Swatantrata Aandolan Ka Itihas (1857-1947)
Author:
Shashiprabha SrivastavPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
स्वतंत्रता का महापर्व पीड़ा, यातना, त्याग व बलिदान के बीहड़ मार्ग से होकर आया है। इस मार्ग पर लहूलुहान होती, मरती-खपती एक पूरी की पूरी पीढ़ी ने अपना जीवनकाल गुज़ारा है। न्याय व अधिकार के लिए संघर्षरत पिछली पीढ़ी के साहस, ओज, शक्ति और साथ ही उसकी पीड़ा, यातना, त्याग का ज्ञान अपनी पूरी गरिमा के साथ नई पीढ़ी को होना ही चाहिए। यह संघर्ष उस शक्ति से था जिसके राज्य में सूर्य कभी अस्त ही नहीं होता था। हम विजयी हुए, इसलिए कि पूरा भारत अपनी विभिन्न प्रतिरोधक शक्तियों के साथ उठ खड़ा हुआ। यह युद्ध एक साथ राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक सभी मंचों से लड़ा गया। अंग्रेज़ों के साथ लड़ते हुए हमने अपनी बुराइयों तथा अपने लोगों से भी युद्ध किया।</p>
<p>इस पुस्तक के दादा जी यूँ तो काल्पनिक पात्र हैं, लेकिन यदि कहा जाए कि राष्ट्रीय आन्दोलन की आत्मा को उनमें केन्द्रित किया गया है तो झूठ न होगा। उस दौर में अनेक ऐसे लोग थे जिन्होंने आन्दोलन के पीछे रहकर काम किया। साम्राज्यवाद की मार से बिखरे-टूटे परिवार के सदस्यों को सहारा ही नहीं दिया, उन्हें माता-पिता की कमी तक खलने नहीं दी। साम्प्रदायिक दंगों तथा विभाजन के अवसर पर हारे-थके बेसहारा लोगों की रक्षा की। अपने को, अपने व्यक्तिगत सुख, लाभ-हानि को भुलाकर पूरी तरह गांधीवादी विचारधारा में डूब गए। मगर आज वे गुमनामी की दुनिया में खो गए हैं। ऐसी सभी पुण्य आत्माओं को दादा जी के रूप में याद किया गया है। दादा जी के सहारे ही इस इतिहास खंड को कथात्मक रूप दिया जा सका है।</p>
<p>ज़रूरत इस बात की है कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता-संग्राम से किशोर पाठकों का भावनात्मक लगाव उत्पन्न</p>
<p>हो। वे इस संघर्ष की गौरवमय कथा को जानें, स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करें और आज़ादी के वास्तविक मूल्य को पहचानें। किशोर पाठकों के लिए सरल-सहज भाषा-शैली में लिखी गई यह पुस्तक निश्चय ही चाव से पढ़ी जाएगी, ऐसा हमारा विश्वास है।</p>
<p> </p>
<p>
ISBN: 9788183610360
Pages: 140
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Agnipath Se Nyaypath
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Deokinandan Gautam
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक उस बालक की कहानी है, जिसने जीवन में संघर्ष को उत्सव और उत्कर्ष का सोपान बनाने का प्रयत्न किया। बुंदेलखंड के पिछड़े क्षेत्र में साधारण किसान परिवार में जनमे इस बालक ने अभावों में अपनी भाव-भंगिमा को ईश्वर के सहारे सार्थकता से युक्त रखा। श्रीमद्भगवद्गीता, उसमें दिए गए ध्यान के प्रयोग उसके पाथेय रहे। पढ़-लिखकर पुलिस सेवा को एक मिशन के तौर पर लिया और यथाशक्त निर्वाह किया। थपेड़े खाए, पर न्यायपथ पर डटा रहा। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से पुलिस विभाग के शीर्षस्थ पद से कुछ बड़े परिवर्तनों का वाहक बनने का निमित्त बना। जीवन में अनेक महान् विभूतियों के दर्शनों का सौभाग्य उसे मिला। पुस्तक के आकार की मर्यादा का ध्यान रखते हुए लेखक ने विभिन्न प्रकरण संक्षेप में दिए गए हैं। अनेक को स्थान नहीं मिल पाया है। बहुत से प्रकरण इसलिए भी छोड़ने पड़े कि उनमें आत्मश्लाघा की बू आने लगती अथवा ऐसे गंभीर ऑपरेशनल मैटर्स एवं विभागीय कमियों का ब्योरा आ जाता जिसका लाभ देश-विरोधी ताकतों को मिल जाता। जीवनमूल्यों की स्थापना करते हुए कर्तव्य के अग्निपयध पर सतत चलकर न्यायपथ की विस्तीर्ण यात्रा है यह पुस्तक
Bharat Ke Pradhanmantri : Desh, Dasha, Disha
- Author Name:
Rasheed Kidwai
- Book Type:

- Description: तकनीक और संचार के अभूतपूर्व विस्तार तथा राजनीति में लोगों की बेहिसाब दिलचस्पी के मेल से हैरतअंगेज़ नतीजे सामने आए हैं। इसका एक चिन्ताजनक पहलू हैइतिहास के निर्माताओं समाज के नेतृत्वकर्ताओं और उनके कार्यों के बारे में सचाई से परे मनगढ़ंत बातों का बड़े पैमाने पर प्रसार। यह स्थिति आम जनता को भ्रमित करती है। उन्हें अपने देश और समाज की वास्तविकता से दूर करती है सही और तथ्यसंगत राय बनाने में अक्षम बनाती है। ऐसे में भारत के सभी प्रधानमंत्रियों के व्यक्तित्व कार्यों नीतियों और उनके प्रभावों पर केन्द्रित इस किताब का महत्त्व असंदिग्ध है। आज़ादी के 75वें साल में प्रकाशित यह पुस्तक पहले प्रधानमंत्री से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री तक हमारे शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं के विचारों और कार्यों का निष्पक्ष मूल्यांकन करती है तथा एक लोकतंत्र के रूप में भारत की प्रगति और उसके रास्ते में खड़े अवरोधों के बारे में सोचने का सूत्र देती है। व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के दौर में यह किताब तथ्यपरक ढंग से बतलाती है कि जब कभी देश के विकास की ज़रूरतों पर शीर्षस्थ नेतृत्व की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा हावी हुई भारतीय लोकतंत्र प्रभावित हुआ। एक अनुभवी पत्रकार की क़लम से देश के सभी प्रधानमंत्रियों का निष्पक्ष आकलन पेश करती यह कृति भारतीय लोकतंत्र में दिलचस्पी रखनेवाले प्रत्येक नागरिक के लिए एक ज़रूरी दस्तावेज़ साबित होगी।
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