Songs of Life (Collection of Poems)
Author:
Dr. A.P.J. Abdul KalamPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
The Songs of Life is presented with selected poems from my books of poem Life Tree, Luminous Sparks and My Journey and also some of my new poems. The purpose of this Songs of Life is to celebrate the human life. In spite of many sufferings all around, God has blessed us with his grace in multiple dimensions of nature smiling at us. Hence, Songs of Life is the Song of every heart and soul in happiness and, in sorrow. The result of the poems should be to cheer our hearts.
ISBN: 9789390366262
Pages: 112
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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सुविख्यात गुजराती उपन्यासकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी की बहुचर्चित और बहुपठित उपन्यास-माला ‘कृष्णावतार’ के पूर्वप्रकाशित छह खंडों—‘बंसी की धुन’, ‘रुक्मिणी हरण’, ‘पाँच पाण्डव’, ‘महाबली भीम’, ‘सत्यभामा’ तथा ‘महामुनि व्यास’—के बाद ‘युधिष्ठिर’ नामक यह सातवाँ खंड है। साथ ही आठवाँ, किन्तु अधूरा खंड ‘कुरुक्षेत्र’ भी। मुंशी जी इससे इस ग्रन्थमाला का समापन करनेवाले थे।
‘महाभारत’ में युधिष्ठिर ‘धर्मराज’ के रूप में विख्यात इतिहासपुरुष हैं। अधर्म, अशान्ति और रक्तपात से उन्हें घोर विरक्ति है। उनकी राजनीति धर्म-साधना का माध्यम-भर है—धर्म को उसका साधन नहीं बनाया जा सकता। यह जानते हुए भी कि कौरव उनका और उनके भाइयों का सर्वस्व हड़प जाना चाहते हैं, युद्ध उन्हें स्वीकार्य नहीं। यही कारण है कि दुर्योधन और शकुनि के षड्यंत्र को जानते हुए भी वे द्यूतसभा का बुलावा स्वीकार कर लेते हैं और भाइयों आदि के निषेध के बावजूद लगातार हारते चले जाते हैं। उपन्यास में इस समूचे घटनाक्रम के दौरान युधिष्ठिर के अन्तर्द्वन्द्व और बेचैनी का मार्मिक अंकन हुआ है। वनवास और अज्ञातवास के बावजूद अन्ततः उन्हें ‘कुरुक्षेत्र’ जाना पड़ा।
और ‘कुरुक्षेत्र’ अधूरा है—यहाँ और जीवन, दोनों जगह। पता नहीं, कब से यह कुरुक्षेत्र हमारे बाहर-भीतर अपूर्ण है और कब तक रहेगा? पर शायद मानव-विकास का बीज भी इसी अपूर्णता में निहित है।
Pratibandhit Hindi Sahitya : Vol. 1-2
- Author Name:
Rustam Roy
- Book Type:

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Description:
‘प्रतिबंधित हिन्दी साहित्य’ के दो खंडों में स्वाधीनता आंदोलन के दिनों की प्रतिबंधित रचनाओं का संकलन किया गया है। आजादी की लड़ाई के दिनों की याद ताजा करने तथा उस समय के रचना-मूल्यों को समझने के लिए यह संकलन ऐतिहासिक महत्त्व का है। पुस्तक के पहले खंड में प्रतिबंधित कहानियाँ और उपन्यास संकलित हैं तथा दूसरे खंड में कविताएँ। जिन रचनाकारों की रचनाएँ इनमें संकलित हैं, उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान अपनी रचनाओं को हथियार की तरह इस्तेमाल किया। अपनी रचनाओं द्वारा उन्होंने साम्राज्यवादी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम लोगों में विद्रोह और अवज्ञा की मानसिकता तैयार करने की कोशिश की। अंग्रेजों ने ऐसे लेखकों का दमन किया, उनकी क्रांतिकारी रचनाओं के लिए उन पर मुकद्दमा चलाया और प्रतिबंध लगा दिया। इन दो खंडों में हमने ऐसी ही प्रतिबंधित रचनाओं का संकलन किया है।
श्री रुस्तम राय ने काफी मेहनत करके काल कोठरी के अँधेरे से ये रचनाएँ निकाल कर पाठकों तक पहुँचाने में हमारी मदद की है। आशा है, इन रचनाओं से उस दौर के साहित्य की कुछ अछूती विशेषताएँ हमारे सामने आएँगी। साथ ही हम स्वाधीनता आंदोलन से सीधे जुड़े साहित्य का जायजा ले सकेंगे। आज भी देश की सामाजिक परिस्थितियों में कोई निर्णायक बदलाव नहीं आया है इसलिए ये रचनाएँ अब भी प्रासंगिक हैं।
पुस्तक के पहले खंड में पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’, ऋषभ चरण जैन तथा मुनीश्वर दत्त अवस्थी की कहानियों के अलावा जिन कथाकारों की कहानियाँ शामिल हैं, उनके नाम हैं—यशपाल, लक्ष्मीचंद्र वाजपेयी ‘चन्द्र’, मुक्त, लीलावती बी.ए., जनार्दन प्रसाद झा ‘द्विज’, आचार्य चतुर सेन शास्त्री, विश्वंभर नाथ शर्मा ‘कौशिक’ तथा प्रेम बंधु । इस खंड में ब्रजेन्द्र नाथ गौड़ का उपन्यास ‘पैरोल पर’ भी संकलित है। इस उपन्यास ने स्वाधीनता आंदोलन के दिनों में क्रांतिकारियों के बीच नया उत्साह पैदा कर दिया था। आशा है, ये रचनाएँ स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ी रचनाशीलता पर नए सिरे से विचार करने के लिए प्रेरित करेंगी।
‘प्रतिबंधित हिन्दी साहित्य’ के दूसरे खंड में स्वाधीनता आंदोलन के दिनों की प्रतिबंधित कविताओं का संकलन किया गया है। अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतेन्दु युग में भी कविताएँ लिखी गईं, लेकिन बीसवीं सदी के द्विवेदी युग और छायावाद युग में भी क्रांतिकारी कविताओं की संख्या काफी है। ऐसी कविताएँ सैकड़ों की संख्या में ब्रिटिश शासन द्वारा प्रतिबंधित भी हुईं। इस खंड में ऐसे काव्य-संग्रह संकलित हैं जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने प्रतिबंधित कर दिया था। संकलन और उनके रचनाकारों के नाम इस प्रकार हैं—‘खून के छींटे’ (बलभद्र गुप्त विशारद ‘रसिक’), ‘मुक्त संगीत’ (अभिराम शर्मा एवं प्रणयेश शर्मा), ‘विद्रोहिणी और तूफान’ (प्रह्लाद पांडेय ‘शशि’)।
स्वाधीनता आंदोलन से हिंदी कविता का रिश्ता बहुआयामी रहा है। द्विवेदी युग के मैथिलीशरण गुप्त और उनके मंडल के कवियों ने सांस्कृतिक पुनरुत्थान की घोषणा करके ब्रिटिश साम्राज्यवाद का विरोध किया। राष्ट्रीय धारा के माखनलाल चतुर्वेदी और दिनकर आदि कवियों ने राष्ट्रीय जागरण के लिए आह्वानपरक कविताएँ लिखीं। प्रसाद, निराला, महादेवी और पंत जैसे छायावादी कवियों ने ‘स्वच्छंद’ मानसिकता को प्रश्रय देकर प्रकृति और प्रेम के आधार पर मुक्ति का आह्वान किया। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान इन तीनों धाराओं के समानांतर एक और भी धारा थी जिसके कवियों ने सीधे ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ आवाज बुलंद की। इस खंड में शामिल रचनाकार ऐसे ही कवि हैं। इनकी रचनाओं के स्वरूप और तत्कालीन समाज पर पड़े उनके प्रभाव का अध्ययन अभी शेष है। आशा है, यह संकलन इस कमी को पूरा करेगा।
ये क्रांतिकारी कविताएँ कलात्मकता और लोकप्रियता— दोनों ही स्तरों पर नए प्रतिमान गढ़ती हैं।
My Dream Man
- Author Name:
Aditi Bose
- Book Type:

- Description: I don�t know if I can do a story like this once again or not. Ajopa Ganguly, a struggling writer, is reeling from the pains of her manuscript having been rejected by all publishers. She knows that making cupcakes and embroidering handkerchiefs is not her true calling. However, she is scared to write anymore and is losing focus. Aniket Verma, is the professor of economics who was also Ajopa�s tuition teacher once. Despite their twelve years age gap, with time, they forge a special bond of friendship. Then a misunderstanding! Now Aniket is back and it feel just like old times. With a challenge of finishing a new manuscript in record time and a promise that he will help her to get it published if she does, he asks her to meet him at the publisher�s office two days later. Does she write? Does she go to the publisher�s office? At what moment does their friendship change? Do they fall in love? My Dream Man, a let-me-tell-my-friends and I-need-to-finish-this-now story, is an insightful examination of how forces beyond our control help us make decisions. As Ajopa says, it is all about �deep choosing�.
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