Shahanshah Akbar : Ek Anmol Virasat
Author:
Pradeep GargPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 520
₹
650
Available
यह उस शख़्स की कहानी है जिसके बारे में छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने पत्र में मुग़ल बादशाह औरंगजेब को लिखा था : साम्राज्य का वह शिल्पकार जिसने सभी धर्मों के लिए सद्भाव की सुलह-कुल नीति अपनाई; उसके उदारचेता हृदय की चाहत थी सभी लोगों का पोषण करना व उन्हें सुरक्षा देना। लिहाजा वह जगत गुरु के नाम से मशहूर हुआ।</p>
<p>जिस शख़्स के बारे में मुंशी प्रेमचन्द ने लिखा : यह उसके प्रयासों का ही का सुफल था कि हिन्दू-मुसलमान कई शताब्दियों तक बहुत ही मेल-मिलाप के साथ रहे।</p>
<p>जिस शख़्स का ज़िक्र करते हुए महापंडित राहुल सांकृत्यायन यह दावा करते हैं : अशोक और गांधी के बीच में उनकी जोड़ी का एक ही पुरुष हमारे देश में पैदा हुआ—वह अकबर था।
ISBN: 9788119996537
Pages: 632
Avg Reading Time: 21 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Doctor On a Warfront
- Author Name:
Dr. Bharat Kelkar
- Book Type:

- Description: युद्ध! कोणतंच युद्ध माणसाला शहाणं करत नाही की कोणत्याही प्रश्नांची उत्तरं देत नाही. उलट ते नवे प्रश्न निर्माण करतं. बदल्याच्या भावनेनं माणसाला वेडं बनवतं. तरीही माणसं युद्ध करत राहतात, नवनवी शस्त्रं हाती घेऊन परस्परांना मारत राहतात. पण त्यात भरडले जातात ते निरपराध सामान्य नागरिक. विशेषतः युद्धाशी संबंध नसणाऱ्या महिला, मुलं आणि वयोवृद्ध माणसं हकनाक बळी ठरतात युद्धाचे... हीच बाब अनेकांना खेचून नेते युद्धभूमीकडे माणुसकीवरचा विश्वास दृढ करण्यासाठी... अशी माणसं मग युद्धाच्या जखमांवर उपाय करण्यासाठी धडपडत राहतात... त्यातूनच जन्माला येते ‘डॉक्टर विदाऊट बॉर्डर्स'सारखी संस्था, जी निसर्गनिर्मित अथवा मानवनिर्मित आपत्तींमध्ये अडकलेल्यांना जीवदान देण्याचं काम अव्याहतपणे करते. हीच संस्था काही सेवाव्रत्तींना संधी देते अडचणीत सापडलेल्या माणसांना वाचवण्याची. स्वतःचा जीव धोक्यात घालून ही सेवाव्रत्ती माणसं सहभागी होतात अशा मिशनमध्ये आणि अनुभवाचं एक वेगळंच विश्व घेऊन परततात. कसा असतो हा जगावेगळा अनुभव? कोणत्या परिस्थितीत ते युद्धग्रस्तांवर उपचार करतात? युद्धाकडे ते कसे बघतात? उपचारासाठी येणारे युद्धग्रस्त त्यांच्याकडे कसे बघतात? डोळ्यांसमोर अनेकांचा मृत्यू दिसत असताना जखमींना वाचवण्याची कसरत कशी चालते? अशा एक ना अनेक प्रसंगांचं, युद्धभूमीवरच्या नाट्याचं थरारक तितकंच अस्वस्थ करणारं अनुभवकथन... सीरिया, येमेन आणि इराक या तीन युद्धग्रस्त भागात रुग्णसेवा देण्यासाठी गेलेल्या एका भारतीय ऑर्थोपेडिक सर्जनने घेतलेले विलक्षण अनुभव मांडणारे मराठीतले पहिलेच पुस्तक... ‘डॉक्टर ऑन अ वॉरफ्रंट'! डॉक्टर ऑन अ वॉरफ्रंट | डॉ. भरत केळकर Doctor On A Warfront | Dr. Bharat Kelkar
Yogeshwar
- Author Name:
Shakuntala Mishra
- Book Type:

- Description: योगेश्वर अर्थात श्रीकृष्ण के अनेक रूप जनमानस में अंकित हैं—माखन-चोर से लेकर गीता-उपदेशक तक जिन्हें भारतवासियों ने कई कोणों से देखा और प्रेम किया। यह आख्यान उन्हीं श्रीकृष्ण को एक समग्र व्यक्तित्व के रूप में प्रस्तुत करने का कथात्मक प्रयास है। उनके वंश-इतिहास और जीवन की हर घटना के साथ। कथाकार का मानना है कि कृष्ण के चरित्र को पूरी तरह समझने के लिए हमें चमत्कारों और भावुकता की मन:स्थिति से निकलकर उन्हें एक ऐसे युगपुरुष के रूप में देखना होगा जिसके जीवन का हर क्षण मानवता के लिए एक बहुमूल्य सन्देश है। यह कथा कृष्ण के माता-पिता और उनके भी पूर्वजों की पृष्ठभूमि के वर्णन से आरम्भ होती है जिसमें देवकी और वसुदेव के तप, उनके सुदीर्घ कष्ट और कंस द्वारा उनके छह पुत्रों की हत्या के लोमहर्षक विवरण हमें देखने को मिलते हैं। कृष्ण के बाल्यकाल और छात्र-जीवन को भी कथाकार ने विभिन्न स्रोतों के आधार पर यहाँ पुनर्सृजित किया है। कृष्ण के जीवन में आए विभिन्न पात्रों के माध्यम से चलती यह कथा भगवान श्रीकृष्ण को एक सम्पूर्ण मनुष्य के रूप में स्थापित करती है—एक ऐसा मनुष्य जो एक समय इस पृथ्वी पर अपने दुर्लभ और असाधारण गुणों के साथ उपस्थित था।
Titli
- Author Name:
Jaishankar Prasad
- Book Type:

-
Description:
तितली ‘मनुष्य बनाम समाज’ के संघर्ष का ही उपन्यास न होकर मानव मूल्यों की प्रतिष्ठा का भी उपन्यास है। इसमें तितली, शैला, माधुरी, श्यामकुमारी, राजकुमारी आदि नारी चरित्रवर्ग चरित्र न होकर ऐसी नारियाँ हैं जो अपनी कमजोरियों के कारण टूटती भी हैं और उसी से शक्ति अर्जित करके सामाजिक जीवन को बदलती भी हैं।
इस उपन्यास में महात्मा गांधी की मूल्य चेतना के साथ ही साथ उस महत्व की भी खोज की गई है जिससे एक वैश्विक सामरस्य का सृजन सम्भव हो सकता है। पुरुष सत्तात्मक व्यवस्था के प्रति विद्रोह के साथ ही साथ संभव बराबरी का लक्ष्य इस उपन्यास से निरन्तर बना हुआ है। त्याग, प्रेम, समता और करुणा के साथ-साथ इसमें इन मूल्यों के कारण मनुष्य में होने वाली हलचलों का संकेत औपन्यासिक शिल्प के विकास और क्षमता का भी प्रमाण प्रस्तुत करता है।
अर्थमय जगत में आत्म संस्कार की आवश्यकता महात्मा गांधी की ही तरह इस उपन्यास में सृजनात्मक आदर्श की तरह संरचना के साथ बुनी हुई है। सेवा भावना निष्कामना के साथ जुड़कर वाटसन और स्मिथ आदि चरित्रों का निर्माण कर सकी है।
वर्तमान हिन्दी उपन्यास को समझने में ही नहीं बल्कि आधुनिक चेतना तथा सत्याग्रहकालीन दृष्टि के संतुलन और वैषम्य की दृष्टि से भी यह उपन्यास महत्त्वपूर्ण है।
Rochak Vaigyanik Rahasya
- Author Name:
Dr. D.D. Ojha +1
- Book Type:

- Description: हमारे जीवन में हम अनेक वैज्ञानिक उत्पादों का उपयोग प्रातःकाल से रात्रि-पर्यंत एवं जीवन-पर्यंत तक करते हैं। इसके अतिरिक्त चाहे मानव शरीर हो, पशु-पक्षियों के व्यवहार एवं विशेषताएँ हों, प्राकृतिक क्रियाएँ हों, समुद्र, अंतरिक्ष, पृथ्वी, रसायन, भौतिकि, नैनो, बायोटेक्नोलॉजी, चिकित्सा विज्ञान के रोचक वैज्ञानिक प्रसंग तथा सामाजिक एवं धार्मिक परंपराएँ भी क्यों न हों, उनके बारे में जानने की जिज्ञासा रहती ही है। प्रायः यह समझा जाता है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होनेवाले अनुसंधान और उनके अनुप्रयोगों को समझना सामान्य जनसाधारण की बुद्धि के परे होता है, परंतु उनके उद्देश्य अंततः मानव की जीवन-शैली में अद्भुत परिवर्तन लाकर उसे प्रगति की राह पर निरंतर आगे बढ़ाने के ही होते हैं। आज के प्ररिप्रेक्ष्य में सभी वर्ग के सुधी पाठकों को दैनिक जीवन, प्राकृतिक घटनाओं, अनेक जीवधारियों से संबंधित घटनाओं, सामाजिक एवं वैदिक परंपराओं में निहित विज्ञान के अनेकानेक विषयों पर जानकारी उनकी बोल-चाल की भाषा में होना बहुत आवश्यक है। इसी उद्देश्य से इस पुस्तक ‘रोचक वैज्ञानिक रहस्य’ का प्रणयन सरल-सुबोध भाषा में यथोचित चित्रों सहित किया है। विज्ञान में अभिरुचि रखनेवाले तथा सामान्य व्यक्ति के लिए भी समान रूप से पठनीय रोचक-ज्ञानवर्धक पुस्तक।
Kissa Loktantra
- Author Name:
Vibhuti Narayan Rai
- Book Type:

-
Description:
दुनिया-भर में श्रेष्ठ कही जानेवाली शासन-प्रणाली यदि ‘क़िस्सा’ बन जाए तो उसकी विश्वसनीयता सहज ही अनेक सवालों के घेरे में आ जाती है। भारतीय लोकतंत्र आज ऐसी ही स्थिति का शिकार है। ‘तंत्र’ के प्रति ‘लोक’ का विश्वास जैसे पूरी तरह डिग गया है।
लेकिन ऐसा हुआ क्यों? भारतीय स्वाधीनता-आन्दोलन के दौरान और आज़ादी के तुरन्त बाद ऐसा कैसे हुआ कि ‘रामराज्य’ का महान आदर्श ‘रावण-राज्य’ में परिणत हो गया? सुपरिचित कथाकार विभूति नारायण राय का यह उपन्यास भारतीय लोकतंत्र के इसी विरूपीकरण का तथ्यात्मक बयान है।
इसकी शुरुआत होती है पी.पी. नामक एक नेता की प्रेस-कांफ्रेंस से और समापन उसके चुनावी जुलूस से। लेकिन इस घटनान्तराल में लेखक ने पी.पी. के अतीत से लेकर वर्तमान तक के जिन कारनामों का उद्घाटन किया है, उससे इस लोकतांत्रिक शासन-पद्धति के आपराधिक आधार को दूर तक समझने में मदद मिलती है। यह पूरा ‘क़िस्सा’ दिलचस्प तो है ही, पाठकीय अनुभव-संवेदन को भी गहरे जाकर झकझोरता है और उस विकल्प की ओर इंगित भी करता है, जब एक निहत्था आदमी जन-बल के भरोसे ख़ूँखार शेर की आँखों में आँखें डालने का साहस जुटाकर उठ खड़ा होगा।
कहने की आवश्यकता नहीं कि एक भ्रष्ट राजनीतिक तंत्र पर यह उपन्यास बेहद तीखी, लेकिन पूरी तरह जनतांत्रिक टिप्पणी है।
Parajay
- Author Name:
A. Fadeyev
- Book Type:

-
Description:
1927 में फ़देयेव का यह पहला उपन्यास ‘पराजय’ प्रकाशित हुआ जो सुदूर पूर्व में क्रान्ति-विरोधियों के विरुद्ध छापामार क्रान्तिकारी युद्ध (1918-20) का व्यापक, गहन और आधिकारिक चित्र प्रस्तुत करता है। इस उपन्यास से फ़देयेव को राष्ट्रव्यापी ख्याति और मान्यता मिली। 1931 में इस पर एक फ़िल्म भी बनी। प्रकृतवाद और अमूर्त, ऊँची उड़ान वाले स्वच्छन्दतावाद का समान रूप से विरोध करने वाले फ़देयेव ने इस उपन्यास में वास्तविक जीवन का सहज वर्णन करते हुए चरित्रों की संरचना और नैतिक-आत्मिक विकास पर अपना ध्यान गहन रूप में केन्द्रित किया है। उपन्यास की थीम के बारे में स्वयं उन्हीं के शब्दों में :
‘‘गृहयुद्ध के दौरान, मानवीय तत्त्व एक चयनात्मक प्रक्रिया से गुज़रते हैं। हर प्रतिकूल चीज़ को क्रान्ति झाड़-बुहारकर किनारे कर देती है। हर चीज़ जो सच्चे क्रान्तिकारी संघर्ष के लिए अक्षम होती है और जो धारा के प्रवाह के साथ क्रान्ति के शिविर में आ गई रहती है, उसकी निराई-छँटाई कर दी जाती है, और ईमानदार जड़ों वाली हर चीज़ जो क्रान्ति के बीच से आती है, वह लाखों-लाख सृजनशील जनसमुदाय के बीच, इस संघर्ष के दौरान मज़बूत बनती है, फलती-फूलती है और विकसित होती है। लोग आमूलगामी ढंग से रूपान्तरित हो जाते हैं।’’
इस उपन्यास में लेविन्सन का चरित्र कम्युनिस्ट चेतना के उच्च स्तर को दर्शाता है और यह भी दर्शाता है कि एक सच्चे बोल्शेविक का अपने अनुगामियों पर कितना गहरा प्रभाव होता है। 1920 के दशक में साहित्यिक आलोचकों ने ‘पराजय’ को एक प्रयोगात्मक प्रयास बताया जो क्रान्ति के मानव को क्रान्ति-प्रक्रिया के ‘भीतर से’ देखता है और उसके मनोविज्ञान का सूक्ष्म-सटीक विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
—भूमिका से
ANAND LAHAR
- Author Name:
Ramchandra Dwivedi
- Book Type:

- Description: "यह सृष्टि द्वंद्वमय है। जीवन के प्रत्येक क्रिया-कलाप के साथ सम-विषम भाव जुडे़ हुए हैं। लेखनी या वाणी तो सीमित साधनमात्र है। पद्यमय रचना पाठकों को अच्छी लगती है, अतः तुकांत पदों में रचना होने लगी। हर्ष, आनंद, खुशी, उल्लास, आमोद-प्रमोद, प्रसन्नता के ही पर्याय हैं। आनंद की अनुभूति केवल ठहाके लगाने या मुसकराने से ही नहीं होती। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में खुशी की खोज की जा सकती है। प्रस्तुत पुस्तक में हम व्यावहारिक जगत् के कुछ विषयों का संक्षेप में उल्लेख कर रहे हैं, जो आनंद-प्राप्ति में साधनरूप हैं—हास्य के स्रोत, हँसी का महत्त्व, काल और स्थान, मानव-स्वभाव, श्रम का महत्त्व, सांसारिक संबंध, प्राचीन साधन, सुख की खोज, आशा का बंधन, मन की पहचान, सज्जन-दुर्जन, जड़-चेतन में हास्य, वाणी का महत्त्व, परसेवा, परिश्रम तथा भाग्य, सुख-साधन, जगत्-धर्म, प्रकृति के वरदान, कृत्रिमता, कंप्यूटर-युग आदि। व्यक्ति के उत्थान-पतन से जुड़े ये विचार पठनीय तो हैं ही, संग्रहणीय भी हैं। हर आयु-वर्ग के पाठकों के लिए यह पुस्तक रोचक, ज्ञानवर्धक और आनंददायक है।"
Pratham Phalgun
- Author Name:
Shri Naresh Mehta
- Book Type:

- Description: इसका कथानक उस प्रथम प्रेम की मार्मिकता को अभिव्यक्त करता है जिसका सम्मोहन सार्वकालिक तथा सार्वदेशिक होता है। इस उपन्यास में दो पात्र—गोपा और महिम। आज से तीस-चालीस वर्ष पहले का लखनऊ। परिपार्श्व की इस ऐकान्तिकता के साथ-साथ दो पात्रों का अपना निजपन, जहाँ किसी तीसरे का कोई अर्थ या महत्त्व नहीं। रागात्मकता के किन-किन और कैसे-कैसे प्रसंगों, स्थितियों तथा मुद्राओं से होकर गोपा और महिम यात्रा करते हैं, यह इस उपन्यास की बुनावट, भाषा तथा प्रतीकों के माध्यम से देखा जा सकता है। जिस प्रकार गोपा और महिम को किसी अन्य की अपेक्षा नहीं, वैसी ही तन्मयता इसे पढ़ते हुए मिलती हैं।
Naari
- Author Name:
Siyaramsharan Gupt
- Book Type:

-
Description:
चिरन्तन नारी युग-युग के अन्धकार में, उसे तुच्छ करके चिरकाल से आगे बढ़ती जा रही है, दु:ख और विपत्ति के अँधियारे पथ को पददलित करती हुई। उसे कोई भय नहीं है, कोई चिन्ता नहीं है। यही वह भाव है, यही वह मूल-मंत्र है, जिसके इर्द-गिर्द प्रसिद्ध उपन्यासकार सियारामशरण गुप्त जी ने इस उपन्यास का ताना-बाना बुना है, जो रोचक है, उत्कृष्ट मनोरंजन प्रदान करनेवाला है, और दिशाहीन होते समाज को सही दिशा दिखानेवाला भी है।
नारी सहित प्रत्येक व्यक्ति ईश्वर की सृष्टि है। इसी कारण ईश्वर की तरह वह गहन भी है। ईश्वर की तरह ही कष्ट सहन करके ही उसे ईश्वरीय शक्ति उपलब्ध करना होगा। उचित यही है, करणीय यही है। यही वह मान्यता है, यही वह सिद्धान्त है, जिसे इस उपन्यास में निरूपित किया गया है, स्थापित किया गया है। उपन्यास के पात्र जैसे सजीव होकर इन सर्वोच्च मान्यताओं को अपने क्रिया-कलापों और संवादों से इस प्रकार पूर्णता से स्थापित करते चलते हैं कि पाठक के मन-मस्तिष्क पर उसका स्थायी प्रभाव पड़े।
Tola
- Author Name:
Ramesh Dutt Dube
- Book Type:

-
Description:
हिन्दी में पिकरेस्क उपन्यासों की परम्परा बहुत पुरानी नहीं है। 1928 में केदारनाथ अग्रवाल ने ‘पतिया’ लिखा, इसी के आसपास सूर्यकान्त त्रिापाठी ‘निराला’ के ‘बिल्लेसुर बकरिहा’ और ‘कुल्लीभाट’ भी लिखे गए। ये सभी उपन्यास, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, व्यक्ति- केन्द्रित हैं। पश्चिम में भी पिकरेस्क उपन्यासों का जन्म ‘डेविड कॉपरफील्ड’ जैसी व्यक्ति-केन्द्रित कथाओं से हुआ था।
सामन्ती व्यवस्था के अन्तिम दिनों में समाज में एक ऐसा वर्ग उभर रहा था जो औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए अनिवार्य था। समाज के घूरे पर फेंक दिया गया यह वर्ग नाले के उस पार का है, रोज कुआँ खोदने को विवश जो केवल अपने जीवट के बल पर ही जीवित है। समाज के ये दईमारे, बेचारे, हारे हुए लोग रमेश दत्त दुबे के टोले के बाशिंदे हैं—इनके नाम भले अलग- अलग हों, पर इनके अभाव एक से हैं, इनके चेहरे एक से हैं, इनके जीवन की दुर्घटनाएँ एक सी हैं क्योंकि रूढ़ियों और अभावों की जिस चक्की में ये पिस रहे हैं, उसमें साबुत बचा न कोय।
रमेश के टोले में जो रहते हैं, कौन हैं वे लोग—बीड़ी और अवैध शराब बनानेवाले, गर्भपात करवानेवाले, मछली मारनेवाले, बैलगाड़ी हाँकने वाले। स्त्रियाँ हैं तो वे जंगल से लकड़ियाँ बीनने के लिए हैं, पति की मार खाने के लिए हैं, देह व्यापार के लिए हैं, लड़ने-झगड़ने के लिए हैं। इन्हें अपने जीवन से कोई शिकायत नहीं है क्योंकि इन्हें अपने जीवन से कोई अपेक्षा ही नहीं है।
‘टोला’ की कहानी का न कहीं से प्रारम्भ होता है, न कहीं अन्त क्योंकि इस कथा के पात्रों का न कोई आदि है, न अन्त। बरसात में उफनते नाले में जैसे कचरा बहता है वैसे ही टोले के पात्र आते-जाते हैं—एक-दूसरे को ठेलते हुए, थोड़ी देर के लिए, एक हहराती हुई गन्दगी को बहाकर आगे बढ़ाने के लिए ताकि वह नयी गन्दगी के लिए जगह बना सकें। किसी बेहतर जीवन का न कोई वायदा, न कोई यकीं, न कोई उम्मीद। पर लेखक को इन्तजार है। शायद यही इन्तजार ‘टोला’ को सर्जनात्मक संवेदना से मंडित करता है और उसे आस्था-विहीन नहीं बनाता।
—कान्तिकुमार जैन
Krishnavtar : Vol. 1 : Bansi Ki Dhun
- Author Name:
K. M. Munshi
- Book Type:

-
Description:
परम पुरुष श्रीकृष्ण की जीवन-लीला पर देश की किसी भी भाषा में आधुनिक उपन्यास लिखने का शायद यह पहला प्रयास है। पौराणिक परम्पराओं, विविध भाषाओं के काव्य-ग्रन्थों और लोक-साहित्य ने श्रीकृष्ण का जो बहुविध व्यक्तित्व और रूप हमारे सामने प्रस्तुत कर रखा है, वह अनन्य है, लेकिन उसे उपन्यास की विधा में बाँध लेने का श्रेय गुजराती के प्रमुख कथाकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी को ही प्राप्त है।
‘बंसी की धुन’ श्रीकृष्ण-चरित्र के अनेक खंडों में सम्पूर्ण होनेवाले उपन्यास ‘कृष्णावतार’ का पहला खंड है, जिसमें श्रीकृष्ण के प्रारम्भिक जीवन की कथा कही गई है। अत्यन्त सरल और सरस भाषा-शैली में लिखे गए इस उपन्यास की विशेषता यह है कि श्रीमद्भगवत की अलौकिक घटनाओं को बीसवीं शताब्दी के परिप्रेक्ष्य में अत्यन्त विश्वासोत्पादक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यही कारण है कि भक्त-हृदय और वैज्ञानिक दृष्टिसम्पन्न दोनों श्रेणियों के पाठकों में यह समान रूप से लोकप्रिय हुआ है। इसका प्रत्येक खंड अपने में सम्पूर्ण और पठनीय है।
Andekhe Anjaan Pul
- Author Name:
Rajendra Yadav
- Book Type:

- Description: भूरे लोगों के इस भारतीय समाज में स्त्री को कई अपमानजनक परीक्षाओं से गुज़रना पड़ता है। विवाह की पहली शर्त है—उसका गोरा होना। लड़की यदि काली, कुरूप हुई तो अस्वीकार का कोड़ा लहराने लगता है। क्या काली लड़की को सपने देखने का हक़ नहीं है? इस उपन्यास की नायिका निन्नी कालापन और कुरूपता के बावजूद सपनों में निकट के सागर को देखती है, लेकिन निन्नी के छूते ही सपने में बनी बर्फ़ की मूर्ति गल जाती है। जबकि दूर का और लगभग अनजाने दर्शन द्वारा समानता और स्नेह से दिया गया चुम्बन एक पुल बन जाता है। प्रख्यात कथाकार का यह उपन्यास स्त्री-जीवन को समानता की गरिमा देने पर बल देता है।
Global Gaon Ke Devta
- Author Name:
Ranendra
- Book Type:

- Description: ग्लोबल गाँव के देवता आदिवासी जनजीवन की ज्वलन्त गाथा है। असुर आदिवासी समुदाय को केन्द्र में रखकर लिखा गया यह उपन्यास उनकी लगातार बढ़ रही मुश्किलों का बयान करते हुए वर्तमान भारतीय समाज, संस्कृति, सियासत और सत्ता प्रतिष्ठान के सामने कई प्रासंगिक प्रश्न खड़े करता है। ये असुर आदिवासी ही हैं जिन्होंने आग और धातु की खोज की, धातु को गलाकर औजार बनाया। मानव सभ्यता और संस्कृति को आगे बढ़ाने में उनका योगदान किसी व्याख्या का मोहताज नहीं है लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि आज उन्हें अवरोध समझा जा रहा है? तमाम परिस्थितियों का सामना करते हुए हज़ारों सालों से जीवित रहते आए आदिवासी समुदायों के अस्तित्व पर आज संकट क्यों मंडरा रहा है? वस्तुतः यह उपन्यास हमारी सभ्यता-संस्कृति के उस अँधेरे अन्तराल को उजागर करता है जहाँ समाज के छोटे प्रभावी हिस्से द्वारा समाज के अधिकतर सामान्य हिस्से के लोगों को उनकी ज़मीन से उखाड़ने, उन्हें साधनहीन बनाने को ही ‘विकास’ माना जाता है। इसमें भी विडम्बना यह कि ख़ुद को मुख्यधारा कहने वाला प्रभावी हिस्सा यह कार्य सामान्य हिस्से की भलाई के नाम पर करता है। असुर आदिवासियों के सन्दर्भ में इस मुख्यधारा के नज़रिये का हवाला इस प्रकार है कि अतीत की अनगिनत किंवदन्तियाँ और मिथक उनके संहार की कथाओं से भरे पड़े हैं, तो वर्तमान में उनके पारम्परिक इलाकों की ज़मीन में दबे खनिजों के लिए उन्हें वहाँ से बेदख़ल किया जा रहा है। इस उपन्यास की कथा यूँ तो झारखंड की पृष्ठभूमि में रची गई है लेकिन यह दुनिया के उन तमाम लोगों के जीवन संघर्ष का प्रतीक प्रतीत होती है जो अपनी ज़मीन, अपनी आबोहवा को बचाने के लिए लड़ रहे हैं।
Shmshan Champa
- Author Name:
Shivani
- Book Type:

-
Description:
‘चम्पा तुझ में तीन गुण, रूप, रंग अरु बास।
अवगुण तुझमें एक है, भ्रमर न आवत पास।।’
एक थी चम्पा। रूप, रंग और गुणों की मादक कस्तूरी गंध लिए चम्पा। लेकिन पिता की मृत्यु, बिगड़ैल छोटी बहन की कलंक-गाथा और स्वयं उसके दुर्भाग्य ने उसे बुरी तरह झकझोर डाला।
बाहर से आत्मतुष्ट, संयमी और आत्मविश्वासी दीखनेवाली डॉक्टर चम्पा के अभिशप्त जीवन की वेदना की मार्मिक कहानी है ‘श्मशान चम्पा’। एक परम्परा प्रेमी और आज्ञाकारी बेटी जो सबको इलाज और निर्बाध सेवा दे सकती थी, पर अपने अभिशप्त एकाकी जीवन का सन्नाटा भंग नहीं कर पाती है। सुख के शिखर पर पहुँचाकर स्वयं नियति ही निर्ममता से उसे बार-बार नीचे गिराती अनिश्चय की घाटियों में भटकने को भेजती रहती है।
Nai Paudh
- Author Name:
Nagarjun
- Book Type:

-
Description:
‘नई पौध’ की कहानी अति सरल है। गाँव के बड़े-बूढ़ों की ज़िद तोड़कर तरुणों ने एक लड़की के जीवन को चौपट होने से बचा लिया—बे-मेल शादियों की यह समस्या हमारे ग्रामीण समाज में आज भी विकराल रूप में मौजूद है। इस समस्या का विप्लवी समाधान नई पीढ़ी ही दे सकती है...
नागार्जुन का यह उपन्यास, आकार में लघु होने पर भी, प्रभाव के लिहाज़ से बड़ा ही व्यापक साबित हुआ है...प्रकृति की मनोरम पट-भूमि पर कथाकार ने घटनाओं का मोहक ताना-बाना सजाया है। विशिष्ट आलोचकों ने नागार्जुन की इस कथाकृति की भूरि-भूरि सराहना की है और साधारण पाठकों ने भी इसे बेहद पसन्द किया है।
Royal Bengal Rahasya
- Author Name:
Satyajit Ray
- Book Type:

-
Description:
'रॉयल बंगाल रहस्य' महान फ़िल्मकार और अनूठे लेखक सत्यजित राय द्वारा रचित लोकप्रिय जासूस किरदार फेलूदा के सर्वाधिक प्रशेसित कारनामों में शुमार है।
अमूमन शहरी परिवेश के रहस्यों को उजागर करते नजर आने वाले फेलूदा इस उपन्यास में एक निपट ग्रामीण इलाके में पहुँच जाते हैं, जहाँ आदमखोर बाघ की गुत्थी सुलझाने के लिए उन्हें जंगल में भी जाना पड़ता है। वहाँ बाघ तो मिलता है, पर वह आदमखोर नहीं होता। इसके साथ ही वहाँ एक ऐसा राज भी उजागर होता है, जिसका अनुमान फेलूदा को कतई नहीं था। और तब स्पष्ट होता है कि जानवरों के मिजाज को समझना उतना मुश्किल नहीं है, जितना इनसानों का!
अपने रहस्य-रोमांच में आखिरी पंक्ति तक बाँधे रखने वाला उपन्यास!
Irawati
- Author Name:
Jaishankar Prasad
- Book Type:

-
Description:
शुंगकालीन ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया यह अधूरा उपन्यास ‘इरावती’ कौतूहल, जिज्ञासा, रोमांस और मनोरंजन आदि तत्त्वों के कथात्मक इस्तेमाल की दृष्टि से ही महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि मनुष्य की जैविक आवश्यकताओं की निरुद्धि से उत्पन्न विकृतियों और कुंठाओं के परिणामों की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। इरावती, कालिन्दी, अग्निमित्र, पुष्यमित्र, वृहस्पति मित्र और ब्रह्मचारी आदि चरित्र केवल कथा की वृद्धि नहीं करते हैं या केवल रहस्य को घना करके उपन्यास को रोमांचक ही नहीं बनाते हैं, बल्कि मानव मन का उद्घाटन करके यथार्थ के चरणों की ओर संकेत भी करते हैं।
बौद्ध धर्म की जड़ता और रसहीनता के साथ ही साथ इसमें अहिंसा और करुणा की प्रतिवादिता से उत्पन्न उन समस्याओं की ओर संकेत किया गया है, जो सत्याग्रह आन्दोलन से पैदा हो रही थीं। मूल्यों के रूढ़ि में बदलने की प्रक्रिया के संकेत के साथ प्रसाद जी इसमें सामाजिक रूढ़ियों और विकृतियों के प्रति विद्रोह को रेखांकित करते हैं। सामन्ती मूल्यों के साथ ही साथ इसमें उस सामाजिक परिवर्तन का संकेत किया गया है जो वर्ग और जाति की दीवारों को तोड़कर उपजता है और नए समाज में रूपान्तरित हो जाता है।
उपन्यास इतिहास और कल्पना, आदर्श और यथार्थ, अतीत और वर्तमान, आन्तरिक और बाह्यता की द्विभाजिकताओं के बीच से मनुष्य की रसधारा को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करता है।
Ek Sachchi Jhoothi Gatha
- Author Name:
Alka Saraogi
- Book Type:

- Description: इक्कीसवीं सदी की यह गाथा एक स्त्री और एक पुरुष के बीच संवाद और आत्मालाप से बुनी गई है। यहाँ सिर्फ सोच की उलझनें और उनकी टकराहट ही नहीं, आत्मीयता की आहट भी है। किन्तु यह सम्बन्ध इंटरनेट की हवाई तरंगों के मार्फत है, जहाँ किसी का अनदेखा, अनजाना वजूद पूरी तरह एक धोखा भी हो सकता है। अलबत्ता यह धोखा भी है तो ऐसा, जो एक-दूसरे के जीवन को देखने के नज़रिए को उलट-पलट कर रख दे। यहाँ तक कि दो व्यक्ति एक-दूसरे के सपनों में भी आवाजाही कर लें। आज भी आतंकवाद के हर हादसे पर हैरत होती है कि किसी आस्था, तर्क या सिद्धान्त की गिर$फ्त में कोई ऐसे कैसे आ सकता है कि किसी की जान लेने या खुद अपने ही चिथड़े उड़ाने को राज़ी हो जाए। ‘एक सच्ची-झूठी गाथा’ उस मानस तक पहुँचने की कोशिश है, पर बिना फैसला या फतवा दिए, क्योंकि इस सदी की राजनीति में भी अन्याय वैसे ही व्याप्त है और उससे जूझने के तरीके हिंसा में ही समाधान खोजते हैं। यह गाथा पाठकों को एक साथ कई अनचीन्ही पगडंडियों की यात्रा कराएगी। कई बार उन्हें ऐसी जगहों पर ले जाएगी, जहाँ आगे जाने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा। लेकिन यह जोखिम उठाना खुद के अन्दर और बाहर ब्रह्मांड की गहरी पहचान कराएगा : एक ऐसी तृप्ति के बोध के साथ, जो सिर्फ दुस्साहस और नयी अनुभूतियों को जीने के संकल्प से ही मिल सकती है। प्रेम, मित्रता, स्त्रीत्व, बतरस, लेखकी और सत्य के नये परिप्रेक्ष्य इस अनात्मकथा में खुलते रहेंगे और फिर धुँधले होकर लुकते-छिपते रहेंगे।
Vishnugupta Chanakya
- Author Name:
Virendra Kumar Gupta
- Book Type:

-
Description:
कवि, कथाकार एवं चिन्तक वीरेंद्रकुमार गुप्त का प्रस्तुत उपन्यास उनके चिन्तनशील, शोधक व्यक्तित्व की उत्कृष्ट देन है। उपन्यास अत्यन्त मनोरंजक है, जिसे एक बैठक में पढ़ा जा सकता है। साथ-साथ वह उस काल-विशेष के इतिहास एवं जीवन की एक प्रामाणिक प्रस्तुति भी है। उस काल में सामाजिक व्यवहार, संस्कृति एवं राजनीतिक घटनाओं का इतना जीवन्त चित्रण शायद ही कहीं प्राप्त हो। श्री गुप्त ने सिकन्दर-सिल्यूकस और चाणक्य-चन्द्रगुप्त के बीच संघर्ष के निमित्त से भारत की एकता, राजनीतिक सुदृढ़ता एवं सामाजिक सामंजस्य की अवधारणाओं को भारतीय मानस में स्थापित करने का सशक्त प्रयास किया है। विशेषता यह कि घटनाओं की संकुलता एवं चरित्रों की मानसिक जटिलता ने भाषा को क्लिष्ट नहीं बनाया है। वह इतनी सरल और बोधगम्य है कि सामान्य पाठक भी कृति का भरपूर आनन्द ले सकता है।
इस उपन्यास का केन्द्र चाणक्य एक षड्यंत्रकारी राजनेता न होकर एक जीवन्त पुरुष, ऋषि एवं प्रतिबद्ध राष्ट्र-निर्माता है।
Makaan
- Author Name:
Shrilal Shukla
- Book Type:

-
Description:
नारायण एक सितारवादक है। जीविका के लिए वह परिवार को दूसरी जगह छोड़कर अपने पुराने शहर में आता है और यहीं से मकान की तलाश शुरू होती है। इस दौरान उसका सितार से साथ छूटने लगता है; और अब वह जिनके साथ जुड़ता है, उनमें मकान बाँटनेवाला अफ़सर है, कर्मचारी-यूनियन का नेता बारीन हालदार है, पुरानी शिष्या श्यामा है, वेश्या-पुत्री सिम्मी है और वे तमाम तत्त्व हैं जो ज़िन्दगी के बिखराव को तीखा बनाते हैं। इस संघर्ष, शोषण और अव्यवस्था के दौर से गुज़रते हुए तीक्ष्ण प्रतिक्रियाएँ व्यक्त होती हैं : ‘मज़ाक़ देखा तुमने? हम आसमान में उपग्रह उड़ा सकते हैं पर इस निगम के सीवेज़ के लिए मशीनों का जुगाड़ नहीं कर सकते। यहाँ सीवेज़ की सफ़ाई के लिए तो बलि के बकरे चाहिए, पर बिस्कुट बनाने के लिए यहाँ नई से नई मशीनें मौजूद हैं...’
‘जैसे कुछ तांत्रिक लोग शराब पीने से पहले माँ काली के नाम पर दो-चार बूँदें ज़मीन पर छिड़क देते हैं; वैसे ही हाउसिंग की पूरी-की-पूरी स्कीम गटकने से पहले चतुर लोग हरिजनों के नाम पर दस-बीस प्लॉट निकाल देते हैं...’ उपन्यास का अन्त सर्वथा अप्रत्याशित मोड़ पर होता है।
‘मकान’ यशस्वी कथाकार श्रीलाल शुक्ल की बहुप्रशंसित कृति है। वस्तुत: संगीत की पृष्ठभूमि में कलाकार के जीवन की आकांक्षाओं, ज़िम्मेदारियों, विसंगतियों और तनावों को केन्द्र बनाकर लिखा गया हिन्दी में अपनी तरह का यह पहला उपन्यास है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.