Edwina Aur Nehru
Author:
Catherine ClementPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Historical-fiction0 Reviews
Price: ₹ 399.2
₹
499
Available
‘नेहरू और एडविना’ के चरित्रों को केन्द्र में रखकर लिखा गया यह ऐतिहासिक उपन्यास तथ्य और कल्पना के अद्भुत मेल से रचा गया है। जो घटित हुआ वह तो सत्य है ही, लेकिन जो घटित नहीं हुआ, वह भी इसलिए एक हद तक सच्चा है क्योंकि उसका घटित होना काफ़ी हद तक सम्भव था।
फ़्रांसीसी पाठकों को ध्यान में रखकर लिखी गई यह प्रेम कहानी भारतीय जनमानस को भी उसी रूप में उद्वेलित करेगी, इसमें सन्देह नहीं। भारत के इतिहास में बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना 1947 का राजनीतिक विभाजन है। यह उपन्यास, इस घटना के अभिकर्ता तमाम महत्त्वपूर्ण पात्रों के भीतर झाँककर इसके कारणों और प्रभावों की दास्तान कहने का प्रयास करता है, और इस तरह दृश्य के अदृश्य सूत्रों का उद्घाटन करता है।
सार्वजनिक के भीतर जो कुछ निजी है, वही उसका अन्त:सूत्र भी है, और अपनी मर्मस्पर्शिता में कहीं अधिक प्रभावी भी। इन्हीं अन्त:सूत्रों को उनकी मार्मिक संवेदनीयता के साथ ग्रहण कर इस उपन्यास का कथात्मक ताना-बाना बुना गया है।
घटनाएँ प्राय: जानी-सुनी हैं—एक अर्थ में पूर्व परिचित। यही स्थिति पात्रों की है—जाने-माने, साहसी, प्रतापी, योद्धाओं का एक पूरा संसार। पर इन सबने मिलकर जो इतिहास रचा उसमें कौन, कहाँ, कितना टूटा-जुड़ा, बना-बिगड़ा, वह घटनाओं का नहीं संवेदनाओं का इतिहास है । एक बिन्दु ऐसा होता है जो बाहर और भीतर के तनाव का सन्धि-स्थल रचता है, जहाँ अक्सर जो बहुत अन्तरंग है, निजी है उसके अतिक्रमण की अनन्त साधना से बहिरंग की रचना होती है ।
इसी बिन्दु को पकड़ने की कोशिश है इस उपन्यास में। समय के दो महत्त्वपूर्ण पात्रों की केन्द्रीयता से उठकर समय को फिर से रचने की उसकी घटनात्मकता में नहीं, मार्मिकता में।
ISBN: 9788126712892
Pages: 445
Avg Reading Time: 15 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Prashant Pole
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- Description: The future of every character, every person during those 15 days was different...very different...! in thinking, in working style, in behaviour, and in everything...! Those fifteen days taught us alot... We saw Nehru ready to unfurl the Union Jack in India at the behest of Mountbatten. On the same day and at the same time when Gandhiji was telling the refugees in Lahore, if Lahore is falling to death, you should face death with a smile, the chief of Rashtriya Swayamsevak Sangh—Guruji was giving the mantra of ‘getting inspiration from King Dahir, unite and live with courage’ just 800 miles away from Gandhiji, at Hyderabad (Sindh). At a time when Congress president’s wife Sucheta Kripalani was telling Sindhi women in Karachi that ‘Muslim goons tease you because of your make-up and low-cut blouses’, Mavashi Kelkar of Rashtra Sevika Samiti, was trying to make Hindu women empowered and strong while becoming cultured, at Karachi. While the Hindu workers of the Congress were trying to flee from Punjab and Sindh to India, the RSS Swayamsevaks were risking their lives to protect the Hindus and Sikhs and bring them safely to India. This book describes the happenings in 15 days, before India got the Independence, in an interesting manner.
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एडविना और नेहरू एक ऐतिहासिक कृति है जो पंडित जवाहरलाल नेहरू और लेडी एडविना माउंटबेटन के बीच के जटिल, संवेदनशील और बहुचर्चित संबंधों को गहराई से टटोलती है। यह पुस्तक केवल राजनीतिक इतिहास नहीं है, बल्कि सत्ता, भावनाओं और व्यक्तिगत समीकरणों के बीच की महीन रेखाओं को भी उजागर करती है।
कथानक भारत के स्वतंत्रता-पूर्व और स्वतंत्रता-कालीन दौर की पृष्ठभूमि में विकसित होता है, जहाँ सत्ता के केंद्र में बैठे लोग भी निजी द्वंद्वों और मानवीय कमजोरियों से अछूते नहीं थे। यह पुस्तक पाठक को उस समय के राजनीतिक माहौल, औपनिवेशिक भारत, और नेतृत्व के मानवीय पक्ष से रूबरू कराती है।
एडविना और नेहरू उन पाठकों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है जो इतिहास को केवल घटनाओं के रूप में नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों के रूप में पढ़ना चाहते हैं।
यह पुस्तक किस विषय पर आधारित है?
यह पुस्तक जवाहरलाल नेहरू और लेडी एडविना माउंटबेटन के संबंधों को ऐतिहासिक और मानवीय दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है, जिसमें राजनीति, सत्ता और निजी भावनाओं का गहरा अंतर्संबंध दिखाया गया है।
क्या यह पुस्तक ऐतिहासिक तथ्य पर आधारित है?
हाँ, यह पुस्तक ऐतिहासिक घटनाओं, पत्रों और प्रलेखों पर आधारित है, हालांकि इसे कथात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है ताकि पाठक इतिहास को सहज रूप से समझ सकें।
क्या यह पुस्तक केवल इतिहास के छात्रों के लिए है?
नहीं। यह पुस्तक सामान्य पाठकों, इतिहास प्रेमियों और हिंदी साहित्य के पाठकों—सभी के लिए उपयुक्त है। इसे पढ़ने के लिए अकादमिक पृष्ठभूमि आवश्यक नहीं है।
इस पुस्तक को अन्य ऐतिहासिक उपन्यासों से अलग क्या बनाता है?
यह पुस्तक सत्ता के केंद्र में बैठे व्यक्तियों के मानवीय पक्ष पर केंद्रित है। यह केवल राजनीतिक निर्णयों की बात नहीं करती, बल्कि भावनाओं, संबंधों और व्यक्तिगत संघर्षों को भी सामने लाती है।