Gomutra
Author:
Geet ChaturvediPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
इक्कीसवीं सदी के पहले दशक के मेरे प्रिय कवि व कथाकार हैं गीत चतुर्वेदी।</p>
<p>—नामवर सिंह</p>
<p>गीत चतुर्वेदी ने अपने गल्प व कविताओं में अवाँ-गार्द भाव दिखाया है। उनका अध्ययन बेहद विस्तृत है जो कि उनकी पीढ़ी के लिए एक दुर्लभ बात है। यह पढ़ाई उनकी रचनाओं में अनायास और सहज रूप से गुँथी दिखती है। उनकी भाषा व शैली अभिनव है। उनके पास सुलझी हुई दृष्टि है जिसमें क्लीशे नहीं और जो कि वर्तमान विचारधारात्मक खेमों के शिकंजे में भी फँसी हुई नहीं है।</p>
<p>—अशोक वाजपेयी</p>
<p>गीत के पास बहुत ताज़ा और चमकीली भाषा है। वह विचारवान और स्वप्नदर्शी हैं। अपने कथन में शब्दों की बारीक नक़्क़ाशी के साथ ही गद्य में भी कविता की सुगंध, गीत के लेखन की विशेषता रही है।</p>
<p>—ज्ञानरंजन</p>
<p>गीत चतुर्वेदी का रचनाकर्म जितना स्थानीय संस्कृति में रचा-बसा है, उतना ही विश्व-साहित्य की बारीकियों में भी। वह हृदय के इतिहासकार हैं, आत्मा के पुरातत्त्ववेत्ता। </p>
<p>—अनिता गोपालन
ISBN: 9788119835447
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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वैदिक ही नहीं, बौद्ध और जैन दर्शनों को भी चुनौती देनेवाले गोशालक बुद्ध और महावीर के समकालीन थे। स्वभाव से विद्रोही और आचरण में तर्क तथा नवाचार की उँगली थामकर नई राहों का अन्वेषण करनेवाले गोशालक के विषय में कहा जाता है कि अपने समय में उनके अनुयायियों की संख्या बुद्ध से भी ज़्यादा थी। जनसाधारण में उनका विशेष आदर था।
एक ख़ानाबदोश जाति के निर्धन परिवार में जन्मे गोशालक ने आध्यात्मिकता के प्रति अपने जन्मजात रुझान के चलते युवावस्था के दौरान सात वर्ष भगवान महावीर के सान्निध्य में तपस्या की। लेकिन बाद में महावीर से उनके गहरे मतभेद हुए और महावीर के पुरुषार्थ के सिद्धान्त के मुक़ाबले उन्होंने नियतिवाद को स्थापित किया। कहते हैं कि महावीर से उनका विरोध इस हद तक बढ़ा कि अपनी सिद्धियों में उन्होंने महावीर पर प्राणघातक हमले भी किए, हालाँकि जीवन के अन्तिम क्षणों में उन्हें इस पर गहरा पश्चात्ताप भी हुआ जिसके प्रमाण जैन ग्रन्थों में पर्याप्त रूप में उपलब्ध हैं।
लेकिन जैन-मत के साथ बौद्ध ग्रन्थों में भी उनकी निन्दा अधिक मिलती है जहाँ न सिर्फ़ उनके विचारों की कड़ी आलोचना की गई बल्कि उनके चरित्र-हनन का भी प्रयास किया गया।
यह उपन्यास आजीवक गोशालक के बारे में सम्भवतः पहली रचना है जिनके बारे में अनेक पाठकों ने शायद कभी सुना भी नहीं होगा। आत्मकथात्मक शैली में निबद्ध यह कृति न सिर्फ़ गोशालक के जीवन-चरित्र को तमाम रंगों के साथ चित्रित करती है, बल्कि उन भ्रांतियों को भी दूर करती है जिनके आधार पर उस नवोन्मेषकारी विचारक को एक खलनायक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
World Within Words
- Author Name:
Shubhanku Kochar +1
- Book Type:

- Description: This book provides a confluence in which heterogeneous themes create an Azure sky with different fragrances. It combines young, innovative and creative minds with intellectual and hermeneutic maturities—winds blowing from all directions trying to soothe all types of appetite. The creativity enshrined in poems, short stories and plays represent the different aspects of life that prompt a reader to dive into reality and, at the same time, search out gems which give spiritual solace to the terrestrial grossness. The creativity of the writers telescopes the emerging complexities of worldly life, which try to bind them in a circle and mirror the starkest facts- hypocrisy, duality, brutality, lust, greed, love etc. Dr Shubhanku Kochar is teaching as an Assistant Professor at lady Irwin College (University of Delhi). His area of interest is African American literature. He has published several research papers in National and international journals and books. He is the author of well acknowledge novel everything will be all right. Dr Santosh Bahadur Singh teaches at lady Irwin College (University of Delhi). His name is recognised with several research papers published in National and international journals and a book, modalities of self in the poetry of Allen Ginsberg. His field of interest is poetry.
Kyon Phanse
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
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वैचारिक निष्ठा के आधार पर समाज और सम्बन्धों का विश्लेषण अक्सर ही यशपाल के उपन्यासों का विषय रहा है। लेखक के रूप में उनकी मान्यता थी कि साहित्य का उद्देश्य केवल मनोरंजन और प्रचलित मूल्यों का पिष्टपोषण नहीं, बल्कि उनके ऊपर प्रश्न उठाना और परिवर्तन को बल प्रदान करना है।
‘क्यों फँसें’ उपन्यास स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की जटिल दुनिया का अन्वेषण है। अट्ठाईस वर्षीय युवा पत्रकार और मोती के रति-सम्बन्धों को आधार बनाकर लिखा गया यह वृत्तान्त स्त्री और पुरुष के रिश्तों में एक नई दिशा को खोजने की कोशिश करता है, और हमारे सामने विचार के लिए कई प्रश्न छोड़ जाता है।
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