Hind Swaraj Ka Satya
Author:
MithileshPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Unavailable
स्व. प्रो. राधाकुमुद मुखर्जी की गणना देश के शीर्षस्थ इतिहासकारों में होती है और परम्परागत दृष्टि से इतिहास लिखनेवालों में उनका महत्त्वपूर्ण स्थान है।</p>
<p>प्रस्तुत पुस्तक में प्रो. मुखर्जी के वे भाषण हैं, जो उन्होंने सर विलियम मेयर भाषणमाला के अन्तर्गत मद्रास विश्वविद्यालय में दिए थे। इन निबन्धों में भारत के प्रथम सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म तथा प्रारम्भिक जीवन और उसके विजय-अभियानों की चर्चा करते हुए उन सारे कारकों का गहराई से अध्ययन किया गया है जो एक शक्तिशाली राज्य के निर्माण में और फिर उसे स्थायित्व प्रदान करने में सहायक हुए। चन्द्रगुप्त के कुशल प्रशासन और उसकी सुविचारित आर्थिक नीतियों की परम्परा अशोक के काल तक अक्षुण्ण रहती है। आर्थिक जीवन का राज्य द्वारा नियंत्रण तथा उद्योगों का राष्ट्रीयकरण मौर्यकाल की विशेषता थी।</p>
<p>प्रो. मुखर्जी का यह अध्ययन चौथी शताब्दी ई.पू. की भारतीय सभ्यता के विवेचन-विश्लेषण के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसमें कौटिल्य के अर्थशास्त्र की बहुत सारी ऐसी सामग्री का समुचित उपयोग किया गया है, जिसके सम्बन्ध में या तो काफ़ी जानकारी नहीं थी या जिसकी तरफ़ काफ़ी ध्यान नहीं दिया गया था। साथ ही, शास्त्रीय रचनाओं—संस्कृत, बौद्ध एवं जैन ग्रन्थों के मूल पाठों और अशोक के शिलालेखों—जैसे विभिन्न स्रोतों से लिए गए प्रमाणों का सम्पादन और तुलनात्मक अध्ययन भी यहाँ मौजूद है। भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति के अन्वेषक विद्वानों ने इस पुस्तक को बहुत ऊँचा स्थान दिया है और यह आज तक इतिहास के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और प्राध्यापकों के लिए एक मानक ग्रन्थ के रूप में मान्य है।
ISBN: 9788183613941
Pages: 143
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Chhoti Darbi Aur Narbada
- Author Name:
Neelam Gupta
- Book Type:

- Description: इस पुस्तक में दक्षिण राजस्थान के वन क्षेत्र की अनुसूचित जाति, जनजाति की निन्यानबे फ़ीसद निरक्षर महिलाओं के घर से बाहर निकलने और महिला मंडल बनाने के द्वन्द्व, साहस और हाथ में आर्थिक ताक़त आ जाने के साथ ही उनके भीतर अपने अस्तित्व के अहसास का विवरण है। गाँव में पानी की ज़रूरत को पूरा करने के लिए इन महिलाओं की पहल, उनके काम और उस काम में उनके व्यापक सामाजिक, परिवेशगत व पर्यावरणीय नज़रिए का विश्लेषण भी इस पुस्तक में किया गया है। पर्यावरण और स्त्री-विषयों पर लगातार नज़र रखनेवाली पत्रकार नीलम गुप्ता ने इस पुस्तक में यह बताने की कोशिश की है कि पानी के लिए काम करते हुए समाज में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की अवधारणा लगातार कभी पृष्ठभूमि में, तो कभी प्रत्यक्ष काम करती रहती है। दूसरा, यह काम वह बिसरा दिया गया काम है जो कभी यहाँ की सामाजिक व्यवस्था में वैयक्तिक व सामाजिक स्तर पर जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा होता था। अन्तिम दो अध्यायों में गाँव में पानी आने से कैसे महिलाओं का जीवन बदला, कैसे उनका निजी, पारिवारिक व सामाजिक जीवन सुखद हुआ, इसका वर्णन किया गया है।
Antariksh Ki Rochak Baaten
- Author Name:
S.G. Mishra +1
- Book Type:

- Description: "अंतरिक्ष तथा ब्रह्मांड वस्तुत : एक ही शब्द के भिन्न-भिन्न रूप हैं, जिनसे उस असीम- अनंत सत्ता का बोध होता है, जिसे ' नेति-नेति ' कहा गया है । जहाँ मनुष्य की आँखें नहीं देख पातीं, जहाँ दूरबीन भी विफल हो जाती है-वह आकाश अंतरिक्ष है । वह अपरिमित, अनंत और असीम है । वह अनेक कल्पनाओं से भरा हुआ क्षेत्र है । विश्व की उत्पत्ति कैसे हुई, उसका अंत कैसे होता है, उसका विस्तार कहाँ तक है, अंतरिक्ष में विभिन्न ग्रहों का स्वरूप क्या है, तारे क्या हैं, अंतरिक्ष की शून्यता क्या है, हमारी पृथ्वी का अंतरिक्ष में क्या स्थान है. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्या है और अंतरिक्ष का अध्ययन कैसे किया जाता है- ये ऐसे प्रश्न हैं, जिनका उत्तर मिलेगा प्रस्तुत पुस्तक ' अंतरिक्ष की रोचक बातें ' में; जिसे लेखका ने प्रामाणिक सामग्री के आधार पर, जनरुचि को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है । विश्वास है, पुस्तक हमारे पाठको को पसंद आएगी ।
Rajyog
- Author Name:
Swami Vivekanand
- Book Type:

- Description: योग विद्या के आचार्य कहते हैं कि धर्म का आधार पूर्वकालीन अनुभूतियाँ जरूर हैं, लेकिन धार्मिक होने के लिए इन अनुभूतियों से स्वयं गुजरना अनिवार्य है। सिर्फ कहे हुए का अनुकरण करके कोई धार्मिक नहीं हो सकता। धर्म के सत्यों का जब तक आप स्वयं अनुभव नहीं कर लेते तब तक धर्म की बात करना व्यर्थ है, और उसके नाम पर खून बहाना केवल हिंसा। योग ही वह माध्यम है जिसके द्वारा हम उन अनुभूतियों को स्वयं अनुभूत और अर्जित कर सकते हैं। विवेकानन्द इसे एक व्यावहारिक और वैज्ञानिक प्रणाली मानते हैं। जिस तरह वैज्ञानिक बाह्य वस्तुओं पर परीक्षण करता है, उसी तरह योग का परीक्षण-स्थल मन है, और उसका साधन भी। यह पुस्तक राजयोग के सिद्धांतों को सरल और सहज भाषा में व्याख्यायित करती है। पुस्तक के पहले भाग में न्यूयॉर्क में छात्रों को योग की शिक्षा देने के लिए स्वामी विवेकानंद ने जो वक्तव्य दिए थे, वे संकलित हैं और दूसरे भाग में पतंजलि के योग सूत्र, उन सूत्रों के अर्थ और उन पर संक्षिप्त टीका शामिल है।
Bhartiya Darshan Ki Rooprekha
- Author Name:
M. Hiriyanna
- Book Type:

-
Description:
सम्पूर्ण भारतीय विचारधारा में दो सामान्य बातें हैं—मोक्ष के सर्वोच्च आदर्श का अनुसरण और उसके लिए जो साधना बताई गई है उसमें व्याप्त वैराग्य की भावना। इन बातों से सिद्ध होता है कि भारतीयों के लिए दर्शन न तो मात्र बौद्धिक चिन्तन है और न मात्र नैतिकता, बल्कि वह चीज़ है जो इन दोनों को अपने अन्दर समाविष्ट भी करती है और इनसे ऊपर भी है। यहाँ दर्शन का लक्ष्य उससे भी अधिक प्राप्त करना है जो तर्कशास्त्र और नीतिशास्त्र से प्राप्त किया जा सकता है। किन्तु यह नहीं भुला देना चाहिए कि तर्कशास्त्र और नीतिशास्त्र यद्यपि स्वयं साध्य नहीं हैं, तथापि दर्शन के लक्ष्य के ये ही एकमात्र साधन हैं। इन्हें ऐसे दो पंख माना गया है जो आध्यात्मिक उड़ान में आत्मा की सहायता करते हैं। इनकी सहायता से जो लक्ष्य प्राप्त होता है, उसका स्वरूप एक ओर तो ज्ञान का है—ऐसे ज्ञान का जिसमें बौद्धिक आस्था की अपरोक्षानुभव में परिणति हो गई हो, और दूसरी ओर वैराग्य का है—ऐसे वैराग्य का जो उसके तात्त्विक आधार की जानकारी से अविचल हो गया हो। वह प्रधानत: शान्ति की मानसिक स्थिति है जिसमें निष्क्रियता का होना अनिवार्य नहीं है।
भारतीय दर्शन का इतिहास इस बात का इतिहास है कि उक्त दो परम्पराओं ने किस प्रकार परस्पर क्रिया-प्रतिक्रिया करके विभिन्न दार्शनिक सम्प्रदायों को जन्म दिया है।
भारतीय विचारधारा के विकासक्रम में कभी एक सम्प्रदाय अभिभावी रहा और कभी दूसरा। एक समय बौद्धधर्म का स्पष्टत: ज़ोर रहा और ऐसा प्रतीत होता था कि वह स्थायी रूप से अन्यों पर हावी हो गया है, किन्तु अन्त में वेदान्त की विजय हुई।
इस पुस्तक को प्रकाशित करने का उद्देश्य यह है कि यह उन कॉलेजों में, जहाँ भारतीय दर्शन पढ़ाया जाता है, एक पाठ्य-पुस्तक के रूप में प्रयुक्त हो सके। यद्यपि यह मुख्यत: विद्यार्थियों के लिए लिखी गई है, तथापि आशा की जाती है कि यह उन लोगों के लिए भी उपयोगी हो सकेगी जो जानी-पहचानी दार्शनिक समस्याओं के भारतीय विचारकों द्वारा प्रस्तुत समाधानों में रुचि रखते हैं। लेखक का प्रधान उद्देश्य यथासम्भव एक ही जिल्द के अन्दर भारतीय दर्शन का सम्बन्ध और सांगोपांग विवरण देना रहा है; फिर भी पाठक देखेगा कि व्याख्या और आलोचना भी छूटी नहीं है।
Meri Unesco Yatra
- Author Name:
Ramesh Pokhriyal 'Nishank'
- Book Type:

- Description: "यूनेस्को या संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन विभिन्न देशों, समुदायों, संस्कृतियों और नागरिकों के बीच मानवीय मूल्यों की स्थापना को संभव बनाने के लिए एक सशक्त एवं व्यापक मंच प्रदान करता है। यूनेस्को का प्रमुख उद्देश्य शांति स्थापना, गरीबी उन्मूलन, सतत विकास और शिक्षा के माध्यम से विज्ञान, संस्कृति, संचार और सूचना के क्षेत्र में योगदान करना है। यूनेस्को के लक्ष्यों के केंद्र में अब प्राकृतिक विज्ञान और पृथ्वी के संसाधनों का प्रबंधन भी आ चुके हैं। इसके अंतर्गत विकसित और विकासशील देशों में संसाधन प्रबंधन और आपदा स्थिरता में सतत विकास प्राप्त करने के लिए पानी और पानी की गुणवत्ता, महासागर की रक्षा और विज्ञान तथा इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना शामिल है। भारत में मानव कल्याण संदर्भित चिंतन हजारों वर्ष पुराना है। हमारे वेदों, शास्त्रों एवं अन्य ग्रंथों में शासन करनेवालों को धर्म के आधार पर आचरण करने का परामर्श दिया गया है। इस दृष्टि से देखें तो सामाजिक और मानव विज्ञान पर ध्यान केंद्रित करते हुए यूनेस्को भी बुनियादी मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन को न केवल बढ़ावा देता है, बल्कि भेदभाव और नस्लवाद से लड़ने के लिए पूरे विश्व को तैयार करता है। मानव कल्याण के लिए सतत सक्रिय यूनेस्को की भूमिका, उसके कार्य-क्षेत्र, प्रभाव और संभावनाओं के विषय में प्रामाणिक जानकारी देती रोचक एवं पठनीय कृति।
The Prince
- Author Name:
Niccolo Machiavelle
- Book Type:

- Description: वेत्तोरी को लिखे पत्र में मैकियावेली यह निष्कर्ष निकालते हैं कि ‘इस छोटी-सी किताब को जब पढ़ा गया तो यह देखा गया होगा कि मैंने इन 15 सालों के दौरान शासन कला का कितना अध्ययन किया है। मैं न कभी सोया, न कभी निष्क्रिय रहा। हर आदमी इच्छा रखता है कि दूसरों की सेवा करके अनुभव प्राप्त किये व्यक्ति को अपनी सेवा में रखे। मेरी विश्वसनीयता पर किसी को कोई शक़ नहीं होना चाहिये, क्योंकि मैंने जो विश्वास एक बार जीता, उसको हमेशा बनाए रखा, तोड़ना नहीं सीखा। मैं अपने मालिक का भरोसेमंद और ईमानदार हूँ लेकिन उसकी फ़ितरत मैं नहीं बदल सकता। मेरी ग़रीबी मेरी ईमानदारी की गवाह है।’ यद्यपि लगभग चार शताब्दियों का ध्यान ‘द प्रिंस’ पर केंद्रित रहा है परंतु इसकी कुछ समस्याएँ अभी भी बहस के योग्य और दिलचस्प हैं क्योंकि शासकों और शासितों के बीच अनंत समस्याएँ हैं। यही आचार-विचार मैक्योवली के समकालीनों के भी हैं लेकिन नहीं कहा जा सकता कि यह सब नैतिकता यूरोप की पुरानी सरकारों में भी रही होगी। हमें आदर्श बल की बजाए उपलब्ध सामग्री पर भरोसा करना चाहिए। मैक्योवली जिस तरह से सरकार और आचरण के सिद्धांतों का वर्णन करते हैं, उससे घटनाएँ और व्यक्ति दिलचस्प हो जाते हैं।
Tattvadarshi Nishank
- Author Name:
Rishabhdev Sharma
- Book Type:

- Description: ‘तत्त्वदर्शी निशंक’ दक्षिण की ओर से हिमालय-पुत्र श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की साहित्य-साधना का अभूतपूर्व संपूर्ण भावाभिनंदन है। इस ग्रंथ में आज चर्चित राजनेता के रूप में प्रतिष्ठित केंद्रीय शिक्षा मंत्री निशंकजी की साहित्य-साधना का दक्षिण भारत की हिंदी-सेवी प्रतिभाओं द्वारा पहली बार समग्र मूल्यांकन किया गया है। बहुआयामी साहित्य-साधक निशंकजी के संपूर्ण रचना-कर्म का कुल छह खंडों में विन्यस्त यह गहन मूल्यांकन अपने आप में एक विलक्षण कार्य है। आपदा को अवसर में बदलने का संकल्प इस कृति के नायक निशंकजी को ‘तत्त्वदर्शी निशंक’ बनाता है। मनोबल को तोड़ने पर आमादा समेकित दुःखों से विचलित न होते हुए उन्हें ही तोड़नेवाला संघर्षी मन निशंकजी के साहित्यिक व्यक्तित्व का केंद्रबिंदु है। दुःखों को झेल जानेवाला यह मन उन्हें व्यक्तिगत दुःखों से आगे निकलने और समष्टिगत दुःखों को महसूसने की वह शक्ति प्रदान करता है, जिसके बल पर ही कोई व्यक्ति साहित्यकार बनता है। आत्म का यह विस्तार संवेदनशीलता को सृजनात्मकता के पंख देता है। इस ग्रंथ में उनकी इसी संवेदना और सर्जना का संधान किया गया है। कुल मिलाकर, सार्वजनिक जीवन, समाज सेवा और राजनीति में सक्रिय रहते हुए निरंतर और अबाध साहित्य-सृजन के माध्यम से राष्ट्रभाषा हिंदी को समृद्ध करनेवाले विद्या-व्यसनी रचनाकार निशंकजी के साहित्यिक प्रदेय को समझने के लिए एक अनिवार्य और परिपूर्ण ग्रंथ।
Metamorphosis
- Author Name:
Franz Kafta
- Book Type:

- Description: This Books doesn’t have a description
Dictionary of Confusable Words
- Author Name:
Harmik Vaishnav
- Book Type:

- Description: Spellings and pronunciation are very important in the English language. One of the characteristics of this language is that there are many words with slight spelling changes and similar pronunciation but different meanings. Such terms are called homonyms or homophones. In this book, many groups of such words are given along with sentences for an explanation of the difference in meanings. This will help understand the language better and smooth the words' usage. It also shows that a spelling error can change the meaning of the word and hence the sentence to a great extent. This book will help us understand the proper use of the word. The usage is explained with a sentence for better understanding. It will benefit students, aspirants of competitive exams, professionals and lovers of the English language.
Anna
- Author Name:
C. N. Annadurai
- Rating:
- Book Type:

- Description: Everyone regarded Anna as one of the most remarkable figures produced by Tamil Nadu. His greatness stems from the widespread acclaim he received from prominent leaders of his era. His various talents demonstrate his capabilities as an effective administrator, deep thinker, prolific writer, insightful journalist, and above all, a humanitarian that leaves us in awe of his literary contributions. He observed the living conditions of Tamils during his time and aimed to instigate change through his writing and speeches. Inspired by Periyar's thoughts and pride in Tamil heritage, he emerged as a towering advocate for humanism, dedicated to protecting the Tamil community and working toward their advancement. Anna once referenced influential figures like Shelley, Byron, Keats, Coleridge, Emerson, and Bacon, remarking that they are not foreigners in the truest sense. Is Tiruvalluvar simply a Tamil? They are all global citizens and educators, and Anna holds a similar esteemed position as a worldwide citizen. Anna is recognised as a pioneer in short stories that explore the tension between tradition and modernity. He is a relentless journalist and a guiding light as a dramatist. In addition to being a remarkable orator, his political acumen further defines him as the genius of his century. In summary, Anna is a true phenomenon.
Guntavnuk Darala Mahit Asayalacha Havya Ashya Sharebajarachya Yuktichya Goshti
- Author Name:
Swaminathan Annamalai +1
- Book Type:

- Description: शेअर बाजारात नवोदित आणि अनुभवी असलेल्यांसाठीही हे पुस्तक आहे. भारतीय शेअर बाजाराबद्दल फारशा माहीत नसलेल्या गोष्टी लेखकाने अत्यंत सोप्या, तरीही रोचक पद्धतीने सांगितलेल्या आहेत.’ - फिरोज व्ही. आर. वैश्विक सेवाप्रमुख, उपाध्यक्ष ‘एस.ए.पी.’ आणि इंडिया इन्क्ल्यूजन फाउंडेशनचे संस्थापक हे पुस्तक तुम्ही का वाचायला हवे? हे पुस्तक वाचून झाल्यानंतर तुम्हाला खालील गोष्टींबद्दल समजेल : 1. शेअर बाजार जितका वेळ चालू असतो तितका वेळ संगणकासमोर बसला नाहीत, तरीही पैसे कमावता येतात. 2. भरपूर नफा मिळवून देणारे शेअर्स पटकन ओळखून आपला फायदा करून घेता येतो. 3. शेअर बाजारात ज्या शेअर्सचे व्यवहार आता होत नाहीत अशा अ-सूचीबद्ध शेअर्सची हाताळणी. 4. भीडभाड न बाळगता ऑप्शन्स विकून टाकणे आणि नफ्याची टक्केवारी वाढवणे. 5. आयपीओबद्दल आणि आयपीओकरिता पैसे कसे उभे करावेत याबद्दल माहिती. 6. कागदी शेअर्सचे रूपांतरण इलेक्ट्रॉनिक शेअर्समध्ये (डिमटेरिअलायझेशन) कसे करावे. 7. बीईईएस (इशएड) म्हणजे काय, तो गुंतवणुकीचा जोखीममुक्त पर्याय आहे का? 8. स्टॉक स्क्रीनर्सशी ओळख. 9. शेअर बाजाराला कोणत्या प्रकारच्या घोटाळ्यांमुळे फटका बसू शकतो. 10. हिंदू अविभक्त कुटुंबाची (कणऋ) स्थापना करून आयकर वाचवता येऊ शकतो. Guntavnuk Darala Mahit Asayalacha Havya Ashya Sharebajarachya Yuktichya Goshti - Swaminathan Annamalai गुंतवणूकदाराला माहित असायलाच हव्या अश्या शेअरबाजारच्या युक्तीच्या गोष्टी - स्वामिनाथन अन्नामलाई
Nari Prasna
- Author Name:
Sarla Maheshwari
- Book Type:

- Description: नारी प्रश्न के असंख्य आयाम हैं। कुछ प्रश्न ऐसे हैं, जो काल और स्थान की सीमाओं से बँधे हुए हैं और कुछ ऐसे भी हैं, जो काल के दीर्घ प्रवाह के बीच से चिरन्तन प्रश्नों के रूप में सामने आए हैं। काल और स्थान-निरपेक्ष ये प्रश्न हर देश के नारी समाज की मानवीय अस्मिता से जुड़े हुए हैं। एक वृहत्तर मानव समाज में ऐसे प्रश्नों की अपनी नारी-पहचान के बावजूद ये प्रश्न किसी संकीर्णता के द्योतक नहीं हैं, बल्कि वास्तविक अर्थों में मानव समाज को ही और अधिक मानवीय बनाने की निरन्तर जारी प्रक्रिया के अंग हैं। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर नारीवाद के अन्दर की अनेक परस्पर विरोधी धाराओं के बावजूद, नारी-मुक्ति और उससे जुड़े हुए मानव-मुक्ति के बहुत से महत्त्वपूर्ण प्रश्न इस संघर्ष के बीच से उभरकर सामने आए हैं। भारत का नारी आन्दोलन भी ऐसे तमाम प्रश्नों की अवहेलना नहीं कर सकता। सरला माहेश्वरी की यह पुस्तक हिन्दी में अपने क़िस्म की पहली पुस्तक है, जिसमें बहुत व्यापक और गहन अध्ययन के ज़रिए नारी आन्दोलन की अन्तरराष्ट्रीय पृष्ठभूमि और उसके आधार पर निर्मित दृष्टि की रोशनी में नारी जीवन से जुड़े कई ज़रूरी सामाजिक प्रश्नों पर गम्भीरता से रोशनी डाली गई है।
Pitrisatta Ke Naye Roop : Stree Aur Bhumandalikaran
- Author Name:
Abhay Kumar Dubey
- Book Type:

- Description: भूमंडलीकरण कहता है कि उसके तहत हुआ बाज़ारों का एकीकरण लैंगिक रूप से तटस्थ है अर्थात् वह मर्दवादी नहीं है। यह एक ऐसा दावा है जो कभी पुनर्जागरण के मनीषियों ने भी नहीं किया था। भूमंडलीकरण इससे भी एक क़दम आगे जाकर कहता है कि नारीवाद की किसी क़िस्म से कोई ताल्लुक़ न रखते हुए भी उसने स्त्री के सशक्तीकरण के क्षेत्र में अन्यतम उपलब्धियाँ हासिल की हैं। सवाल यह है कि परिवार, विवाह की संस्था, धर्म और परम्परा को कोई क्षति पहुँचाने का कार्यक्रम अपनाए बिना यह चमत्कार कैसे हुआ? स्त्री को प्रजनन करने या न करने का अधिकार नहीं मिला, न ही उसके प्रति लैंगिक पूर्वग्रहों का शमन हुआ, न ही उसे इतरलिंगी सहवास की अनिवार्यताओं से मुक्ति मिली और न ही उसकी देह का शोषण ख़त्म हुआ—फिर बाज़ार ने यह सबलीकरण कैसे कर दिखाया? ख़ास बात यह है कि भूमंडलीकरण ख़ुद को लोकतंत्र का पैरोकार बताता है और बाज़ार की चौधराहट का कट्टर समर्थक होते हुए भी एक सीमा तक राज्य के हस्तक्षेप के लिए गुंजाइश छोड़ता है; लेकिन आधुनिकतावाद के गर्भ से निकली अधिकतर संस्थाओं और विचारों को पुष्ट करनेवाला यह भूमंडलीकरण नारीवाद की उपेक्षा करता है। दरअसल इसका सूत्रीकरण अस्सी और नब्बे के उन दशकों में हुआ जिनमें नारीवाद अपने ही गतिरोधों से जूझ रहा था। इसी ज़माने में भूमंडलीकरण ने आधुनिक विचारधाराओं में सिर्फ़ नारीवाद को ही असफल घोषित किया और इस तरह पूँजीवादी आधुनिकता ने पहली बार पितृसत्ता के ख़िलाफ़ संघर्ष का दायित्व पूरी तरह त्याग दिया। मार्च 2001 में प्रकाशित ‘हंस’ के ‘स्त्री-भूमंडलीकरण : पितृसत्ता के नए रूप’ विशेषांक में यह शिनाख़्त करने की कोशिश की गई थी कि श्रमिकों की एक विशाल फ़ौज के रूप में स्त्री को आत्मसात् करनेवाले भूमंडलीकरण में नर-नारी सम्बन्धों के विभिन्न समीकरण क्या हैं और उसके तत्त्वावधान में स्त्री कितने प्रतिशत व्यक्ति बनी है और कितने प्रतिशत वस्तु। ‘पितृसत्ता के नए रूप : स्त्री और भूमंडलीकरण’ कुछ रचनाओं को छोड़कर उसी अंक का पुस्तक रूप है।
Vigyan Jantantra Aur Islam
- Author Name:
Humayun Kabeer
- Book Type:

-
Description:
संसार का इस्लाम से परिचय करानेवाले पैग़म्बर मोहम्मद माने जाते हैं। उनका पूरा जीवन सत्य, निष्ठा का सही पैमाना रहा है। उन्होंने जीवन को तर्कों के आधार पर जीने की सलाह दी। उनका मानना था कि धर्म प्राधिकार पर आधारित न होकर तर्क पर आधारित हो। ‘विज्ञान, जनतंत्र और इस्लाम’ में इन्हीं बिन्दुओं पर विमर्श है।
इस्लाम ने श्रद्धाजनित चमत्कारों का निषेध किया, एकेश्वरवाद पर ज़ोर उसके वैज्ञानिक दृष्टिकोण का आधार है। मनुष्य–मनुष्य में कोई भेद इस्लाम में नहीं है। सामान्य रूप से यह उसके लोकतांत्रिक मिज़ाज की भी बुनियाद है। जनतंत्र की अवधारणा, मनुष्य के अधिकार, कल्याणराज्य, स्वाधीनता, प्राधिकार और कल्पना, दर्शनशास्त्र का अध्ययन, भारत में शिक्षा की समस्याएँ तथा महात्मा गांधी के विचार–व्यवहार का सम्यक् आकलन प्रसिद्ध चिन्तक तथा राजनेता हुमायूँ कबीर ने इस पुस्तक में किया है।
Marm Mudra
- Author Name:
Mahavir Jondhale
- Book Type:

- Description: ज्येष्ठ पत्रकार महावीर जोंधळे यांनी ‘मर्म मुद्रा' या सार्थ शीर्षकाच्या नव्या ग्रंथाची भेट वाचकांपुढे ठेवली आहे. स्वातंत्र्योत्तर काळात राजकीय चळवळच नव्हे; तर वंचित, दलित, अल्पसंख्य, शेतमजूर, धरणग्रस्त, पीडित वर्गाच्या मागण्या आणि त्यासाठी त्यांनी उभारलेल्या लढ्यात प्रत्यक्ष स्वत: आणि लेखणीद्वारेही जोंधळे यांनी स्वत:चा सहभाग नोंदवला आहे. अंधश्रद्धा, जातिभेद आदी समस्यांनी अद्यापही पुरोगामी समजल्या जाणाऱ्या महाराष्ट्रात ठाण मांडले आहे. पत्रकारितेच्या क्षेत्रात लेखणीचा पराक्रम करणारे बहुसंख्य भाष्यकार निवृत्तीनंतर नि:संकोच मौनीबाबांचे धोरण अवलंबतात. म्हणूनच अपवादात्मक पत्रकार वगळता बहुसंख्य पत्रकारांनी सावधपणे पत्रकारितेच्या आद्य कर्तव्यपूर्तीच्या भूमिकेकडे पाठ फिरवली आहे. विचारवंतांना आणि साक्षेपी वाचकांना सभोवतालचे सार्वजनिक वास्तवाचे दर्शन खरेतर संवेदनशील आणि पत्रकारितेच्या नैतिक मूल्यांची जाण ठेवून घडवणे अपेक्षित असते. महावीर जोंधळे यांनी आदर्श पत्रकारितेचा धर्म सांभाळूनच स्वत:ची लेखणी आजवर झिजवली आहे. बॅ. नाथ पै, बाबा आढाव, कवयित्री शांता शेळके, प्रा. एम. एच. देसर्डा, नामदेव ढसाळ, शिल्पकार भाऊ साठे आदींची उद्बोधक शब्दचित्रे या पुस्तकात महावीर जोंधळे यांनी वाचकांपुढे ठेवली आहेत. ती निश्चितच सर्वांसाठी प्रेरणादायक ठरणारी आहेत, म्हणूनच ती वाचायला हवीत. एकनाथ बागूल Marm Mudra | Mahavir Jondhale मर्म मुद्रा । महावीर जोंधळे
Tum Pahle Kyon Nahi Aaye
- Author Name:
Kailash Satyarthi
- Book Type:

-
Description:
तुम पहले क्यों नहीं आए में दर्ज हर कहानी अँधेरों पर रौशनी की, निराशा पर आशा की, अन्याय पर न्याय की, क्रूरता पर करुणा की और हैवानियत पर इंसानियत की जीत का भरोसा दिलाती है। लेकिन इस जीत का रास्ता बहुत लम्बा, टेढ़ा-मेढ़ा और ऊबड़-खाबड़ रहा है। उस पर मिली पीड़ा, आशंका, डर, अविश्वास, अनिश्चितता, ख़तरों और हमलों के बीच इन कहानियों के नायक और मैं, वर्षों तक साथ-साथ चले हैं। इसीलिए ये एक सहयात्री की बेचैनी, उत्तेजना, कसमसाहट, झुँझलाहट और क्रोध के अलावा आशा, सपनों और संकल्प की अभिव्यक्ति भी हैं।
पुस्तक में ऐसी बारह सच्ची कहानियाँ हैं जिनसे बच्चों की दासता और उत्पीड़न के अलग-अलग प्रकारों और विभिन्न इलाक़ों तथा काम-धंधों में होने वाले शोषण के तौर-तरीक़ों को समझा जा सकता है। जैसे; पत्थर व अभ्रक की खदानें, ईंट-भट्ठे, क़ालीन कारख़ाने, सर्कस, खेतिहर मज़दूरी, जबरिया भिखमंगी, बाल विवाह, दुर्व्यापार (ट्रैफ़िकिंग), यौन उत्पीड़न, घरेलू बाल मज़दूरी और नरबलि आदि। हमारे समाज के अँधेरे कोनों पर रोशनी डालती ये कहानियाँ एक तरफ हमें उन खतरों से आगाह करती है जिनसे भारत समेत दुनियाभर में लाखों बच्चे आज भी जूझ रहे हैं। दूसरी तरफ धूल से उठे फूलों की ये कहानियाँ यह भी बतलाती हैं कि हमारी एक छोटी-सी सकारात्मक पहल भी बच्चों को गुमनामी से बाहर निकालने में कितना महत्त्वपूर्ण हो सकती है, नोबेल पुरस्कार विजेता की कलम से निकली ये कहानियाँ आपको और अधिक मानवीय बनाती हैं, और ज़्यादा ज़िम्मेदार बनाती है।
The Prophet
- Author Name:
Khalil Gibran
- Book Type:

- Description: मोहब्बत तुम्हारे सिर पर ताज रखती है और तुम्हें सूली पर भी चढ़ा देती है।’’ ‘‘मोहब्बत अपने अलावा तुम्हें कुछ नहीं देती और मोहब्बत अपने अलावा तुमसे कुछ नहीं लेती।’’ ‘‘तुम्हें क़ानून बनाने और उसे लागू करने में कितना मज़ा आता है; लेकिन इससे भी ज़्यादा ख़ुशी तुम्हें उस वक़्त होती है जब तुम उसे तोड़ते हो।’’ ‘‘और अगर कोई ख़ौफ़ है, जिसे तुम मिटाना चाहते हो तो उसकी जगह तुम्हारे अपने ही दिल में है, न कि उस शख़्स के वजूद में, जिससे तुम डर रहे हो।’’ ‘‘हमेशा यही होता आया है कि मोहब्बत अपनी गहराई से बेख़बर रहती है, यहाँ तक कि जुदाई की घड़ी आ जाये।’’
Gandhi evam Pandit Nehru ka Vaicharik Drashtikon
- Author Name:
Dr. Siyaram Shukla
- Book Type:

- Description: Description Awaited
Heeron Ki Kheti
- Author Name:
Russell H. Conwell
- Book Type:

- Description: ‘हीरों के खेती’ अथवा ‘एकर्स ऑफ डायमंड्स’ में मूलतः डॉ. रसेल कॉनवेल द्वारा 6,000 से अधिक नगरों, ग्रामों और शहरों में दिए गए व्याख्यान हैं। नए विचार के साहित्य के पहले उदाहरण के रूप में ‘एकर्स ऑफ डायमंड्स’ को प्रायः बौद्धिक गुरुओं द्वारा उद्धृत किया जाता है। इस छोटी सी पुस्तक से अब तक लाखों लोग प्रेरणा प्राप्त कर चुके हैं। कॉनवेल के प्रेरक विचार, उच्च आदर्श और अदम्य उत्साह यह शिक्षा देते हैं कि हमें संभावनाओं, उपलब्धियों एवं सौभाग्य के लिए कहीं और देखने की आवश्यकता नहीं है। ‘हीरों की खेती’ उनके इस मूल विचार को प्रतिध्वनित करती है कि इस धरती पर हममें से प्रत्येक व्यक्ति दूसरों की सहायता के प्रमुख उद्देश्य के साथ आया है। यदि हम सतत प्रयास करें तो खूब धन कमा सकते हैं, सुखी-संपन्न हो सकते हैं एवं हमारा ‘हीरों का खेती’ हमारी पहुँच में ही है।
Jahan Auratein Gadhi Jati Hain
- Author Name:
Mrinal Pande
- Book Type:

- Description: हिन्दी की वरिष्ठ कथाकार और पत्रकार मृणाल पाण्डे अपने लेखन में समय तथा समाज के गम्भीर मसलों को लगातार उठाती रही हैं। भारतीय स्त्रियों के संघर्ष और जिजीविषा को भी वे इसी व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखती–परखती रही हैं। यही कारण है कि स्त्री–प्रश्न के प्रति गहरी प्रतिबद्धता के बावजूद, उनका लेखन स्त्री–विमर्श के संकीर्ण दायरे में सिमटा हुआ नहीं है। वे ‘अन्दर के पानियों का सपना’ देखती हैं, तो ‘नारीवादी आन्दोलन की विडम्बना’ को भी उजागर करती हैं। इस पुस्तक में समय–समय पर लिखी गई उनकी टिप्पणियाँ और आलेख संकलित हैं। लेखिका ने राजनीति में ‘महिला सशक्तिकरण’ और ‘पंचायती राज में महिला भागीदारी’ जैसे बड़े सवालों के साथ–साथ कई छोटे–छोटे मसलों और प्रश्नों को भी उठाया है, जिनसे गुज़रते हुए एक ऐसा ‘हॉरर शो’ पाठकों के सामने उपस्थित होता है, जिसमें पुरुषवादी समाज की नृशंसता में फँसी स्त्री की छटपटाहटों के कई रूप दिखलाई देते हैं। इसमें सिर्फ़ पराजय ही नहीं, प्रतिकार की छटपटाहट भी है। करुणा के भीतर की बेचैनी को रेखांकित करना मृणाल पाण्डे के लेखन की ख़ास विशेषता है। एक पत्रकार के नाते वे हर छोटे–बड़े सवाल को शिद्दत के साथ उठाती हैं, लेकिन, अपने पात्रों को जड़ पदार्थ मानकर छोटा नहीं बनातीं, बल्कि एक लेखिका के नाते संवेदना के स्तर पर उनसे जुड़ जाती हैं—यही चीज़ मृणाल पाण्डे के लेखन को सबसे अलग और विशिष्ट बनाती है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...