Dilli Mein Neend
Author:
Uma Shankar ChoudharyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 128
₹
160
Available
उमा शंकर चौधरी लम्बी कहानियों के सिद्धहस्त लेखक हैं। उनकी कहानियाँ आपको मदमस्त नहीं करतीं, बल्कि परेशान करती हैं। आप उनसे भागना भी चाहते हैं लेकिन एक तत्त्व है लेखक में कि वह जीवन की सही सच्चाइयाँ पकड़ लेता है। लेखक के पास छोटी-छोटी चीज़ों के लम्बे-लम्बे वृत्तान्त हैं। इतने कि कई बार आपको ऊब होने लगती है। लेकिन यही लेखक की सूक्ष्म निरीक्षण-क्षमता है। ‘दिल्ली में नींद’ संग्रह की तमाम कहानियाँ इस बात का प्रमाण हैं। चाहे वह राजेश्वर सिंह की कहानी हो या फुच्चु मास्साब की या सुनानी की; एक गहरी पीड़ा इन सब में है। उनकी कहानियाँ सपाट नहीं हैं। वे यथार्थ के भीतर जाती हैं और कई बार उसका अतिक्रमण करती हैं। इसके लिए कई बार वे जादुई यथार्थवाद का भी इस्तेमाल करते हैं। उनके सरोकार स्पष्ट हैं और उसमें कोई फाँक नहीं है। इस संग्रह की कहानियाँ सामन्ती समाज के अन्तर्विरोधों की कहानियाँ हैं तो इनमें उदारीकरण के बाद के शहरी समाज की निम्नमध्यवर्गीय पीड़ा भी है। आम आदमी के दु:ख-दर्द उमा शंकर की कहानियों की ख़ास विशेषता है और यही उन्हें अपनी पीढ़ी में सबसे अलग करती है। </p>
<p>—शशिभूषण द्विवेदी
ISBN: 9789389577990
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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वह हर तरफ़ से आता है, और आपके जीवन की हर समस्या का समाधान आपको देता है, हर प्रश्न का जवाब, हर दिक़्क़त के लिए एक सुविधा, एक ‘ऐेप’। बस एक मूलभूत प्रश्न का जवाब ही उसके पास नहीं कि जिन साधनों का विशाल गट्ठर वह बाँधे फिरता है, उसे ख़रीदने के लिए पैसे अगर आपके पास न हों तो क्या करें? और आप जब यह पूछते हैं, आपको बाहर कर दिया जाता है, कभी ग़ायब, कभी ग़ैरज़रूरी।
कुछ और भी प्रश्न हैं जिनके जवाब उसके पास नहीं, लेकिन जिनका इस्तेमाल वह बख़ूबी कर लेता है, मसलन हमारा जाति-अहंकार, राजनीतिक-सामाजिक अनैतिकताएँ, नौकर-शाही की उठापटक और ताक़त की अन्य अनेक क़िस्में। पंकज मित्र इन कहानियों में हमारी इन परतों को भी उघाड़ते हैं।
ग्रामीण समाज के मनोविज्ञान पर उनकी सहज पकड़ है साथ ही विकास की असन्तुलित धारा के साथ उभरती विडम्बनाओं को पकड़ने का कौशल भी जो इन कहानियों में बख़ूबी प्रकट हुआ है। भाषा का चुटीला प्रयोग, कथा-प्रवाह और पात्रों को उनकी विशेषताओं में साकार करने की उनकी ख़ूबी इन कहानियों को ख़ास तौर पर पठनीय बनाती है और उनके सरोकार संग्रहणीय।
Urdu Ki Prasiddh Kahaniyan
- Author Name:
Rahul Jha
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Pratinidhi Kahaniyan : Gyanranjan
- Author Name:
Gyanranjan
- Book Type:

- Description: साठोत्तरी प्रगतिशील कथा-साहित्य में ज्ञानरंजन की कहानियों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस संग्रह में उनकी प्रायः सभी बहुचर्चित कहानियाँ शामिल हैं जो समकालीन सामाजिक जीवन की अनेकानेक विरूपताओं का खुलासा करती हैं। इस उद्देश्य तक पहुँचने के लिए ज्ञानरंजन ने अक्सर पारिवारिक कथा-फ़लक का चुनाव किया है, क्योंकि परिवार ही सामाजिक सम्बन्धों की प्राथमिक इकाई है। इसके माध्यम से वे उन प्रभावों और विकृतियों को सामने लाते हैं, जो हमारे बूर्ज्वा संस्कारों की देन हैं। ये बूर्ज्वा संस्कार ही हैं कि प्रेम-जैसा मनोभाव भी हमारे समाज में या तो रहस्यमूलक बना हुआ है या भोगवाचक। ऐसी कहानियों में किशोर प्रेम-सम्बन्धों से लेकर उनकी प्रौढ़ परिणति तक के चित्र उकेरते हुए ज्ञानरंजन अपने समय की प्रायः समूची दशा पर टिप्पणी करते हैं। मनुष्य के स्वातंत्र्य पर थोपा गया नैतिक जड़वाद या उसे अराजक बना देनेवाला आधुनिकतावाद मानव-समाज के लिए दोनों ही घातक और प्रतिगामी मूल्य हैं। वस्तुतः आर्थिक विडम्बनाओं से घिरा मध्यवर्ग सामान्य जन से न जुड़कर जिन बुराइयों और भटकावों का शिकार है, ये कहानियाँ उसके विविध पहलुओं का अविस्मरणीय साक्ष्य पेश करती हैं।
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