Alochak Ka Dayitva
Author:
Ramchandra TiwariPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Language-linguistics0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Available
प्रस्तुत कृति में आधुनिक हिन्दी-आलोचना की परिधि में आने वाले विविध सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक प्रश्नों के विश्लेषण-क्रम में आलोचक के गहन दायित्व के आकलन की चेष्टा की गई है। लेखक ने आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, डॉ. नगेन्द्र, डॉ. रामविलास शर्मा और डॉ. नामवर सिंह जैसे प्रख्यात् आलोचकों की सैद्धान्तिक मान्यताओं एवं व्यावहारिक समीक्षा-पद्धतियों के विश्लेषण द्वारा यह स्पष्ट करने की चेष्टा की है कि इन आलोचकों ने किस सीमा तक और किस रूप में एक आदर्श आलोचक के दायित्व का निर्वाह किया है। यह कृति हिन्दी के विवेकशील एवं आग्रहमुक्त सुधी पाठकों के बीच प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकेगी, ऐसा हमारा विश्वास है।
ISBN: 9788119996209
Pages: 128
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Mukesh Kaushik
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- Description: भारत और चीन के बीच अप्रैल 2020 से लेकर फरवरी 2021 के बीच एल.ए.सी. पर सैनिकों का आमना-सामना हुआ। करीब 10 महीने तक जंग जैसे हालात बने रहे। यह पुस्तक इस तनातनी का सबसे प्रामाणिक ब्योरा लेकर आई है। यह आधिकारिक स्तर पर दिए गए वक्तव्यों, सैन्य तैनाती से जुड़े शीर्ष अधिकारियों और संसद् से लेकर राजनीतिक बैठकों तक के विचार-विमर्श का विवरण पेश करती है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर.के.एस. भदौरिया के अलावा चीनी समकालीन अध्ययन केंद्र के प्रमुख ले. जनरल एस. एल. नरसिंहन ने इस पुस्तक में योगदान दिया है। यह पुस्तक एल.ए.सी. पर तनातनी शुरू होने से पहले की सच्चाई, गलवान की खूनी रात और कैलाश रेंज पर भारतीय सेना की तैनाती का बहुत सटीक विवरण देती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा विदेश मंत्री एस. जयशंकर की कूटनीति और सैन्य नीति को भी इसमें बेबाकी से पेश किया गया है। कई मायनों में यह पुस्तक भारत-चीन के बीच सैन्य संबंधों का संग्रहणीय दस्तावेज है।
Kuchh Purvgrah
- Author Name:
Ashok Vajpeyi
- Book Type:

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Description:
वर्षों से हिन्दी आलोचना में जो नाम छाए रहे हैं, उनमें एक नाम निश्चय ही अशोक वाजपेयी का है। कविता के लिए उनका पूर्वग्रह अब कुख्यात ही है। उन्होंने उसकी आलोचना, प्रकाशन और प्रसार के लिए जितने व्यापक और सुचिन्तित रूप से काम किया है, उतना शायद ही किसी ने किया हो।
1970 में उनकी पहली आलोचना-पुस्तक ‘फिलहाल’ ने हिन्दी आलोचना को तेज़ी और सार्थक आलोचना-भाषा दी थी जिसका व्यापक प्रभाव आज तक देखा जा सकता है। ‘फिलहाल’ के कई संस्करण निकलना इस बात का प्रमाण है कि समकालीन कविता की आलोचना में उसे एक उद्गम-ग्रन्थ की मान्यता मिली है।
इस बीच अशोक वाजपेयी ने 1974 से भोपाल से बहुचर्चित आलोचना पत्रिका ‘पूर्वग्रह’ का सम्पादन और प्रकाशन आरम्भ किया। हिन्दी की समकालीन साहित्य-संस्कृति में इस प्रयत्न का ऐतिहासिक महत्त्व है। इस पुस्तक की अधिकांश सामग्री ‘पूर्वग्रह’ में ही प्रकाशित हुई है। कम लिखकर भी कारगर हस्तक्षेप कर पाने में वे सक्षम हैं, यह इसका प्रमाण है।
कविता, साहित्य और संस्कृति के लिए अपनी गहरी आसक्ति को अशोक वाजपेयी असाधारण स्पष्टता और सूक्ष्म संवेदनशीलता के साथ व्यक्त करते हैं। हालाँकि हर हालत में अपने को ही सही मानने का उन्हें कोई मुग़ालता नहीं है। उनकी आलोचना आज की सृजनात्मकता को समझने और आगे बढ़ाने का एक उत्कट और विचारसम्पन्न प्रयत्न है। वे जो प्रश्न उठाते हैं या चुनौतियाँ सामने रखते हैं, वे आज की परिस्थितियों में केन्द्रीय हैं और उन्हें नज़रअन्दाज़ करना सम्भव नहीं है।
Kahani Ki Rachana Prakriya
- Author Name:
Parmanand Srivastav
- Book Type:

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Description:
प्रस्तुत पुस्तक ‘कहानी की रचना-प्रक्रिया’ में पुरानी कहानी और नई कहानी की रचना-प्रक्रिया के सूक्ष्म भेदों को समझने का प्रयत्न किया गया है और पहली बार रचना की प्रक्रिया से सम्बन्धित समस्याओं को कहानी-साहित्य की समीक्षा के क्षेत्र में उठाया गया है।
कहानी-साहित्य की रचनात्मक प्रक्रिया के अध्ययन-क्रम के आरम्भ में क्रमश: रचना-प्रक्रिया की ‘आधारभूमि’ रचना-प्रक्रिया के मनोवैज्ञानिक आधार, रचना-प्रक्रिया के साहित्यिक आधार, कहानी के प्राचीन रूप, कहानी के नए रूप, रचनात्मक चेतना का कहानी नामक साहित्यिक विधा में उपयोग, शास्त्रीय समीक्षा द्वारा निर्धारित कहानी-कला के प्रमुख तत्त्वों के रचनात्मक उपयोग की सम्भावना तथा रचना-प्रक्रिया और आधुनिकता के प्रमुख स्तर, रचनाकार, रचना-प्रक्रिया और पाठक आदि विषयों पर विचार किया गया है और प्रतिपादित किया गया है कि रचना-प्रक्रिया कोई जड़ यंत्र नहीं है, बल्कि वह रचनाकार की मानसिक संवेदना, सामाजिक परिवेश तथा उसके कलात्मक अनुभवों से सम्बन्धित एक जागरूक प्रक्रिया है जिसमें रचनाकार न केवल रचनात्मक अनुभवों को सम्प्रेषित करता है, बल्कि अपने को पाता भी है, उपलब्ध भी करता है।
दूसरे, तीसरे और चौथे अध्यायों में पूर्व प्रेमचन्द, प्रेमचन्द युग के पूर्वार्द्ध की कहानी, उत्तर प्रेमचन्द-युग की हिन्दी कहानी की विशेषताओं और सीमाओं की व्याख्या की गई है।
पाँचवें अध्याय में हिन्दी कहानी के विविध युगों की रचना-प्रक्रिया की चेतना का अध्ययन प्रस्तुत करते हुए कथा की चेतना या साक्षात्कार के प्रति विभिन्न युगों के कृतिकारों के दृष्टिकोणों में व्याप्त मौलिक अन्तर की व्याख्या की गई है।
छठे और अन्तिम अध्याय में जहाँ आज की कहानी की नई दिशाओं की ओर संकेत किया गया है, वहीं उसके परिशिष्ट में रचना-प्रक्रिया की चेतना पर समूचे अध्ययन के आधार पर पुनर्विचार की आवश्यकता का अनुभव किया गया है।
पुस्तक में साठोत्तर कहानी और आज की कहानी पर कई निबन्ध इस दृष्टि से दिए गए हैं कि आज के पाठक को यह कृति कथा आलोचना के क्षेत्र में सार्थक प्रस्थान दिखे।
Premchand : Ek Vivechan
- Author Name:
Indranath Madan
- Book Type:

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Description:
प्रेमचन्द हिन्दी के ऐसे श्रेष्ठतम उपन्यासकार हैं, जिनके ग्रन्थों में दमन और उत्पीड़न के युग के समाज की अवस्था का यथार्थ चित्रण और प्रतिबिम्ब मिलता है। उन्होंने उन समस्याओं और मान्यताओं का स्पष्ट चित्र अंकित किया है जो मध्यवर्ग, ज़मींदार, पूँजीपति, किसान, मज़दूर, अछूत और समाज से बहिष्कृत व्यक्तियों के जीवन को संचालित करती हैं। उन्होंने किसानों के मानसिक गठन और मध्यवर्ग के दृष्टिकोण को उस समय गम्भीर विश्वास और उत्साह के साथ वाणी दी, जिस समय इस देश के सामाजिक और राजनीतिक जीवन में क्रान्तिकारी परिवर्तन हो रहे थे। जिस वर्ग-संघर्ष को उन्होंने अपने उपन्यासों और कहानियों में स्पष्टता से चित्रित किया है, उसी वर्ग-संघर्ष की दृष्टि से प्रस्तुत पुस्तक में उनकी कला का विवेचन और उनके मस्तिष्क का अध्ययन करने का प्रयास किया गया है। प्रेमचन्द के समस्त उपन्यासों और कुछ प्रतिनिधि कहानियों का अध्ययन प्रस्तुत करनेवाली महत्त्वपूर्ण पुस्तक है यह।
Acharya Ramchandra Shukla Ke Shreshtha Nibandh
- Author Name:
Acharya Ramchandra Shukla
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
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