Keral Ke Hindi Sahitya Ka Itihas

Keral Ke Hindi Sahitya Ka Itihas

Author:

P. Lata

Language:

Hindi

Category:

History-and-politics

0 Reviews

Price: ₹ 680

850

Available

Format:

Quantity

-

1

+
About
Book Details

केरल का प्रथम हिन्‍दी रचनाकार महाराजा स्वाति तिरुनाल राम वर्मा को माना जाता है जिनका जन्म तिरुवितांकूर के राजा मार्तंड वर्मा के राजवंश में सन् 1813 में हुआ था। उनकी रचनाएँ मध्यकालीन हिन्‍दी कवियों की तरह भक्ति-प्रधान गीत थे जिनका संकलन बाद में आकर किया गया। इसके बाद लगातार इस अहिन्दीभाषी राज्य में हिन्‍दी में मौलिक लेखन करनेवाले रचनाकार सक्रि‍य रहे हैं, न सिर्फ़ कविता में बल्कि कहानी, उपन्यास, निबन्‍ध व अन्यान्य विधाओं में भी।</p>
<p>केरल की रचनाकार और विद्वान पी. लता ने अपनी इस पुस्तक में केरल की समूची हिन्‍दी रचनात्मकता का सर्वांगीण इतिहास प्रस्तुत किया है। साथ ही वे उस विचार-यात्रा को भी रेखांकित करती चली हैं जो केरलीय हिन्‍दी लेखकों, कवियों की रचनाओं के सरोकारों की प्रेरणा-शक्ति और पृष्ठभूमि रही।</p>
<p>मौलिक साहित्य के साथ लेखक ने इसमें अनूदित साहित्य का भी क्रमबद्ध विवरण दिया है और साथ ही व्याकरण तथा कोश आदि विषयों पर हुए लेखन को भी समाहित किया है। प्रकाशित पुस्तकों के अलावा उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं में छपी रचनाओं और साहित्य की भूमिका लेखन तथा सम्पादकीय लेखन जैसी शाखाओं को भी अपने विश्लेषण का आधार बनाया है और केरलीय हिन्‍दी साहित्य के इतिहास में उनकी अवस्थिति को दर्ज किया है।</p>
<p>डॉ. पी. लता के प्रशंसनीय उद्यम से सम्‍भव हुई यह पुस्तक न सिर्फ़ छात्रों के लिए बल्कि उन हिन्‍दी प्रेमियों के लिए भी अनिवार्यतः पठनीय है जो हिन्‍दी चेतना के अखिल भारतीय विस्तार की संरचना तथा व्याप्ति को जानना चाहते हैं।

ISBN: 9789352211005

Pages: 340

Avg Reading Time: 11 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

Customer Reviews

0 out of 5

Book

Offers

Best Deal

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.

whatsapp