The Prophet
Author:
Khalil GibranPublisher:
Mandrake PublicationsLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 119.2
₹
149
Unavailable
मोहब्बत तुम्हारे सिर पर ताज रखती है और तुम्हें सूली पर भी चढ़ा देती है।’’ ‘‘मोहब्बत अपने अलावा तुम्हें कुछ नहीं देती और मोहब्बत अपने अलावा तुमसे कुछ नहीं लेती।’’ ‘‘तुम्हें क़ानून बनाने और उसे लागू करने में कितना मज़ा आता है; लेकिन इससे भी ज़्यादा ख़ुशी तुम्हें उस वक़्त होती है जब तुम उसे तोड़ते हो।’’ ‘‘और अगर कोई ख़ौफ़ है, जिसे तुम मिटाना चाहते हो तो उसकी जगह तुम्हारे अपने ही दिल में है, न कि उस शख़्स के वजूद में, जिससे तुम डर रहे हो।’’ ‘‘हमेशा यही होता आया है कि मोहब्बत अपनी गहराई से बेख़बर रहती है, यहाँ तक कि जुदाई की घड़ी आ जाये।’’
ISBN: 9788194646389
Pages: 100
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Vishwanath Tripathi
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- Description: ‘प्रेमचन्द : कथा सुनाते हुए’ विश्वनाथ त्रिपाठी के निबन्धों का संचयन है। इसके कुछ आलेख लेखकों को लेकर लिखे गए हैं और कुछ पुस्तकों को पढ़ते हुए, उनके बारे में सोचते हुए। जाहिर है दोनों ही में समकालीन साहित्यिक प्रश्नों पर विचार और साहित्य को समझने-जानने की प्रविधियों पर चर्चा भी होती चली है। उदाहरण के लिए, प्रेमचन्द के बारे में बात करते हुए वे लिखते हैं : ‘निर्मल वर्मा ने कहा है कि भारतीय उपन्यास लिखे ही नहीं गए। नामवर जी ने इसका समर्थन किया।’ इस पर अपना पक्ष रखते हुए विश्वनाथ त्रिपाठी का कहना है : ‘प्रेमचन्द का कथाशिल्प ठेठ भारतीय है (जैसे कोई बुजुर्ग अलाव के आसपास हाथ तापते हुए कहानियाँ सुना रहा हो) और फिर उनकी कथावस्तु क्या अभारतीय है? ...जिसे जादुई यथार्थवाद कहा जाता है वह भी अभारतीय नहीं है। प्रेमचन्द की कई कहानियों में यह जादुई यथार्थ मिलता है।’ जैनेन्द्र के ‘त्यागपत्र’ पर विचार करते हुए कहते हैं : ‘जिस तरह मृणाल की मूक सहनशीलता में विद्रोह छिपा है, उसी तरह निर्णायक घटनाओं और पात्रों के नेपथ्य ही में रहने से उनका रूप प्रभावशाली हो जाता है। शब्द मूलतः मूर्तन नहीं करते, वे श्रोता और पाठक को अपने संस्कारों, रुचियों और आवश्यकता के अनुसार कल्पना करने की पूरी छूट देते हैं। इसीलिए अच्छी कहानी या अच्छे उपन्यास पर बनी हुई फ़िल्में प्रायः पाठकों को सन्तुष्ट नहीं कर पातीं।’ यह विचारोत्तेजक है और पाठक को इन बिन्दुओं पर अपने ढंग से सोचने को आमंत्रित करता है। पुस्तक में संकलित अन्य आलेखों में आप ‘राग दरबारी’, ‘लेकिन दरवाज़ा’, ‘गोदान’, ‘सात आसमान’, ‘सारा आकाश’ और ‘मानस का हंस’ जैसे चर्चित उपन्यासों पर उनके सुचिन्तित अवलोकन के अलावा कई अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियों पर भी उनके विचारों से अवगत होते हैं।
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