Vivekanand Ki Atmakatha
Author:
SankarPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 400
₹
500
Available
"स्वामी विवेकानंद नवजागरण के पुरोधा थे। उनका चमत्कृत कर देनेवाला व्यक्तित्व, उनकी वाक्शैली और उनके ज्ञान ने भारतीय अध्यात्म एवं मानव-दर्शन को नए आयाम दिए।
मोक्ष की आकांक्षा से गृह-त्याग करनेवाले विवेकानंद ने व्यक्तिगत इच्छाओं को तिलांजलि देकर दीन-दुःखी और दरिद्र-नारायण की सेवा का व्रत ले लिया। उन्होंने पाखंड और आडंबरों का खंडन कर धर्म की सर्वमान्य व्याख्या प्रस्तुत की। इतना ही नहीं, दीन-हीन और गुलाम भारत को विश्वगुरु के सिंहासन पर विराजमान किया।
ऐसे प्रखर तेजस्वी, आध्यात्मिक शिखर पुरुष की जीवन-गाथा उनकी अपनी जुबानी प्रस्तुत की है प्रसिद्ध बँगला लेखक श्री शंकर ने। अद्भुत प्रवाह और संयोजन के कारण यह आत्मकथा पठनीय तो है ही, प्रेरक और अनुकरणीय भी है।
ISBN: 9789350481462
Pages: 376
Avg Reading Time: 13 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Bundelkhand Ke Agradoot
- Author Name:
Rakesh Kumar Agrawal
- Book Type:

- Description: "आज हर क्षेत्र में इज्जत, शोहरत और पैसा है लेकिन अतीत में ऐसा नहीं था। फिर भी ऐसे समय में भी कुछ लोगों ने साहित्य, कला और खेल के क्षेत्र में पूर्ण निष्ठा से जी-जान लगाकर काम किया। यह उनका जुनून समझ लें या उनकी लगन, जिसकी वजह से उन्होंने अपनी आखिरी साँस तक मिट्टी के लगाव को वृद्ध नहीं होने दिया। आजकल सोशल मीडिया और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के जमाने में कोई भी बात या खबर बिजली की रफ्तार से फैलती है। लेकिन हम कल्पना कर सकते हैं कि उस दौर में कैसे बुंदेलखंड के अग्रदूतों—मुंशी प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त, बाबू केदारनाथ अग्रवाल, वृंदावनलाल वर्मा, हॉकी के जादूगर दद्दा ध्यानचंद, बाबू श्यामलाल ‘इंदीवर’, महारानी लक्ष्मीबाई, मिर्जा गालिब, रायप्रवीण और मस्तानी ने अपनी यशकीर्ति की पताका पूरी दुनिया में फहराई होगी? हर क्षेत्र का अपना एक एवरेस्ट होता है। स्टार और सुपरस्टार केवल सिनेमा में ही नहीं होते। वर्तमान समय में हर क्षेत्र में काम करनेवाले लोगों के पास अकूत संपत्तियाँ हैं। लेकिन उन लोगों के कला प्रेम का कोई मूल्य नहीं लगाया जा सकता जिन्होंने जिंदगी के उतार-चढ़ाव और फाकाकशी के चलते भी अपने कर्म से समझौता नहीं किया। इसलिए लेखक को अपनी जन्मभूमि बुंदेलखंड के ये अग्रदूत मिथकीय पात्रों से बिल्कुल भी कम नहीं लगते। बुंदेलखंड की प्रमुख महान् विभूतियों को एक पुस्तक में सहेजने का यह पहला अभिनव प्रयास है। निश्चित तौर पर छात्रों, शोधार्थियों एवं अन्य पाठकों को यह पुस्तक लाभान्वित करेगी। "
Lieutenant Colonel Ardeshir Burzorji Tarapore
- Author Name:
Major Rajpal Singh
- Book Type:

- Description: This Book Doesn’t have any Description
Itihaskaar Ka Matantar
- Author Name:
Mubarak Ali
- Book Type:

- Description: पाकिस्तान के पाठ्यक्रम में इतिहास की जो पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं, उनमें भारत और हिन्दुओं का उल्लेख एक शत्रु देश और शत्रु के रूप में किया गया है। उनमें पाकिस्तान का इतिहास शुरू होता है मुहम्मद–बिन–कासिम के भारत आक्रमण से। भगत सिंह, अशफ़ाक़उल्ला ख़ाँ, महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस, ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ाँ जैसे स्वाधीनता–सेनानियों का उनमें कोई उल्लेख नहीं। स्वाधीनता–सेनानियों के रूप में इक़बाल, मुहम्मद अली ज़िन्ना, लियाक़त अली ख़ाँ जैसे लोगों का ही नाम है जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध न तो कोई जंग की, न ही जेल गए। वहाँ के इतिहास में औरंगजेब को महानायक तथा अकबर को खलनायक के रूप में चित्रित किया गया है। इतिहास को तोड़–मरोड़कर पेश करने की परम्परा केवल पाकिस्तान में ही नहीं, हमारे देश में भी रही है। फ़र्क़ केवल मात्रा का है। वहाँ यह मानसिकता प्रचुर मात्रा में है तो यहाँ अल्प। मसलन हिन्दू कट्टरवादियों द्वारा बाबर को भारत पर आक्रमणकारी तथा हिन्दू विरोधी के रूप में चित्रित किया जाता है और आज भी भारतीय मुसलमानों को बाबर की सन्तान कहकर कोसा जाता है।
Congress-Mukt Bharat
- Author Name:
Amit Bagaria
- Book Type:

- Description: अब 80 महीने से भी अधिक का समय बीत चुका है, जब भारतीय राजनीति की ‘वयोवृद्ध पार्टी’, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 2014 के चुनावों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी/एनडीए के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था। पाँच साल बाद 2019 में मोदी ने अपने नेतृत्व में बीजेपी/एनडीए को उससे भी बड़ी जीत दिलाई, भले ही कांग्रेस को इस बार कुछ अधिक सीटें मिलीं। अगस्त 2019 में ‘इंडिया टुडे’ के सर्वे में 57.5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कांग्रेस अपने अंत की ओर बढ़ रही है, 71.4 प्रतिशत ने कहा कि भारतीय मतदाताओं ने निर्णायक रूप से वंशवादी राजनीति को खारिज कर दिया है, और मात्र 32.6 प्रतिशत ने कहा कि सिर्फ एक गांधी ही पार्टी को पुनर्जीवित कर सकता है। जनवरी 2020 में कराए गए ऐसे ही सर्वे में 68.2 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कांग्रेस अपने सबसे बड़े नेतृत्व संकट से गुजर रही है। अगस्त 2020 में 55.3 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कांग्रेस अपने अंत के करीब है। लेकिन अब तक भी 135 साल पुरानी पार्टी के पुनर्जीवित होने के संकेत नहीं दिखते। 7 अगस्त, 2020 को 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के अध्यक्ष पद समेत विभिन्न संगठनों के चुनाव कराए जाने की माँग के साथ ही नेहरू-गांधी परिवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया। इतने महीने बाद भी पार्टी में नेतृत्व के संकट को दूर करने की दिशा में कोई ठोस कदम उठता नहीं दिखता। ‘बागियों’ और ‘परिवार के तथाकथित वफादारों’ के बीच की दरार कांग्रेस पार्टी को लगातार डरा रही है।
Gandhi aur Nehru
- Author Name:
Deepak Malik
- Rating:
- Book Type:

-
Description:
भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन वस्तुत: आम सहमतियों और व्यापक संयुक्त मोर्चों एवं सम्मिलित जन-आन्दोलन को लेकर राजनीतिशास्त्र की दुनिया में एक ‘नई गतिकी’ को निर्मित करता है, यह विश्व इतिहास में एक नई कड़ी है।
गांधी विमर्श तो न केवल भारत में अपितु पूरे विश्व में बड़े दमख़म के साथ चल रहा है, पर जवाहरलाल के बारे में इस दौर में कुछ ही पुस्तकें बाज़ार में आ रही हैं, गांधी-नेहरू साझा विमर्श एक देर से ही सही लेकिन निहायत ही मौज़ूँ सिलसिला है।
वैश्वीकरण के आक्रामक दौर में नेहरू जो एक स्वतंत्र वैकल्पिक अर्थतंत्र और राज्य सत्ता के स्थपति थे, उन्हें भुला देना अस्वाभाविक नहीं लगता है। इस दौर में मौजूदा राज्य सत्ता से लेकर प्रमुख विपक्ष तक ने वैश्वीकरण और उदारीकरण को स्वीकार कर लिया है। साम्प्रदायिकता की तस्वीर में भी 1992 और 2002 के बाद शताब्दियों से चल रही मुश्तरका संस्कृति में दीमक लग गई है। गांधी को तो वैश्वीकरण के स्टीमरोलर ने बेरहमी से ज़मींदोज़ कर दिया है। ऐसे दौर में गांधी-नेहरू के ऐतिहासिक साझा और उनके कृतित्व पर पुन: रोशनी पड़नी चाहिए।
प्रस्तुत पुस्तक दो महान स्वप्नद्रष्टाओं की यथार्थसम्मत विचारधारा को सप्रमाण रेखांकित करती है।
1857 : Itihas Kala Sahitya
- Author Name:
Chanchal Chauhan +1
- Book Type:

- Description: 1857 आधुनिक भारतीय इतिहास की ऐसी परिघटना है जिस पर सैकड़ों पुस्तकें लिखी गई हैं। इसके बावजूद इतिहास, कला और साहित्य के क्षेत्र में पिछले 150 वर्षों के अनुसंधानों पर आधारित नवोन्मेषकारी विवेचनाओं और उद्भावनाओं से हिन्दी-उर्दू भाषी समुदाय की चेतना में मंथन उत्पन्न करनेवाली पुस्तक का नितान्त अभाव है। इसी ज़रूरत को ध्यान में रखकर इस पुस्तक की सम्पूर्ण सामग्री में श्रमसाध्य और नए ढंग के संचयन का प्रयास किया गया है। इस पुस्तक में पूर्व प्रकाशित सामग्री अल्पतम है—सिर्फ़ सन्दर्भ बताने के उद्देश्य से। अंग्रेज़ी और हिन्दी-उर्दू में अभी तक अप्रकाशित अनेक महत्त्वपूर्ण आलेखों और सृजनधर्मी रचनाओं को व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया गया है—इस व्यवस्था में एक वैचारिक अन्विति का होना स्वाभाविक है। चूँकि अन्विति ही वह विधि है जिसके माध्यम से अत्याधुनिक प्रक्रियाओं को समझने और इतिहास से संवाद कर रही कलात्मक और साहित्यिक सृजनशीलता के सन्दर्भ का खुलासा करने में मदद मिलती है। रंगकर्म, फ़िल्म, चित्रकला, उर्दू शायरी तथा हिन्दी साहित्य के परिदृश्यों के विवेचन से इसे समृद्ध किया गया है ताकि इतिहास, कला और साहित्य की परस्पर सम्बद्धता की अन्तःक्रिया भी स्पष्ट हो सके। 1857 पर इतिहास लेखन यद्यपि दो प्रतिध्रुवों में विभक्त रहा, इसके बावजूद सन् सत्तावन की जंगे-आज़ादी को समकालीन समाजवैज्ञानिक, चिन्तक और रचनाकार जिस दृष्टि से देखते हैं, उस ऐतिहासिक प्रक्रिया का तात्पर्य जिस तर्कव्यवस्था से आलोकित करते हैं—इस पूरी पद्धति के लिहाज से इस संकलन में इरफ़ान हबीब, एजाज़ अहमद, सव्यसाची भट्टाचार्य, सूरजभान, रजत कांत रे, एस.पी. वर्मा, शीरीं मूसवी, पी.के. शुक्ला, देवेन्द्र राज अंकुर, इम्तियाज़ अहमद, अमर फ़ारूक़ी, नुज़हत काज़मी, मुहम्मद हसन, शिवकुमार मिश्र, कमलाकान्त त्रिपाठी, खगेन्द्र ठाकुर, विजेन्द्र नारायण सिंह, सीताराम येचुरी, नलिनी तनेजा, मनमोहन, असद ज़ैदी, संजीव कुमार आदि के आलेख ग़ौरतलब हैं। 1857 के साथ मैत्रेयी पुष्पा, कुमार अंबुज, योगेन्द्र आहूजा, दिनेश कुमार शुक्ल, सुल्तान अहमद, वंदना राग, विमल कुमार का रचनात्मक संवाद अतीत के साथ वर्तमान को भी आन्दोलित करता है। इतिहास, कला और साहित्य की घटनाओं और रचना प्रक्रियाओं का अन्तर्विरोध समझने के लिहाज़ से ही बीसवीं सदी के महान फ़्रांसीसी इतिहासकार मार्क ब्लाख की यह टिप्पणी स्मरणीय है कि ‘राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति के क्षेत्र की परिघटनाएँ एक ही वक्र पर उपस्थित हों, यह आवश्यक नहीं है।’ इस पुस्तक के माध्यम से इसे 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध के भारतीय इतिहास और संस्कृति के सन्दर्भ में बख़ूबी समझा जा सकता है। अंग्रेज़ी में प्रकाशित होने से पहले ही अनेक आलेखों को हिन्दी में उपलब्ध कराने के सराहनीय प्रयास के साथ 1857 की जनक्रान्ति पर अभी तक हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकों के बीच निस्सन्देह यह पुस्तक अनूठी और विचारोत्तेजक है।
Akbar Aur Tatkalin Bharat
- Author Name:
Irfan Habib
- Book Type:

-
Description:
प्रसिद्ध इतिहासकार इरफ़ान हबीब द्वारा सम्पादित यह पुस्तक ऐसे कई महत्त्वपूर्ण अध्ययनों को हमारे सामने रखती है, जिनमें अकबर, उसके साम्राज्य और तत्कालीन सामाजिक-राजनीतिक व आर्थिक वातावरण पर प्रकाश पड़ता है। मध्यकालीन भारतीय इतिहास के अधिकारी विद्वानों द्वारा लिखित इन गवेषणात्मक आलेखों से पाठक चार सदी पूर्व के भारत की राजनीति और सांस्कृतिक स्थिति की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।
अकबरकालीन प्रशासनिक व्यवस्था, राजनीतिक इतिहास, धार्मिक रीति तथा विचार, विज्ञान और तकनीकी की स्थिति, समाजार्थिक स्थितियाँ आदि कुछ विषय हैं जिनके बारे में ये निबन्ध हमें प्रामाणिक तथ्य उपलब्ध कराते हैं तथा मौजूदा अवधारणाओं का परिष्कार करते हुए तत्कालीन इतिहास के क्षेत्र में नई चुनौतियों और क्षेत्रों को चिह्नित करते हैं।
आज भारतीय जन-गण के लिए यह जानना भी बहुत ज़रूरी हो गया है कि एक राष्ट्र के रूप में हम एक संगठित राजनीतिक और सांस्कृतिक परम्परा के वारिस हैं। इस अर्थ में भी अकबर का राजनीतिक और सांस्कृतिक विज़न फ़ौरी तौर पर हमारे लिए अत्यन्त उपयोगी साबित हो सकता है।
Putin And The Russian Renaissance
- Author Name:
Dinkar Kumar
- Book Type:

- Description: The book invites you to uncover the remarkable journey of Vladimir Putin, one of the most intriguing and controversial leaders of our time. From the gritty streets of post-war Leningrad to the heights of global power, this is the story of a man who reshaped Russia and left the world divided. Explore Putin's transformation from a quiet KGB officer to a political force who rose unexpectedly to lead a nation. Witness his efforts to revive a faltering Russia, his bold and often polarizing decisions, and his relentless pursuit of restoring Russia's place on the global stage. But who is Vladimir Putin beyond the politics? This book peels back the layers to reveal the person behind the power-his early life, personal values and the driving force behind his vision. Told with clarity and depth, The Putin Story blends gripping storytelling with insightful analysis to offer a fresh perspective on a leader who has shaped history
Patriots and Partisans
- Author Name:
Ramchandra Guha
- Book Type:

- Description: In this wide-ranging collection of essays, Ramachandra Guha defends the liberal centre against the dogmas of left and right, and does so with style, depth, and polemical verve. Among the subjects on which he turns a critical eye are Hindutva, the Communist left and the dynasty-obsessed Congress party. Whether writing about politics, profiling individuals or analysing social trends, Guha displays a masterly touch, confirming his standing as India's most admired historian and public intellectual. Key Features: Written in a wonderfully readable style, will provoke much debate and discussion Covering a wide range of subjects of contemporary relevance, such as: An essay on the threats to the Indian republic from the Right, the Left and the state itself An analysis comparing and contrasting two old men, PM Manmohan Singh and Anna Hazare An examination of the dynasty-obsessed Congress Party and its culture of sycophancy Hindutva hate mail which floods the Internet
Bharatiya Itihas Prashnottari
- Author Name:
Yogendra Prasad
- Book Type:

- Description: भारतीय इतिहास की यह प्रश्नोत्तरी बिहार राज्य के माध्यमिक विद्यालयों के निर्धारित पाठ्यक्रम के आधार पर वर्ग दशम एवं एकादश के छात्रों के लिए लिखी गई है। इस विषय पर अब तक जितनी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, उन सभी से इस पुस्तक को अधिक आकर्षक और छात्रोपयोगी बनाने की चेष्टा की गई है। छात्रों की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक विषय को सरल बनाकर प्रस्तुत किया गया है।
Loktantra Par Grahan! EMERGENCY (Bhartiye Loktnatra Ke Kalank Kaal Par Adharit Upanyas)
- Author Name:
Dr. Rashmi
- Book Type:

- Description: 25-26 जून, 1975 की मध्यरात्रि को आपातकाल लागू किया गया था। बड़े-बड़े नेताओं को बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घरों से उठा लिया गया। जो किसी कार्यवश अपने शहर से बाहर थे, उनके लौटने तक की प्रतीक्षा नहीं की गई, उन्हें उस शहर से ही गिरफ्तार कर लिया गया। जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गज नेता को उनकी अस्वस्थता की स्थिति में, बिना किसी पूर्व सूचना के गांधी शांति प्रतिष्ठान से गिरफ्तार कर लिया गया। सत्ताधीशों ने बूढ़े और बीमार जे.पी. की आयु का भी लिहाज नहीं किया था। कितनों को यह भी नहीं पता था कि उन्हें कहाँ लेकर जाया जा रहा है? कइयों के परिवारवालों को अपने आत्मीय के गिरफ्तार होने तक की सूचना नहीं थी! कुछ को अपनों की गिरफ्तारी के विषय में तो पता था, किंतु वे यह नहीं जानते थे कि उन्हें कहाँ रखा गया है? इमरजेंसी के पूरे दौर में राजनीतिक व्यक्तियों के अलावा लेखकों और पत्रकारों ने भी अत्यंत उत्पीडऩ झेला। फणीश्वरनाथ रेणु, नागार्जुन, भवानी प्रसाद मिश्र, सुरेंद्र मोहन पाठक, डॉ. रघुवंश, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, कुलदीप नैयर, कुमार प्रशांत, सूर्यकांत बाली, विक्रम राव, वीरेंद्र कपूर, श्याम खोसला, देवेंद्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, प्रभाष जोशी, रामबहादुर राय आदि पर आपातकाल का कहर बरसा, लेकिन फिर भी ये लोग सरकार के आगे नहीं झुके।
Ajay Hum
- Author Name:
Yuval Noah Harari
- Book Type:

-
Description:
हम शेरों जैसे ताक़तवर नहीं हैं,
न डॉल्फिन की तरह तैर सकते हैं,
और निश्चय ही हमारे पंख भी नहीं हैं!
तो फिर हमने इस दुनिया पर राज कैसे किया?
इसका जवाब एक ऐसी अजीब कहानी में है, जो शायद ही फिर कभी सुनने को मिले. वह भी एक सच्ची कहानी!
कभी आपके दिमाग़ में यह सवाल पैदा हुआ कि हमने यह मुक़ाम कैसे हासिल किया?
हाथियों ने शिकार से लेकर स्मार्ट फोन चलाने तक का सफ़र?
आखिर कैसे बने हम...अजेय?
इसके पीछे की सच्चाई यह है कि हमारे पास एक सुपर पावर है.
और वह यह कि - हम कहानियाँ गढ़ सकते हैं.
यह ऐसा इतिहास है जिसे आपने पहले कभी अनुभव नहीं किया होगा.
जानिए कि कैसे क़िस्सागोई की इस अनोखी ख़ूबी का इस्तेमाल हमने अच्छाई-बुराई को समझने और दुनिया पर
राज करने के लिए किया.
और जानिए कि दुनिया को बदल देने की यह ताक़त हासिल कैसे हुई?
हरारी युवा पाठकों को साथ लेकर मानव जाति के इतिहास की यात्रा पर निकले हैं. रोमांचक तथ्य और जानदार
चित्रांकन के ज़रिए विस्तृत और उलझे हुए विषय को ख़ूबसूरती से पेश करते हैं.
सबीना रादेवा, ‘ओरिजिन ऑफ़ स्पीशीज़’ की लेखिका
Sansad Mein Meri Baat
- Author Name:
Ramgopal Yadav
- Book Type:

-
Description:
इस पुस्तक का नाम है—'संसद में मेरी बात' लेकिन यदि आप इसे ध्यान से पढ़ें तो आप कहेंगे कि इसका नाम होना चाहिए था—'देश की बात'।
प्रो. रामगोपाल यादव ने लगभग 40 विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। 40 तो शीर्षक भर हैं।
एक-एक शीर्षक में कई-कई मुद्दे हैं। हर मुद्दे पर उन्होंने अपनी बेबाक राय रखी है। शिक्षा, स्वास्थ्य, ग़रीबी, खेती, हिन्दी, विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा, आरक्षण जैसे बुनियादी मुद्दों पर उन्होंने अपनी दो-टूक बात तो कही ही है, तात्कालिक महत्त्व के कई प्रश्नों पर उन्होंने अनेक रचनात्मक सुझाव भी रखे हैं। राजनीतिशास्त्र के अध्येता और अध्यापक रहने के अनुभव ने भाषणों को गम्भीर और तर्कसम्मत भी बनाया है। उनके भाषणों को पढ़ने पर आप आसानी से समझ जाएँगे कि एक औसत नेता और एक विद्वान नेता में क्या फ़र्क़ होता है। इस संकलन में आप जब गांधी, लोहिया, अम्बेडकर आदि के साथ-साथ सुकरात, अरस्तू, थॉमस हिल ग्रीन, जॉन स्टुअर्ट मिल आदि विचारकों के प्रासंगिक सन्दर्भ देखेंगे तो आप समझ जाएँगे कि समाजवादी पार्टी ने अपने इस प्रतिभाशाली सांसद को संसद में सदा बने रहने के लिए बाध्य क्यों किया है। इस ग्रन्थ को पूरा पढ़ने पर आपको रामगोपाल जी के सपनों का भारत साफ़-साफ़ दिखाई पड़ने लगेगा। डॉ. राममनोहर लोहिया के समतामूलक समाज और बृहत्तर भारत की कल्पना को यह सपना साकार करता है।
—वेदप्रताप वैदिक
Magadhnama : Magadh Ke Itihas Ki Kathatmak Yatra
- Author Name:
Kumar Nirmalendu
- Book Type:

- Description: अपने आरम्भिक दिनों में वैदिक आर्य संस्कृति के प्रभाव से मुक्त रहा है। तब वह 'व्रात्य-सभ्यता' का केन्द्र हुआ करता था। वैसे आगे चलकर च्यवन और दधीचि जैसे ऋषियों का जन्म मगध में ही हुआ। अथर्ववेद की रचना भी यहीं हुई। मगध की धरती पर तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ को तत्वज्ञान हुआ, चौबीसवें तीर्थंकर वर्द्धमान महावीर को कैवल्य ज्ञान मिला; और गौतम सिद्धार्थ क्रो बुद्धत्व की प्राप्ति भी हुई। मगध की धरती पर यदि शूरवीरों की तलवारों की झंकार गूँजी; तो पूरी दुनिया को प्रेम, सत्य और अहिंसा का संदेश देनेवाले बुद्ध और महावीर की अमृतवाणी भी मुखरित हुई। महावीर ने राजगृह में पहला सामूहिक उपदेश दिया; और राजगृह के समीप पावापुरी में राजा संस्थिपाल के राजभवन में उनका देहान्त हुआ। कुल चौबीस जैन तीर्थंकरों में से दो को छोड़कर अन्य सभी ने मगध की धरती पर ही निर्वाण प्राप्त किया। यहीं खगोलविद् आर्यभट पैदा हुए और गद्यकवि बाणभट्ट भी। यहाँ चाणक्य और कामन्दक जैसे कूटनीति-दक्ष आचार्य हुए; तो जीवक और धनवन्तरि जैसे आयुर्वेदाचार्य भी। बिम्बिसार, अजातशत्रु, उदयिन, कालाशोक, महापद्मनन्द, चन्द्रगुप्त मौर्य, अशोक, पुष्यमित्र शुंग, चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य जैसे प्रतापी राजाओं की एक लम्बी शृंखला है, जिनकी जन्मदात्री होने पर किसी को भी गर्व हो सकता
Shudron Ka Pracheen Itihas
- Author Name:
Ramsharan Sharma
- Book Type:

-
Description:
‘शूद्रों का प्राचीन इतिहास’ प्रख्यात इतिहासकार प्रो. रामशरण शर्मा की अत्यन्त मूल्यवान कृति है। शूद्रों की स्थिति को लेकर इससे पूर्व जो कार्य हुआ है, उसमें तटस्थ और तलस्पर्शी दृष्टि का प्राय: अभाव दिखाई देता है। ऐसे कार्य में कहीं ‘शूद्र’ शब्द के दार्शनिक आधार की व्याख्या–भर मिलती है, तो कहीं धर्मसूत्रों में शूद्रों के स्थान की; कहीं शूद्रों के ग़ुलाम नहीं होने को सिद्ध किया गया है, तो कहीं उनके उच्चवर्गीय होने को। कुछ अध्ययनों में प्राचीन भारत के श्रमशील वर्ग से सम्बद्ध सूचनाओं का संकलन–भर हुआ है। दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसे अध्ययनों में विभिन्न परिस्थितियों में पैदा हुई उन पेचीदगियों की प्राय: उपेक्षा कर दी गई है, जिनके चलते शूद्र नामक श्रमजीवी वर्ग का निर्माण हुआ। कहना न होगा कि यह कृति उक्त तमाम एकांगिताओं अथवा प्राचीन भारतीय जीवन के पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित करने की प्रकृति से मुक्त है। लेखक के शब्दों में कहें तो, ‘‘प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना का उद्देश्य प्राचीन भारत में शूद्रों की स्थिति का विस्तृत विवेचन करना मात्र नहीं, बल्कि उसके ऐसे आधुनिक विवरणों का मूल्यांकन करना भी है जो या तो अपर्याप्त आँकड़ों के आधार पर अथवा सुधारवादी या सुधारविरोधी भावनाओं से प्रेरित होकर लिखे गए हैं।’’
संक्षेप में, प्रो. शर्मा की यह कृति ऋग्वैदिक काल से लेकर क़रीब 500 ई. तक हुए शूद्रों के विकास को सुसंबद्ध तरीक़े से सामने रखती है। शूद्र चूँकि श्रमिक वर्ग के थे, अत: यहाँ उनकी आर्थिक स्थिति और उच्च वर्ग के साथ उनके समाजार्थिक रिश्तों के स्वरूप की पड़ताल के साथ–साथ दासों और अछूतों की उत्पत्ति एवं स्थिति की भी विस्तार से चर्चा की गई है।
Vyathit Jammu Kashmir
- Author Name:
Narender Sehgal
- Book Type:

- Description: स्तावना —Pgs. 7 1. भारत माता के मुकुट कश्मीर का गौरवशाली अतीत —Pgs. 13 2. दिग्विजयी कश्मीर —Pgs. 21 3. धर्मांतरण से राष्ट्रांतरण —Pgs. 31 4. डुग्गर धरती का गौरवशाली अतीत —Pgs. 35 5. आत्म बलिदान की अनूठी मिसाल डुग्गर रत्न बाबा जो —Pgs. 41 6. डुग्गर पौरुष के प्रतीक वीर बंदा वैरागी —Pgs. 45 7. विजयी डोगरा सेनानायक जनरल जोरावर सिंह —Pgs. 49 8. राष्ट्रभत डोगरा शासक —Pgs. 55 9. जम्मू क्षेत्र में संघ —Pgs. 61 10. जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय —Pgs. 66 11. कश्मीर घाटी में संघ —Pgs. 75 12. रक्षा मोरचे पर संघ —Pgs. 78 13. शेख अदुल्ला का उदय —Pgs. 84 14. पं. नेहरू की अदूरदर्शिता —Pgs. 92 15. प्रजा परिषद् आंदोलन —Pgs. 109 16. आत्मनिर्णय का इसलामी जुनून —Pgs. 123 17. देशभत कश्मीरी पंडित —Pgs. 131 18. डोडा क्षेत्र में आतंक —Pgs. 141 19. जम्मू क्षेत्र से भेदभाव —Pgs. 145 20. मंदिरों का शहर बना शरणार्थियों का शहर —Pgs. 150 21. हिंदू स्वाभिमान की विजय —Pgs. 158 22. हिंदू विहीन कश्मीरियत? —Pgs. 179 23. फसाद की जड़ अनुच्छेद 370 —Pgs. 184 24. भारतीय सुरक्षा बल —Pgs. 191 25. लद्दाख में राष्ट्रवाद का जागरण —Pgs. 199 26. खतरे में लद्दाखी सभ्यता —Pgs. 203 27. समाधान की तलाश —Pgs. 205 परिशिष्ट-1 मैंने श्री गुरुजी को ‘कर्ण महल’ में प्रवेश करते देखा —Pgs. 227 परिशिष्ट-2 The Accession of the J&K State and Maharaja Hari Singh —Pgs. 228 परिशिष्ट-3 In Saving Kashmir —Pgs. 230 परिशिष्ट-4 Accession of Kashmir Sangh's Efforts —Pgs. 233 परिशिष्ट-5 महाराजा का सरदार पटेल को पत्र —Pgs. 236 परिशिष्ट-6 महाराजा का भारत में विलय का प्रस्ताव —Pgs. 241 परिशिष्ट-7 26 अतूबर, 1947 को महाराजा हरिसिंह द्वारा कार्यान्वित विलय-पत्र —Pgs. 244 परिशिष्ट-8 भारत के संविधान की धारा-370 —Pgs. 247 परिशिष्ट-9 शिमला समझौता —Pgs. 249 परिशिष्ट-10 कश्मीर समझौता (फरवरी 1975 ) —Pgs. 252 संदर्भ-ग्रंथ —Pgs. 254 पत्र-पत्रिकाएँ —Pgs. 256
Delhi Dange : Sazish ka Khulasa
- Author Name:
Aditya Bhardwaj +1
- Book Type:

- Description: सामने आ रहा है, दिल्ली दंगों का सच : धीरे-धीरे ‘अपनी योजना के तहत 24 फरवरी को हमने कई लोगों को बुलाया और उन्हें बताया कि कैसे पत्थर, पेट्रोल बम और एसिड बोतल फेंकने हैं। मैंने अपने परिवार को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया। 24 फरवरी, 2020 को दोपहर करीब 1.30 बजे हमने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।’ आम आदमी पार्टी से निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के इस बयान को सुनकर वे लोग चौंक सकते हैं जो आम आदमी पार्टी के चरित्र से परीचित नहीं हो। आम आदमी पार्टी ने मसजिदों और मदरसों के अपने अच्छे नेटवर्क और ताहिर हुसैन अमानतुल्ला खान जैसे नेताओं के दम पर ही पूरी दिल्ली के एकएक मुसलमान का वोट हासिल कर लिया था। जिसके बदले में मानों उत्तरपूर्वी दिल्ली को आग में झोंक देने का लाइसेंस समुदाय विशेष को दे दिया था। अब जब उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों पर चार्जशीट दिल्ली पुलिस तैयार कर चुकी है। उसके बाद 23 फरवरी को मौजपुर से भड़के हिंदू विरोधी दंगों को याद करते हुए, जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, गोकुलपुरी, करावल नगर, भजनपुरा, यमुना विहार में आग की तरह फैली उस हिंसा को सी.ए.ए. के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से अलग करके देखना भूल होगी। शाहीन बाग, जामिया नगर, सीलमपुर में सी.ए.ए. के विरोध में फैलाई गई हिंसा, वास्तव में बड़े दंगे का पूर्वाभ्यास ही थी। जिस बड़े दंगे को उत्तरपूर्वी दिल्ली में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगमन पर 23-26 फरवरी, 2020 तक अंजाम दिया गया। इस हिंसा के लिए 4 फरवरी से ही कई घरों में कबाड़ी से शराब और कोल्ड ड्रिंक की खाली बोतलें, पत्थर लेकर छत पर इकट्ठा करना शुरू कर दिया गया था। मुस्लिम समुदाय ने अपनी गाडि़यों में फुल पेट्रोल, डीजल भरकर रख लिया था ताकि बोतलों में पेट्रोल डीजल भरकर बम की तरह उसे वक्त आने पर इस्तेमाल किया जा सके। मुस्लिम परिवारों में ऐसे परचे दंगों से पहले बाँट दिए गए जिसमें दंगों की स्थिति में हिंदूओं से निपटने की तरकीब लिखी गई थी। इन सारी बातों को देखने के बाद यह समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में होनेवाले दंगों के लिए यमुना पार का मुस्लिम समुदाय पहले से तैयार था। जबकि हिंदूओं को इससे सँभलने का बिलकुल मौका नहीं मिला। अब धीरे-धीरे दिल्ली दंगों की साजिश का सच सामने आ रहा है, जिसकी वजह से वामपंथी इको सिस्टम का झूठ चल नहीं पा रहा।
Gandhi : Charkha Se Swaraj
- Author Name:
Suman Jain
- Book Type:

-
Description:
प्रस्तुत कृति वर्तमान सन्दर्भ में गाँधी विचार समझने का प्रयास है, गाँधी साहित्य विचार का अध्ययन, प्रश्न, जिज्ञासाएँ इस कृति के लेखन का आधार हैं।
महात्मा गाँधी वर्तमान भारत के सांस्कृतिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक आन्दोलन के लिए प्रासंगिक हैं। इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुका भारत साधन सम्पन्न विकसित राष्ट्र, आर्थिक साम्राज्य विस्तार की भावना से भूमंडलीकरण, उदारीकरण एवं वैश्वीकरण जैसी नीतियों के सहारे विकासशील राष्ट्रों के प्रचुर संसाधनों पर नियंत्रण करने में लगभग सफल है। पूँजीवादी आर्थिक अर्थव्यवस्था को मानवता के ख़िलाफ़ माननेवाले गाँधी जी ने देशी पूँजीवादी को उससे भी घातक बताया।
गाँधी जी चाहते थे कि धर्म की शक्ति विघटनकारी होने के बजाय मैत्रीपूर्ण हो। सभी धर्मवाले एक-दूसरे के सम्पर्क से अपने को बेहतर इन्सान बनाने की कोशिश करें तो हमारा यह संसार मनुष्य के रहने के लिए अधिक सुन्दर स्थान बनने के साथ ही ईश्वर का सन्धि बन जाएगा।
Vedic Kaal
- Author Name:
Irfan Habib
- Book Type:

-
Description:
‘भारत के लोक इतिहास’ श्रृंखला के इस खंड का विषय 1500 ईसा पूर्व से 700 ईसा पूर्व के बीच का काल-खंड है जिसके तहत ऋग्वेद और उसके बाद के ग्रन्थों को क्रमशः व्यवस्थित किया गया है और उस युग के भूगोल, प्रव्रजन, प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और समाज के साथ-साथ धर्म और दर्शन आदि पहलुओं का अन्वेषण किया गया है। लेखकों की कोशिश रही है कि उक्त आदिग्रन्थों के माध्यम से तत्कालीन जन-जीवन की पुनर्रचना कर आम पाठकों के लिए उसे बोधगम्य बनाया जाए। इस प्रक्रिया में लैंगिक और वर्ग-आधारित सामाजिक विभाजनों को ख़ास तौर पर देखने की कोशिश की गई है।
पुस्तक के एक अध्याय में पुरातात्त्विक साक्ष्यों के आधार पर प्रमुख क्षेत्रीय संस्कृतियों का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया गया है। इतिहास में लोहे का आगमन एक महत्त्वपूर्ण घटना है जो इसी युग में सम्पन्न हुई थी, सो उसका वर्णन किंचित् विस्तार से हुआ है। साथ ही जाति व्यवस्था के आरम्भ पर भी इस पुस्तक में अपेक्षित प्रकाश डाला गया है।
मूल ग्रन्थों के उद्धरणों, तार्किक व्याख्याओं और विश्लेषणों, अनेक प्रामाणिक चित्रों और नक़्शों से समृद्ध यह पुस्तक न सिर्फ़ रुचिकर, बल्कि पाठकों को विचारोत्तेजक भी लगेगी।
POK : Bharat Mein Wapas
- Author Name:
Amit Bagaria
- Book Type:

- Description: नई दिल्ली के पी.एम.ओ. में 21 सीटोंवाली टीक से बनी अंडाकार मेज के नीचे छह लोगों ने एक साथ अपनी मुट्ठियाँ भींच रखी थीं। आखिर कैसे उनकी प्रधानमंत्री उनसे इस लहजे में बात कर सकती हैं? आखिर कैसे संविधान ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री बनने की इजाजत देता है जिनके पास लोकसभा की 543 में से महज 35 सीट हैं? भारत के प्रधानमंत्री का विमान इस्लामाबाद एयरपोर्ट से भारतीय समय के अनुसार सुबह 7:45 बजे उड़ान भरता है। उसे नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (आई.जी.आई.ए.) पर भारतीय समय के अनुसार सुबह 9:10 बजे उतरना था। विमान जैसे अपने निर्धारित रूट से भटकने लगता है, आई.जी.आई.ए. एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर में हड़कंप मच जाता है। इस्लामाबाद के दौरे पर पी.एम. के साथ रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और एन.एस.ए. भी गए थे। उनकी गैरमौजूदगी में भारतीय वायु सेना के प्रमुख से बात करने के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति कैबिनेट सचिव या रक्षा सचिव ही हो सकते थे। दोनों ने ही उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन कोई बात नहीं हो पाई। भारतीय समय के अनुसार सुबह 9:45 बजे, युद्ध के लिए तैयार वेशभूषा में भारतीय सेना के जवान सेना के ट्रकों से नॉर्थ और साउथ ब्लॉक पहुँचने लगे। लुटियन की दिल्ली में फैले अन्य मंत्रालयों की इमारतों के बाहर भी जवान एकत्र हो रहे थे। पाकिस्तान के समय अनुसार सुबह 9:45 बजे, यानी नई दिल्ली में भारतीय जनरलों की प्रेस कॉन्फ्रेंस समाप्त होने के करीब पाँच घंटे बाद और भारत के पचास से ज्यादा शहरों की सड़कों पर लाखों लोगों के सड़कों पर प्रदर्शन शुरू होने के लगभग दो घंटे बाद, प्रधानमंत्री इरफान खान ने पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की एक बैठक की अध्यक्षता की और बैठक में आगे की काररवाई की योजना तैयार की।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...