहास नहीं है, ‘कथानक में कुछ ऐतिहासिक घटनाएँ अथवा प्रसंग अवश्य हैं परन्तु सम्पूर्ण कथानक कल्पना के आधार पर उपन्यास है, इतिहास नहीं।’ अर्थात् यह उस ज़िन्दगी का आख्यान है जो अक्सर इतिहास के स्थूल ब्योरों में कहीं खो जाती है।
‘झूठा सच’ के इस पहले खंड ‘वतन और देश’ में विभाजन के दौरान हुई लूट-पाट और हिंसा के रोंगटे खड़े कर देनेवाले माहौल और उस भीतरी विभाजन का यथार्थवादी अंकन किया गया है जिसके चलते वतन और देश दो अलग-अलग इकाइयाँ हो गए। उपन्यास यह भी जानने की कोशिश करता है कि इसके कारण क्या थे—अंग्रेज़ों की चाल, साम्प्रदायिकता, पिछड़ापन या आर्थिक विषमता या यह सब एक साथ?
Aandharmanik
- Author Name:
Mahashweta Devi
- Book Type:

- Description: सन् साठ के दशक के कई बांग्ला प्रकाशन महत्त्वपूर्ण थे। इसी दौर में ‘आंधारमानिक’ उपन्यास लगभग 1967 में प्रकाशित हुआ था। पहली बार कथावस्तु की तर्जनी जनता के इतिहास की तरफ़ उठी थी। इस उपन्यास में उपयोग किया गया ‘आंधारमानिक’ नाम एक ख़ास केन्द्रबिन्दु है और इसे रूपक ही मानना चाहिए। अठारहवीं सदी में बंगाल के समाज में धनी-मानी, ज़मींदार वग़ैरह वर्गों के मूल्यबोध का तो दिवाला ही निकल गया था। एक तरफ़ जातियों की किचिर-पिचिर, संकीर्णता, अनुदारता, दूसरी तरफ़ ऐश-विलास! इधर समाज में प्रचलित अन्धविश्वास, कुत्सित प्रथाएँ। बंगाल के समाज का इतिहास अनगिनत विचित्रताओं से भरा था। जंगल इलाक़ों के लोग, अपने सामन्त स्वामियों के ख़िलाफ़ काफ़ी अर्से पहले ही बागी हो चुके थे। इस कृति में वर्गीय आक्रमण और उससे जुड़ी कई घटनाओं तथा समाज पर पड़नेवाले उसके प्रभावों का प्रामाणिक चित्रण किया गया है। ‘आंधारमानिक’ प्रमुख रूप से लोकवृत्त का इतिहास है–कलकत्ता से जुड़े मध्यवित्त जीवन की शुरुआत से पूर्व–मुहूर्त का इतिहास! यह उपन्यास किसी अर्थ में समकालीन भी है, क्योंकि वर्ण-श्रेणी शासन की औरतों के प्रति तर्जनी ताने रहने जैसी कितनी बातें हमारे समाज के ऊपरी स्तर तले आज भी विद्यमान हैं। आशा है, इस उपन्यास को पढ़ना पाठकों के लिए एक दिलचस्प अनुभव होगा।
Jammu-Kashmir Ki Lokkathayen
- Author Name:
Gauri Shanker Raina
- Book Type:

- Description: जम्मू-कश्मीर में किस्से-कहानियों को सुनाने की परंपरा पुरानी है। ‘कथासरितसागर’ को कश्मीर में ही रचा गया था। इसके रचनाकार महाकवि सोमदेव ने जहाँ बैतालपचीसी, किस्सा तोतामैना तथा सिंहासनबत्तीसी के कथानक इसमें समेट लिये, वहीं भारतीय परंपराओं और संस्कृति को प्रस्तुत किया है। कश्मीर के राजा अनंतदेव के शासन काल में सोमदेव ने इसकी रचना रानी सूर्यमती के कहने पर 1070 ई. में की थी। विश्व के लोक-साहित्य में विचारों से भरे-पूरे और उत्कृष्ट माने जानेवाले जम्मू-कश्मीर की लोककथाओं का साहित्य सुननेवालों और प्राच्यविदों को वर्षों से प्रभावित करता आ रहा है। इन मौखिक कथाओं को कागज पर उतारने का उपक्रम 19वीं सदी में शुरू हुआ था। ये कथाएँ संस्कृति और समाज का परिदृश्य प्रस्तुत करने के साथ ही देवी-देवताओं, राजा-रानियों तथा साधारण व्यक्तियों के चरित्रों को प्रस्तुत करती हैं और संदेश भी देती हैं। ये लोककथाएँ प्रेरणादायक भी हैं और मनोरंजक भी।
Mukhyamantri
- Author Name:
Chanakya Sen
- Book Type:

-
Description:
‘मुख्यमंत्री’ एक राजनीतिक उपन्यास है। इसमें भारत के समकालीन राजनीतिक जीवन का आश्चर्यजनक यथार्थ चित्रण है। यह कृति वर्तमान भारतीय जीवन की तीखी आलोचना है। कृष्ण द्वैपायन कौशल का दुर्धर्ष व्यक्तित्व, उसकी रसिकता, उसके कुटिल राजनीतिक दाँव-पेच, अपने राजनीतिक संगी-साथियों के दोषों और कमज़ोरियों को पहचानने का उसका बुद्धिकौशल तथा सत्ता हथियाने के लिए सिद्धान्तों की भी निर्ममतापूर्वक
हत्या करने में गुरेज़ न करना—इन सबके कारण वह एक जीवन्त और शक्तिशाली चरित्र बन गया है। इसके साथ ही उपन्यास में उन अनेक राजनीतिज्ञों का भी बड़ा मार्मिक चित्रण हुआ है जिन्हें हमने देखा-सुना तो है, पर जिनके बारे में हमने कुछ अस्पष्ट-सी धारणाएँ बना रखी हैं। किन्तु उपन्यासकार ने इन सबको पूरे फ़ोकस में लाकर खड़ा कर दिया है।
‘मुख्यमंत्री’ मूल बांग्ला में 1966 में प्रकाशित हुआ था। अब तक इसके अनेक संस्करण हो चुके हैं। यह एक असाधारण उपन्यास है। भारतीय भाषाओं में लिखे गए राजनीतिक उपन्यासों में मुख्यमंत्री अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। भारतीय राजनीति के चारित्रिक ह्रास को समग्रता में उद्घाटित करता इसका कथानक ऐतिहासिक साहित्यिक दस्तावेज़ बन जाता है। स्वतंत्रता-प्राप्ति के तत्काल बाद के वर्षों में राजनीतिक सत्ता पाने और बनाए रखने के लिए जोड़-तोड़ के जिन समीकरणों को स्थापित किया गया उन्होंने ही आगे चलकर सम्पूर्ण भारतीय राजनीति में चारित्रिक प्रदूषण फैलाया है। स्वतंत्रतापूर्व के आदर्श स्वातंत्र्योत्तर भारत की राजनीति में किस प्रकार एकांगी व असहाय हो गए यह भी इस उपन्यास में देखा जा सकता है।
स्वतंत्रता के बाद के वर्षों की यह कथा हमारी आज की व्यथा से अलग नहीं है। यही वजह है कि यह उपन्यास वर्षों बाद भी प्रासंगिक है, बल्कि कहना चाहिए कि आज और अधिक प्रासंगिक है।
Basanti
- Author Name:
Bhisham Sahni
- Book Type:

-
Description:
‘झरोखे’, ‘कड़ियाँ’ और ‘तमस’ जैसे तीन विभिन्न आयामी उपन्यासों के बाद ‘बसन्ती’ का आना भीष्म साहनी के निर्बंध कथाकार की एक और सृजनात्मक उपलब्धि है। इस उपन्यास में एक ऐसी लड़की का चित्रण है जो मेहनत-मज़दूरी करने के लिए महानगर में आए ग्रामीण परिवार की कठिनाइयों के साथ-साथ बड़ी होती है; और निरन्तर ‘बड़ी’ होती जाती है।
दिल्ली जैसे महानगर में नए-नए सेक्टर और कॉलोनियाँ उठानेवालों की आए दिन टूटती झुग्गी-बस्तियों में टूटते ग़रीब लोगों, रिश्ते-नातों, सपनों और घरौंदों के बीच मात्र बसन्ती ही है जो साबुत नज़र आती है। वह अपने परिवार, परिवेश और परम्परागत नैतिकता से विद्रोह करती है। यह विद्रोह उसे दैहिक और मानसिक शोषण तक ले जाता है, पर उसकी निजता को कोई हादसा तोड़ नहीं पाता। प्रेमिका और ‘पत्नी’ के रूप में कठिन-से-कठिन हालात को ‘तो क्या बीबी जी’ कहकर उड़ाने और खिलखिलाने में ही जैसे बसन्ती की सार्थकता है। दूसरे शब्दों में वह एक जीती-जागती जिजीविषा है।
Aastha Ke Swar
- Author Name:
Dhirendra Verma
- Book Type:

-
Description:
आस्था के स्वर में लेखक धीरेन्द्र वर्मा ने निराशा और हताशा के दौर से गुजर रही आज की पीढ़ी के समक्ष एक ऐसे पात्र को पेश किया है जो हाल की चुनौतियों को बिना किसी प्रकार का समझौता किए निर्विकार भाव से झेल जाता है। संघर्षों की राह में उसके साथ होता है एक पुरुष—एक सुदर्शन पुरुष जो उसे भटकने से रोकता है। वह जो अदृश्य होते हुए भी सच्चा पथ-प्रदर्शक है, सृष्टि के उस काल का प्रतिनिधित्व करता है जो हमारे जीवन से बहुत पहले था और उसके बहुत बाद तक रहेगा।
धीरेन्द्र वर्मा ने आस्था के स्वर के माध्यम से उन बिन्दुओं को रेखांकित किया है जहाँ से भटकाव शुरू होता है और उससे बचने के लिए उस प्रकाश का परिचय दिया है जो हर समय हमारे साथ रहता है, परन्तु हम उसकी सहायता नहीं ले पाते। केवल हमारी आत्मा, हमारा विवेक ही उस अदृश्य शक्ति से ऊर्जस्वित होकर प्रकाश बिन्दुओं से जुड़ पाता है। यह पुस्तक उन परिभाषाओं को तोड़ने का प्रयास भी करती है जिन्हें आज के समाज में धन-बल और बाहुबल ने नए सिरे से गढ़ने का काम किया है। भटकाव के इस दौर में धीरेन्द्र वर्मा की यह पुस्तक सचमुच पथ-प्रदर्शक की भूमिका अदा करेगी।
Inhin Hathiyaron Se
- Author Name:
Amarkant
- Book Type:

-
Description:
भारत के स्वाधीनता संग्राम में सन बयालीस का ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ मुक्तिकामी भारतीय जनता का सर्वोच्च एकीकृत प्रयास माना जाता है। इस आंदोलन का हिंदी साहित्य में कई बार संदर्भ आया है लेकिन पूर्णतः उसी पर केन्द्रित सृजनात्मक प्रयत्न कम ही हुए। उस आंदोलन में ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ के नारे गूँजते थे। साठ साल बाद आज ‘अंग्रेजो, भारत आओ’ की नीति चल रही है। ऐसे समय में भारत छोड़ो आंदोलन की जातीय स्मृति की ओर कथा-गुरु अमरकान्त का ध्यान जाना खास अर्थ रखता है।
इन्हीं हथियारों से में शायद ही कोई बड़ा नेता दिखलाई देता है। अगर कहीं वे हैं तो बस सूचना-संदर्भ के रूप में। आंदोलन की प्रकृति के अनुरूप ही यह बहुनायक-संरचना वाला उपन्यास है जिसके प्रमुख चरित्रों में नीलेश छात्र है, गोबर्द्धन व्यापारी, सदाशयव्रत पूर्व पहलवान-डाकू, नम्रता जमींदार की बेटी, भगजोगनी फल-विक्रेता की पत्नी, रमाशंकर साधारण कार्यकर्ता, हरचरण मजदूर, गोपालराम दलित। गरज यह कि समाज का कोई तबका, कोई समुदाय नहीं बचा, जो इस आंदोलन में शरीक न हुआ हो। यह उपन्यास इन्हीं मामूली लोगों, गुमनाम नायकों का विरुद है–उनके चारित्रिक उत्कर्ष और पतन के साथ-साथ।
इतने नायकों वाले इस उपन्यास का महानायक है– बलिया! वर्तमान पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक पिछड़ा जिला। कुलीन लोग इस जनपद को सांस्कृतिक पिछड़ेपन का प्रतीक मानते हैं। लेकिन बलिया वैसा प्रतिवादी, प्रतिरोधी और साहसी जनपद है जो जीवन की कोमलताओं और राग-रंग से भी समृद्ध है। देश के कई जाग्रत जनपदों की तरह ही ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान बलिया में भी आज़ाद सरकार का गठन हुआ था। सिद्धान्तकार चाहें तो इस उपन्यास को स्थानीय इतिहास का निम्नवर्गीय प्रसंग कह लें पर यह है ‘फैक्ट’ से प्रेरित ‘फिक्शन’ ही और वह भी एक स्वाधीनता सेनानी की कलम से रचा हुआ।
अमरकान्त भविष्य में झाँकने की अपनी क्षमता के लिए भी प्रसिद्ध रहे हैं। इस उपन्यास में वे उस गौरवशाली अतीत के चित्रण और विश्लेषण को लेकर उपस्थित हुए हैं जो भविष्य का पाथेय हो सकता है। उन्हीं मामूली हथियारों से जनता बड़ी लड़ाई जीत लेगी, यही विश्वास इस उपन्यास का बीज-सूत्र है।
–अरुण प्रकाश
Rukshat - The Departure
- Author Name:
Sujit Banerjee
- Rating:
- Book Type:

- Description: Where a story stops, another one begins. The thing with them is, they never walk alone. They always walk with a group of friends. Each reaches its climax. Then with a final gasp of mortality and despair, fade away. No, they never die; they multiply. To the extent that the original gets lost and new ones are born. Over and over again. Yes, they get lost. No, they never die. They live on, permanently etched in the book of time. And from there, we borrow them and bring them alive. Again. And again. Here are twenty-six of them, some standing alone and some chatting with their long-lost friends. When they depart, they leave a lingering fragrance of nostalgia and curiosity. What happened then? Twenty-six alphabets, twenty-six names, and twenty-six short stories. Each explores one unique emotion, taking you into the dark recess of the mind. Some are frothy, and most of them opaque. Most are standing alone, and some are facing a mirror, where the same story comes alive in two different ways through two other protagonists. Meet diverse characters - from the single-minded prostitute to the man on the railway's station br>Bereft of any memory; a woman desperate for a biological child to a dead man's trial. Meet a jealous lover with a twisted brain and a gay man's memory of a one-night encounter. Meet twenty-six such characters arrested and sentenced for life inside the pages of a book—each one leaving an indelible mark on your soul.
Jism Jism Ke Log
- Author Name:
Shazi Zaman
- Book Type:

-
Description:
“जब जिस्म सोचता, बोलता है तो जिस्म सुनता है।”
“आप तो बोलते भी हैं, सुनते भी हैं, लिखते भी हैं...”
“लिखता भी हूँ?” मैंने कहा।
एक कम्पन, एक हरकत-सी हुई तुम्हारे जिस्म में—जैसे मेरी बात का जवाब दिया हो।
“रूमानी शायर जिस्म पर भी जिस्म से लिखता है,’’ मैंने कहा।
“आप जिस्मानी शायर हैं!”‘जिस्म जिस्म के लोग’ बदलते हुए जिस्मों की आत्मकथा है। ‘जिस्म जिस्म के लोग’ में—और हर जिस्म में—बदलते वक़्त और बदलते ताल्लुक़ात का रिकॉर्ड दर्ज है।
“इतने वक़्त के बाद...,” तुमने मुझसे या शायद जिस्म ने जिस्म से कहा।
“कितने वक़्त के बाद?”
“जिस्म की लकीरों से वक़्त लिखा हुआ है।”
“दोनों जिस्मों पर वक़्त के दस्तख़त हैं,” मैंने कहा।
जिस्म पर वक़्त के दस्तख़त को मैंने उँगलियों से छुआ तो तुमने याद दिलाया—
“सूरज के उगने, न सूरज के ढलने से...
“वक़्त बदलता है जिस्मों के बदलने से।’”
दुनिया का हर इंसान अपना—या अपना-सा—जिस्म लिए घूम रहा है। उन्हीं जिस्मों को समझने, उन पर—या उनसे—लिखने और ‘जिस्म-वर्षों के गुज़रने की दास्तान है ‘जिस्म जिस्म के लोग’।
“बहुत जिस्म-वर्ष गुज़र गए...जिस्म जिस्म घूमते रहे!” मैंने कहा।
“तो दुनिया घूमकर इस जिस्म के पास क्यूँ आए?”
“जिस्मों जिस्मों होता आया”,
वक़्त के दस्तख़त पर मेरे हाथ रुक गए,
“अब ये जिस्म समझ में आया।”
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...