Vyakaran Pravesh
Author:
Shyam Chandra KapoorPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 136
₹
170
Unavailable
व्याकरण उस विद्या को कहते है, जिससे हम भाषा को शुद्ध बोलना तथा लिखना सीखते है।भाषा— भाषा उस साधन का नाम है, जिससे हम बोलकर या लिखकर अपने विचार प्रकट करते है। जैसे— हिंदी भाषा, अंग्रेजी भाषा, मलयालम भाषा, पंजाबी भाषा, तमिल भाषा आदि।
ISBN: 9789386871152
Pages: 104
Avg Reading Time: 3 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Nammamma Andre Nangishta
- Author Name:
Vasudhendra
- Rating:
- Book Type:

- Description: ಕಥೆಗಾರ, ಬರಹಗಾರ ವಸುಧೇಂದ್ರ ಅವರು ಬರೆದ ‘ನಮ್ಮಮ್ಮ ಅಂದ್ರೆ ನಂಗಿಷ್ಟ’ ಕೃತಿ 2006ರಲ್ಲಿ ಮೊದಲ ಮುದ್ರಣಗೊಂಡು 2019ರಲ್ಲಿ ಹತ್ತೊಂಬತ್ತನೇ ಆವೃತ್ತಿ ಕಂಡಿದೆ. ಸರಳ ಪ್ರಬಂಧ ಸಂಕಲನಗಳಲ್ಲಿ ಲೇಖಕರು ತಾಯಿಯ ಮೊದಲ ಕೂಗಿನಿಂದ ನಡೆದ ಹೃದಯಸ್ಪರ್ಶಿ ಘಟನೆಗಳನ್ನು ವಿವರಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಹುಟ್ಟಿದ ಕ್ಷಣದಿಂದ ಮಗು ತಾಯಿಯನ್ನು ಅಳಿಸುವಷ್ಟು ದೊಡ್ಡದಾದ ಸಮಯಕ್ಕೆ. ಪ್ಯಾಂಟಿನಲ್ಲಿ 'ಗಲೀಜು' ಮಾಡಿ ಎಲ್ಲರಿಗೂ ಅಸ್ಪೃಶ್ಯಳಾಗುವಂತೆ ಮಾಡುವ ತಾಯಿ, ಬಂಗಾರದಂತಹ ಸ್ಟೀಲ್ ಪಾತ್ರೆಗಳನ್ನು ಪ್ರೀತಿಸುವ ತಾಯಿ, ಭಿಕ್ಷುಕ ಮಗನ ಮುಂದೆ ಕುಳಿತು "ನೀನು ನಂಗೆ ಬೈದುಬಿಟ್ಟಿ" ಎಂದು ಮುಗ್ಧವಾಗಿ ಅಳುವ ತಾಯಿ. ಬೆಂಗಳೂರಿನ ಅಜ್ಞಾತ ಬೀದಿಯಲ್ಲಿ ಕಳೆದುಹೋಗುತ್ತಾಳೆ, ಶೌಚಕ್ಕೆ ಹೋದಷ್ಟೇ ಸಲೀಸಾಗಿ ಇಹಲೋಕ ತ್ಯಜಿಸುವ ತಾಯಿ, ತನಗೆ ಗೊತ್ತಿರದ ಉತ್ಕಟ ಪ್ರೀತಿ ಹೊಂದಿರುವ ತಾಯಿ. ಓದುಗನ ಭಾವುಕ ಜಗತ್ತಿಗೆ ನವಿರಾಗಿ ತಿಳಿಸುವ ಲೇಖಕರ ಈ ಕೃತಿ ಹಲವು ಬಗೆಯ ತಾಯಂದಿರ ಮನಸುಗಳನ್ನು ತಿಳಿಸುತ್ತದೆ. ಈ ಕೃತಿಗೆ ಕರ್ನಾಟಕ ಸಾಹಿತ್ಯ ಅಕಾಡೆಮಿ ಪ್ರಶಸ್ತಿ ಲಭಿಸಿದೆ
School Ki Hindi
- Author Name:
Krishna Kumar
- Book Type:

- Description: कृष्ण कुमार का यह नया निबन्ध-चयन उनके शैक्षिक लेखन को एक वृहत्तर सांस्कृतिक सन्दर्भ देता है। बच्चों के लालन-पालन और उनकी शिक्षा से जुड़े सवालों की पड़ताल यहाँ बीसवीं सदी के अन्तिम वर्षों में बदलती-बनती नागरिक संस्कृति की परिधि में की गई है। खिलौनों और पाठ्य-पुस्तकों की भाषा से लेकर धार्मिक अलगाववाद की राजनीति और सामाजिक विषमता तक एक लम्बी प्रश्न-शृंखला है, जिसमें कृष्ण कुमार अपनी सुपरिचित चिन्ताएँ पिरोते हैं। इन चिन्ताओं में साहित्य की परख, स्त्री की असुरक्षा और भाषा के भविष्य जैसे विविध प्रसंग शामिल हैं। अपनी व्यंजनापरक शैली और चीज़ों को रुककर देखने की ज़िद से कृष्ण कुमार ने एक बड़ा पाठक-वृत्त बनाया है। अध्यापन और लेखन के बीच कृष्ण कुमार एक व्यक्तिगत पुल बनाने में सफल हुए हैं। यह पुल उनके शैक्षिक सरोकारों को खोजी यात्राओं पर ले जाता है और उनके पाठकों को स्कूल की चारदीवारी और बच्चों के मनोजगत में प्रवेश कराता है।
Sunrays for Saturday
- Author Name:
Sanjay Tandon +1
- Book Type:

- Description: The Sunrays series has been created by the perspiration and devotion of Priya & Sanjay Tandon and Inspiration from Bhagwan Sri Sathya Sai Baba. It aims at the transformation of the human heart and the gratification of the reader. The biggest achievement for a book writer would perhaps be the number of copies sold. As far as the Sunrays series of books is concerned, success seems to be measured by the number of people who have been inspired to better themselves. The authors’ mantra for life seems to be, to test each action on this touchstone- “Will this rebound to HIS renown?”
Hindu, Hindutva, Hindustan
- Author Name:
Sudhir Chandra
- Book Type:

-
Description:
सारे बौद्धिक प्रयत्न के बावजूद, ‘हिन्दू अवचेतन’ अपने को ही भारतीय मानता है। भारत जैसे बहुधर्मी और सांस्कृतिक वैविध्य से भरपूर देश के लिए ऐसी मान्यता अनिवार्यतः अनिष्टकारी है। पिछले कुछ समय से यह मान्यता अवचेतन से निकलकर उत्तरोत्तर आक्रामक होती जा रही है। बौद्धिक प्रयत्न के बावजूद नहीं, बल्कि खुलकर एक विचारधारा के रूप में यह हिन्दू को ही राष्ट्र मान बैठी है। ख़तरा यदि प्रधानतः विचारधारा और उससे जुड़ी किसी राजनीतिक पार्टी का होता तो उससे जूझना मुश्किल न होता। पर आज परेशानी यह है कि ‘हिन्दू अवचेतन’ कहीं न कहीं उन बातों को अपनी अँधेरी गहराइयों में मानता है, जिनको चेतना के स्तर पर वह राष्ट्र के लिए घातक और नैतिक रूप से अवांछनीय समझता है। ज़रूरी है कि उसका सामना इस दुविधा से कराया जाए।
—इसी पुस्तक से
Chanakya Ka Naya Ghoshnapatra
- Author Name:
Pawan Kumar Verma
- Book Type:

-
Description:
लगभग 2500 वर्ष पहले, ईसा पूर्व चौथी सदी में, जब विश्व के अधिकांश भागों की सभ्यता अपनी शैशवावस्था में थी, चाणक्य नाम के एक विद्वान और विचारक ने ‘अर्थशास्त्र’ शीर्षक से एक ग्रन्थ लिखा, जो संसार में राजनीति पर सर्वाधिक गहन और सघन रचनाओं में से एक है।
‘अर्थशास्त्र’ में लगभग 6000 श्लोक और सूत्र हैं। यहाँ व्यवस्थित रूप से प्रभावशाली प्रशासन,
लोककल्याण, आर्थिक समृद्धि, शासक के गुण, उसके मंत्रियों की योग्यता, अधिकारियों के कर्तव्यों, प्रशासनिक क्षमता, नागरिक दायित्व, क़ानून के शासन का महत्त्व, प्रभावी न्याय व्यवस्था, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के तरीक़े, दंडनीति अथवा अपराधियों को दंडित करने की नीति, विदेशनीति के संचालन, युद्ध की तैयारी और संचालन, गठबन्धनों की नीति और अन्य बातों पर राष्ट्रीय हितों की सर्वोपरिता की चर्चा की गई है।
यह निश्चित रूप से वही क्षेत्र हैं, जिनमें अपेक्षाकृत नवस्वतंत्र गणतंत्र भारत लगता है कि राह से भटका हुआ है। किन्तु यदि दो हज़ार साल पहले चाणक्य जैसा कोई व्यक्ति, इन्हीं परिस्थितियों में परिवर्तन ला सकता था और प्रशासन का एक नूतन दृष्टिकोण रच सकता था, तो कोई कारण नहीं कि हम भी यह न कर सकें और इस पुस्तक का प्रतिपाद्य भी यही है। क्षुद्र अहंमन्यता, बौद्धिक विशिष्टता या पक्षधर संकीर्णता से परे इसका उद्देश्य केवल यह है कि ‘परिवर्तन’ के लिए राष्ट्रव्यापी रूप से तत्काल और गहन बहस की शुरुआत हो सके।
Nastikasobat Gandhi
- Author Name:
G. Ramchandra Rao +1
- Book Type:

- Description: काळ आहे 1944-1948.आंध्रप्रदेशात गांधी विचारांचा कार्यक्रम राबविणारे नास्तिकवादी कार्यकर्ते गोरा आणि महात्मा गांधी यांच्यामध्ये चर्चा होतात. विषय आहे : आस्तिकता आणि नास्तिकतादोन परस्पर विरोधी मताची माणसे एकमेकांशी चर्चा करत आहेत. परस्परांना तपासून बघत आहेत. मात्र या चर्चेत खंडनमंडन किंवा वादावादीचा खणखणाट नाही. चर्चेच्या ओघात दोघेही एकमेकाला समजून घेतात आणि दोघांमधील नाते अधिकाधिक दृढ होत जाते.गांधीजींच्या निधनानंतर तीन वर्षांनी गोरांनी या आठवणी लिहिल्या आणि तत्कालीन गांधीवादी विचारवंत किशोरीलाल मश्रुवाला यांनी प्रस्तावनेत या आगळ्यावेगळ्या संबंधाची वैचारिक उकल केली.सत्तर वर्षांपूर्वी इंग्रजीत प्रकाशित झालेल्या ‘An atheist with Gandhi' या पुस्तकाचा हा मराठी अनुवाद. सोबत ज्येष्ठ अभ्यासक किशोर बेडकिहाळ यांनी ‘पुस्तकासंबंधी' या प्रदीर्घ टिपणात या पुस्तकाचे आजच्या संदर्भात महत्त्व विशद केले आहे. Nastikasobat Gandhi | Gora (G. Ramchandra Rao)Translated By : Vijay Tambe नास्तिकासोबत गांधी | गोरा (जी. रामचंद्र राव)अनुवाद : विजय तांबे
Alochak Aur Alochana
- Author Name:
Bachchan Singh
- Book Type:

- Description: पूर्व और पश्चिम के आलोचना सिद्धान्तों के बृहद् विवेचन के लिए ख्यात डॉ. बच्चन सिंह की यह कृति उनकी अपनी कुछ मूल्यवान स्थापनाओं के लिए भी पढ़ी जाती रही है। उनका मानना है कि पाश्चात्य समीक्षा-सिद्धान्तों से हम अपनी समीक्षा-पद्धति का निर्माण नहीं कर सकते, लेकिन उनके सम्यक अध्ययन के बिना हम कुछ नवीन भी नहीं बना सकते। ‘आलोचक और आलोचना’ का उद्देश्य इसी अध्ययन को प्रस्तुत करना है। लेकिन केवल पश्चिमी सिद्धान्तों का अध्ययन नहीं, भारतीय आलोचना-पद्धतियों और अवधारणाओं का भी। वे आरम्भ में ही स्पष्ट करते हैं कि किसी भी रचना को आप बाह्य उपकरणों या फार्मूलों से नहीं समझ सकते, न ही ऐसा करना उपादेय होगा। न तो अलंकारों की गणना को आलोचना कह सकते हैं और न ही सूरदास को पुष्टिमार्गी सिद्ध करना आलोचना है। उनके मुताबिक अपने समय की मानव-स्थितियों के सन्दर्भ में भाषा-संरचना का विश्लेषण करना ही आलोचना का काम है। ऐसी ही आधारभूत मान्यताओं के साथ चलते हुए लेखक ने इस कृति में पश्चिम के प्लेटो, अरस्तू, लोंगिनुस, आई.ए. रिचर्ड्स, क्रोचे आदि के साथ अलंकार, रस, रीति, ध्वनि, वक्रोक्ति आदि भारतीय आलोचना-सिद्धान्तों की सुग्राह्य विवेचना की है जो आचार्य रामचंद्र शुक्ल, आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी व आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की आलोचना दृष्टि के विश्लेषण तक जाती है। साहित्य के अध्येताओं और छात्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी।
Europe Mein Darshanshastra : Bacon Se Marx Tak
- Author Name:
Satinath Chakravorty
- Book Type:

- Description: ‘दर्शनशास्त्र : पूर्व और पश्चिम’ शृंखला की यह पुस्तक पुनर्जागरण एवं आधुनिक विज्ञान के उदय की चर्चा से प्रारम्भ होती है, और उस कालखंड की दार्शनिक प्रवृत्तियों का विवेचन प्रस्तुत करती है, जो आधुनिक यूरोपीय दर्शनशास्त्र के इतिहास में अत्यन्त विचारोत्तेजक माना जाता है। यह विचित्र बात है कि उस समय के दर्शनशास्त्री एक तरफ़ तो विज्ञान से प्रतिबद्ध थे और दूसरी तरफ़ वे आधुनिक विज्ञान को सामने लानेवाली बूर्ज्वाजी के अन्तर्विरोधों की पड़ताल कर रहे थे। साथ ही, क्रान्ति के जो बीज स्वयं आधुनिक विज्ञान में निहित हैं, उनके प्रतिकार के लिए वे धर्म और आस्था का अन्ध-समर्थन भी कर रहे थे। लेखक ने इस पूरी प्रक्रिया पर विस्तार से विचार करते हुए दर्शनशास्त्रियों की मूलभूत विशेषताओं को उजागर किया है। बीच-बीच में इतिहास के कुछ प्रसंगों की चर्चा से यह पुस्तक और अधिक रोचक तथा पठनीय बन गई है। इसमें कई ऐसे विषयों पर भी विचार किया गया है, जिन पर अभी तक यूरोपीय दर्शनशास्त्र के अध्ययन में या तो ध्यान नहीं दिया गया था, और अगर ध्यान दिया गया तो उनसे कतरा जाने की प्रवृत्ति रही। संक्षेप में, यह पुस्तक वैज्ञानिक विचारधारा और विज्ञान एवं समाज के अन्तस्सम्बन्धों को समझने के लिए आवश्यक रूप से पठनीय है।
Amrai
- Author Name:
Padma Sachdev
- Book Type:

- Description: साक्षात्कार विधा में पद्मा सचदेव का विशिष्ट स्थान है। ‘दीवानखाना’ और ‘मितवाघर’ के बाद देश की कला-संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों की कद्दावर हस्तियों से लिए गए साक्षात्कारों की यह पुस्तक ‘अमराई’ भी साक्षात्कार विधा के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। इसमें असमिया की इंदिरा गोस्वामी का एकदम अल्हड़, सादा लेकिन विशिष्ट जीवन है तो कुर्रतुल-ऐन-हैदर द्वारा देखा और जिया गया तत्कालीन मुस्लिम समाज भी है। नामवर जी के जीवन के अनूठे प्रसंग हैं तो कवि केदारनाथ सिंह के भीतर बहती नदी भी है। वयोवृद्ध, लेकिन बाल-सुलभ कौतुक से भरे त्रिलोचन हैं तो डॉ. भारती, इस्मत आपा तथा दूसरे कई भूले-बिसरे लोगों के संस्मरण भी हैं। श्रीमती ललिता शास्त्री के मन का कजरी गूँथते हुए अछूता कोना भी है तो डोगरी के पंतजी का गाँव भी है। कुल मिलाकर ‘अमराई’ के बीच बिछे तख्तपोश पर आप देश के कई विशिष्ट और साधारण लोगों को बैठा पाएँगे।
Jungle Ke Upyogi Vriksha
- Author Name:
Ramesh Bedi
- Book Type:

- Description: इस पुस्तक में मानव उपयोगी सात वृक्षों का वर्णन किया गया है। उनके विविध भाषाओं में नाम, उनकी पहचान, उनका प्राप्ति-स्थान, उनकी कृषि, रासायनिक संघटन, घरेलू तथा दवा-दारू में उपयोग, उनके औद्योगिक उपयोग आदि की विस्तृत जानकारी दी गई है। इन वृक्षों का स्वरूप बताने के लिए 24 रेखाचित्र, 5 फ़ोटो और 12 रंगीन फ़ोटो दिए गए हैं। वृक्षों में रुचि रखनेवालों, आयुर्वेद व यूनानी के अध्येताओं, अनुसन्धानकर्ताओं, वन-अधिकारियों व वन-कर्मियों, फ़ार्मेसियों, कच्ची जड़ी-बूटियों के व्यापारियों के लिए यह पुस्तक विशेष रूप से उपयोगी है। जिन वृक्षों का ‘जंगल के उपयोगी वृक्ष’ में वर्णन है, वे ये हैं—गूलर, बकायन, त्रिफला, बरगद, नीम, बहेड़ा और पीपल।
Kattarata Jitegi Ya Udarata
- Author Name:
Prem Singh
- Book Type:

-
Description:
यह पुस्तक भारतीय राजनीति और समाज को पिछले दो दशकों से मथनेवाली साम्प्रदायिकता की परिघटना को समझने और उसके मुक़ाबले की प्रेरणा और सम्यक् समझ विकसित करने के उद्देश्य से लिखी गई है। चार खंडों—वाजपेयी (अटल बिहारी), संघ सम्प्रदाय, जॉर्ज फर्नांडीज, गुराज—में विभक्त इस पुस्तक में साम्प्रदायिकता के चलते पैदा होनेवाली कट्टरता, संकीर्णता और फासीवादी प्रवृत्तियों और उन्हें अंजाम देने में भूमिका निभानेवाले नेताओं, संगठनों, शक्तियों आदि का घटनात्मक ब्यौरों सहित विवेचन किया गया है। इसमें मुख्यतः साम्प्रदायिकता के राष्ट्रीय जीवन के सामाजिक-सांस्कृतिक-शैक्षिक-अकादमिक आयामों पर पड़नेवाले दुष्प्रभावों/दुष्परिणामों की भी शिनाख़्त और आकलन किया गया है। साम्प्रदायिकता की विचारधारा भूमंडलीकरण की विचारधारा के साथ मिलकर देश की आर्थिक और राजनैतिक सम्प्रभुता पर गहरी चोट कर रही है। पुस्तक में दोनों के गठजोड़ का उद्घाटन करते हुए, उसके चलते दरपेश नवसाम्राज्यवादी ख़तरे के प्रति आगाह किया गया है।
पुस्तक की विषयवस्तु साम्प्रदायिकता और उससे होनेवाले बिगाड़ को चिन्हित करने तक सीमित नहीं है। इसमें धर्मनिरपेक्षता, उदारता, लोकतंत्र और समाजवाद की विचारधारा के पक्ष में लगातार जिरह की गई है। इस रूप में यह सरोकारधर्मी और हस्तक्षेपकारी लेखन का सशक्त उदाहरण है।
भाषा की स्पष्टता और शैली की रोचकता पुस्तक को सामान्य पाठकों के लिए पठनीय बनाती है।
Vigyan Jantantra Aur Islam
- Author Name:
Humayun Kabeer
- Book Type:

-
Description:
संसार का इस्लाम से परिचय करानेवाले पैग़म्बर मोहम्मद माने जाते हैं। उनका पूरा जीवन सत्य, निष्ठा का सही पैमाना रहा है। उन्होंने जीवन को तर्कों के आधार पर जीने की सलाह दी। उनका मानना था कि धर्म प्राधिकार पर आधारित न होकर तर्क पर आधारित हो। ‘विज्ञान, जनतंत्र और इस्लाम’ में इन्हीं बिन्दुओं पर विमर्श है।
इस्लाम ने श्रद्धाजनित चमत्कारों का निषेध किया, एकेश्वरवाद पर ज़ोर उसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण का आधार है। मनुष्य–मनुष्य में कोई भेद इस्लाम में नहीं है। सामान्य रूप से यह उसके लोकतांत्रिक मिज़ाज की भी बुनियाद है। जनतंत्र की अवधारणा, मनुष्य के अधिकार, कल्याणराज्य, स्वाधीनता, प्राधिकार और कल्पना, दर्शनशास्त्र का अध्ययन, भारत में शिक्षा की समस्याएँ तथा महात्मा गांधी के विचार–व्यवहार का सम्यक् आकलन प्रसिद्ध चिन्तक तथा राजनेता हुमायूँ कबीर ने इस पुस्तक में किया है।
Zindagi Ki Kitab (A To Z)
- Author Name:
Kalpana Kaushik
- Book Type:

- Description: पस्तुत पुस्तक में उदीयमान लेखिका के 26 ललित निबंध हैं, जो विभिन्न मानवीय मनोभावों/प्रवृत्तियों पर आधारित हैं। लेखिका ने अपने निबंधों को अंग्रेजी वर्णमाला की ध्वनि के अनुसार अपने लेखों को संयोजित किया है। भरोसा, चतुराई, धैर्य, इच्छाशक्ति, उत्साह, वचनबाध्यता, जुझारूपन, ईमानदारी, करुणा, मंथन, जिंदादिली, संस्कार आदि गुण जहाँ मनुष्य का निर्माण करते हैं, वहीं आशा, हँसी-मजाक, लालसा, जिज्ञासा, उत्साह उसके दैनंदिन व्यवहार का अभिन्न अंग हैं। लेखिका ने शुष्क एवं क्लिष्ट विषयों को रोचक रूप में प्रस्तुत किया और इसके लिए रोचक संस्मरणों की सहायता ली है, ताकि विषय स्पष्ट हो सके और बोझिलता कम हो। जिंदगी में जिंदादिली और खुशी का मार्ग दिखानेवाली एक पठनीय पुस्तक।
Lekhak Ka Samay
- Author Name:
Sangeeta Gupta
- Book Type:

- Description: Lekhak Ka Samay is a compilation of interviews she conducted with eminent women writers.
Rahbari Ke Sawal
- Author Name:
Chandrashekhar
- Book Type:

-
Description:
‘रहबरी के सवाल’ में चन्द्रशेखर के ही शब्दों में उनके जीवन के कुछ प्रमुख पड़ावों और विचार-बिदुओं को नए सन्दर्भों में नए सिरे से प्रस्तुत किया गया है। चन्द्रशेखर का जीवन मूलत: एक भारतीय किसान का जीवन था जिसमें कोई दुराव-छिपाव नहीं। राजनीति के शिखर व्यक्तित्व होते हुए भी वे किसी भी विषय पर बिना लाग-लपेट के और दो टूक बोलते थे। यह भी भारतीय किसान का ही स्वभाव है। चन्द्रशेखर के व्यक्तित्व को समझने में यह अवधारणा बहुत मदद देती है। वे जिस विषय पर बोलते थे, उनके विचारों के केन्द्र में भारतीय समाज की परिस्थितियाँ और समाजवादी लोकतांत्रिक मूल्य प्रमुख रूप से दिखाई देते थे। अपनी वैचारिक दृढ़ता के कारण ही वे उथल-पुथल भरे राजनैतिक झंझावातों के बीच आज भी एक जलती मशाल की तरह दृष्टिगत होते हैं।
इस पुस्तक के छह खंडों के नाम हैं : ‘राजनीति के सोपान’, ‘चौदहवीं लोकसभा और संसदीय प्रणाली’, ‘यक्ष प्रश्न’, ‘नज़रिया’, ‘अन्तरंग’ तथा ‘अनुलग्नक’। इन अध्यायों में उन प्रसंगों पर विस्तृत बातचीत की गई है जो आज के सन्दर्भ में भी जीवन्त हैं। चन्द्रशेखर का जीवन एक कभी न रुकनेवाला यायावर का जीवन था। इसमें कहीं ठहराव नहीं। यही वजह है कि उनका व्यक्तित्व उनके किसी भी समकालीन राजनैतिक व्यक्तित्व की तुलना में अधिक गतिशील दिखता है। इस पुस्तक में सार्थक और जीवन्त प्रश्नों के सहारे चन्द्रशेखर के अद्यतन वैचारिक चिन्तन और निष्कर्षों को दर्ज करने का ऐतिहासिक प्रयास किया गया है। ये विचार हमें आत्ममंथन के लिए तो प्रेरित करते ही हैं, भूमंडलीकरण के शोर में अपनी खोती हुई अस्मिता को बचाने के लिए नई शक्ति से भरते भी हैं। यही वजह है कि यह पुस्तक निराशा के राष्ट्रव्यापी माहौल में नई व्यवस्था बनाने के लिए एक सार्थक हस्तक्षेप की तरह है।
Ped-Paudhon Ki Ashcharyajanak Baaten
- Author Name:
Kumar Manish
- Book Type:

- Description: "प्रस्तुत पुस्तक में संसार के ऐसे ही विचित्र पेड़-पौधों के बारे में रोचक एवं ज्ञान-वर्धक जानकारी संकलित की गई है। रोचकता इसका प्राण है और ज्ञान-वर्धक इसका गुण। पुस्तक में पेड़-पौधों की आश्चर्यजनक बातों के साथ-साथ उनके जन्म-स्थान, मानव जीवन में उनके महत्त्व तथा यथासंभव उनके उपलब्ध चित्र दिए गए हैं। आशा है यह रोचक एवं ज्ञान-वर्धक रचना सभी वर्ग के पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। "
Bhoolane Ke Viruddha
- Author Name:
Rameshchandra Shah
- Book Type:

-
Description:
रचना और आलोचना का सम्बन्ध सनातन है और दोनों ही एक-दूसरे की पूरक हैं। रचना यदि जीवन का भरपूर और संश्लिष्ट संवेदन है तो आलोचना उसका बौद्धिक समतुल्य। पाठक इन दोनों से जुड़ता है, लेकिन रचना से गुज़रना उसकी पहली शर्त है। इससे रचना और पाठक के बीच जो सम्बन्ध बनता है, आलोचना उसे और अधिक गहरा और तर्कसंगत बनाने का कार्य करती है। सुपरिचित कवि, कथाकार और साहित्य-समीक्षक रमेशचन्द्र शाह की यह कृति रचना और आलोचना के इसी सम्बन्ध-निर्वाह की सार्थक परिणति है।
लेखक के शब्दों में, आलोचना स्वैरिणी नहीं, बल्कि स्वाधीन बुद्धि की उत्तरदायी गतिविधि है। उसकी यह भी मान्यता है कि ''साहित्य की दुनिया हमारे व्यापक सांस्कृतिक दृश्य का ही एक हिस्सा—गोकि सबसे अन्दरूनी और सबसे गझिन बुनावटवाला हिस्सा—है।’’ इस सन्दर्भ में इस कृति का 'आलोचना, परम्परा और इतिहास’ नामक पहला निबन्ध अत्यन्त महत्त्वपूर्ण निष्कर्षों तक ले जाता है।
पूरी पुस्तक 'प्राचीन और नवीन’ तथा 'अस्ति और स्वराज’ नामक दो उपशीर्षकों में विभाजित है। इनमें जो पन्द्रह निबन्ध संग्रथित हैं, उनमें एक ओर जहाँ लेखक ने 'भारत-भारती’ के माध्यम से मैथिलीशरण गुप्त का और छायावाद की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए प्रसाद का पुनर्मूल्यांकन किया है, वहीं उसने अज्ञेय, निर्मल वर्मा, मलयज और श्रीकान्त वर्मा इत्यादि परवर्ती और समकालीन लेखकों की रचनात्मकता की गम्भीर विवेचना की है। दूसरे खंड के अन्तिम निबन्ध में उसने अनुवादजीवी संस्कृति और वैचारिक स्वराज का सवाल उठाकर पाठकीय चेतना को गहरे तक झकझोरा है। संक्षेप में, लेखक के ही शब्दों का सहारा लें तो इस कृति में “पिछले दसेक वर्षों के दौरान लिखी गई कुछ समीक्षाएँ, पुनर्मूल्यांकन और कुछ स्वतंत्र विवेचनात्मक लेख भी संकलित हैं। शुद्ध साहित्यिक चिन्तन की आलोचना को भी शामिल करने का औचित्य, आशा है, मर्मज्ञ पाठक स्वयं ही इस पुस्तक के क्रम-विन्यास से गुजरते हुए समझ सकेंगे और संकलित सामग्री के व्यापक वैविध्य का ही नहीं, उसकी अन्त:संगति का भी पर्याप्त आश्वासन पा सकेंगे।”
Paryavaran Ke Paath
- Author Name:
Anupam Mishra
- Book Type:

- Description: ''अनुपम मिश्र एक अत्यन्त विनम्र, निरभिमानी व्यक्ति थे जिन्होंने पर्यावरण के क्षेत्र में साधारण और सामुदायिक विवेक और विधि का जैसा अवगाहन किया वैसा आधुनिक टेकनॉलजी के दुश्चक्र में फँसे अन्य पर्यावरणविद् अकसर नज़रन्दाज़ करते रहे हैं। अनुपम जी लगभग ज़िद कर अपनी इस धारणा पर डटे रहे कि साधारण लोग और समुदाय पढ़े-लिखों से ज़्यादा जानता-समझता है और आधुनिकता को अपनी सर्वज्ञता के दम्भ से मुक्त हो सकना चाहिए। उनसे बातचीत का यह संचयन इस अनूठे व्यक्ति के सोच-विचार की नई परतें सहजता से खोलेगा, ऐसा हमारा विश्वास है।" —अशोक वाजपेयी
Nayika: A Girl with Dreams
- Author Name:
Abhinav Jain
- Book Type:

- Description: अवनि को खुद पर तो हमेशा से था पर वह अपने प्यार पर भी पूरा भरोसा करने लगी थी। इसीलिए उसमें अब इतनी शक्ति आ गयी थी कि वह खुद के लिए रास्ते चुनने लगी थी। पर अवनि जो कदम आगे बढ़ा चुकी थी उससे भी पीछे नहीं हटा सकती थी। उसने अक्षय को अँधेरे में एक रौशनी किरण दी थी और वो उसे फिर से अंधेरों के गर्त में नहीं धकेलना चाहती थी। पर फ़िलहाल वो पापा की बातों को सुनकर बहुत परेशान हो गयी थी। उनकी बातें कहीं न कहीं सही भी थी।
Kavya Kavi-Karm : Sattarottari Hindi Kavita
- Author Name:
A. M. Murlidharn
- Book Type:

- Description: डॉ. मुरलीधरन की यह पुस्तक जहाँ एक ओर खड़ी बोली में लिखी कविताओं का संक्षिप्त परन्तु सुचिंतित इतिहास है वहीं सत्तर के बाद की कविताओं का गम्भीर विवेचन भी है। कविता और कवि-कर्म की सारगर्भित परिभाषा के साथ ही साथ सत्तर के दशक की कविता के कुल और शील का व्यापक विवरण भी इसमें है। यह कार्य एक अभाव की पूर्ति करता है। साठोत्तरी कविता के अवशेषों का उल्लेख करते हुए लेखक ने सत्तर के दशक के मोहभंगजन्य खीज, आक्रोश, विक्षोभ, विसंगति, संत्रास, अराजकता, राजनैतिक परिवर्तन की आकांक्षा और उलटफेर की आवश्यकता की प्रतीति को सप्रमाण रेखांकित किया है। इस पुस्तक की प्रमुख विशेषता है कि इसमें वैदुषिक दृष्टि से उपलब्ध सभी कवियों की कृतियों को विश्लेषण के लिए चुना गया है, जिसके कारण इस मूल्यांकन का महत्त्व बढ़ गया है। यह पहली पुस्तक है जिसमें हिन्दी-काव्य साहित्य को राष्ट्रीय दृष्टि से विवेचित किया गया है। विचारधाराओं के दबाव और संगठनों के नज़रिए से मुक्त होकर किया गया सटीक विश्लेषण इसे छात्रों के लिए ही नहीं अध्यापकों के लिए भी उपयोगी बनाता है। डॉ. मुरलीधरन के गहन अध्ययन और तत्त्वदर्शी दृष्टि का प्रमाण तो पुस्तक है ही। इससे भी महत्त्वपूर्ण है इसके ज़रिए उन सूक्ष्म अन्तरों और कमियों की ओर संकेत जो पीढ़ियों, दशकों के अन्तराल में मिलते हैं। इसमें कवियों की विशेषताओं और कृतियों की गुणवत्ता तथा अन्तर्वस्तु को स्पष्टता के साथ रेखांकित किया गया है। कविताओं को रचनाकार की आयु के तर्क से नहीं समकालीनता और रचनात्मकता के आधार पर परीक्षित करने के कारण पुस्तक का महत्त्व बढ़ गया है। छठें, सातवें और आठवें दशक की सामान्यताओं, अनुरूपताओं और विरुद्धताओं को अत्यन्त सावधानी से इसमें परिभाषित किया गया है। पुस्तक विद्वानों, छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए निश्चय ही उपयोगी है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.