
Mughal Kaleen Bharat : Humayun : Vol. 2
Author:
Saiyad Athar Abbas RizviPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 1600
₹
2000
Available
हुमायूँ से सम्बन्धित फ़ारसी स्रोतों का अनुवाद ‘मुग़लकालीन भारत’ भाग-1 और भाग-2 में प्रकाशित किया गया है। इन दोनों भागों में भी पूर्व ग्रन्थों की भाँति हुमायूँ के समकालीन फ़ारसी स्रोतों का हिन्दी भाषान्तर प्रस्तुत किया गया है। ‘मुग़लकालीन भारत’ भाग-2 में डॉ. रिज़वी ने निम्न ग्रन्थों के हिन्दी भाषान्तर सम्मिलित किए हैं, जो हैं : ‘तारीख़े इबराहीमी’, ‘तारीख़े एलचीए निजामशाह’, ‘तारीख़े अलफ़ी’, ‘मुन्तख़बुत्तवारीख़’ भाग-1, ‘तबकाते अकबरी’ भाग-2, ‘तारीख़े फ़िरिश्ता’, मोतमद ख़ाँ के ‘इकबाल नामये जहाँगीरी’ भाग-1 एवं ‘मिराते सिकन्दरी’ आदि मुख्य हैं।</p>
<p>जिन ग्रन्थों के संक्षिप्त अनुवाद किए गए हैं, उनका अनुवाद करते समय इस बात का प्रयत्न किया गया है कि कोई भी महत्त्वपूर्ण घटना अथवा सांस्कृतिक, सामाजिक एवं आर्थिक महत्त्व की बात छूटने न पाए।</p>
<p>अन्य ग्रन्थों की तरह यह ग्रन्थ भी हुमायूँकालीन इतिहास के अध्ययन के लिए अत्यन्त उपयोगी है, विशेषत: उनके लिए, जो फ़ारसी से अनभिज्ञ हैं लेकिन इस काल पर शोध करना चाहते हैं, उनको एक ही स्थान पर सम्पूर्ण सामग्री उपलब्ध हो जाती है।
ISBN: 9788126718382
Pages: 568
Avg Reading Time: 19 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: 29 मार्च, 2015 को, 11 अशोक रोड स्थित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पुराने कार्यालय में एक डिजिटल काउंटर आगे बढ़ता जा रहा था। पार्टी कार्यकर्ता, पदाधिकारी, यहाँ तक कि स्टाफ की नजरें भी डिजिटल स्क्रीन पर जमी थीं। स्क्रीन पर पार्टी की सदस्यता लेनेवालों की कुल संख्या दिख रही थी, जिन्हें पार्टी के नए ‘सदस्यता अभियान’ से जोड़ा जा रहा था। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, अमित शाह उस दिन कार्यालय में ही थे। बालसुलभ उत्सुकता के साथ उनकी भी नजरें डिजिटल काउंटर पर ही गड़ी थीं। काउंटर जैसे ही अपने लक्ष्य पर पहुँचा, पूरा कार्यालय खुशी से झूम उठा। 8.8 करोड़ सदस्यों तक पहुँचते ही इसने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को पीछे छोड़ दिया था। इस महत्त्वाकांक्षी सदस्यता अभियान के पीछे अमित शाह की ही सोच थी। यह कैसे संभव हुआ? क्या यह महज आँकड़े जुटाने का अभियान था, जिसने भाजपा के भाग्य को और बलवान बनाया, या इसके पीछे ऐसी सोच थी, जिसका समय आ चुका था? 1984 में लोकसभा में महज दो सीटों वाली पार्टी का विपक्ष को इस प्रकार बुरी तरह परास्त करना और इतना भीमकाय रूप लेना क्या मात्र मोदी-शाह की जोड़ी का कमाल है या इसके कारण हिंदुत्व आंदोलन की उस जटिलता की गहराई में छिपे हैं, जिसे लेकर काफी गलतफहमी है? इन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए शांतनु गुप्ता भारत के दक्षिणपंथी आंदोलनों के इतिहास, उनकी वैचारिक उत्पत्ति से राष्ट्रवादी विचारों के विकास तक जाते हैं, और भाजपा पर एक समग्र अध्ययन को लेकर आते हैं, जो मात्र एक राजनीतिक दल नहीं, बल्कि एक वैचारिक संगठन है, जो इस देश के राष्ट्रवादी आंदोलन को इस प्रकार परिभाषित करता है, जैसा पहले कभी नहीं किया गया था।
Yogi Ramrajya
- Author Name:
Chetna Negi
- Book Type:
- Description: रामराज्य की परिकल्पना एक आदर्श व्यवस्था का प्रतीक है। रामराज्य ऐसे क्षेत्र की संपूर्ण परिभाषा है, जहाँ हर क्रियाकलाप एक-दूसरे के सामंजस्य से पूरा होता है। रामराज्य की संकल्पना जनहित और सर्वसमावेशी व्यवस्था पर आधारित है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार सँभालने के बाद पाँच वर्ष की अवधि में महंत योगी आदित्यनाथ ने सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन किए और एक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को मूर्त रूप दिया। उनके शासन के पाँच वर्षों में उत्तर प्रदेश ने अपने सांस्कृतिक वैभव के विराट् स्वरूप के दर्शन कराए और आधुनिक राज्य की पहचान को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाया। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की आम जनमानस तक सहज सुलभता और विकास के नए कीर्तिमान उस रामराज्य की अवधारणा को प्रदर्शित करते हैं, जिसमें जनकल्याण ही सर्वोपरि है। पाँच वर्ष के दौरान सत्ता की दृढ़ता, दूरदर्शिता, सजग प्रबंधन, संवेदनशीलता से परिस्थितियाँ ऐसे परिवर्तित हुईं कि उत्तर प्रदेश उद्योगपतियों, पूँजी निवेशकों, कॉरपोरेट सेक्टर का सर्वप्रिय राज्य बन गया है।
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