Lohe Ka Baksa Aur Bandook
Author:
Mithilesh PriyadarshyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
पिछले कुछ वर्षों में अपनी कहानियों से एक विलक्षण पहचान अर्जित कर चुके युवा कहानीकार मिथिलेश प्रियदर्शी हिन्दी की कहानी की एक बड़ी उम्मीद और आश्वस्ति हैं। इनकी बहुप्रशंसित, महानगरीय जीवन से वाबस्ता कहानी, 'हत्या की कहानियों का कोई शीर्षक नहीं होता' का विन्यास और कथा-भाषा कहानी कला के ओल्ड मास्टर एडगर एलन पो की याद दिलाती है। इसके ठीक दूसरे छोर पर हमारी शहरी सभ्यता के सीमान्त पर, एक दूरस्थ, अँधेरे में डूबे आदिवासी इलाके में घटित कहानी 'सहिया', कहानी के दूसरे उस्ताद जैकलंदन की याद दिलाती है। मिथिलेश की कहानियों में समकालीन यथार्थ की कितनी ही तहें और परतें हैं। इन कहानियों का एक कठोर तरीके से कसा हुआ सघन विन्यास, तीव्र, तन्मय कथा-भाषा और तनाव भरा काँपता-सा स्वर हिन्दी कहानी के लिए नए हैं और उम्मीद जगाते हैं कि कहानी के नए वातायन खुल रहे हैं।</p>
<p><strong>—योगेन्द्र आहूजा</strong>
ISBN: 9789392186752
Pages: 168
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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