Loktantra Par Grahan! EMERGENCY (Bhartiye Loktnatra Ke Kalank Kaal Par Adharit Upanyas)
Author:
Dr. RashmiPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Unavailable
25-26 जून, 1975 की मध्यरात्रि को आपातकाल लागू किया गया था। बड़े-बड़े नेताओं को बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घरों से उठा लिया गया। जो किसी कार्यवश अपने शहर से बाहर थे, उनके लौटने तक की प्रतीक्षा नहीं की गई, उन्हें उस शहर से ही गिरफ्तार कर लिया गया। जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गज नेता को उनकी अस्वस्थता की स्थिति में, बिना किसी पूर्व सूचना के गांधी शांति प्रतिष्ठान से गिरफ्तार कर लिया गया। सत्ताधीशों ने बूढ़े और बीमार जे.पी. की आयु का भी लिहाज नहीं किया था।
कितनों को यह भी नहीं पता था कि उन्हें कहाँ लेकर जाया जा रहा है? कइयों के परिवारवालों को अपने आत्मीय के गिरफ्तार होने तक की सूचना नहीं थी! कुछ को अपनों की गिरफ्तारी के विषय में तो पता था, किंतु वे यह नहीं जानते थे कि उन्हें कहाँ रखा गया है?
इमरजेंसी के पूरे दौर में राजनीतिक व्यक्तियों के अलावा लेखकों और पत्रकारों ने भी अत्यंत उत्पीडऩ झेला। फणीश्वरनाथ रेणु, नागार्जुन, भवानी प्रसाद मिश्र, सुरेंद्र मोहन पाठक, डॉ. रघुवंश, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, कुलदीप नैयर, कुमार प्रशांत, सूर्यकांत बाली, विक्रम राव, वीरेंद्र कपूर, श्याम खोसला, देवेंद्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, प्रभाष जोशी, रामबहादुर राय आदि पर आपातकाल का कहर बरसा, लेकिन फिर भी ये लोग सरकार के आगे नहीं झुके।
ISBN: 9789355212689
Pages: 300
Avg Reading Time: 10 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: ‘नया भारत, समर्थ भारत’ संकल्प से सिद्धि की ओर बढ़ता भारत है, जिसमें स्वच्छता, स्वास्थ्य, गरीबी, भ्रष्टाचार, ग्रामोदय, नारी सशक्तीकरण, कुपोषण, कृषि तथा किसान की दशा, विविध आयामी सद्भाव तथा बुनियादी ढाँचा आदि अनेक ऐसे अहम मुद्दे हैं, जिन पर स्वतंत्रता के बाद सत्ता सँभालने वालों को गंभीरता से काम करना चाहिए था, लेकिन राजनीतिक हित तथा निहित स्वार्थों के चलते इन सामाजिक तथा राष्ट्रीय हितों को हाशिए पर रखा गया। ‘संकल्प’ शक्ति के अभाव में उक्त मुद्दे गंभीर चुनौती बनते चले गए। सन् 2014 में त्रस्त जनता ने भारी जनादेश देकर भाजपा को विजयी बनाया। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई उम्मीदें जगीं। 15 अगस्त, 2014 को लालकिले की प्राचीर से अपने पहले ही संबोधन में उन्होंने प्रधान सेवक बनकर उपर्युक्त मुद्दों को गंभीरता से उठाते हुए उनके समाधान का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने निराशा तथा नकारात्मकता में डूबे जन-जन को झकझोरा, भागीदारी का आह्वान किया तथा संकल्पबद्ध होकर कार्य करने का विश्वास जगाया। जन-जन की भागीदारी से राष्ट्रहित में अनेक बड़े और कड़े फैसले लेते हुए वे आगे बढ़ते रहे। लक्ष्य स्पष्ट था—‘सबका साथ, सबका विकास’। ‘साफ नीयत’ से लिये गए संकल्प अब सिद्धि की ओर बढ़ रहे हैं। ‘नए भारत’ की व्यावहारिक संकल्पना की प्रेरक प्रस्तुति है यह कृति ‘नया भारत, समर्थ भारत’।
Manipur in Flames: Conspiracy of The Cross
- Author Name:
Jagdamba Mall
- Book Type:

- Description: This book is a compelling analysis of the causes behind the unrest in Manipur since 3rd May 2023. It examines the factors, consequences and involvement of national and international organisations, including Church bodies like AMCO, CBCNEI, BWA and WCC along with global players like USA, UK, China and UNO. The book narrates the history of Manipur. The contribution of Meitei community in nation building is highlighted. It explores the immigration of Kuki population from Myanmar, encouraged by British Political Agent Major W. McCulloch (1844-67) with ulterior motives, the separation of Hills administration and the Church's conspiracy to convert Kukis to Christianity to create a rift with Meitei Hindus and India. This is a must-read for historians, sociologists, political activists, social workers and research scholars.
Bharat Ke Shashak
- Author Name:
Rammanohar Lohia
- Book Type:

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Description:
राममनोहर लोहिया द्वारा गोवा हाईकोर्ट के चीफ़ जज को लिखे एक ख़त को ‘हरिजन सेवक’ के अक्टूबर, ’46 के एक अंक में पुनर्प्रकाशित करते हुए गांधी ने लिखा था कि ‘डॉ. लोहिया कोई मामूली आदमी नहीं’। यह तत्कालीन राजनीतिक परिदृश्य में लोहिया की महत्ता को रेखांकित करता है। लोहिया उन दिनों गोवा में आज़ादी की पैरवी कर रहे थे और गिरफ़्तार भी हुए थे।
इस पुस्तक में लोहिया के वे आलेख संकलित किए गए हैं जो उन्होंने समय-समय पर राजनीति, समाज, संस्कृति और भाषा आदि विषयों पर विचार करते हुए लिखे। भाषा और शब्दावली के लिहाज से उनका लेखन एक ऐसे व्यक्ति का लेखन है जिसके विचार उसके व्यवहार से पुष्ट होकर आते हैं और इसलिए अत्यन्त स्पष्ट रूप में व्यक्त होते हैं।
यहाँ संकलित लेखों में सबसे ध्यानाकर्षक हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की एकता की इच्छा को लेकर लिखे गए उनके लेख हैं जो उन्होंने बँटवारे के मात्र तीन-चार साल बाद लिखे थे। उनकी कामना थी कि अगर दोनों देशों के लोग थोड़ी भी विद्या-बुद्धि से काम करते चले गए तो दस-पाँच बरस में फिर से एक होकर रहेंगे। लेकिन दुखद है कि यह विद्या-बुद्धि प्रयोग में नहीं लाई जा सकी। इस सकारात्मक दृष्टि की हमें आज और ज़्यादा ज़रूरत है।
इसके अलावा भारत में शासक-परम्परा, समाजवाद, गांधीवाद और समाजवाद, जाति, स्त्री-पुरुष समानता, मातृभाषा की स्थिति, छुआछूत और मन्दिर प्रवेश जैसे विषयों पर भी आप यहाँ (उनके विचार) पढ़ सकेंगे। यह पुस्तक चिन्तक लोहिया के समग्र का एक प्रतिनिधि संकलन है।
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