Nalanda : How it Changed the World
Author:
Abhay K.Publisher:
Penguin IndiaLanguage:
EnglishCategory:
Historical-fiction3 Reviews
Price: ₹ 580.17
₹
699
Unavailable
Much about Nalanda remains shrouded in mystery. When was it founded? Who founded it? Who studied and taught there? What subjects were offered? How many students and teachers were there? Was Nalanda a university in the modern sense? And what ultimately led to its downfall? Nalanda by Abhay K. unravels these questions, telling the story of the rise, fall, and re-rise of Nalanda Mahavihara. Through extensive research, the book explores Nalanda’s contributions in fields such as science, mathematics, philosophy, art, architecture, and poetry. It also highlights the great luminaries who elevated its unparalleled reputation as the preeminent seat of knowledge, as well as the foreign scholars who visited the celebrated monastery.
Broad in sweep and deep in history, Nalanda is a thrilling read that sheds new light on Nalanda and its journey over millennia.
ISBN: 9780670099627
Pages: 224
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: "स्वामी राम कृष्ण परमहंस एक महान संत, समाजसुधारक और हिंदू धर्म के प्रणेता थे। उनका मानना था कि यदि मनुष्य के हृदय में सच्ची श्रद्धा और लगन जग जाए तो ईश्वर का साक्षात्कार कतई मुश्किल नहीं है। वे कहते कि ईश्वर एक ही है, मनुष्यों ने उस तक पहुँचने के मार्ग अलगअलग बना लिये हैं। वे स्वयं माँ काली के अनन्य भक्त थे और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन उन्हीं की आराधना में व्यतीत किया। उन्होंने हिंदू धर्म की प्रतिष्ठा का कार्य अपने तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि युवा नरेंद्र के रूप में हिंदुत्व की प्रतिष्ठा को विश्वमंच पर प्रस्थापित करने का पुरुषार्थ कर दिखाया। वे स्वयं पढ़ेलिखे नहीं थे, किंतु उन्होंने विश्व को विवेकानंद जैसा सार्वकालिक धर्मप्रवर्तक दिया। परमहंस के जीवन काल में ही उनकी ख्याति दूरदूर तक फैल गई थी। फलस्वरूप मैक्समूलर और रोम्याँ रोलाँ जैसे सुप्रसिद्ध पाश्चात्य विद्वानों ने उनकी जीवनी लिखकर अपने को धन्य माना। इस पुस्तक में स्वामी रामकृष्ण परमहंस के जीवन से जुड़े रोचक एवं प्रेरक प्रसंगों का संकलन किया गया है। इसकी सामग्री रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद पर उपलब्ध साहित्य से प्राप्त की गई। यह पुस्तक स्वामीजी के जीवन को समझने की दिशा में एक विनम्र प्रयास है। आशा है, हमारे प्रबुद्ध पाठक इस पुस्तक को पढ़कर स्वामीजी के जीवन और जीवनदर्शन को समझ पाएँगे।
Kanaila Ki Katha
- Author Name:
Rahul Sankrityayan
- Book Type:

- Description: ‘कनैला की कथा’ ग्राम केन्द्रित जनपदीय इतिहास को सँजोने का अन्यतम उदाहरण है। सभ्यता–संस्कृति की प्राचीनता ने भारत को इतिहास की विशिष्ट विरासत सौंपी है। अतीत के प्रसिद्ध स्थान और स्मारक ही इस विरासत के अकेले वाहक नहीं हैं। गाँव-गाँव में यह विरासत बिखरी पड़ी है। हाँ, यह अवश्य हुआ है कि प्रायः अज्ञानता और उदासीनता के कारण यह विरासत उपेक्षित पड़ी रही और समय गुजरने के साथ ओझल होती चली गई। यह पुस्तक लिखकर राहुल सांकृत्यायन ने उस विरासत के एक हिस्से को अन्धकार से बाहर निकाला और वह रास्ता दिखाया जिस पर चलकर अन्य ग्रामों–कस्बों की कथाएँ भी सँजोई जा सकती हैं, जिससे हमारा इतिहास समृद्ध हो सकता है। इस पुस्तक में राहुल ने अपने पितृग्राम कनैला का ऐतिहासिक-भौगोलिक चित्र प्रस्तुत किया है, जिसका एक सिरा ईसा से तेरह सौ वर्ष पूर्व से जुड़ता है तो दूसरा सिरा बीसवीं सदी के उत्तरार्ध से। इतनी लम्बी कालावधि को कथा के रूप में समेटते हुए स्थानीय सभ्यता-संस्कृति की ऐतिहासिकता का पूरा ध्यान रखा गया है। इस तरह जो चित्र उभरता है वह पाठक को सामाजिक-सांस्कृतिक रूपान्तरों की एक दिलचस्प शृंखला से रू-ब-रू कराता है। वस्तुतः अपनी दूसरी कृतियों की तरह राहुल ने ‘कनैला की कथा’ में भी लेखन का एक अलग ही प्रतिमान रचा है। इतिहास और कथा का जैसा रोचक संयोग इस पुस्तक में घटित हुआ है वैसा किसी और कृति में देख पाना दुर्लभ है।
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