Charitani Rajgondanaam
Author:
Shivkumar TiwariPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Historical-fiction0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
इस पुस्तक में गोंड राजाओं के प्रेरणादायी जीवन-प्रसंगों को रेखांकित किया गया है जिन्होंने अपने समय की तमाम धार्मिक, राजनैतिक और सामाजिक व्यवस्थाओं को आत्मसात् करके, इतिहास के हाशिए से उठकर अपना एक अनूठा साम्राज्य क़ायम किया।
यह पुस्तक हमें राजगोंडों की अद्वितीय जिजीविषा के बारे में विस्तार से बताती है। एक तरफ़ यहाँ अगर गढ़ा-कटंगा के राजा संग्रामशाह की दूरदृष्टि व कूटनीतिज्ञता की झलक मिलती है तो दूसरी तरफ़ शक्तिशाली मुग़ल साम्राज्य से लोहा लेनेवाली रानी दुर्गावती की धर्मपरायणता व साहसिकता भी हमें प्रेरित करती है।
राजगोंड राजाओं के जीवट से देदीप्यमान कहानियों के साथ-साथ यह पुस्तक हमें उनकी मानवीय संवेदना, ज्ञानपिपासा, चारित्रिक दृढ़ता, धर्मनिरपेक्षता, विश्वास, रूढ़ियों और रुचियों के बारे में भी क्रमबद्ध ढंग से बताती है, कुछ इस तरह कि पाँच शताब्दी पूर्व के गोंडों का इतिहास हमारे सामने साकार हो उठता है।
रोचक उतार-चढ़ावों से लबालब और सरल भाषा में सँजोयी गई यह पुस्तक ज्ञानपिपासुओं और इतिहास के गर्त में कुछ ढूँढ़ने का प्रयत्न करनेवाले शोधकर्ताओं के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
ISBN: 9788126715480
Pages: 313
Avg Reading Time: 10 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Mati Mati Arkati
- Author Name:
Ashwini Kumar Pankaj
- Book Type:

- Description: ब्रिटिश उपनिवेश द्वारा भारत से बाहर ले जाए गए मज़दूरों को तत्कालीन कम्पनियाँ और उनके एजेंट दो नामों से पुकारते थे। दक्षिण भारत, बिहार और प. उत्तर प्रदेश के ग़ैर-आदिवासी मज़दूरों को 'कुली' और झारखंड के सदान और आदिवासियों को 'हिल कुली', 'धांगर' और 'कोल' कहा जाता था। ये और कोई नहीं ग्रेटर झारखंड की उरांव, मुंडा, संताल, खड़िया और सदान जातियाँ थीं। ब्रिटिश संसद और ब्रिटिश उपनिवेशों में मौजूद दस्तावेज़ों में झारखंड के आदिवासियों के आप्रवासन के ठोस प्रमाण उपलब्ध हैं। कालान्तर में मॉरीशस, गयाना, फ़िजी, सूरीनाम, टुबैगो सहित अन्य कैरीबियन तथा लैटिन अमेरिकी और अफ़्रीकी देशों में लगभग डेढ़ सदी पहले ले जाए गए ग़ैर-आदिवासी गिरमिटिया मज़दूरों ने बेशक लम्बे संघर्ष के बाद इन देशों को भोजपुरी बना दिया है और वहाँ के नीति-नियन्ताओं में शामिल हो गए हैं। लेकिन सवाल है कि वे हज़ारों झारखंडी जो सबसे पहले वहाँ पहुँचे थे, कहाँ चले गए? कैसे और कब वे गिरमिटिया कुलियों की नवनिर्मित भोजपुरी दुनिया से ग़ायब हो गए? ऐसा क्यों हुआ कि गिरमिटिया कुली ख़ुद तो आज़ादी पा गए लेकिन उनकी आज़ादी हिल कुलियों को चुपचाप गड़प कर गई। एक कुली की आज़ादी कैसे दूसरे कुली के ख़ात्मे का सबब बनी? क्या थोड़े आर्थिक संसाधन जुटते ही उनमें बहुसंख्यक धार्मिक और नस्ली वर्चस्व का विषधर दोबारा जाग गया और वहाँ उस अनजान धरती पर फिर से ब्राह्मण, क्षत्रिय, भूमिहार और वैश्य पैदा हो गए? सो भी इतनी समझदारी के साथ कि 'शूद्र' को नई सामाजिक संरचना में जन्मने ही नहीं दिया? इस उपन्यास का मूल प्रश्न यही है। कोन्ता और कुन्ती की इस कहानी को कहने के पीछे लेखक का उद्देश्य पूरब और पश्चिम दोनों के ग़ैर-आदिवासी समाजों में मौजूद नस्ली और ब्राह्मणवादी चरित्र को उजागर करना है जिसे विकसित सभ्यताओं की बौद्धिक दार्शनिकता के ज़रिए अनदेखा किया जाता रहा है।
Bhagat Singh Ko Fansi : Vol. 1
- Author Name:
Malvender Jit Singh Waraich +1
- Book Type:

- Description: भगत सिंह को फाँसी-1 यह कैसे हुआ कि मामूली हथियारों से लैस कुछ नौजवानों को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी पाया गया, जिसके चलते उन्हें उम्रकैद और फाँसी की सजा हुई! ‘युद्ध’, जो उन्होंने लड़ा हालाँकि ‘‘यह युद्ध उपनिवेशवादियों व पूँजीपतियों के विरुद्ध लड़ा गया।’’ और जो ‘‘ न ही यह हमारे साथ शुरू हुआ और न ही यह हमारे जीवन के साथ खत्म होगा।’’ और, मात्र 30 महीने की उल्लेखनीय अवधि में 8-9 सितम्बर 1928 को ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन’ की स्थापना के साथ शुरू होकर, यह सम्पन्न हो गया। विश्वास से भरपूर भगत सिंह के शब्द थे, कि ‘‘मैं अपने देश के करोड़ों लोगों की ‘इंकलाब जिंदाबाद’ की हुंकार सुन पा रहा हूँ। काल-कोठरी की मोटी दीवारो के पीछे बैठे हुए भी मुझे कहै कि यह नारा हमारे स्वतंत्राता संघर्ष को प्रेरणा देता रहेगा।’’ इस पुस्तक में प्रस्तुत है इसका प्रथमद्रष्टया विवरण।
Main
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:

- Description: विमल मित्र का यह प्रयोगधर्मी उपन्यास ‘मैं’ हमारे समय के राजनीतिक एवं सामाजिक यथार्थ को परत-दर-परत सामने लाता है। स्वतंत्रता-पूर्व और पश्चात् की स्थितियों के जो चित्र इस कृति में मौजूद हैं, वे अपने आपमें ऐतिहासिक तथ्य हैं। इसमें एक तरफ़ दिगम्बर व नुटु का जीवन-संघर्ष है तो दूसरी ओर ज्योतिर्मय सेन का अन्तर्द्वन्द्व। यह अन्तर्द्वन्द्व साधारण जन का अन्तर्द्वन्द्व भी है जो सही व ग़लत के बीच अक्सर अनिर्णय का शिकार होकर यथास्थितिवादी बना रहता है। दो पुरुष और एक इतर प्राणी को केन्द्र मानकर चलती इसकी कथा अपने परिवेश से असंपृक्त नहीं रहती। इसमें एक ओर मानवीय प्रेम, अस्मिता तथा स्वतंत्रता का संघर्ष है तो दूसरी ओर व्यवस्था का निरंकुश अमानवीय चरित्र उद्घाटित होता है। कुल मिलाकर तीन प्राणियों को केन्द्र मानकर चलने के बावजूद यह कृति आत्मकथात्मक न होकर बीसवीं शताब्दी के भारत की महागाथा है। विविध आयामी यथार्थ चरित्रों के माध्यम से विमल मित्र एक ऐसा संसार रचते हैं, जिसमें प्रेम और वितृष्णा एक साथ उत्पन्न होते हैं।
Sambhaji Maharaj (Hindi Translation of Life and Death of Sambhaji)
- Author Name:
Medha Deshmukh Bhaskaran
- Book Type:

- Description: संभाजी महाराज की नजर महादजी की ओर जाती है। यह सही बातें कहने और करने का समय है। अभी वे जो करेंगे, वह उनके देश की नियति बदल देगा। वे मराठी में कहते हैं, ''महादजी, आबा साहिब ने हर सैनिक के जीवन का सम्मान किया। वे चाहते थे कि हम बेवजह शहादत से बचें और जीवित रहें, ताकि हम स्वराज के लिए, मराठा राष्ट्र के लिए एक और लड़ाई लड़ सकें, लेकिन उन्होंने कभी भी मराठा राष्ट्र के बदले में जीवन को गले नहीं लगाया होता। संभाजी महाराज फर्श पर एक ढेर की तरह गिर जाते हैं। वे जानते हैं कि कुछ ही दिनों में उनकी आँखें निकाल ली जाएँगी। लेकिन औरंगजेब बस इतना ही कर सकता है। संभाजी महाराज मराठों के दिलों में एक आग जला जाएँगे और वे दावानल में बदल जाएँगे, जो औरंगजेब के सपनों को जलाकर राख कर देंगे। युद्ध चलता रहेगा लेकिन वह कभी दक्कन नहीं जीत पाएगा। —इसी पुस्तक से छत्रपति शिवाजी महाराज के उतने ही प्रतापी पुत्र संभाजी महाराज के शौर्य और पराक्रम की यशोगाथा बताती अनुपम कृति। आक्रांताओं के दाँत खट्टे कर मराठा स्वाभिमान को जाग्रत करने में संभाजी महाराज के योगदान को रेखांकित करनेवाली कृति। हर भारतीय के राष्ट्रभाव को जाग्रत करनेवाली पठनीय कृति।
Indira Gandhi ka samajwad
- Author Name:
Hiranand Acharya
- Book Type:

- Description: History
Hasanpur Ke Ram
- Author Name:
Dr. Parshuram Gupt
- Book Type:

- Description: अंतर्वस्तु यह उपन्यास एक ऐसे राजवंश से संबंधित है, जो सम्राट् पृथ्वीराज चौहान केवंशज रहे। पानीपत की पहली लड़ाई के दौरान परिस्थितिवश उन्हें इसलाम स्वीकार करना पड़ा, लेकिन सगोत्रियों तथा अपने पूर्वजों के संस्कारों पर उनकी आस्था यथावत् बनी रही; ठीक वैसे ही, जैसे इंडोनेशिया के निवासी पंथ बदलने के बाद भी अपने पूर्वजों की संस्कृति पर आज भी आस्था रखते हैं। रामकथा लगभग संपूर्ण एशिया की आस्था का केंद्र रही है और आज भी इसमें इस पूरे क्षेत्र को एकता केसूत्र में पिरोने की अद्भुत क्षमता है। अयोध्या में भव्य राम-मंदिर के निर्माण ने इस आस्था को और अधिक बलवती किया है। ‘पंथ बदलने पर भी हम अपनी संस्कृति से बँधे रहते हैं’ यह भाव इस ऐतिहासिक उपन्यासका प्राण-तत्त्व है। यह ऐतिहासिक उपन्यास अपने तरीके से भारतीय संस्कृति की जिजीविषा की अनूठी कहानी एक अनूठे अंदाज में प्रस्तुत करता है। यह कहानी खंड-खंड से प्रचंड शक्ति बनने की कहानी है। यह अंधकार को चीरकर प्रकाश का नया सूरज उगाने की कहानी है। यह अनेक रोचक ऐतिहासिक तथ्यों का उद्घाटन भी करता है, जो भारतीय इतिहास को नए दृष्टिकोण से देखने का कुतूहल पैदा करता है। यह अनेक उलझी हुई समस्याओं के समाधान के रास्ते भी सुझाता है।
The Lost Diary of Kastur, My Ba
- Author Name:
Tushar Gandhi +1
- Book Type:

- Description: तिच्या सोबतीवाचून अहिंसा आणि आत्मशिस्तीच्या माझ्या प्रयत्नांमध्ये मला यश मिळालं नसतं, हे सत्य मी मान्य करायला हवं. इतर कुणाच्याही तुलनेत ती मला अधिक चांगलं समजून घेऊ शकायची. तिची निष्ठा अद्वितीय होती. आयुष्याचा निरोप घेताना ती कुणाच्या मांडीवर, त्या क्षणी डोके टेकवून डोळे मिटेल हे मलाही शेवटपर्यंत माहीत नव्हतं, पण तिनं शेवटच्या क्षणी मला बोलावलं आणि माझ्या मांडीवर डोकं ठेवून अखेरचा श्वास घेतला. अशी होती बा! तिच्यासारखी निर्दोष श्रद्धा, नि:स्वार्थ भक्ती आणि सेवाभाव माझ्या पाहण्यात नाही. आमचं लग्न झाल्यापासून ती माझ्या आयुष्यातील सर्व संघर्षांमध्ये अतूट निष्ठेनं माझ्या पाठीशी उभी राहिली. शरीर-आत्म्यासह आपलं सर्वस्व अर्पून तिनं स्वत:ला माझ्या जीवनकार्याला वाहून घेतलं. अशा प्रकारच्या समर्पणाचं दुसरं उदाहरण क्वचितच सापडेल. महात्मा गांधी कस्तुरबांच्या तिसऱ्या स्मृतिदिनानिमित्त बोलताना 22 फेब्रुवारी 1947, नोआखाली. The Lost Diary of Kastur, My Ba | Tushar Gandhi Translated by : Sonali Navangul द लॉस्ट डायरी ऑफ कस्तुर, माय बा । तुषार गांधी अनुवाद : सोनाली नवांगुळ
Tejo Tungabhadra: Tributaries of Time
- Author Name:
Maithreyi Karnoor +1
- Book Type:

- Description: Tejo Tungabhadra narrates the story of two rivers on different continents whose souls are interconnected through history. On the banks of the river Tejo in Lisbon, Bella, a young Jewish refugee, and her family face daily threats to their lives and dignity from a deeply antisemitic society. Gabriel, her lover, sails to India with General Albuquerque's fleet, seeking wealth and a secure future. Meanwhile, on the banks of the Tungabhadra in the Vijayanagara Empire, the young couple Hampamma and Keshava find themselves caught in a storm of religious violence and the harsh cycle of tradition. The two stories come together in Goa with the power and energy of meeting rivers. Set in the late 15th and early 16th centuries, Tejo Tungabhadra is a grand saga of love, ambition, greed, and a lively passion for life amid the turbulent waves of history.
Jara Yaad Unhen Bhi Kar Lo
- Author Name:
Chiranjeev Sinha
- Book Type:

- Description: साधारणतया भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का कालखंड 1857 से 1947 तक माना जाता है, लेकिन विदेशी शासन का सबल प्रतिरोध इससे 332 वर्ष पहले सन् 1525 में ही प्रारंभ हो गया था, जब कर्नाटक के उलल्लाल नगर की रानी अब्बका चौटा, जो अग्निबाण चलानेवाली भारतवर्ष की अंतिम योद्धा थी, ने बढ़ते पुर्तगाली आधिपत्य को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। इस संग्रह में 1525 से 1947 अर्थात् लगभग सवा चार सौ वर्षों तक अनवरत प्रवहमान रहे विश्व के सर्वाधिक लंबे समय तक चले स्वतंत्रता संग्राम का वर्णन किया गया है। सबसे कम आयु में माँ भारती के लिए बलिदान होनेवाले ओडिशा के 12 वर्षीय बाजीराव राठउत के अमर बलिदान को पढ़कर भला कौन किशोर और युवा रोमांचित नहीं होगा! दुर्गा भाभी तमाम बंदिशों को धता बताते हुए किस चतुराई से भगत सिंह को अंग्रेजों की नाक के नीचे से लाहौर से कलकत्ता निकाल ले गईं, यह आज भी मिशन शक्ति की प्रेरणा है। तात्या टोपे की बिटिया मैना देवी ने जनरल आउट्रम के सामने झुकने की जगह जिंदा आग में जलना स्वीकार किया और अजीजन बाई ने यह दिखाया कि समाज का हर तबका चाहे वह तवायफ ही क्यों न हो, देश की आजादी के लिए मर-मिटने को तैयार रहता है। भारतवर्ष के ऐसे ही 75 वीरों और वीरांगनाओं का दाँतों तले उँगली दबाने सदृश अनछुआ वर्णन जो इन अनजाने क्रांतिवीरों के प्रति स्वाभाविक श्रद्धा और सम्मान सृजित करेगा ।
Ramkatha Ke naye Aayam
- Author Name:
Dr. Shankarlal Purohit
- Book Type:

- Description: हिंदी में रामकथा पर बहुत कुछ काम हुआ है। इसमें सर्वाधिक विस्तृत संपूर्ण सर्वेक्षण फादर कामिल बुल्के (रामकथा) का है। रामचरितमानस और आधुनिक भारतीय भाषाओं में रचित रामचरितों का तुलनात्मक अध्ययन कई विद्वानों ने किया है। अभी तक गुजराती, मराठी, बँगला, तेलुगु एवं तमिल आदि भाषाओं के प्रमुख रामचरित काव्यों और उनमें उपलब्ध रामकथा का तुलसी के मानस के साथ तुलनात्मक अध्ययन हो चुका है। परंतु बलरामदास की दांडी रामायण और मानस की रामकथा का तुलनात्मक अध्ययन कम ही हुआ है। प्रसिद्ध समालोचक एवं अनुवादक डॉ. शंकरलाल पुरोहित ने बलरामदास के राम-संबंधी दृष्टिकोण के मूल में जगन्नाथ और तुलसी के राम-संबंधी दर्शन के मूल में ब्रह्म की बात को ध्यान में रखकर यह पुस्तक लिखी है। रामकथा जहाँ भी, जिस रूप में भी कही गई है, उसके मूल में भक्तिधारा रही है। तुलसी और बलराम की रामकथा-धारा में अवगाहन कर हम इसी निष्कर्ष पर पहँुचते हैं और यह भक्तिधारा मानव मंगल तथा जनकल्याण के लिए एक विराट् फलक पर उत्कीर्ण हुई है।
Chhaava छावा Sambhaji Maharaj | Son of Chhatrapati Shivaji Maharaj | Saga of Bravery An Invincible King of India | Great Warrior Chhava
- Author Name:
Medha Deshmukh Bhaskaran
- Book Type:

- Description: संभाजी महाराज की नजर महादजी की ओर जाती है। यह सही बातें कहने और करने का समय है। अभी वे जो करेंगे, वह उनके देश की नियति बदल देगा। वे मराठी में कहते हैं, ""महादजी, आबा साहिब ने हर सैनिक के जीवन का सम्मान किया। वे चाहते थे कि हम बेवजह शहादत से बचें और जीवित रहें, ताकि हम स्वराज के लिए, मराठा राष्ट्र के लिए एक और लड़ाई लड़ सकें, लेकिन उन्होंने कभी भी मराठा राष्ट्र के बदले में जीवन को गले नहीं लगाया होता। संभाजी महाराज फर्श पर एक ढेर की तरह गिर जाते हैं। वे जानते हैं कि कुछ ही दिनों में उनकी आँखें निकाल ली जाएँगी। लेकिन औरंगजेब बस इतना ही कर सकता है। संभाजी महाराज मराठों के दिलों में एक आग जला जाएँगे और वे दावानल में बदल जाएँगे, जो औरंगजेब के सपनों को जलाकर राख कर देंगे। युद्ध चलता रहेगा लेकिन वह कभी दक्कन नहीं जीत पाएगा। - इसी पुस्तक से छत्रपति शिवाजी महाराज के उतने ही प्रतापी पुत्र संभाजी महाराज के शौर्य और पराक्रम की यशोगाथा बताती अनुपम कृति। आक्रांताओं के दाँत खट्टे कर मराठा स्वाभिमान को जाग्रत् करने में संभाजी महाराज के योगदान को रेखांकित करनेवाली कृति। हर भारतीय के राष्ट्रभाव को जाग्रत् करनेवाली पठनीय कृति ।
Revenge And Reconciliation : Understanding South Asian History
- Author Name:
Rajmohan Gandhi
- Rating:
- Book Type:

- Description: In this remarkable study, well-known biographer Rajmohan Gandhi, underscoring the prominence in the Mahabharata of the revenge impulse, follows its trajectory in South Asian history. Side by side, he traces the role played by reconcilers up to present times, beginning with the Buddha, Mahavira and Asoka. His explanation of the 1947 division of India identifies the role of the 1857 Rebellion in shaping Gandhi’s thinking and strategy, and reflects on the wounds of Partition. The survey of post-Independence India, Pakistan, Bangladesh and Sri Lanka also touches upon the tragic bereavements of six of their women leaders.
Edwina Aur Nehru
- Author Name:
Catherine Clement
- Book Type:

- Description: ‘नेहरू और एडविना’ के चरित्रों को केन्द्र में रखकर लिखा गया यह ऐतिहासिक उपन्यास तथ्य और कल्पना के अद्भुत मेल से रचा गया है। जो घटित हुआ वह तो सत्य है ही, लेकिन जो घटित नहीं हुआ, वह भी इसलिए एक हद तक सच्चा है क्योंकि उसका घटित होना काफ़ी हद तक सम्भव था। फ़्रांसीसी पाठकों को ध्यान में रखकर लिखी गई यह प्रेम कहानी भारतीय जनमानस को भी उसी रूप में उद्वेलित करेगी, इसमें सन्देह नहीं। भारत के इतिहास में बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना 1947 का राजनीतिक विभाजन है। यह उपन्यास, इस घटना के अभिकर्ता तमाम महत्त्वपूर्ण पात्रों के भीतर झाँककर इसके कारणों और प्रभावों की दास्तान कहने का प्रयास करता है, और इस तरह दृश्य के अदृश्य सूत्रों का उद्घाटन करता है। सार्वजनिक के भीतर जो कुछ निजी है, वही उसका अन्त:सूत्र भी है, और अपनी मर्मस्पर्शिता में कहीं अधिक प्रभावी भी। इन्हीं अन्त:सूत्रों को उनकी मार्मिक संवेदनीयता के साथ ग्रहण कर इस उपन्यास का कथात्मक ताना-बाना बुना गया है। घटनाएँ प्राय: जानी-सुनी हैं—एक अर्थ में पूर्व परिचित। यही स्थिति पात्रों की है—जाने-माने, साहसी, प्रतापी, योद्धाओं का एक पूरा संसार। पर इन सबने मिलकर जो इतिहास रचा उसमें कौन, कहाँ, कितना टूटा-जुड़ा, बना-बिगड़ा, वह घटनाओं का नहीं संवेदनाओं का इतिहास है । एक बिन्दु ऐसा होता है जो बाहर और भीतर के तनाव का सन्धि-स्थल रचता है, जहाँ अक्सर जो बहुत अन्तरंग है, निजी है उसके अतिक्रमण की अनन्त साधना से बहिरंग की रचना होती है । इसी बिन्दु को पकड़ने की कोशिश है इस उपन्यास में। समय के दो महत्त्वपूर्ण पात्रों की केन्द्रीयता से उठकर समय को फिर से रचने की उसकी घटनात्मकता में नहीं, मार्मिकता में।
Pratyancha
- Author Name:
Sanjeev
- Book Type:

- Description: ‘प्रत्यंचा’ एक युगप्रवर्तक राजा की जीवनगाथा है जिन्हें कोई लोकराजा कहता, कोई राजर्षि तो कोई सनकी। प्रारम्भ में उन्हें भी गुमान रहा कि वे छत्रपति हैं, क्षत्रिय कुलावतंस... लेकिन जिस दिन उन्हीं के अधीनस्थ एक पुरोहित ने उनका गर्व खर्व कर दिया कि तुम शूद्र हो, सिर्फ शूद्र, वे आसमान से सीधे जमीन पर आ गए। तुर्रा यह कि अधिसंख्य विप्र वर्ग भी उसी पतित पुरोहित के पक्ष में खड़ा था। फिर तो राजा ने उठा लिया अपना अमोघ अस्त्र! यह लड़ाई दूसरी लड़ाइयों से ज्यादा विकट और उलझी हुई थी। प्रकट युद्ध में शत्रु सामने होता है, लेकिन यहाँ वह घर-परिवार और सदियों-सहस्राब्दियों से व्यक्ति—व्यक्ति के मन-मस्तिष्क तक में समाया हुआ था। जब एक राजा के साथ वे ऐसा कर सकते हैं तो सामान्य जन की क्या बिसात! शाहूजी का जीवन खुद को और समाज को वर्गविहीन और जातिविहीन करने तथा सबको सामाजिक न्याय दिलाने के सतत संघर्ष का साक्ष्य है। उन्होंने अपनी त्रासदी को एक मुहूर्त और व्यक्तिमात्र में न देखकर पूरी शास्त्रीय और सांस्कृतिक परम्परा में देखा और इस सामूहिक त्रासदी की मर्मान्तक घुटन और पीड़ा को सामूहिक मुक्ति में बदलने की जिद के तहत उलटे नियमों को उलटकर जाति-उच्छेद और सामाजिक परिवर्तन का बीड़ा उठाया। प्रत्यंचा अर्थात दोतरफा तनावों के बीच लक्ष्य का सन्धान! प्रत्यंचा अर्थात पराक्रम और प्रहार की प्रदीप्त दास्तान! प्रत्यंचा अर्थात दुर्दम्य प्रत्याख्यान का अभिनव आख्यान!
The Life and Death of Sambhaji
- Author Name:
Medha Deshmukh Bhaskaran
- Book Type:

- Description: It begins to dawn on nine-year-old Sambhaji that his father has fled from Mughal emperor Aurangzeb and left him behind. He now has to find his way home with the help of strangers... Under the shadow of a renowned father, Sambhaji is thrown into the Maratha-Mughal conflict from a young age. His mistakes cost him dearly, and when his father suddenly dies and he becomes the chhatrapati, it's like inheriting a crown of thorns. Over the next nine years, he fights a constant battle-internally, as palace intrigues threaten his life, and externally, as Aurangzeb advances into the Deccan with his army. Even Shivaji had never faced such outright Mughal aggression. Can he protect the Maratha nation and Swaraj, his father's dream? Will he prove himself a worthy son in life and death? Though history has often been unkind to Sambhaji, it cannot deny that he inspired a generation of Maratha warriors who ultimately ended Aurangzeb's jihad.
Chaurasi
- Author Name:
Dr. Ramesh Kumar Dubey
- Book Type:

- Description: बुंदेलखंड में लगभग एक सौ से भी अधिक गाँवों के क्षेत्र को पुराने समय में चौरासी के नाम से जाना जाता था, जिसमें कुछ उत्तर प्रदेश व कुछ मध्य प्रदेश के गाँव शामिल थे। इस कहानी में लेखक ने चौरासी क्षेत्र के ग्रामीण जीवन का चित्रण किया है, जो एक सत्य घटना पर आधारित है। कहानी में बुंदेलखंडी रीति-रिवाजों के बारे में बताया गया है। भैयालाल ने दोनों पुलिस वालों की बंदूकें छीनकर देवी और करण को पकड़ाईं और चिल्लाया, ‘‘बई के बाप सेठ, अब तोय नईं छोड़ हों।’’ किस प्रकार एक सीधा-सादा व्यक्ति पुलिस के बरताव के कारण बागी हो जाता है। इसका वर्णन पुस्तक में किया गया है।
Gulara Begum
- Author Name:
Sharad Pagare
- Book Type:

- Description: "रुचि बराबर क़ायम रहती है, जो सफलता का बड़ा प्रमाण है। ऐतिहासिक विषय के साथ न्याय किया गया है, उपन्यास की माँग को निबाहते हुए भी। यह क्षमता रचना से सिद्ध होती है।" ~जैनेन्द्र कुमार "किसी अच्छी रचना का पहला गुण सम्प्रेषणीयता होती है, वह इसमें है। निरन्तर आगे पढ़ते रहने की उत्सुकता बनी रहती है। उस युग का वातावरण प्रामाणिक लगता है। कहानी का ढंग आकर्षक है। जो चरित्र निर्मित हुए हैं, वे भी विश्वसनीय लगते हैं। अबू-छंगी, इनू-सलमा की कहानियाँ अधिक प्रामाणिक बन गई हैं। चरित्र की दृष्टि से सलमा सर्वोत्तम है। पढ़ने में मन रमता है। कहानी कहने के ढंग से रोचकता बढ़ गई है।" ~विष्णु प्रभाकर "उपन्यास के बुनने में बड़ा परिश्रम किया है। और इसकी अन्तर-कथाओं के ताने-बाने बड़े कौशल से तैयार किए गए हैं। भाषा को भी सँवारा है।" ~शिवमंगलसिंह ‘सुमन’
Varun te Bahirjee
- Author Name:
Ravi Amale
- Book Type:

- Description: हा शोध आहे बहिर्जी नाईक यांचा. छत्रपती शिवाजी महाराजांच्या हेरप्रमुखाचा आणि त्याच बरोबर शिवरायांच्या हेरसंस्थेचा. शिवरायांची ही हेरव्यवस्था कशी होती? तिचे स्वरूप कसे होते, तिची व्याप्ती किती होती? मुख्य म्हणजे त्यामागील विचार कोणता होता? अनेक प्रश्न. त्यांची उत्तरे शोधताना आपल्याला जावे लागते भारतीय राजनीतिच्या प्राचीन इतिहासात, हेरगिरीच्या प्राचीन परंपरांकडे, ऋग्वेद, रामायण, महाभारत, कौटिल्य, कामंदक, संत तिरुवळ्ळुवर, कृष्णदेवराय आणि अगदी कुराण आणि पैगंबरांकडेही. ‘वरुण ते बहिर्जी’ आख्यायिका, दंतकथा, फेककथा यापलीकडे जाऊन घेतलेला हा हेरगिरीच्या विचारप्रवाहाचा वेध. Varun te Bahirjee | Ravi Amale वरुण ते बहिर्जी । रवि आमले
Chandrashekhar Azad Viveksheel Krantikari
- Author Name:
Rajwanti Mann +1
- Book Type:

- Description: ‘चन्द्रशेखर आज़ाद : विवेकशील क्रान्तिकारी’ प्रत्येक भारतीय के लिए एक अनिवार्य पाठ्य-पुस्तक की तरह है। चन्द्रशेखर आज़ाद ने भारत के स्वाधीनता संग्राम में महानायक की भूमिका निभाई। सच्चे अर्थों में उनका तन-मन-धन भारतमाता की सेवा में समर्पित रहा। वे आज़ाद जिए और अन्त तक पुलिस के हाथ न आए। आज़ाद ने अपने साहसी व्यक्तित्व से आज़ादी के देशव्यापी अभियान को क्रान्ति की अद्भुत गरिमा प्रदान की। उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर असंख्य युवाओं ने क्रान्ति के मार्ग पर क़दम बढ़ाए। सरदार भगत सिंह के साथ तो आज़ाद का विशेष लगाव था। इस पुस्तक के अनुसार, ‘भगत सिंह को आज़ाद केवल पार्टी के एक सदस्य के नाते ही नहीं देखते थे, बल्कि उन्हें अपने भाई की तरह, अपने परिवार के व्यक्ति की तरह मानते और अत्यधिक स्नेह करते थे।’ सत्य तो यह है कि आज़ाद को प्रत्येक क्रान्तिकारी में अपना ही रूप दिखाई देता था। प्रस्तुत पुस्तक अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद के जीवन-वृत्तान्त के साथ उनके युग की महान गाथा रेखांकित करती है। समकालीन सन्दर्भों में यह पुस्तक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो उठती है।
An Account of the Maithil Marriage
- Author Name:
Pt. Bhavnath Jha
- Book Type:

- Description: Maharajadhiraja Rameshwar Singh (16 January 1860 – 3 July 1929) was the 21st ruler of the Khandawala dynasty of Darbhanga in the Mithila region from 1898 till his death. On the one hand, he was a scholar of Indian scriptures and worshiper of divine powers, on the other hand, he was proficient in the English language and an efficient administrator. As the president of Bharat Dharma Mahamandal, he propagated Sanatan Dharma all over India and strengthened it socially and religiously. For the promotion of education in Mithila as well as social political awakening, he established a press and started a newspaper Mithila Mihir. Many important books were published under his supervision. Maharaj Rameshwar Singh established many factories for economic development and played an important role in the establishment of Kashi Hindu University. The ruins of the grand palace of Rajnagar in the present Madhubani district and many grand temples in that complex remind us of his glory. He was made a Knight Commander of the Order of the Indian Empire (KCIE) and was promoted to a Knight Grand Commander (GCIE) and a Knight Commander of the Order of the British Empire, Civil Division (KBE).
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...