
Rochak Vaigyanik Rahasya
Author:
Dr. D.D. Ojha, Anil Kumar GuptaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 400
₹
500
Available
हमारे जीवन में हम अनेक वैज्ञानिक उत्पादों का उपयोग प्रातःकाल से रात्रि-पर्यंत एवं जीवन-पर्यंत तक करते हैं। इसके अतिरिक्त चाहे मानव शरीर हो, पशु-पक्षियों के व्यवहार एवं विशेषताएँ हों, प्राकृतिक क्रियाएँ हों, समुद्र, अंतरिक्ष, पृथ्वी, रसायन, भौतिकि, नैनो, बायोटेक्नोलॉजी, चिकित्सा विज्ञान के रोचक वैज्ञानिक प्रसंग तथा सामाजिक एवं धार्मिक परंपराएँ भी क्यों न हों, उनके बारे में जानने की जिज्ञासा रहती ही है। प्रायः यह समझा जाता है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होनेवाले अनुसंधान और उनके अनुप्रयोगों को समझना सामान्य जनसाधारण की बुद्धि के परे होता है, परंतु उनके उद्देश्य अंततः मानव की जीवन-शैली में अद्भुत परिवर्तन लाकर उसे प्रगति की राह पर निरंतर आगे बढ़ाने के ही होते हैं।
आज के प्ररिप्रेक्ष्य में सभी वर्ग के सुधी पाठकों को दैनिक जीवन, प्राकृतिक घटनाओं, अनेक जीवधारियों से संबंधित घटनाओं, सामाजिक एवं वैदिक परंपराओं में निहित विज्ञान के अनेकानेक विषयों पर जानकारी उनकी बोल-चाल की भाषा में होना बहुत आवश्यक है। इसी उद्देश्य से इस पुस्तक ‘रोचक वैज्ञानिक रहस्य’ का प्रणयन सरल-सुबोध भाषा में यथोचित चित्रों सहित किया है।
विज्ञान में अभिरुचि रखनेवाले तथा सामान्य व्यक्ति के लिए भी समान रूप से पठनीय रोचक-ज्ञानवर्धक पुस्तक।
ISBN: 9788177213942
Pages: 248
Avg Reading Time: 8 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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700 से अधिक हत्याएँ करके अपराध के महासिन्धु में डूबा हुआ अमीर अली जेल में सामान्य बन्दियों से पृथक् बड़े ठाट-बाट से रहता था। वह साफ़ कपड़े पहनता, अपनी दाढ़ी सँवारता और पाँचों वक़्त की नमाज़ अदा करता था। उसकी दैनिक क्रियाएँ नियमपूर्वक चलती थीं। अपराधबोध अथवा पश्चात्ताप का कोई चिह्न उसके मुख पर कभी नहीं देखा गया। उसे भवानी की अनुकम्पा और शकुनों पर अटूट विश्वास था। एक प्रश्न के उत्तर में उसने कहा था कि भवानी स्वयं उसका शिकार उसके हाथों में दे देती हैं, इसमें उसका क्या कसूर? और अल्लाह की मर्ज़ी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। उसका यह भी कहना था कि यदि वह जेल में न होता तो उसके द्वारा शिकार हुए यात्रियों की संख्या हज़ार से अधिक हो सकती थी।
प्रस्तुत पुस्तक ‘एक ठग की दास्तान’ 19वीं शताब्दी के आरम्भ काल में मध्य भारत, महाराष्ट्र तथा निजाम के समस्त इलाक़ों में सड़क-मार्ग से यात्रा करनेवाले यात्रियों के लिए आतंक का पर्याय बने ठगों में सर्वाधिक प्रसिद्ध अमीर अली के विभिन्न रोमांचकारी अभियानों की तथ्यपरक आत्मकथा है। इसे लेखक ने स्वयं जेल में अमीर अली के मुख से सुनकर लिपिबद्ध किया है।
औपन्यासिक शैली में प्रस्तुत अत्यधिक मनोरंजक आत्मकथात्मक पुस्तक।
Ek Mantri Swarglok Mein
- Author Name:
Shankar Puntambeker
- Book Type:
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Description:
शंकर पुणतांबेकर का यह उपन्यास मूलतः एक व्यंग्य-रचना है, जिसमें राजनीतिज्ञों की जोड़-तोड़ का प्रभावशाली चित्रण है। जिस प्रकार पृथ्वीलोक में चुनाव में टिकट पाने, चुनाव जीतने और फिर मंत्रिपद हथियाने के लिए विभिन्न हथकंडे अपनाए जाते हैं, ठीक उसी तरह के हथकंडे एक मंत्री महोदय स्वर्गलोक में पहुँचने पर अपनाते हैं। आज के राजनीतिज्ञ किस प्रकार एक अच्छी-भली, साफ़-सुथरी व्यवस्था को भी अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए भ्रष्ट कर देते हैं। इसका बहुत ज़ोरदार चित्रण प्रस्तुत उपन्यास में है।
ख़ास बात यह कि कहानी में निहित व्यंग्य कटु न होते हुए भी सीधी चोट करता है और जाने-पहचाने तथ्यों को भी इस ढंग से उद्घाटित करता है कि उपन्यास को पढ़ते हुए बराबर छल-प्रपंच की एक नई दुनिया से परिचित होने का एहसास बना रहता है और साथ ही यह एहसास भी कि यह नई दुनिया कितनी तुच्छ, कितनी अवांछनीय है।
Swang
- Author Name:
Gyan Chaturvedi
- Book Type:
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Description:
स्वाँग कभी एक बेहद लोकप्रिय लोकनाट्य विधा रही है बुंदेलखंड की। नाटक, नौटंकी, रामलीला से थोड़ी इतर। न मंच, न परदा, न ही कोई विशेष वेशभूषा। बस अभिनय।
स्वाँग का मज़ा इसके असल जैसा लगने में है। एकदम असली, गोकि वहाँ सब नकली होता है : नकली राजा, नकली सिपाही, नकली कोड़े, नकली जेल, नकली साधु, काठ की तलवार, नकली दुश्मन और नकली लड़ाइयाँ। नकली नायक, नकली खलनायक। वही नायक, वही खलनायक। सब जानते हैं कि अभिनय है, नकली है सब, नाटक है यह; पर उस पल वह कितना जीवंत प्रतीत होता है। एकदम असल।
लोकनाट्य तो ख़ैर समय के साथ डूब गए। अब बुंदेलखंड के गाँवों में स्वाँग नहीं खेला जाता। परन्तु हुआ यह है कि अब मानो पूरा समाज ही स्वाँग खेलने में मुब्तिला हो गया है। सामाजिक, राजनीतिक, न्याय और कानून, इनकी व्यवस्था का सारा तंत्र ही एक विराट स्वाँग में बदल गया है।
यह न केवल बुंदेलखंड के बल्कि हिंदुस्तान के समूचे तंत्र के एक विराट स्वाँग में तब्दील हो जाने की कहानी है।
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