Aadhunik Bharat Mein Jati
Author:
M.N. ShrinivasPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Society-social-sciences0 Reviews
Price: ₹ 636
₹
795
Available
अथक अध्ययन और शोध के परिणामस्वरूप एम.एन. श्रीनिवास के निबन्ध आकार ग्रहण करते हैं। भारतीय समाज की नब्ज़ पर उनकी पकड़ गहरी और मज़बूत है। उनके लेखन में इतिहास और बुद्धि का बोझिलपन नहीं है। प्रस्तुत पुस्तक में संगृहीत निबन्धों में समाजशास्त्र व नृतत्त्वशास्त्र विषयक समस्याओं के व्यावहारिक पक्षों पर रोशनी डाली गई है। लेखक समस्याओं की तह में जाना पसन्द करता है और उसके विश्लेषण का आधार भी यही है।</p>
<p>हर समाज की अपनी मौलिक संरचना होती है। जिस संरचना को उस समाज के लोग देखते हैं, वह वैसी नहीं होती जैसी समाजशास्त्री शोध और अनुमानों के आधार पर प्रस्तुत करते हैं। भारतीय समाजशास्त्रियों ने जाति- व्यवस्था के जटिल तथ्यों को ‘वर्ण’ की मर्यादाओं में समझने की भूल की और जिसके चलते सामाजिक संरचना का अध्ययन सतही हो गया। गत सौ-डेढ़ सौ वर्षों के दौरान जाति-व्यवस्था का असर कई नए-नए कार्यक्षेत्रों में विस्तृत हुआ है और उसकी ऐतिहासिक व मौजूदा तंत्र की नितान्त नए दृष्टिकोण से विश्लेषण करने की माँग एम.एन. श्रीनिवास करते हैं। हमारे यहाँ जाति-व्यवस्था की जड़ें इतनी गहरी हैं कि बिना इसके सापेक्ष परिकलन किए मूल समस्याओं की बात करना बेमानी है। एम.एन. श्रीनिवास का मानना है कि समाज-वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए राजनीतिक स्तर के जातिवाद तथा सामाजिक एवं कर्मकांडी स्तर के जातिवाद में फ़र्क़ करना ज़रूरी है।
ISBN: 9788126701254
Pages: 180
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: For centuries, India has been a land of growth and development. The rich history of India's ancestors and their many achievements in art, science, engineering, and philosophy have left a lasting legacy that continues to influence the modern world. This book is a tribute to the generations of Indians who have helped shape the country and its culture. From the prehistoric Indus Valley Civilization to the development of the modern Indian Republic, this book will explore the various stages of Indian development. It will look at the historical contributions of India's ancestors, as well as their impact on modern society. The book will also consider the current state of Indian development, including the challenges and successes of recent years. In addition, this book will provide readers with an overview of Indian culture, including its literature, music, art, religion, and politics. It will also discuss the various social issues that have affected India over the centuries, such as poverty, gender inequality, and caste discrimination. This book will be an invaluable resource for anyone interested in learning more about India's fascinating history and its place in the world today.
Vichar Se Vivek
- Author Name:
Narendra Dabholkar
- Book Type:

-
Description:
प्लैंचेट, बाबागिरी, भानमती, भविष्यवाणी, तरह-तरह के कर्मकांड और परंपराएँ। अंधविश्वास का यह हजार पैरों का ऑक्टोपस समाज के लिए अत्यंत शोषणकारी है। इस पुस्तक के हर पन्ने पर इसी ऑक्टोपस से लड़ने का आह्वान है। इसे पढ़ने से पता चलता है कि अंधविश्वास का आपातकाल राजकीय आपातकाल से भी अधिक कठिन है। बंधनों का एहसास होने पर, मनुष्य उसके खिलाफ जंग छेड़ता है। लेकिन बंधन में ही सुख महसूस हो तो? वैचारिक स्वतंत्रता का आत्मतत्त्व छीनने वाले धार्मिक अंधविश्वास बिलकुल यही करते हैं।
समाज को एक सर्वांगीण संकट ने कस लिया है। हिंसा, द्वेष, धर्मांधता, भोगवाद के तूफान मँडरा रहे हैं। हमें अपने आपको ही खोजना होगा। बुद्धि को परखना होगा। मनुष्य की मदद केवल मनुष्य ही कर सकते हैं। और मनुष्य ही समाज का निर्माण करते हैं, उसको बदलते हैं।
‘विचार से विवेक’ में बदलाव की ऐसी ही कोशिशों का वर्णन है। ‘सोचो तो जानो?’ शीर्षक स्तंभ ‘दैनिक पुढारी’ एवं ‘दैनिक लोकमत’ (मराठवाड़ा, नागपुर, जलगाँव) में एक साथ नियमित प्रकाशित होता था। इस पुस्तक में उसी स्तंभ के आलेखों को संकलित किया गया है, साथ ही कुछ नए लेख भी शामिल किए गए हैं।
Manovigyan Ka Itihas
- Author Name:
Ramprasad Pandey
- Book Type:

- Description: Manovigyan Ka Itihas
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