Donon Asmanon Ke Rang
Author:
Zakiya ZubaireePublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 316
₹
395
Available
दोनों आसमानों के रंग में संकलित कहानियाँ हैं—परायी धरती पर मुरझाते रिश्तों की, और स्त्री-विरोधी परम्पराओं में जकड़ी अपनी ज़मीन पर मुरझाने पर मजबूर कर दी गईं उम्मीदों की। ज़किया जुबैरी प्रवासी हिन्दी कथाकार हैं। इन कहानियों में उन्होंने एक तरफ लंदन और दूसरी तरफ भारत-पाकिस्तान की ज़मीन से अपने कथानक उठाए हैं।</p>
<p>लंदन या कह सकते हैं, यूरोप-अमेरिका के समृद्ध देशों में भारतीय उपमहाद्वीप के कितने ही लोग कभी सपनों और कभी मजबूरियों के हाथों बेबस हो बसने और कमाने-खाने जाते हैं। इसके लिए जो संघर्ष अपेक्षित है, वह करते, वे जो चाहते हैं, हासिल भी कर लेते हैं, लेकिन फिर भी कुछ होता है जो उनसे खो जाता है—रिश्ते, रिश्तों की गरमाहट और अपने आपको अपनों के भरोसे छोड़ निश्चिन्त हो जाने का भारतीय दुस्साहस। वह वहाँ उन्हें नहीं मिल पाता। ज़किया ज़ुबैरी अपने सुदीर्घ प्रवासी अनुभवों के आधार पर इन परिस्थितियों को एक स्त्री की निगाह से देखती हैं।</p>
<p>बाकी जिन कहानियों की पृष्ठभूमि भारतीय उपमहाद्वीप हैं उनमें पाकिस्तान से ली गईं दो कहानियाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं—‘दोनों आसमानों के रंग’ जिसमें भारत के प्रति घृणा को आधार बनाकर एक दिलचस्प कथानक बुना गया है, और दूसरी ‘दस्तक’ जिसमें पाकिस्तान के कुछ पिछड़े हिस्सों में आज भी प्रचलित ‘वानी’ की प्रथा के हवाले से एक रोंगटे खड़े करनेवाला घटनाक्रम हमारे सामने आता है।
ISBN: 9788119835782
Pages: 136
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Chhiyanat
- Author Name:
Taranand Viyogi
- Book Type:

- Description: संख्या मे कम कथा लिखलाक बादो मैथिली कथा-साहित्य मे तारानंद वियोगीक पैघ आ जरूरी स्थान मानल गेल अछि। प्रतिष्ठित कथा-संकलन सब मे हुनकर कथा संकलित भेल छनि आ आन-आन भाषा मे अनूदित सेहो। समाजक हाशिया परक लोक के कथा, ओकर संपूर्ण मानवीय गरिमाक संग, मैथिली मे कम लिखल गेल अछि। वियोगी जीक प्राय: सब टा कथा एही निम्नवर्ग, जाति आ वर्णक विषय मे लिखल गेल अछि। सब दिन ओ निर्माणाधीन सामाजिक यथार्थ केँ अपन कथाक विषय बनौलनि। एहि गुणक कारण हुनकर कथाक बेस मान अछि, मुदा एही कारणें विवादो अक्सरहां होइत रहल अछि। हुनकर सदा मान्यता रहलनि जे केवल मैथिली भाषा मे लिखल रहबाक कारण कोनो कथा मैथिली कथा नहि भ' सकैत अछि। तेँ, हुनकर कथा सब मे मिथिलाक जनजीवन केँ धकधक करैत महसूस कयल जा सकैए। तहिना, हुनकर कथा सब मे कथादेश आ कथासमय केँ साफ-साफ चित्रित भेल देखल जा सकैत अछि। ओ अपना समयक हरेक हलचल केँ नोटिस करैत चलैत छथि। तहिना, हुनकर कथाभाषा सेहो बेछप आ विलक्षण छनि। अपन देस-समाज केँ देखबाक आलोचनात्मक विवेक सब दिन वियोगी जी मे जाग्रत रहलनि, तेँ हुनकर कथाकला अपन उत्कर्ष धरि पहुँचल, जाहि लेल हुनकर कथा सब केँ बेस महत्त्व देल जाइत रहल अछि। हुनक कथा-लेखनक मादे पं. गोविन्द झा लिखने छथि— 'ललित-राजकमलक समय आ तारानंद वियोगीक समय मे महान अंतर अछि। पहिल विद्रूपता आ विसंगतिक समय छल तँ दोसर विकट संकटक समय। एहि संकट-काल मे मुख्य प्रश्न भ' गेल अछि अस्तित्व-रक्षाक। ललितक कालक जे स्थिति-रेखा छल, वियोगी जीक कथा-यात्रा तकर अतिक्रमण क' गेल अछि। मैथिली कथाक एक जीवन्त परंपरा हिनका एहि कथा-यात्रा मे संग दए रहल छनि आ तकर बोध सँ उद्भासित छथि। परंपरा-बोध आ अपन जीवन-अनुभव दुनू मिलि हिनका आबि तुलाएल संकट सँ लड़बाक ऊर्जा दैत अछि।'
Manus
- Author Name:
Gourinath
- Book Type:

- Description: मानुस की कहानियों में पेड़-पल्लव, नदी-नाले, ताल-तलैया और तालमखाने, बालू के ढूह और विस्तार, रोहू, झींगा, टेंगरा, मांगुर, गरई और अन्है मछलियों की बहार है और इन्हीं के बीच बिना किसी शिकवा-शिकायत के अपने जीवन को भोगते आम गरीब लोग हैं। इन रचनाओं में कहीं रास है तो कहीं हास, कहीं दुःख है तो कहीं सुख-स्वाद।
Anugoonj Zindagi Ki
- Author Name:
Kusum Khemani
- Book Type:

- Description: कुसुम खेमानी अपने कथा-साहित्य के लिए मनुष्य के परिष्कार से समाज-संस्कृति का परिष्कार और समाज-संस्कृति के परिष्कार से मनुष्य के परिष्कार का विधान और वितान जिस कलात्मकता से रचती हैं, वह अद्भुत ही नहीं, विलक्षण है। विलक्षण है एक पुरुष के भीतर एक स्त्री और एक स्त्री के भीतर एक पुरुष का अपने समय की विघटन-प्रक्रिया में द्वन्द्वात्मक अन्वेषण और उसका रचा जाना। घर-परिवार से अछूता संसार कोई संसार नहीं होता, अगर होता है तो वह कुसुम खेमानी का नहीं है। उनका यह कथा-संग्रह 'अनुगूँज जि़न्दगी की’ घर-परिवार और उससे जुड़े तमाम रिश्तों का ऐसा कथा-संसार है जो अपनी ज़मीन पर अपनी जड़ों के साथ है। इसके बावजूद अपनी हज़ारों क़िस्म की विसंगतियों और विडम्बनाओं से तो घिरा ही है, ऊपर से बदलते युग में न तो पूरी तरह आधुनिक हो पा रहा, न उत्तर-आधुनिक। कुसुम खेमानी इन्हीं जटिलताओं से कथा में टकराती हैं और टकराते हुए कई बार जोखिम भी उठाती हैं। निस्सन्देह, इस संग्रह की उपस्थिति एक ऐसी उपस्थिति है जिससे हिन्दी कथा-साहित्य में जीवन, प्रेम और उसके मूल्य; संघर्ष, सम्पूर्णता और उसकी चेतना जिस संवेदन-सघनता की सृष्टि रचते हैं, वह सृष्टि अपने संश्लिष्ट यथार्थ की ज़मीन पर अपने लोक और उसकी स्मृतियों की उम्मीद के साथ दर्ज होती है।
Meri Maai
- Author Name:
Dr. Sabiha Rehmani +1
- Book Type:

- Description: मेरी माई' विषय ही ऐसा है, जिस पर नजर पड़ते ही हर व्यक्ति के दिलो-दिमाग में अपनी माँ की तस्वीर उभर आएगी, न चाहते हुए भी वह इसे पढ़ना चाहेगा। इसीलिए इस अमूल्य कृति में माँ और सिर्फ माँ की तस्वीर उभारने की कोशिश की गई है, क्योंकि इस ब्रह्मांड में एक माँ ही है, जिसका अस्तित्व था, है और हमेशा बरकरार रहेगा। माँ है तो सृष्टि है।
Ek Achambha Prem
- Author Name:
Kusum Khemani
- Book Type:

-
Description:
कुसुम खेमानी की ये कहानियाँ एकबारगी हमें उस संसार में ले जाती हैं, जिससे अब तक हमारा सामना प्राय: नहीं हुआ था। यहाँ आदिम और चिर-परिचित प्रेम अपने अचम्भेपन के साथ मौजूद है। ये कहानियाँ निर्वासितों के निर्वासन का प्रश्न उठाती हैं और प्रतिशोध को भी हिंसक के बजाय ‘सुन्दर’ रूप में प्रस्तुत करती हैं। दरअसल, यह कथाकार का निज अन्तस है, जो करुणा, प्रेम और सौन्दर्य से आपूरित है, और ‘उड़ान पिंजरे के परिन्दे की‘ की ‘मिसेज बाजोरिया’ जैसे चरित्रों में जब-तब प्रकट होता रहता है। वे सहसा 'घोंघा’ का प्रतीक उठाती हैं और दलितों-वंचितों के पक्ष में ‘घोंघा प्रसाद’ जैसी कहानियाँ लिखकर हमें चकित और हमारे चिर-परिचित कथा-आस्वाद में हस्तक्षेप कर देती हैं।
कुसुम खेमानी यथार्थ का तिरस्कार नहीं करतीं, पर उनकी कहानियाँ रचनात्मक अतिक्रम करती हुईं हमें आदर्श लोक में ले जाती हैं, जो शुरू में तो असम्भव लगता है, पर जल्द ही यह तथ्य दरवाज़े की तरह खुलने लगता है कि यह एक तरह की उस महाख्यान को जगाने की ज़िद है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसका अन्त हो चुका है, पर साहित्य का काम ही यह है कि वह उसे कल्पना में बचाए रखे, क्योंकि मानव जीवन के आदर्श और उच्चतर मूल्य यदि साहित्य में नहीं रचे-सहेजे जाएँगे, तो इनके लिए कौन सी जगह बची रहेगी। जो लोग साहित्य को विविध विधाओं में देखने के आदी हैं, उनके लिए कुसुम खेमानी की ये कहानियाँ एक बड़ी चुनौती की तरह हैं। इनकी प्रत्येक कहानी का अपना एक व्यक्तित्व है। यह एक बहुत ही महीन मिक्सर है, जो अनुभव, कल्पना, इतिहास, वर्तमान, श्रेष्ठता, नीचता आदि मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को फेंटकर अनूठी चीज़ें पैदा कर देता है।
कुसुम जी का रचना क्षेत्र बहुआयामी है; और यही वजह है कि यहाँ वेद-पुराण के लिए भी जगह है और आधुनिक से आधुनिक विचार के लिए भी। यह एक नई आस्तिकता है, जो मनुष्य को ईश्वर से नहीं, मनुष्यता से जोड़ती है। भाषा संवाद का माध्यम है और संवाद जितना सीधा, सरल, पारदर्शी और आत्मीय हो उतना ही अच्छा है। यही कारण है कि कुसुम खेमानी की कहानियों में राजस्थानी, हरियाणवी, बांग्ला, अंग्रेज़ी, उर्दू, भोजपुरी और संस्कृत आदि भाषाओं के शब्द हिन्दी को बोलचाल की एक नई अर्थवत्ता और भंगिमा प्रदान करते हुए नदी की रवानगी की तरह बहते रहते हैं। इस भाषा में बतरस के बताशे-सी मिठास है, जो निस्सन्देह कथाकार की एक बड़ी उपलब्धि है।
Huduklullu
- Author Name:
Pankaj Mitra
- Book Type:

-
Description:
नब्बे के दशक में उभरनेवाली कथा–प्रतिभाओं में पंकज मित्र का नाम इसलिए ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इन्होंने एक दशक से कथा-क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को बारम्बार महत्त्वपूर्ण साबित किया है।
इस संग्रह की कहानियों में भी विद्रूपता एवं विडम्बना का एक खेल चलता रहता है और इस खेल में ख़ुद कथाकार भी खिलंदड़ा हो जाता है पर कथ्य के रचाव या चरित्रों के विकास में वह हस्तक्षेप कभी नहीं करता। चरित्र अपनी तमाम क्षुद्रताओं के साथ कथ्य में उतरते हैं और विडम्बना के सधे प्रयोग द्वारा पंकज उनके मानवीय बोध को सामने ले आते हैं। अपने चरित्रों के साथ वे निर्ममता की हद तक तटस्थता बरतते हैं चाहे वह ‘बैल का स्वप्न’ का जेम्स खाखा जैसा निरीह, पुराने नैतिकताबोध से ग्रस्त चरित्र हो या ‘बे ला का भू’ का तेजतर्रार बेचूलाल या ‘हुड़ुकलुल्लु’ का महाकाल—सब अपने स्वाभाविक रूप में स्थितियों की मार झेलते अपने समय से टकराकर लहूलुहान होते चरित्र हैं। उनको उदात्त रूप में प्रस्तुत करने की लेखक की कोई मंशा भी नहीं है, मगर सिर्फ़ विद्रूपता का चित्रण पंकज का उद्देश्य नहीं है, सोद्देश्यता की किसी परिपाटीबद्ध थ्योरी को ख़ारिज करते हुए पंकज इन्हें पूरे मानवीय रूप में प्रस्तुत करते हैं।
बहुस्तरीय एवं वैविध्यपूर्ण भाषा में रची गई इन कहानियों में हिन्दी की विभिन्न बोलियों के टोन एवं मुहावरों के मारक प्रयोग ज़रूरत के अनुसार अपनी पूरी शक्ति के साथ उपस्थित
होते हैं और इस प्रक्रिया में भाषा अद्भुत रूप से ऐश्वर्यशाली हो जाती है।
दास्तानपरक शैली में लिखी इन कहानियों के ज़रिए पंकज मित्र ने यह साबित किया है कि अपने समय की नब्ज़ पर उनकी पकड़ ज़रा भी ढीली नहीं पड़ी है, बल्कि कसाव–लगाव और भी गहरा हुआ है और यह सचमुच आश्वस्ति देता है।
Pratinidhi Kahaniyan : Mamta Kaliya
- Author Name:
Mamta Kaliya
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Pratinidhi Kahaniyan : Jaishankar Prasad
- Author Name:
Jaishankar Prasad
- Book Type:

- Description: महाकवि के रूप में सुविख्यात जयशंकर प्रसाद हिन्दी नाट्य-जगत और कथा-साहित्य में भी एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। ‘स्कंदगुप्त‘, ‘चन्द्रगुप्त’ और ‘ध्रुवस्वामिनी’ सरीखे नाटक और ‘तितली’, ‘कंकाल’ और ‘इरावती’—जैसे उपन्यास तथा ‘आकाशदीप’, ‘मधुआ’ और ‘पुरस्कार’ जैसी कहानियाँ उनके गद्य लेखन की अनुलंघ्य ऊँचाइयाँ हैं। यहाँ प्रसाद की प्रायः सभी चुनिन्दा कहानियाँ संकलित हैं, जिनसे गुज़रते हुए हमें न सिर्फ़ भारतीय दर्शन की सुखवादी मूल्य-मान्यताओं की अनुगूँजें सुनाई पड़ती हैं, बल्कि सामाजिक यथार्थ के अनेक अप्रिय स्तरों तक भी जाना पड़ता है। वास्तव में प्रसाद के लिए साहित्य की रचना एक सांस्कृतिक-कर्म है और भारतीय परम्परा के प्राचीन अथवा उसके सनातन मूल्यों में गहन आस्था के बावजूद वे मनुष्य की वैयक्तिक मुक्ति के आकांक्षी नहीं हैं। व्यक्ति हो या समाज, वे उसे स्वाधीन और रूढ़िमुक्त देखना चाहते हैं। यही कारण है कि इन कहानियों में ऐसे अविस्मरणीय चरित्रों का बाहुल्य है, जो स्वाधीनता और मानव-गरिमा को सर्वोपरि मानते हैं। इतिहास और संस्कृति के ऐसे अनेक मनोरम दृश्यचित्र इन कहानियों में उकेरे गए हैं, जो हमें न केवल मुग्ध कर देते हैं, बल्कि कुछ सोचने पर भी विवश करते हैं।
Kissa Jaam Ka
- Author Name:
Nasera Sharma
- Book Type:

-
Description:
ईरान और भारत की सांस्कृतिक घनिष्ठता और साहित्यिक आदान-प्रदान का क्रम अब भी जीवित है और उसका एक नमूना ये खुरासान की लोककथाएँ हैं जिनका फ़ारसी से हिन्दी में अनुवाद पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है। ये केवल अनुवाद मात्र ही नहीं हैं, मौलिक रचनाएँ ही हैं, क्योंकि ये लोककथाएँ खुरासान की बोली में हैं। अनगिनत पीढ़ियों से बहती हुई सरिता की तरह, उस जन समाज की लोककथाएँ, जो कि एक क्षेत्र विशेष में फला और फूला है, उसके आधारभूत विचारधाराओं, सभ्यता तथा संस्कृति की प्रतीक हैं।
खुरासान की प्रस्तुत लोककथाएँ उस क्षेत्र का, जो ईरान की सभ्यता और संस्कृति में बेजोड़ रहा है, एक दर्पण है। इसमें पाठक उस प्राचीन भव्य जन समाज की एक झलक देख सकते हैं। खुरासान एक चौराहे की तरह है जहाँ ईरान की सभ्यता तथा संस्कृति संगठित हुई और जहाँ से अन्य क्षेत्रों में फैली। ‘तूस’, ‘निशापुर’ और ‘मशहद’ के केन्द्र सांस्कृतिक वैभव के प्रतीक रहे और जहाँ पर ‘उमर खैयाम’ और ‘फिरदौसी’ जैसे चिराग़ अब भी जीवित हैं। खुरासान की ये लोककथाएँ, 'निशापुर' और ‘दमगान’ से निकले हुए फ़रोज़ों की तरह भव्य तथा सारगर्भित हैं।
आशा है कि पाठक इन कथाओं को पढ़कर खुरासान के बारे में जो कि ईरान की सभ्यता का स्तम्भ रहा है, ईरान तथा भारत की मैत्री तथा पारस्परिक सांस्कृतिक आधारों का अनुमान कर पाएँगे।
Nabeela Aur Any Kahaniyan
- Author Name:
Sara Rai
- Book Type:

-
Description:
सारा राय की कहानियाँ घटनाओं को नहीं घटना की सूक्ष्म प्रक्रिया को अपना विषय बनाती हैं और एक जीवित इकाई की तरह साँस लेते परिवेश के सुचित्रित फ़्रेम में उसे स्थित करती हैं। इस तरह वह कहानी किसी एक पात्र की न रहकर अस्तित्व के समूचे बोध की कहानी हो जाती है। कहानी के प्रचलित फ़ॉर्म्स का अनुकरण न करके वे अपना एक भाषिक और संवेदनात्मक पथ गढ़ती हैं ताकि अपने अनुभव को एक सम्पूर्ण संसार के रूप में पढ़ने वाले को दे सकें।
यह यथार्थ के एक विशाल फ़लक को एक बारीक़ नोक से चित्रांकित करने जैसा है। जैसे कोई छोटी-छोटी लेकिन स्पष्ट तस्वीरों से एक बहुत बड़े कैनवॉस को धैर्यपूर्वक भर रहा हो। भूगोल के पट पर समय व साधारण लोगों के निजी इतिहास के मद्धिम रंगों में उकेरे गए बिम्ब जिनमें स्मृतियों की पतली गलियाँ हमें अपने भीतर जाती महसूस होती हैं।
अपने शोर भरे सिर से निकलकर जैसे एक शान्त, पेड़ों से ढकी सड़क पर जाना। लेकिन जीवन-जगत की वास्तविकताओं से मुँह मोड़कर नहीं, बराबर उनको देखते, उन्हें जीते हुए। उन्हें एक अलग निगाह से जानते हुए। बच्चों के आश्चर्य, प्रौढ़ों की उदासियाँ, वृद्धों का अकेलापन, दुख, मध्यवर्ग का उथलापन, अभावों से जूझते लोगों के भीतरी-बाहरी सन्नाटे, विस्थापन, घर-आँगन, उनके साथ बूढ़े होते स्त्री-पुरुष और पेड़, उपेक्षित बेलें, जीव-जन्तु और प्रकृति की अनेक छवियाँ इन कहानियों के समग्र अनुभव का निर्माण करती हैं।
इस संग्रह की हर कहानी अपनी अलग और विशिष्ट गढ़न के साथ आती है जो बताता है कि लेखक ने दुनिया को देखने के लिए किस हद तक स्वयं को खुला रखा है। अच्छे कथा-गद्य के प्रेमी पाठकों को ये कहानियाँ निश्चय ही बार-बार पढ़ने लायक़ लगेंगी।
Awazein Kanpti Rahin
- Author Name:
Anagh Sharma
- Book Type:

-
Description:
हिन्दी कहानी के लिए यह परम्परा और परिवर्तन के बीच का संक्रमण-काल है। मनुष्य के भाव-जगत और कल्पना के विस्तार के नए आयामों के साथ नई पीढ़ी के जिन कथाकारों ने पिछले दशक में अपने नवाचार से पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है, अनघ शर्मा उनमें शामिल हैं। उनकी कहानियाँ अपने कथ्य की नवीनता से कथावस्तु को उजागर करती हैं। इस प्रक्रिया में संवेदना की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है, जिसका निर्वाह इस संकलन की कहानियों की विशेषता है। जीवन के बेहद मामूली लगने वाले क्षणों के गर्भ में पलते संघर्षों और त्रासदी को अर्थवत्ता के साथ सम्प्रेषित करने वाली ये कहानियाँ मानवीय सम्बन्धों का मार्मिक आख्यान रचती हैं।
अनघ शर्मा के पास एक समर्थ कथा-भाषा है, बिना कविता हुए, कविता की भाषा तक पहुँचती कथा-भाषा। स्थितियों ही नहीं, व्यवहारों और घटनाओं के महीन ब्यौरों को जीवंतता के साथ रचने वाली उनकी कथा-भाषा जीवन के मर्म को उकेरती है। घटित हुई त्रासदी की टीस हो या मन के गह्वरों में पलते उल्लास की धड़कन, इनका रचाव इतना प्राणवंत है कि पाठक के भीतर की दुनिया बदलने लगती है। जीवन के अंतर्विरोधों की पहचान और अभिव्यक्ति के लिए यथार्थ की संश्लिष्टता से लेखक का टकराव जिन ध्वनियों को पैदा करता है, उनके पार जाकर अनघ शर्मा अपनी कहानियों के लिए बीज-तत्त्व चुनते हैं। यह बीज-तत्त्व जब विकसित और फलित होता है, जीवन की विराटता प्रकट होती है।
‘आवाज़ें काँपती रहीं’ की कहानियाँ हिन्दी कहानी के समकालीन परिदृश्य पर अपने नवाचार और सांद्र अभिव्यक्ति के चलते अलग और विशिष्ट छवियों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करती हैं।
—हृषीकेश सुलभ
Aasha ki nanhi kirane
- Author Name:
Bruno Pilorget
- Book Type:

- Description: मलाला, केसज, सांड्रा, ओम, मायरा, बरुआनी, मेमरी, क्रेग ने जीवन की मुश्किलों से लड़ने के लिए कभी स्वयं को अकेला या कमज़ोर नहीं माना। अपनी इच्छा शक्ति से इन्होंने अपनी किस्मत बदली और अपने जैसे दूसरों बच्चों को राह दिखाई। दुनिया के अलग अलग कोनों से आए इन लड़के-लड़कियों की कठोर संघर्ष का उल्लेख है, एक बेहतर दुनिया की उम्मीद में।
Dharohar Kahaniyaan : Subhadra Kumari Chauhan
- Author Name:
Subhadra Kumari Chauhan
- Book Type:

- Description: अपनी समस्या पूरे देश की समस्या के साथ बँधी हुई है। सबकी मुक्ति में ही अपनी मुक्ति है। अन्धी परम्पराओं के बन्धन, चारों ओर सड़े-गले रस्म रिवाजों के गलीज घेरे, जिनमें क्रूर पाखंड की उँगलियाँ उठती हैं। एक दमन और घुटनवाला समाज, जो खुली तन्दुरुस्त जिन्दगी की साँस लेना जानता ही नहीं। सुभद्रा कुमारी चौहान की स्वस्थ और स्वतंत्र भावुकता ने यथार्थ के बहुत से मर्म पहचान लिये थे। हर चुनौती का जवाब उनके पास था। और यह जवाब था उनके अन्तःकरण और सच्चाई की हठ का। —शमशेर बहादुर सिंह
Pratinidhi Kahaniyan : Swayam Prakash
- Author Name:
Swayam Prakash
- Book Type:

- Description: स्वयं प्रकाश की कहानियाँ भारतीय, विशेष रूप से हिन्दी मध्यवर्ग के जीवन की एक तस्वीर पेश करती हैं—मनुष्यता से लबरेज़ पर दब्बू और डरपोक मध्यवर्ग, छोटी-छोटी आकांक्षाओं के लिए भी संघर्षरत, अन्ततः उन्हें स्थगित करता मध्यवर्ग, स्वार्थों की अन्धी दौड़ में भागता-गिरता-पड़ता मध्यवर्ग, निम्नवर्गीय जनों से विराग रखता मध्यवर्ग। यूँ तो स्वयं प्रकाश का कथाफ़लक गाँव से शहर तक फैला है, परन्तु उसका केन्द्र मध्यवर्ग ही है। यह मध्यवर्ग स्वतंत्रता आन्दोलन के दौर का मध्यवर्ग नहीं है जिसमें निम्नवर्ग के प्रति एक सदाशयता और सहभाव मौजूद था। इसमें निम्नवर्ग के प्रति वितृष्णा और घृणा निर्णायक हद तक मौजूद है। इस मध्यवर्ग में एक छोटी संख्या, उन लोगों की भी है, जिनमें समाज को बदलने की इच्छा मौजूद है। ऐसे चरित्र स्वयं प्रकाश के यहाँ प्रमुखता से मौजूद हैं। स्वयं प्रकाश की गहरी सहानुभूति इनके साथ है। इसीलिए इनके प्रति एक तरह का आलोचनात्मक भाव भी मौजूद है। परिवर्तनकामी चेतना जब मध्यवर्गीय स्वार्थपरता, पर्सनाल्टी कल्ट, या थोथे आदर्शवाद से घिर जाती है, स्वयं प्रकाश इन चरित्रों के प्रति तीखे हो जाते हैं। उनकी कहानियों में भारतीय स्त्री के जीवन की गहरी आलोचनात्मक पड़ताल भी मौजूद है। वे स्त्री-चरित्रों को प्रायः एक टाइप की तरह नहीं, एक व्यक्ति की तरह अंकित करते हैं। ये स्त्री-चरित्र पुरुष-चरित्रों की तरह ही निजी विशिष्टताओं के मालिक हैं। उन पर सामाजिक संरचना के दबाव हैं, परन्तु वे उनके विरुद्ध जीते हुए अपनी तरह का संसार रचने को आतुर हैं। स्वयं प्रकाश ने कहानीपन की रक्षा करते हुए, उसे रोचक बनाते हुए एक ज्ञानी की तरह नहीं एक क़िस्सागो की तरह अपनी कहानियाँ कही हैं।
Thakazhiyude Cherukathakal
- Author Name:
Thakazhi Sivasankara Pillai +1
- Rating:
- Book Type:

- Description: discriptation awaited
Yugaadi
- Author Name:
Vasudhendra
- Book Type:

- Description: ವಸುಧೇಂದ್ರರ ಈ ಕಥಾಸಂಕಲನಕ್ಕೆ ಹಲವು ಪ್ರಶಸ್ತಿಗಳು ಸಂದಿವೆ. ಮುಖ್ಯವಾಗಿ ಡಾ. ಯು ಆರ್ ಅನಂತಮೂರ್ತಿ ಪ್ರಶಸ್ತಿ ಹಾಗೂ ವರ್ಧಮಾನ ಉದಯೋನ್ಮುಖ ಪ್ರಶಸ್ತಿಗಳು ಈ ಸಂಕಲನಕ್ಕೆ ದಕ್ಕಿವೆ.
Katha Saptak Urmila Shirish
- Author Name:
Urmila Shirish
- Book Type:

- Description: Book
Bhartiya Bhooton Ki Ajeeb Dastan-1
- Author Name:
Riksundar Banerjee
- Book Type:

-
Description:
भारत में हर समुदाय, जनजाति और उप-समुदाय के अपने भूत-प्रेत हैं। सदियों से भूत-प्रेतों की दुनिया भारतीयों को आकर्षित करती रही है। माना जाता है कि कुछ भूत जलाशयों के पास पाए जाते हैं और वे गुपचुप आते-जाते राहगीरों पर नज़र बनाए रखते हैं, तो कुछ गर्मियों के दोपहर में खेतों में भटकते रहते हैं और रास्ता खोए हुए पुरुषों को बहकाते हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं जो अन्य बुराइयों से हमारी रक्षा करते हैं। शिकार की तलाश में पास-पड़ोस में भटकती उत्तर भारत की चुड़ैलों से लेकर मछली पसंद करने वाले पश्चिम बंगाल के मेछो भूत और तमिलनाडु के भयानक मुनि पेई भूतों तक—भारतीय भूतों की श्रेणियाँ अत्यंत विशाल है, जिनकी संख्या का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
कौन हैं ये घने जंगलों में विचरने वाले रहस्मयी जीव? गहरे, शांत जल की सतह के नीचे कौन से रहस्य छिपे हैं? हम इन अतृप्त आत्माओं को कैसे समझें, जिन्होंने हमारी स्मृतियों, हमारे मानस, कल्पनाओं और साहित्य में व्यापक स्थान बना रखा है?
रिकसुंदर बनर्जी भारतीय भूतों के अध्येता एवं विशेषज्ञ हैं, जो लोकप्रिय और प्रचलित किंवदंतियों, आस्थाओं, अंधविश्वासों और अनुभवों के पीछे की सच्चाई को जानने के प्रयास में भारतभर में भूत-प्रेतों की दुनिया की पड़ताल करते हैं। उनके अध्ययन और शोध का परिणाम है यह पुस्तक—जो भारत और भारतीयों को आतंकित करते भूत-प्रेतों के बारे में एक प्रामाणिक, गहन शोध-पूर्ण और रोमांचक विवरण देता है।
Kavita Ka Ganit
- Author Name:
Prakash Thapliyal
- Book Type:

-
Description:
‘कविता का गणित’ प्रकाश थपलियाल का दूसरा कहानी-संग्रह है। इसमें जहाँ कई वाकयों को कथाकार नये नजरिये के साथ पेश करता है वहीं उनका व्यंग्य भी पाठक को अन्दर तक उद्वेलित करता है। जीविका और श्रद्धा के बीच का द्वन्द्व ‘लाल सलाम’ जैसी कहानियों में खुलकर उभरता है तो ‘बोरी’ और ‘मजमा’ जैसी कहानियों में राजनीति और बाजार की सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते पात्र दिखाई देते हैं। ‘कीड़ा-जड़ी की खोज में’ कहानी कथाकार की किस्सागोई की अपनी ही तकनीक और बुनावट सामने लाती है। कुल मिलाकर इस कथा-संग्रह में हर कहानी का अपना ही सलीका और रंग है।
‘गाली’ कहानी को पढ़कर पाठक सोचने को मजबूर हो जाता है कि ऐसा क्यों है कि गाली हमेशा औरत को केन्द्र में रखकर ही दी जाती है। ‘लाल सलाम’ कहानी विचार को श्रेष्ठतम और अक्षुण्ण बताने वालों से सवाल करती है तो ‘भगवान इनसान’ में लेखक भगवान और इनसान के बीच का फर्क आसानी से सामने रख जाता है।
‘मजमा’ पैसे की ताकत की तरफ इंगित करती है और बताती है कि बाजार में कीमती वह चीज नहीं है जो ज्यादा काम की है बल्कि वह है जिसे ज्यादा काम की बताया जाता है। मुकाबला इसमें है कि बताने के इस फन में कौन कितना माहिर है।
थपलियाल का कहानी कहने का भी अपना भिन्न तरीका है जिसमें वे जब-तब प्रयोग करते दिखाई देते हैं। अपनी कहानियों के बारे में स्वयं उनकी धारणा है कि हिन्दी मुख्यधारा में पर्वतीय परिवेश के शब्दों की बहुत कमी है और पर्वतीय बोली-भाषा से अधिक से अधिक संवाद द्वारा यह कमी दूर की जा सकती है। इन कहानियों में उन्होंने यह संवाद बनाने की भी कोशिश की है। वे घटनाधर्मिता को कहानी की आत्मा मानते हैं और उनकी कहानियों की पठनीयता इसी घटनाधर्मिता से बनती है जिसे वे बिना हिंसा और मार-धाड़ के, मासूमियत से निभा जाते हैं और पाठक को नई दिशा में सोचने को प्रेरित करते हैं।
Pachchis Baras Pachchis Kahaniyan
- Author Name:
Rajendra Yadav
- Book Type:

-
Description:
पच्चीस साल। एक सदी का चौथाई हिस्सा। हर साल में बारह अंक। हर अंक में औसतन छह या सात कहानियाँ।
मानकर चलें कि ‘हंस’ में छपने के लिए चुने जाने का मतलब ही किसी भी कहानी के लिए संकलन योग्य होना है और क़ायदे से बारह-पन्द्रह कहानियों का एक सालाना संकलन हर बरस छापा जा सकता है।
कुल मिलाकर तकरीबन 2100 कहानियों में से बार-बार के सोच-विचार के बाद 136 कहानियाँ सूचीबद्ध की गईं।
‘हंस’ के भीतर से साथियों के सुझाव भी तरह-तरह के थे। पाठकों की वोटिंग से, सुधी पाठकों या लेखकों के सुझाव से, लेखकों के अपने अनुरोध की रक्षा से, एक चयन-समिति की नियुक्ति और सम्मिलित चयन से, वग़ैरह। लेकिन ये सभी चुनाव एक निश्चित परियोजना के बजाय यादृच्छिक क़िस्म का घालमेल ही बनकर रह जा सकते थे।
यहाँ अनुसूचित लगभग हर कहानी अपने आप में एक प्रतिमान कही जा सकती है।
—भूमिका से
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...