Jinna : Ek Punardrishti
Author:
Virendra Kumar BaranwalPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 399.2
₹
499
Available
साधारण भारतीयों के मन में जिन्ना की छवि एक निहायत नीरस, अन्तर्मुखी, तार्किक, अधार्मिक, भावना-शून्य, मनहूस, हिसाबी, सिर से पैर तक पश्चिमी सभ्यता में रँगे, चोटी के वकील के साथ एक अपराजेय राजनीतिक सौदेबाज़ की रही है। जिन्ना के व्यक्तित्व की इन विशेषताओं को झुठलाना जहाँ निहायत दुश्वार है, वहीं मात्र इन्हीं विशेषताओं में उन्हें सीमित करना वस्तुतः सच्चाई से मुँह मोड़ना होगा। जिन्ना के जीवन और व्यक्तित्व के कुछ ऐसे पहलू हैं, जो बहुत कम उजागर हो पाए हैं। फलस्वरूप अक्सर उनका एकांगी मूल्यांकन ही हो पाया है।</p>
<p>इतिहास मात्र घटनाओं का संकुल और महत्त्वाकांक्षियों की नियति के उतार-चढ़ाव का दस्तावेज़ ही नहीं है। उसके विराट मंच पर उभरे काल-प्रेरित अभिनेताओं के मनोजगत की उथल-पुथल से संरचित व्यक्तित्वों के समझौते-टकराव और घात-प्रतिघात उसकी धारा को प्रभावित करने में निर्णयात्मक भूमिका निभाते हैं। कुछ इसी विश्वास के फलस्वरूप जिन्ना के जीवन पर विहंगम दृष्टि डालते हुए उन्हें उनके महत्त्वपूर्ण समकालीनों के साथ-साथ अलग-अलग समझने-परखने की कोशिश इस किताब में मिलेगी। उनकी पत्नी रत्ती की गहन संवेदनशीलता, तीक्ष्ण मेधा, व्यक्तित्व का अप्रतिम सम्मोहन, समस्त प्राणी-जगत के लिए करुणा विगलित हृदय, गहरे राजनीतिक-सामाजिक सरोकार और धार्मिक बाह्याडम्बर के प्रति वितृष्णा जैसे गुण उन्हें अपने समय का एक अत्यन्त विशिष्ट व्यक्तित्व सिद्ध करते हैं। इस पुस्तक में उनके विषय में भी एक विस्तृत अध्याय रखा गया है।</p>
<p>ध्यान देने योग्य है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपिता बनने के पहले जिन्ना हिन्दुस्तान की धरती के एक महान और सुयोग्य पुत्र थे। उनके लगभग आधी सदी के राजनीतिक जीवन में समय-समय पर उभरे सोच में आज भी ऐसा बहुत कुछ समावेशी और रचनात्मक है, जो अप्रासंगिक नहीं हुआ है। इसमें दो राय नहीं कि गांधी और नेहरू की तरह जिन्ना भी भारतीय उपमहाद्वीप में समय-समय पर एक पुनर्दृष्टि की माँग करते रहेंगे। इतिहास के अपने ढंग के एक अद्वितीय व्यक्तित्व के नाते यह उनका हक़ है।
ISBN: 9788126710881
Pages: 396
Avg Reading Time: 13 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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भारत में नॉर्वेजियन सन्ताल मिशन के संस्थापक रेवरेंड एल.ओ. स्क्रेफ्स्रड (1840-1910) ने 1887 में सन्तालों के लिए एक मार्गदर्शिका प्रकाशित की थी, जिसका शीर्षक था, 'होरकारेन मारे हापराम्को रेक कथा’ (Horkaren Mare Hapramko reak Katha)। सन्ताल समाज में प्रचलित तमाम मान्यताओं, परम्पराओं और संस्थानों के बारे में जानकारी देने वाली इस पुस्तक को, इस समाज के कुछ प्रतिष्ठित सदस्यों के अनुरोध पर बोडिंग ने 1916 और 1929 में पुनः सम्पादित किया। इस क्रम में बोडिंग ने कुछ नई सामग्री भी जोड़ी। लेकिन उनके जीवित रहते यह अनुवाद प्रकाशित नहीं हो सका और पांडुलिपि प्रो.ओ. सोलबर्ग के पास सुरक्षित रही। अन्ततः स्टेन नो द्वारा सम्पादित किए जाने के बाद इसका प्रकाशन हुआ।
इस पुस्तक में जन्म से लेकर मृत्यु तक सन्ताल जीवन के हरेक संस्कार, आचार, व्यवहार, विश्वास, विधान, संस्थान आदि का प्रामाणिक ब्योरा दिया गया है। इसमें सन्ताल जीवन और संस्कृति से लेखक का गहरा लगाव स्पष्ट है जिसके बिना ऐसा मूलगामी अध्ययन और दस्तावेजीकरण सम्भव नहीं हो सकता था।
सन्ताली विरासत को समग्रता में जानने-समझने के इच्छुक हरेक व्यक्ति के लिए, एक पठनीय ग्रन्थ है।
Bharat Vaibhav
- Author Name:
Chakradhar Semwal
- Book Type:

- Description: "‘गागर में सागर’ यानी कुछ किताबी पन्नों में शस्य-श्यामला माँ भारती का अतुल वैभव समेटने का यह विनम्र प्रयास है। मानव सभ्यता के प्रामाणिक वैज्ञानिक दस्तावेज, हमारे शिल्पियों एवं वास्तुकारों से निर्मित भारत के सात महान् आश्चर्य, योग-आयुर्वेद के चमत्कारी नुस्खे, अणु-परमाणु, अंतरिक्ष यान, परखनली शिशु के मूल स्रोतों की समीक्षा, संगीत एवं त्योहारों की रसधाराएँ, विश्व के समुद्री कुंभ मेले का सजीव चित्रण, प्रकृति एवं पर्यावरण की समीक्षा, भारत की अतुल धन-संपदा एवं आजादी के प्रतीक चित्तौड़गढ़ किले का विशद वर्णन तथा अनेकता में एकता के समावेश से पुरातन एवं वर्तमान के महामिलन का संयोग अनायास ही सुलभ हुआ है। समुद्र-मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों की तरह ही शायद यह अतुल वैभव भी पौराणिकता के लबादे में हमारी आँखों से ओझल हो जाता, परंतु भला हो उस आधुनिक परमाणु बम के जनक रॉबर्ट ओपेनहाइमर एवं अन्य पाश्चात्य विद्वानों का, जिन्होंने खुले मन से आज की औद्योगिक एवं विज्ञान की क्रांतियों का श्रेय हमारे ज्ञान के खजानों, वेद, उपनिषद्, रामायण, पुराण एवं गीता को प्रदान किया है। भारत के गौरवशाली अतीत का जयघोष करनेवाली अत्यंत पठनीय कृति। "
Bharat Ke Prasiddha Kile
- Author Name:
Gunakar Muley
- Book Type:

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Description:
भारत के प्रत्येक किले में हमारे देश के अतीत का एक विशेष क्षण छिपा हुआ है। इन किलों ने न जाने कितने आक्रमण सहे, जाने कितने युद्धों को प्रत्यक्ष देखा, और जाने कितने रक्तपात और वैभव को अपनी मजबूत दीवारों में सहेजा-समेटा है।
प्राचीन भारतीय इतिहास के सम्बन्ध में आज जो जानकारी किलों से मिलती है उसे नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता। प्रत्येक किला हमारे लोमहर्षक इतिहास का एक जीवन्त अध्याय है। लेकिन भारतीय राजवंशों के उतार-चढ़ावों की दिलचस्प कथाएँ बताने वाले और इतिहास के स्वर्णिम युगों के गवाह इन किलों में से अनेक अब खँडहर बन गए हैं, भूत-बँगले हो गए हैं। कुछ किले पुरातत्व विभाग के अधीन होकर भी अपनी किस्मत को रो रहे हैं।
यह भी एक तथ्य है कि कुछ प्रमुख किलों को छोड़ दें तो ज्यादातर किलों के बारे में साधारणजन पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। गुणाकर जी की यह पुस्तक भारत के किलों के बारे में एक विस्तृत और प्रामाणिक विवरण प्रस्तुत करती है। 300 से ज्यादा चित्रों और नक्शों से सुसज्जित इस पुस्तक में प्रत्येक प्रदेश के किलों का सिलसिलेवार विवरण दिया गया है और उनके स्थापत्य तथा उनसे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है।
Vishwa Itihas Ki Bhumika
- Author Name:
Ramsharan Sharma
- Book Type:

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Description:
पृथ्वी की आयु चार अरब साठ करोड़ वर्ष से ज़्यादा मानी गई है और पृथ्वी तल पर जीवन की उत्पत्ति कोई तीन अरब पचास करोड़ वर्ष पहले। 15-20 लाख वर्ष पहले पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में प्रथम मानव कहे जानेवाले ‘होमो हैविलिस’ का आविर्भाव हुआ तथा ‘होमो सेपीयन्स’ का दक्षिणी अफ्रीका में जन्म 1,15,000 वर्ष पूर्व हुआ। आधुनिक मनुष्य का उद्भव इसी से माना जाता है, जिसका इतिहास पुरापाषाण युग (6 लाख वर्ष ई.पू. से 10 हजार ई.पू.) से आरम्भ होता है, और हम तक आता है।
प्रख्यात इतिहासकार रामशरण शर्मा और कृष्णकुमार मंडल की यह पुस्तक हमें इस पूरी इतिहास-यात्रा का संक्षिप्त, लेकिन सारगर्भित और सप्रमाण ब्यौरा उपलब्ध कराती है। आदिम सभ्यता से लेकर यूरोप के धर्मसुधार के समय तक चरणबद्ध रूप में लिखा गया यह इतिहास सिर्फ़ राजनीतिक घटनाओं तक सीमित नहीं है, इसमें विज्ञान, समाज और दर्शन के क्षेत्र में होनेवाले वैचारिक परिवर्तनों तथा उद्भावनाओं के रास्ते से भी विश्व की प्रगति को समझा गया है।
इतिहास के जिन महत्त्वपूर्ण चरणों का विवरण इस पुस्तक में समाहित है, वे हैं : आदिम सभ्यता, प्राचीन मिस्र की सभ्यता, शहरी सभ्यताओं का उदय, पहली सहस्राब्दी ई.पू. के धर्मसुधार-आन्दोलन, यूनान, रोम और प्राचीन भारत की सभ्यता, इस्लाम का उदय और प्रसार, सामन्त प्रथा और मध्यकालीन यूरोप, यूरोप का रेनेसाँ और धर्मसुधार।
पुस्तक की विशेषता है रोचक उपशीर्षकों के माध्यम से प्रत्येक कालखंड के क्रम-विकास का रेखांकन जिससे इसे न सिर्फ़ पढ़ना रुचिकर हो जाता है, बल्कि सम्बन्धित विषय की जानकारी तक भी सुगमतापूर्वक पहुँचा जा सकता है। इतिहास के जिज्ञासुओं तथा विद्यार्थियों के लिए अत्यन्त उपयोगी पुस्तक।
Naye Bharat Ka Nirman
- Author Name:
Sundeep Waslekar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Marang Gomke Jaipal Singh Munda
- Author Name:
Ashwani Kumar 'Pankaj'
- Book Type:

- Description: कौन थे जयपाल सिंह मुंडा? इनका भारतीय स्वतंत्रता और नए भारत के निर्माण में राजनीतिक-बौद्धिक योगदान क्या था? वे जिस आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, उसकी आकांक्षाएँ क्या थीं? इस बारे में आजादी के सत्तर साल बाद भी इतिहास चुप है। एक तरफ गांधी-नेहरू, जिन्ना, अंबेडकर सहित अनेक राजनीतिज्ञों पर सैंकड़ों पुस्तकें हैं, पर जयपाल सिंह मुंडा पर एक भी नहीं है। यह कितनी हैरत की बात है कि झारखंड आंदोलन में कूदने से पहले और देश के संविधान निर्माण सभा में लाखों आदिवासियों के लिए निडरता से दहाड़नेवाले जिस आदिवासी ने देश के लिए आई.सी.एस. छोड़ी, जिसकी कप्तानी में भारत ने पहला हॉकी का ओलंपिक स्वर्ण जीता, जिसने अफ्रीका और भारत के कॉलेजों में अध्यापन के दौरान अपनी शिक्षकीय योग्यता से प्रभु वर्ग को प्रभावित किया, जो गुलाम भारत में किसी ब्रिटिश कंपनी में सर्वोच्च पद पर काम करनेवाला पहला भारतीय (वह भी आदिवासी) था, जिससे पढ़ने के लिए भारत के राजा-रजवाड़े लालायित रहते थे, जो ऑक्सफोर्ड से अर्थशास्त्र में गोल्डमेडलिस्ट था, हॉकी में एकमात्र भारतीय ‘ऑक्सफोर्ड ब्लू’ खिलाड़ी था और जो कॉलेज के दिनों में विभिन्न सभा-सोसायटियों का नेतृत्वकर्ता संयोजक-अध्यक्ष था, उसे इस लायक भी नहीं समझा गया कि उसकी चर्चा हो। —इसी पुस्तक से
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