Rajyog

Rajyog

Language:

Hindi

Category:

General-non-fiction

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Book Details

योग विद्या के आचार्य कहते हैं कि धर्म का आधार पूर्वकालीन अनुभूतियाँ जरूर हैं, लेकिन धार्मिक होने के लिए इन अनुभूतियों से स्वयं गुजरना अनिवार्य है। सिर्फ कहे हुए का अनुकरण करके कोई धार्मिक नहीं हो सकता। धर्म के सत्यों का जब तक आप स्वयं अनुभव नहीं कर लेते तब तक धर्म की बात करना व्यर्थ है, और उसके नाम पर खून बहाना केवल हिंसा।
योग ही वह माध्यम है जिसके द्वारा हम उन अनुभूतियों को स्वयं अनुभूत और अर्जित कर सकते हैं। विवेकानन्द इसे एक व्यावहारिक और वैज्ञानिक प्रणाली मानते हैं। जिस तरह वैज्ञानिक बाह्य वस्तुओं पर परीक्षण करता है, उसी तरह योग का परीक्षण-स्थल मन है, और उसका साधन भी।
यह पुस्तक राजयोग के सिद्धांतों को सरल और सहज भाषा में व्याख्यायित करती है। पुस्तक के पहले भाग में न्यूयॉर्क में छात्रों को योग की शिक्षा देने के लिए स्वामी विवेकानंद ने जो वक्तव्य दिए थे, वे संकलित हैं और दूसरे भाग में पतंजलि के योग सूत्र, उन सूत्रों के अर्थ और उन पर संक्षिप्त टीका शामिल है।

ISBN: 9789395328883

Pages: 192

Avg Reading Time: 6 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

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