Jhootha Sach : Vatan Aur Desh : Vol. 1
Author:
YashpalPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 399.2
₹
499
Available
भारत-पाकिस्तान विभाजन भारतीय राज्य के इतिहास का वह अध्याय है जो एक विराट त्रासदी के रूप में अनेक भारतीयों के मन पर आज भी जस-का-तस अंकित है। अपनी ज़मीनों-घरों से विस्थापित, असंख्य लोग जब नक़्शे में खींच दी गई एक रेखा के इधर और उधर की यात्रा पर निकल पड़े थे, यह न सिर्फ़ मनुष्य के जीवट की बल्कि भारतवर्ष के उन शाश्वत मूल्यों की भी परीक्षा थी जिनके दम पर सदियों से हमारी हस्ती मिटती नहीं थी।</p>
<p>यशपाल का यह कालजयी उपन्यास उसी ऐतिहासिक कालखंड का महाआख्यान है। स्वयं यशपाल के शब्दों में यह इतिहास नहीं है, ‘कथानक में कुछ ऐतिहासिक घटनाएँ अथवा प्रसंग अवश्य हैं परन्तु सम्पूर्ण कथानक कल्पना के आधार पर उपन्यास है, इतिहास नहीं।’ अर्थात् यह उस ज़िन्दगी का आख्यान है जो अक्सर इतिहास के स्थूल ब्योरों में कहीं खो जाती है।</p>
<p>‘झूठा सच’ के इस पहले खंड ‘वतन और देश’ में विभाजन के दौरान हुई लूट-पाट और हिंसा के रोंगटे खड़े कर देनेवाले माहौल और उस भीतरी विभाजन का यथार्थवादी अंकन किया गया है जिसके चलते वतन और देश दो अलग-अलग इकाइयाँ हो गए। उपन्यास यह भी जानने की कोशिश करता है कि इसके कारण क्या थे—अंग्रेज़ों की चाल, साम्प्रदायिकता, पिछड़ापन या आर्थिक विषमता या यह सब एक साथ?
ISBN: 9788180315183
Pages: 416
Avg Reading Time: 14 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: प्रतिष्ठित कथाकार द्रोणवीर कोहली का यह उपन्यास एक अछूती समस्या को उठाता है–कतिपय आधुनिक एवं धनाढ्य परिवारों में लड़के-लड़कियों की समस्या जो भौतिक सुख-सुविधाओं के बावजूद स्नेह-सौहार्द्र के अभाव में मनोरोगी हो जाते हैं। उनकी चिकित्सा और देख-भाल के लिए उनके पास ढेरों धन तो हैं, लेकिन ‘समय’ नामक अमूल्य धन जो उनके पास मौजूद है, उसे वह अपने बच्चों पर व्यय करना जानते ही नहीं, जिसके परिणामस्वरूप उन बच्चों का सही उपचार नहीं हो पाता और अन्त में त्रासदी शेष रह जाती है। लेखक ने इस स्थिति का बारीकी से अध्ययन किया है और बड़ी कुशलता से ‘हृदय सुगति’, ‘इक्ष्वाकु’ अर्थात ‘इच्छू बाबा’, ‘काया’ जैसे चरित्रों को परत-दर-परत खोल कर रख दिया है–किसी मनोचिकित्सक के बौद्धिक व्यायाम की तरह नहीं, किसी संवेदनशील कथाकार की भाँति। द्रोणवीर कोहली के इस उपन्यास की बड़ी विशेषता यह भी है कि प्रकाशन से पूर्व उन्होंने अपनी सम्पूर्ण पांडुलिपि प्रसिद्ध क्लिनिकल मनोचिकित्सक डॉ. नीरजा कुमार को दिखाई थी। उन्होंने उपन्यास के अन्तिम अंश के बारे में जो विचार दिए, लेखक ने उन्हें सहर्ष स्वीकार किया है। उन्हें पुस्तक के अन्त में ‘अनुबोध’ शीर्षक से सम्मिलित कर लिया गया है।
Ummid
- Author Name:
Shrikumaran Tampi
- Book Type:

- Description: श्रीकुमारन तम्पी के मूल मलयालम उपन्यास 'कुट्टनाटु' का परम विद्वान डॉ. रंजीत रविशैलम द्वारा किया गया हिन्दी अनुवाद 'उम्मीद' एक मर्मस्पर्शी कृति है। त्याग की भावनाओं को उजागर करता यह उपन्यास केरल के उस परिवेश का सजीव चिंत्राकन करता है, जो आज से लगभग 60 वर्ष पूर्व के गाँव की जीवनशैली को प्रस्तुत करने में सक्षम है। जाति और धर्म को प्राथमिकता देने वाले उस समय के केरलीय परिवेश में एक नायर परिवार कुलीनता के नाम पर अपना सर्वस्व त्यागने का साहस करता है, इस भावपूर्ण और कठिन विषय को सरलता के साथ प्रस्तुत किया गया है। ईसाई, मुसलमान, हिन्दू के बीच समन्वय स्थापित करने के प्रयास का यथावत् चित्रण, साथ ही, दो भाईयों के भिन्न व्यवहार का बहुत सुन्दर चित्रण किया गया है। जहाँ एक ओर, एक भाई के स्वार्थी व्यवहार को दर्शाने के लिए उचित शाब्दिक स्थितियाँ निर्मित की गई हैं, वहीं दूसरी ओर, दूसरे भाई के त्याग की भावना को उजागर करने के लिए उपयुक्त भावुक वातावरण बनाया गया है।
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