Sunahari Ungaliyan
Author:
Nasira SharmaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
मेहनतकश लोगों के सुख-दुख, राग-द्वेष, हँसी-ख़ुशी, जिजीविषा और उनके जीवन के तमाम अनुभवों से भरी कहानियों का संग्रह है—‘सुनहरी उँगलियाँ’। हमारे शानदार अतीत की सुन्दर व भव्य निशानियों से सजी हमारी यह दुनिया हमें प्रेरणा देती है कि जीवन सदैव बहता है, इनसान आता और चला जाता है लेकिन जीवन के इस प्रवाह के बीच मेहनतकशों के हुनर और कारीगरी की रचनात्मक उपलब्धियाँ हमेशा बची रहती है। हम पीढ़ी-दर-पीढ़ी सँजोते आ रहे हैं।</p>
<p>इस संग्रह की कहानियों में कई ऐसे किरदार हैं जिनके हाथों में बेहतरीन हुनर है। ‘आँचल के बीज’ और ‘सुनहरी उँगलियाँ’ शीर्षक कहानियों के साथ-साथ ‘शीराज़ लोहार’, ‘फुलवा’ जैसी कहानियों में ऐसे ही कुछ ज़िन्दादिल किरदार हैं जो हिन्दुस्तान की सामासिक संस्कृति को उजागर करते हैं। इसके अतिरिक्त संग्रह की कई कहानियों में जटिल सामाजिक संरचना पाठकों को किरदारों की ज़िन्दादिली के क़रीब ले जाती है। ऐसी कहानियों में ‘अलाव’, ‘सबूत’, ‘फ़ितरत’, ‘क्रोशिया के फंदे’, ‘ख़ौफ़’, ‘रामपुरी चाकू’ आदि उल्लेखनीय हैं। नासिरा शर्मा की कहानियों में भारतीय मानस की जटिलताओं का संवाद मानवीय रिश्तों की पारिवारिक संरचना के साथ आत्मसात हो जाता है और यहीं से गंगा-जमुनी तहजीब की पकड़ से ‘सदाबहार का फूल’, ‘स्वर्ग व नर्क का फ़ासला’, ‘ईदी’, ‘नये रंग की गन्ध’, ‘हथेली में पोखर’ जैसी कहानियाँ बन पड़ती हैं जो सामाजिक सौहार्द का निर्वाह करती हैं।</p>
<p>बीस साल बाद आ रहा नासिरा शर्मा का यह कहानी-संग्रह बीते समय की सामाजिक हलचलों की अक्कासी करता है और इन कहानियों का कथानक-शिल्प एवं कथा-भाषा का प्रवाह उनके पाठकों के लिए एक उपहार है।
ISBN: 9788119133505
Pages: 144
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Adab Mein Baaeen Pasli : Bhartiyetar Urdu Kahaniyan : Vol. 6
- Author Name:
Nasira Sharma
- Book Type:

-
Description:
उर्दू वाले कहानियों को सीमा में नहीं बाँधते हैं, वह हर उस कहानी को उर्दू की समझते हैं जो उर्दू में लिखी गई हो, चाहे लेखक कहीं का हो। हिन्दुस्तान-पाकिस्तान में रहनेवाले, और बाहर के मुल्कों में बसनेवाले उर्दू अदीब जिनकी मूल धरती हिन्दुस्तान रही है चाहे उन्होंने विश्व के किसी कोने में बैठकर कहानी लिखी हो, यहाँ तक कि पाकिस्तानी भी
जहाँ का हर बड़ा कहानीकार आज के भारत में पैदा हुआ था और कल के भारत के हिस्से में बैठकर लिख रहा है। इनकी जड़ें हिन्दुस्तान में गहरे धँसी हुई हैं।
इन कहानियों में ‘अपनी ज़मीन की हुड़क’ तो है और इसीलिए इन कहानियों में छोड़े हुए वतन की यादें घुमड़ती नज़र आती हैं। इसके बावजूद अब वहाँ जिस तरह की ज़िन्दगी वह गुज़ार रहे हैं, यदि उनसे पूछा जाए कि वह भारत या पाकिस्तान लौटना चाहेंगे तो वह शायद इनकार कर दें, जबकि वहाँ सभी लेखक लगभग दो बार या इससे भी ज़्यादा एक जगह से दूसरी जगह जा चुके हैं। पहली महाजरत, सियासत के चलते बँटवारे के कारण भारत से पाकिस्तान की ओर कूच के रूप में, दूसरे आर्थिक कारणों से पाकिस्तान से अन्य देशों की ओर, फिर एक देश से दूसरे देश में रोज़ी-रोटी की तलाश में भटकन। जब पैरों के नीचे ठोस ज़मीन आई और संघर्ष से राहत मिली तो अपनों की याद आई।
कुछ लेखकों को छोड़कर बाक़ी लेखकों की कहानियाँ हिन्दी में पहली बार इस संकलन में
छप रही हैं।
Barish, Dhuaan Aur Dost
- Author Name:
Priyadarshan
- Book Type:

-
Description:
प्रियदर्शन की इन कहानियों में एक धड़कता हुआ समाज दिखता है—वह समाज जो हमारी तेज़ दिनचर्या में अनदेखा-सा, पीछे छूटता हुआ-सा रह जाता है। इनमें घरों और दफ़्तरों की चौकीदारी करते वे दरबान हैं जो अपने बच्चों के लिए बेहतर और सुन्दर भविष्य की कल्पना करते हैं, ऐसे मामूली सिपाही हैं जो भीड़ पर डंडे चलाते-चलाते किसी बच्चे के ऊपर पंखा झलने लगते हैं, ऐसी लड़कियाँ हैं जो हर बार नई लगती हैं और अपनी रेशमी खिलखिलाहटों के बीच दु:ख का एक धागा बचाए रखती हैं और ऐसा संसार है जो कुचला जाकर भी क़ायम रहता है।
ज़िन्दगी से रोज़ दो-दो हाथ करते और अपने हिस्से के सुख-दु:ख बाँटते-छाँटते इन चरित्रों की कहानियाँ एक विरल पठनीयता के साथ लिखी गई हैं—ऐसी क़िस्सागोई के साथ जिसमें नाटकीयता नहीं, लेकिन गहरी संलग्नता है जो अपने पाठक का हाथ थामकर उसे दूर तक साथ चलने को मजबूर करती हैं। निहायत तरल और पारदर्शी भाषा में लिखी गईं ये कहानियाँ दरअसल पाठक और किरदार का फ़ासला लगातार कम करती चलती हैं और यहाँ से लौटता हुआ पाठक अपने-आप को ख़ाली हाथ महसूस नहीं करता।
शुष्क और निरे यथार्थ की इकहरी राजनीतिक कहानियों या फिर वायवीय और रूमानी शब्दजाल में खोई मूलत: भाववादी कहानियों से अलग प्रियदर्शन की ये कहानियाँ अपने समय को पूरी संवेदनशीलता के साथ समझने और पकड़ने की कोशिश की वजह से विशिष्ट हो उठती हैं। इनमें राजनीति भी दिखती है, अर्थनीति भी, प्रेम भी दिखता है, दुविधा भी, सत्ता के समीकरण भी दिखते हैं, प्रतिरोध की विवशता भी, लेकिन इन सबसे ज़्यादा वह मनुष्यता दिखती है जिसकी चादर तमाम धूल-मिट्टी के बाद भी जस की तस है।
निस्सन्देह, ‘उसके हिस्से का जादू’ के बाद प्रियदर्शन का यह दूसरा कथा-संग्रह उन्हें समकालीन कथा-लेखकों के बीच एक अलग पहचान देता है।
Pratinidhi Kahaniyan : Uday Prakash
- Author Name:
Uday Prakash
- Book Type:

- Description: उदय प्रकाश पिछले कई दशकों से हिन्दी के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले कहानीकार रहे हैं। हिन्दी कहानी के फ़ॉर्म को आमूल बदलते हुए उन्होंने नई तरह की पठनीयता का आविष्कार किया जिसमें यथार्थ का पुनर्घटन अपने बहुत नज़दीक होता प्रतीत होता है। आप उन्हें पढ़ते हुए उनमें विचरते भी हैं। वे आपके सामने घटित होती प्रतीत होती हैं। आज वे अकेले ऐसे कहानीकार हैं जिनकी लगभग हर नयी कथा-रचना को एक साहित्यिक परिघटना की तरह देखा जाता है, जिनकी हर कहानी अक्सर सुदीर्घ बहसों को जन्म देती है और वर्तमान कथा-चेतना को एक नई दिशा भी। उनकी कहानी सिर्फ़ उन पात्रों की नहीं होती जिनके नाम हमें वहाँ पढ़ने को मिलते हैं, वह पूरे समाज, पूरी सभ्यता, अपने समूचे समय की कहानी होती है। उदय प्रकाश की कला के जानकार प्रखर आलोचक संजीव कुमार द्वारा किए गए इस प्रतिनिधि चयन में उनकी कुछ लम्बी और कुछ छोटी कहानियों को रखा गया है, ताकि पाठक उदय प्रकाश के विराट और सूक्ष्म, दोनों से परिचित हो सके।
Dekhan Mein Chhote Lage
- Author Name:
Champa Shrivastava
- Book Type:

-
Description:
प्रस्तुत पुस्तक ‘देखन में छोटे लगें' 101 लघुकथाओं का संकलन है। लघुकथा हिन्दी कथा साहित्य की एक नई उपलब्धि है। यों इस विधा को नीतिकथा, प्रबोधकथा, बालकथा आदि से जोड़ा गया है, परन्तु यह हिन्दी की एक स्वायत्त विधा है। इसमें लेखिका ने अपने आँखों देखे सत्य को और भोगे हुए यथार्थ को अभिव्यक्ति दी है।
इस कृति का फलक बड़ा व्यापक है। वर्तमान समाज के प्राय: प्रत्येक पक्ष पर इसमें विचार किया गया है। लेखिका ने आज की अमानुषिकता पर अपनी मनोव्यथा व्यक्त की है, राजनीतिक विसंगतियों के प्रति आक्रोश व्यक्त किया है तो दीनों—दुर्बलों के प्रति करुणा को स्वर दिया है। प्रस्तुत कथा-संकलन पाठकों के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय है।
Tumne Kyon Kaha Tha Main Sunder Hoon
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ, कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी
है।‘तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘कोकला डकैत’, ‘हुकूमत का जुनून’, ‘चोरबाज़ारी के दाम’, ‘गवाही’, ‘तगमे की चोट’, ‘मिट्ठों के आँसू’, ‘तीस मिनट’, ‘अख़बार में नाम’, ‘असली चित्र’, ‘कम्बलदान’, ‘आबरू’, ‘ग़मी में ख़ुशी’ और ‘तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ’।
Malooshahi…Mera Chhalia Buransh
- Author Name:
Pragya
- Book Type:

-
Description:
‘मालूशाही...मेरा छलिया बुरांश’ संग्रह की नौ कहानियाँ यथार्थ के विविध रूप हैं। कहीं अच्छे आदमी का अपने भीतर के बुरे को पहचाना जाना है तो कहीं प्रतिकूल समय की नब्ज़ को टटोलना है। कोई कहानी शिक्षा के दरीचे को पाठक के लिए नए सिरे से खोलती है तो कोई माटी का राग छेड़ देती है। यथार्थ के अन्तर्विरोधी स्वरों को पकड़ना हो या फिर उसके भीतर प्रवाहित छिपी हुई धवल लहर को देख पाना-कथाकार प्रज्ञा की कहानियाँ उसे पाठक के सामने लाती रही हैं। प्रज्ञा की कहानियों के विषय विविध हैं। श्रमशील वर्ग से लेकर मध्यवर्ग, शहर से लेकर गाँव और उसके सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक परिवर्तनों को पकड़ने की दृष्टि प्रज्ञा के पास है। उपेक्षित हाशिए के विविध चेहरों को, उनकी आवाज़ों को कथाकार ने बेहद मज़बूती के साथ दर्ज कराया है। उनकी कहानियाँ हों या उपन्यास यह ख़ासियत उनमें देखी जा सकती है। प्रज्ञा के रचे किरदार अनेक समस्याओं से जूझते हैं पर उम्मीद का दामन नहीं छोड़ते। प्रतिरोध की ताक़त और उत्कट जिजीविषा के साथ वे हौसले की डोर थामे रहते हैं। कई बार टूटते भी हैं पर जीवन से भागते नहीं।
परिवेश, शिल्प और बारीक़ बुनावट ‘मालूशाही...मेरा छलिया बुरांश’ की कहानियों में देखी जा सकती है। स्वाभाविक की आशा और नियत की अनिश्चितता से प्रज्ञा अपनी कहानियों का संसार बुनती हैं। इसीलिए उनकी अधिकांश कहानियाँ रहस्य और जिज्ञासा से भरी होकर पाठक को उस अन्त पर ले जाकर खड़ा करती हैं जो उसकी चेतना में लगभग कल्पनातीत होता है। कथा-रस से भरपूर प्रज्ञा की कहानियाँ तेज़ी से भाग रहे समय को न सिर्फ़ ठहरकर देखती हैं बल्कि उनका घटनाक्रम समकाल के विविध ज्वलंत सवालों को साफ़गोई से सामने रखता है। एक दशक से अधिक की अपनी कथा-यात्रा में प्रज्ञा ने अपने समकालीन कथाकारों के बीच अपनी स्वतंत्र पहचान बनाई है।
Maati
- Author Name:
Shivshankar Shrinivas
- Book Type:

- Description: मैथिली कहानी को युगीन, प्रगतिशील और चेतना-सम्पन्न बनाने में कहानीकार शिवशंकर श्रीनिवास महत्त्वपूर्ण हैं। वे एक साथ गंवई और शहरी जीवन यथार्थ को अपनी कहानियों में मूत्र्त करते हैं। मिथिला समाज का एक बड़ा भूभाग इनकी कहानियों में अनूठे रूप में चित्रित हुआ है तो वहीं महानगरीय जीवन की विद्रूपता-विरूपता भी विभिन्न रूपों और छवियों में बेधक ढंग से व्यंजित हुई है। पीडि़त-वंचित और विपन्न स्त्री-समाज का एक बड़ा और अर्थपूर्ण कैनवास भी इनकी कहानियों की आधारभूमि रहा है। अपने रागात्मक और बहुरंगी जीवन की मार्मिक अभिव्यक्ति के कारण इनकी कहानियाँ चर्चित-बहुपठित रही हैं। कहानियों की सघन बुनावट, उनका आंतरिक सौंदर्य, भाषा-प्रवाह की सहजता, कथ्यों के दुर्लभ प्रयोग, संवादों की गतिमयता, जीवन यथार्थ की विश्वसनीयता इन्हें विरल कहानीकार के रूप में स्थापित करते हैं।
Nagarvadhuyen Akhardboundar Nahi Padhtin
- Author Name:
Anil Yadav
- Book Type:

- Description: Hindi Short Story by Anil Yadav
Antarman
- Author Name:
Nirmala Kapila
- Book Type:

- Description: Nirmala Kapila Innersoul Stories
Sapanon Ka Ganit
- Author Name:
Rajendra Shrivastava
- Book Type:

-
Description:
सभ्यता, संस्कृति और शुचिता की बदलती हुई परिभाषाओं के इस दौर में अपने समय को दर्ज करना बेहद चुनौतीपूर्ण है। ‘सपनों का गणित’ की कहानियाँ अपने समय के इस द्वन्द्व को रेखांकित करती हैं और आत्मचिन्तन तथा आत्मविश्लेषण के लिए हमें प्रवृत्त करती हैं। निर्भीक होना हर दौर में लेखन की बुनियादी शर्त रही है। यह सुखद है कि लेखक अपनी पूरी ताक़त से इन स्थितियों से मुठभेड़ करता है और समस्याओं से कन्नी काटकर निकलने का कोई प्रयास इन कहानियों में नहीं है। इन कहानियों के माध्यम से हम सच...और परोसे जा रहे सच...के अन्तर को भी समझ सकेंगे।
अपेक्षाओं का भंग होना आज एक गम्भीर समस्या है और आम जन हर मोर्चे पर ख़ुद को छला हुआ महसूस कर रहा है। लेखक ने इस पीड़ा को समझा है और अपनी कहानियों के माध्यम से अभिव्यक्ति दी है।
पाठकों और आलोचकों—दोनों की पसंद की कसौटी पर खरा उतरना लेखक के लिए कठिन हो सकता है, लेकिन अपनी कहानियों के माध्यम से राजेन्द्र श्रीवास्तव इस सन्तुलन को साधते हैं। पठनीयता और गुणवत्ता दोनों के मेल से ही यह सम्भव हो सकता है।
Volga Se Ganga
- Author Name:
Rahul Sankrityayan
- Rating:
- Book Type:

- Description: राहुल सांकृत्यायन की अत्यन्त चर्चित कृति ‘वोल्गा से गंगा’ ऐसी बीस ऐतिहासिक कहानियों का संकलन है जिनमें उन्होंने आर्यों के आठ हजार साल के इतिहास को कालानुक्रम से अंकित किया है। इन कहानियों में मातृसत्तात्मक समाज-व्यवस्था को पितृसत्तात्मक व्यवस्था में बदलने की प्रक्रिया भी दृष्टिगोचर होती है और आर्यों की यूरेशिया से वोल्गा तथा उसके बाद गंगा तक की यात्रा की रूपरेखा भी पता चलती है। ई.पू. 6000 से लेकर 1942 ई. तक के कालखंड को कड़ी-दर-कड़ी प्रस्तुत करनेवाली ये कहानियाँ एक तरफ जहाँ राहुल सांकृत्यायन के असीम अध्ययन का पता देती हैं, वहीं भारोपीय मानव-इतिहास के प्रति हमें एक व्यापक समझ भी देती हैं। इन कहानियों में इतिहास भी है, और कथा भी। सम्बन्धित काल खंडों की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों की स्पष्ट रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए ये कहानियाँ कथा-रस को भी कहीं भंग नहीं होने देतीं। भारतीय साहित्य में एक क्लासिक का दर्जा हासिल कर चुकी इस पुस्तक का अनुवाद असमिया, मराठी, बांग्ला, कन्नड़, तमिल, मलयालय, तेलुगु, पंजाबी आदि भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, चेक तथा पोलिश भाषाओं में भी हो चुका है।
Katha Saptak - Kadambari Mehra
- Author Name:
Kadambari Mehra
- Book Type:

- Description: Description Awaited
Katha Saptak Geetashree
- Author Name:
Geetashree
- Rating:
- Book Type:

- Description: "नजरा गईली गुईंयां" एक मौन प्रतिरोध की कहानी है। एक स्त्री जो अपना प्रतिरोध मौन रहकर जताती है, लेकिन वो अपना प्रतिरोध स्थानांतरित कर देती है। अपनी बेटी में जो पितृसत्ता पर वार कर देती है। कहानी में वही बेटी अपनी माँ से सवाल करती है कि माँ क्या तुम्हारा सपना भी मेरी शादी है तो वो जवाब देती हैं। "भक्क... हम ऐसा सपना देखते तो तुम आज वहाँ से हमसे मज़ाक कर रही होती का... दो तीन बच्चा-खच्चा लेकर किचकिचा रही होती... हम वैसी माँ नहीं, हम तो तुमको पैर पर खड़ा होते देखने का सपना देखते रहे, खुदमुख्तार बनने का सपना... मेरी तरह नहीं बनाना चाहती थी कि दिन भर टेटियाती रहो- "ऐ जी... सुनते हैं, हमको सौ रुपया दीजिए... हमको चूड़ी खरीदना है..." इसके साथ ही जो गीताश्री जी की कहानियों की ख़ासियत है कि वे उनकी हर कहानी के माध्यम से संस्कृति से परिचय कराती हैं। रुदाली तो जानते थे, एक विलुप्त परंपरा हंकपड़वा से उन्होंने परिचय कराया। 'ट्राम नंबर 5 और बोहेमियन धुन' को पढ़ते हुए याद आते हैं निर्मल वर्मा। कहानी प्रेम की उदास कहानी है। प्रेम के होते हुए जो उदासी होती है, यह कहानी उसी उदासी को रचती है। यह हिज्र वाली उदासी नहीं है, यह तो प्रेम के होने की उदासी है। इस कहानी की भाषा सप्तक की सारी कहानियों से एकदम अलग है। कहानी अपने पीछे एक गहरा सन्नाटा छोड़ जाती है। मैगनोलिया का फूल हमारी स्मृति बसा रह जाता है। उनकी सभी कहानियाँ पाठक को बांध देती हैं। जिनके ख़त्म होने तक उनके पाश से मुक्त होना संभव नहीं होता। कथा सप्तक में सभी कहानियाँ इसी तरह की हैं। -आकाश माथुर
Kahaniyan Rishton Ki : Maa
- Author Name:
Akhilesh
- Book Type:

- Description: माँ यानी दुनिया से पहली पहचान, पहला रिश्ता। एक ऐसा रिश्ता जो जन्म के पहले से ही शुरू हो जाता है। बाद में सन्तान जैसे-जैसे बड़ी होने लगती है, उसकी दुनिया का विस्तार होने लगता है, उसके जीवन में माँ की केन्द्रीयता ख़त्म हो जाती है पर माँ के समूचे व्यक्तित्व और सद् भावना के केन्द्र में उसकी सन्तान ही रहती है। इस संकलन में लगभग सभी महत्त्वपूर्ण कहानियों को चयनित किया गया है, जिससे ‘माँ’ का कोई भी जाना-अनजाना चेहरा छूट न सके। यक़ीनन इसे पढ़ते हुए पाठकों की अपने जीवन से जुड़ी बहुत सारी छवियाँ और स्मृतियाँ कुछ और चटख होंगी।
Aadim Ratri Ki Mehak
- Author Name:
Phanishwarnath Renu
- Book Type:

-
Description:
फणीश्वरनाथ रेणु के कथा साहित्य को आंचलिक कहा गया है किन्तु उनकी कहानियाँ (तथा उपन्यास भी) जहाँ एक ओर ग्राम्य-जीवन की आंचलिकता को ही नहीं उसकी सम्पूर्ण आन्तरिकता को व्यक्त करती हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण तथा शहरी जीवन के अन्त:सम्बन्धों की वास्तविकता का भी उद्घाटन करती हैं। रेणु की कहानियों में अत्यन्त ‘निजी’ को व्यापक सामाजिक यथार्थ से जोड़ पाने की अद्भुत क्षमता है और ऐसा वे अपूर्व काव्यात्मक रचाव के साथ कर पाते हैं। इस प्रक्रिया में उनकी कहानियाँ संगीत की सरहदों को छूने लगती हैं। उनके सहज प्रतीत होनेवाले कथा-शिल्प से अनायास ‘ऑडियो-विजुअल’ प्रभाव उत्पन्न होने लगता है। उनकी टेकनीक एक सर्ररियलिस्टिक पैटर्न निर्मित करती है जिसमें एक ‘प्रिज़्म’ की तरह छनकर रंगारंग विचारों तथा भावनाओं की घुलनशीलता शामिल हो जाती है। उनकी कहानियाँ हमारी सम्पूर्ण संवेदनाओं को एक साथ तृप्त करती हैं। अगर उनमें गहरी लयबद्ध ऐन्द्रिकता है तो बिना बौद्धिकता का छद्म धारण किए ही ‘वस्तु सत्य’ के मर्म तक पहुँच जानेवाली विश्लेषणपरकता भी है। आज़ादी के बाद के राजनैतिक परिवर्तनों का दस्तावेज़ी बयान प्रस्तुत करनेवाली कहानियों में यह तथ्य ख़ूब उभरकर आता है—‘जलवा’ तथा ‘आत्म-साक्षी’ जैसी कहानियों में तटस्थ राजनैतिक बोध की निर्ममता के साथ उस क्रूर ‘ट्रेजडी’ का एहसास भी है जिसमें कोमल मानवीय सच्चाइयों के निर्दयता से कुचले जाने का इतिहास अंकित है। ‘आदिम रात्रि की महक’ की कहानियों में एक नैसर्गिक विनोद वृत्ति है जो एक साथ भाषा, स्थितियों तथा चरित्रों से छेड़छाड़ करती चलती है—चुलबुलेपन की हद तक जाकर। लेकिन उनमें कब अचानक एक करुण मानवीय बोध उतर आता है, इसका पता पाठक को तब चलता है जब उसकी ‘हँसी’ में सहसा एक ‘हूक’ शामिल हो जाती है। ऐसे विरल संयोगों के हिन्दी में रेणु एकमात्र कथाकार हैं।
—विजय मोहन सिंह
Vishwa Ki Shreshtha Kahaniya : Vol. 2
- Author Name:
Mamta Kaliya
- Book Type:

- Description: भारतीय भाषा परिषद ने भारतीय भाषाओं की कई चुनी हुई रचनाओं के संकलन पहले भी प्रकाशित किए हैं। अब इसी क्रम को बढ़ाते हुए, इसी शृंखला में विश्व की श्रेष्ठ कहानियाँ प्रकाशित की जा रही हैं। उम्र के हर मोड़ पर ये कहानियाँ पाठकों के जेहन से टकराई होंगी, कभी लिखित रूप में, कभी वाचिक। सुदूर देशों के भूगोल और इतिहास को उलाक कर इन रचनाओं ने हमारे स्मृति-कोष को समृद्ध किया है। इनकी गहरी मानवीय दृष्टि, मार्मिक सृष्टि और वृहत्तर अभिप्रायों ने हमें ऐसा छुआ है कि हमने इन्हें अपना पाथेय समझा। विश्व कथा साहित्य से परिचित होने की राह में भारतीय भाषा परिषद का यह विनम्र प्रयास है। —ममता कालिया
Tufan
- Author Name:
Sarita Kumari
- Book Type:

- Description: सभ्यता की यात्रा पहियों से अधिक कहानियों के दम पर हुई है। यही बात मनुष्य के जीवन पर भी लागू है। जीवन कहानियों के सुनने, सुनाने और रचने की अटूट यात्रा है। खाली से खाली प्रतीत होता दिन भी एक कहानी होता है। हम कहानियों के बगैर जी नहीं सकते और जब मरते हैं तो एक नयी कहानी का श्रीगणेश कर जाते हैं। सरिता कुमारी की कहानियों से गुज़रते हुए इस निरंतरता और घटनाओं के पूर्वापर सम्बन्ध पर बारहां ध्यान जाता है। इन कहानियों में वही जीवन है जो हम अपने जीवन में देखते हैं। रचनाकार का कौशल घटनाओं और प्रसंगों के चयन में दिखता है। यहाँ वे हर कहानी में एक $खास बात कहती नज़र आती हैं, ऐसी बात जो या तो कुछ बताए या चेताए। यह एक नेक काम है जो किसी दर्शन या सैद्धान्तिकी या विमर्श के पचड़े में पड़े बगैर हो सकता है। सरिता कुमारी का यह संग्रह ऐसी ही नेकियों का गुलदस्ता है। उदाहरण के तौर पर मैं तीन कहानियों का जि़क्र करना चाहूँगा। पहली कहानी है—साइलेंट किलर। यह कहानी बड़ी सादगी से प्रसवोत्तर अवसाद की घातकता और उसके समाधान का मार्ग बताती है। चूँकि मैं एक मनोचिकित्सक भी हूँ इसलिए मुझे यह कहानी बड़ी उपयोगी लगी। दूसरी कहानी है—तूफान। यह तूफान के बहाने आकस्मिक क्षति और उससे होने वाले चिंता रोग की दास्तान है। मनोचिकित्सकीय भाषा में कहूँ तो यह पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर की कथा है जिसमें कथाकार ने तूफान की आशंका और उसके घटित होने के बाद की यातना को बखूबी चित्रित किया है, मगर एक संयोग-निर्मित समाधान की छतरी के नीचे। तीसरी कहानी है—पहचान। यह एक रोचक कहानी है जो बुजुर्गों के लिए काउन्सलिंग की तरह है। कुल मिलाकर 'तूफान एक परिवार के भीतर पढ़े जाने योग्य कहानी-संग्रह है। —विनय कुमार
Nai Sadi Ki Pehchan : Shrestha Dalit Kahaniya
- Author Name:
Mudra Rakshas
- Book Type:

- Description: हिन्दी क्षेत्र में दलित लेखन शुरू तो बहुत पहले हो गया था पर उसकी पहचान बनने में देर लगी। पहले हिन्दी में दलित लेखकों और चिन्तकों द्वारा दलित चेतना और संघर्ष को लेकर वैचारिक, ऐतिहासिक और सामाजिक लेखन हुआ। हिन्दी में दलित लेखन का यह एक महत्त्वपूर्ण दौर माना जाएगा। इसके बाद रचनात्मक लेखन का दौर शुरू हुआ। हिन्दी में दलित रचनात्मक लेखन का इतिहास ज़्यादा लम्बा नहीं है। बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में दलित लेखक हिन्दी में सामने आए। हिन्दी रचनाजगत में दलित लेखकों की सक्रियता तीन क्षेत्रों में सामने आई। उन्होंने बड़े पैमाने पर रचनात्मक साहित्य लिखा। दलित लेखकों की कविताएँ और कथाकृतियाँ प्रकाशित हुईं। राजेन्द्र यादव लिखते हैं—दलित साहित्यकारों की यह मजबूरी है कि वे सिर्फ़ अपने निजी अनुभवों को ज़मीन पर जीने के संघर्षों और स्थितियों का इन्दराज करें। हाँ, सबसे निचली गहराइयों से उछल-उछलकर आनेवाली ये तस्वीरें इतनी ख़ौफ़नाक हैं कि सारे समाज को दहलाकर रख देती हैं।” दलित कथा रचनाओं को इसी पृष्ठभूमि में देखा जाना चाहिए। उनमें अपने समय और इतिहास का समाजशास्त्र भी है और स्थितियों से ऐसी मुठभेड़ भी जो व्यवस्था में बुनियादी परिवर्तन के लिए प्रयत्नशील है। इन कथा रचनाओं में मात्र यथार्थ नहीं है। उनकी कृतियाँ यथार्थ की शल्यक्रिया भी करती हैं। लेकिन इस सामाजिक शल्यक्रिया के बावजूद दलित रचनाकार की समस्याएँ जीवन में ही नहीं साहित्य की दुनिया में पहले से ज़्यादा जटिल और लगभग हिंसक हो गई हैं।
Surang
- Author Name:
Sanjay Sahay
- Book Type:

-
Description:
90 के दशक में बड़ी तेज़ी से बदल रही थी हिन्दी कहानी और उतनी ही तेज़ी से बदल रहा यह हमारा देश। वह एक खौलते हुए यथार्थ का समय था जिसे कथा साहित्य में दक्षता के साथ प्रस्तुत करनेवाले लेखकों में संजय सहाय बेहद महत्त्वपूर्ण हैं। संजय सहाय की कहानियों का पहला संग्रह था—‘सुरंग’। ‘सुरंग’ को एक तरह से बेहतरीन कहानियों का निवास भी कहा जा सकता है जहाँ हर कहानी में मनुष्य जाति का कोई न कोई ज़ख़्म और कोहराम है। अच्छी कथाओं का मोक्ष यह होता है कि उन्हें कभी मोक्ष नहीं मिलता, हमेशा इसी दुनिया में जीना-मरना उनकी नियति और सिद्धि है। इसीलिए ‘सुरंग’ की कहानियाँ अपने प्रकाशन के क़रीब दो दशक बाद आज भी प्रासंगिक और समकालीन हैं, बल्कि कई अर्थ में पहले से भी अधिक। वे मौजूदा समाज के प्रातिनिधिक चरित्र उस हिंसा का प्रत्याख्यान करती हैं जो सर्वाधिक बेबस और मुफ़लिस का आखेट करती है। संजय सूक्ष्मता में जाकर हिंसा की सत्ता-संरचना का विखंडन करते हैं; यह अनायास नहीं है कि संजय की कहानियों में ख़ून, हथियार, प्रहार, वर्दी आदि बार-बार आते हैं। इन्हीं के समानान्तर सिर उठाती देखी जा सकती है, साधारण इनसान की रुलाई, चीख़ और प्रतिरोध की आवाज़।
‘सुरंग’ की कहानियों में देखा जा सकता है कि दृश्यान्तर बहुत हैं। ‘शेषान्त’, ‘मध्यान्तर’, सरीखी कहानियों में बहुत सारे लोग मिलकर विविध दृश्य रचते हैं तो ‘खेल’, ‘सुरंग’, ‘टोपी’ जैसी कहानियों में एक-दो पात्रों की आँख के सामने अनेक अपने-अपने क़िस्सों के दृश्यों के साथ प्रकट होते हैं। यूँ भी कह सकते हैं, संजय के यहाँ जीवन अनोखेपन और चाक्षुषता के साथ है। ‘अविश्वसनीय’ और ‘सुरंग’ में जहाँ लोग-बाग ज़्यादा नहीं हैं, वहाँ उनकी जगह समय का विस्तृत फलक है। ‘अविश्वसनीय’ में संजय ने स्त्री के दु:ख तथा उसके प्रति पुरुष-सत्ता के नज़रिए को शान्त, बढ़ा, बाजिरह कहा है। ‘सुरंग’ की सुरंग इतिहास के रक्तपात से भरी हुई है। यह सुरंग अतीत से चलकर बरास्ते वर्तमान होते हुए भविष्य तक का उद्घाटन करती है जिसमें शक्तियों की बेरहमी, अन्याय और बेदखली गश्त कर रही है।
संक्षेप में कहें, ‘सुरंग’ की कहानियाँ ऐसी हैं जो कभी-कभी रची जा पाती हैं लेकिन लम्बे वक़्त के लिए साथ रह जाती हैं।
—अखिलेश
Das Pratinidhi Kahaniyan-Sudha Om Dhingra
- Author Name:
Sudha Om Dhingra
- Book Type:

- Description: This book has no description
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.